सोमवार, 31 दिसंबर 2018

समुच्चयबोधक की परिभाषा, भेद और उदाहरण

समुच्चयबोधक  (Conjunction) की परिभाषा,
भेद और उनके उदाहरण
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प्रश्न- Conjunction का अर्थ समुच्चयबोधक होता है।
समुच्चयबोधक क्या होता है ?
उत्तर- जिन शब्दों की वजह से दो या दो से अधिक वाक्य , शब्द , या वाक्यांश जुड़ते हैं उन्हें समुच्चयबोधक कहा जाता है।

जहाँ पर तब , और , वरना , किन्तु , परन्तु , इसीलिए , बल्कि , ताकि , क्योंकि , या , अथवा , एवं , तथा , अन्यथा आदि शब्द जुड़ते हैं वहाँ पर ये ही शब्द  समुच्चयबोधक होते हैं।
इन समुच्चयबोधक शब्दों को योजक
(जोड़ने वाला )भी कहा जाता है। कुछ शब्द जब भेद प्रकट करते हैं तब भी शब्दों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं। इसे अव्यय का एक भाग माना जाता है इसी वजह से इसे समुच्चयबोधक अव्यय भी कहा जाता है।
जैसे :-
(i) राम ने खाना खाया और सो गया।
(ii) उसने बहुत समझाया लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं मानी।
(iii) अगर तुम बुलाते तो मैं जरुर आता।
(iv) श्रुति और गुंजन पढ़ रहे हैं।
(v) सीता ने बहुत मेहनत की फिर भी सफल नहीं हुई। (vi) मुझे टेपरिकार्डर या घड़ी चाहिए।
(vii) राम और श्याम आपस में बातें कर रहे हैं।
(viii) क्या हुआ वह धनवान है लेकिन कंजूस है।
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समुच्चय बोधक के भेद :-
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक
Co-ordinator conjunction
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक
Bureaucratic conglomerate
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक :- जो पद या अव्यय मुख्य वाक्यों को जोड़ते हैं उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जहाँ पर और , तो आते हैं वहाँ पर समानाधिकरण समुच्चयबोधक होता है। जैसे :-
(i) सुनन्दा खड़ी थी और अलका बैठी थी।
(ii) ऋतेश गायेगा तो ऋतु तबला बजाएगी। समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उपभेद :-
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(1) संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
(2) विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
(3) विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
(4) विरोधदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
(5) परिणामदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
(6) वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक (1)संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक :- इनसे दो या अधिक वाक्यों को आपस में जोड़ा जाता है। जिन शब्दों से शब्द, वाक्य और वाक्यांश परस्पर जुड़ते हैं उसे संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जो समुच्चयबोधक अव्यय दो शब्दों , वाक्यों या वाक्यांशों को इकट्ठा करते हैं उन्हें संयोजक समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।
जहाँ पर भी , व ,और , तथा , एवं आते हैं वहाँ पर संयोजक समुच्चयबोधक अव्यय होते हैं।

जो अव्यय शब्द , वाक्यों , वाक्यांशों में जोड़ने के अर्थ में आते हैं। जैसे :-
(i) राम और सीता पाठशाला जा रहे हैं।
(ii) रवि , गोविन्द और दास एक ही कक्षा में पढ़ते हैं। (iii) राम और मोहन दोनों मित्र हैं।
(iv) सेब तथा नारंगी फल है।
(v) राम , लक्ष्मण और सीता वन में गये।
(vi) महापुरुष एवं गुरुजन सभी पूजनीय है।
(vii) बिल्ली के पंजे होते हैं और उनमें नख होते हैं।

(2) विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक
      Separator coordinate conjunction:- जिन शब्दों से शब्दों , वाक्यों , वाक्यांशों और उपवाक्यों में परस्पर विभाजन प्रकट करते हैं उन्हें विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जो अव्यय शब्द शब्द -भेद बताते हुए भी वाक्यों को जोड़ते हैं उसे विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जहाँ पर ताकि , या-या , चाहे-चाहे , क्या-क्या , न-न , न कि , नहीं तो , परन्तु , तो , या , चाहे , अथवा , अन्यथा , वा , मगर आते हैं वहाँ पर विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक होता है।

जैसे :-
(i) मेहनत से पढाई करो ताकि परीक्षा में सफल हो सको।

(ii) राम तो आया , परन्तु श्याम नहीं आया।

(iii) तुम चलोगे तो मैं चलूँगा।

(iv) क्या स्त्री क्या पुरुष सभी के मन में आनन्द छा रहा था।
(3) विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक :- जिन अव्यय शब्दों से विकल्प का पता चलता है उसे विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जहाँ पर या , अथवा , अन्यथा , कि आते हैं वहाँ पर विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक होता है। जैसे :-
(i) तुम काम कर सकते हो या पढाई।
(ii) तुम मेहनत करो अन्यथा असफल हो जाओगे। (iii) मैं जाउँगा अथवा कैलाश जाएगा।

(4) विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक :- जिन शब्दों से दो वाक्यों में से पहले की सीमा को सूचित किया जाता है उसे विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। अथार्त जो शब्द परस्पर दो विरोध करने वाले कथनों और उपवाक्यों को जोड़ते है उन्हें विरोधसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से विरोध का पता चले उसे विरोधवाचक समुच्चयबोधक समानाधिकरण कहते हैं। जहाँ पर वरन , पर , परन्तु , किन्तु , मगर , बल्कि , लेकिन आते हैं वहाँ पर विरोधवाचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक होता है।
जैसे :-
(i) श्याम ने उसे रोका था पर वह नहीं रुका।
(ii) सोहन पाठशाला गया था लेकिन पहुँचा नहीं था। (iii) झूठ सच को भगवान जाने पर मेरे मन में एक बात आई है।

