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~• योगेश कुमार रोहि की जानिब से सामईन तथा नाज़रीन की ख़िदमत में पेश ए नज़र है !ये ख़यालाती तज़िकरे ! ओ३म् अरये नमः ---आमीन् अल् इलाह उल् आलमीन ! ••••••••••••••
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पेश हैं ये कलामात लिस्सान ए व्रज में ----
🔯 नंगन में रोहि रार का !
स्त्रीयों में श्रृंगार का--
भावनओं संग विचार का !
जैसे नौका में पतवार का
अद्भुतसमागम है
ये सृष्टि का नियम है !
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आशनाई में यार का --
सौन्दर्य में निख़ार का
लालिमा में रुख़सार का .
लहरों के संग मझधार का !
मिलने का जो नियम है
समय की गति में
परिवर्तन का सरग़म है !
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दर्द में वुख़ार का
मुशीबत में क़रार का !
जोश में ख़ुमार का !
दोस्ती में प्यार. का !
मित्रता में व्यवहार का !
रिश्तेदारी में उपहार का !
रोहि क्या महत्व कम है
इनके मिलने में दम है !
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इच्छाओं से संसार का
परखने से आचार का !
रुतवे में इज़हार का !
आवेश में व्यभिचार का !
मेलों में बहार का
भोजन में अचार का !
इनका मिलना बड़ा सम है !
इनका वजूद यथा क्रम है !
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ज्ञान में उच्चार का !
विजेता के गले में हार का !
पति - पत्नी में तक़रार का !
उपलब्धि में अहंकार का !
मिलना भी एक श्रम है
ये सृष्टि सैद्धान्तिक है
न कि भ्रम है !
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खाने में अचार का !
दुष्टों में मार का .
भूख़ों में आहार का .
कूडे़ में सार का !
मिलना उपक्रम है !
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संकट में पुकार का .
पाचन में लार का .
तब भोजन हज़म है
तब तक शरीर में दम है !
नीति एक चमक यहाँ
प्रकाश के समान धर्म है !!
नीति जीवन का
आचरण महान है
तो धर्म का लक्ष्य परम है !
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सुविचार
व्यक्ति का व्यवहार !
उसके वास्तविक विचारों की
सम्यक् व्याख्या है !
और बाणी उस व्याख्या का भाष्य है ! अथवा हम कहें कि रोहि ! व्यक्तित्व अर्थात् मानवीय चेतना के व्यावहारिक व वैचारिक गुण !
एक पुष्प के समान है ! जिसमें विचारों की सुगन्ध तथा व्यवहार का पराग निरन्तर निःसृत है बाणी इस पुष्प का मकरन्द है !
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