(5) परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक :-
जो शब्द परस्पर दो उपवाक्यों को जोडकर परिणाम देशाते हैं उन्हें परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
अथार्त जिन अव्यय शब्दों से परिणाम का पता चले उसे परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जहाँ पर इसी लिए ,सो , इस कारण , अत: , अतएव , फलत: , परिणाम स्वरूप , इसलिए , फलस्वरूप , अन्यथा , आते हैं ।
वहाँ पर परिणामसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जैसे :-
(i) तुम मेरी सहायता करोगे , इसी लिए मैं आपके पास आया हूँ।
(ii) मैं अंग्रेजी में दुर्बल हूँ , अत: आप मेरी सहायता करें।
(iii) अब रात होने लगी है इसलिए दोनों अपनी -अपनी जगह से उठे।

(6) वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक :– जिन अव्यय शब्दों से अपने द्वारा जुड़ने वाले और एक को त्यागने का पता चले उसे वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जहाँ पर अथवा , या ,न आते हैं वहाँ पर वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक होता है।
जैसे :- (i)मोहन अथवा सोहन ने  उसे मारा  है।
(ii) न तुमने , न तुम्हारे भाई ने मेरी सहायता की।

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक :- जिन शब्दों से किसी वाक्य के प्रधान से आश्रित उपवाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं उन्हें व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। व्यधिकरण समुच्चयबोधक के भेद :-
(1) कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक
(2) संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक
(3) उद्देश्यसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक
(4) स्वरूपसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक

(1) कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक :- जिन शब्दों से प्रारम्भ होने वाले वाक्य पहले वाक्य का समर्थन करते हैं उसे करणवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
अथार्त जिन शब्दों से परस्पर जुड़े दो उपवाक्यों के कार्य का कारण स्पष्ट होता है उसे कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जिन अव्यय शब्दों से कारण का बोध होता है उसे कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जहाँ पर क्योंकि , जोकि , इसलिए कि , इस कारण , इस लिए , चूँकि , ताकि , कि आते हैं वहाँ पर कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होता है।
जैसे :-
(i) तुम पर कोई भरोसा नहीं करता क्योंकि तुम झूठ बोलते हो।
(ii) वह मुझे पसंद है इस लिए कि वह सुंदर है।
(iii) इस नाटक का अनुवाद मेरा काम नहीं था क्योंकि मैं संस्कृत नहीं जानता।

(2) संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक :- जिन शब्दों से पूर्ण वाक्य की घटना से उत्तर वाक्य की घटना का संकेत मिले उसे संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

अथार्त जिन शब्दों से दो योजक दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं उन्हें संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जिन अव्यय शब्दों से संकेत के भाव का पता चले उसे संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जहाँ पर यदि , तो , तथापि , जा , यद्पि , परन्तु आते हैं वहाँ पर संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होता है। जैसे :-
(i) कुछ बनना है तो स्कूल जाओ।
(ii) अगर उसे काम नहीं होगा तथापि वह आ जाएगा। (iii) जो मैंने तुमको भ्रष्ट न किया तो मेरा नाम मोहनी नहीं।

(3) उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक :- जिन शब्दों से दो उपवाक्यों को जोडकर उनका उद्देश्य स्पष्ट किया जाता है उसे उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जिन अव्यय शब्दों से उद्देश्य का पता चले उसे उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जहाँ पर ताकि , कि , जो , इसलिए कि , जिससे आते हैं वहाँ पर उद्देश्यवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होता है। जैसे :-

(i) वह मेरे पास आया था ताकि सहायता मांग सके।

(ii) श्रेष्ठ कार्य करो जिससे माँ-बाप गर्व कर सकें।

(iii) मछुआरा मछली पकड़ने के लिए बहुत मेहनत करता है ताकि उसकी मछली का आच्छा दाम मिले।

(4) स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक :– जिन शब्दों से मुख्य उपवाक्य का अर्थ स्पष्ट होता है उसे स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जिन अव्यय शब्दों से स्पष्टीकरण आये उसे स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जहाँ पर जैसे , यानी , कि , अथार्त , मानो आते हैं वहाँ पर स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होता है। जैसे :-
(i) वह इस तरह डर रहा है जैसे उसने ही चोरी की हो। (ii) श्री परीक्षित महाराज बोले की भगवन् अब आगे की कथा सुनाऐं !

अब नीचे अंग्रेजी भाषा में समुच्चय शब्द-भेद देखें---👇

समुच्य बोधक -Conjuction:

Conjunction या जिसे हम हिन्दी में सम्मुच्य बोधक अवयव कहते हैं ।
वो अंग्रेज़ी ग्रामर के पार्ट्स ऑफ़ स्पीच
(Parts of Speech) का एक अति महत्वपूर्ण भाग है. इसका काम किसी भी दो या दो से अधिक Words, Clause or Phrase या उनके समूह को जोड़ना होता है.

Example:👇

The book is on the table.
Ramesh and Suresh are two best  friends.
He was a kid yet he was really intelligent.
इसके अलावा कभी-कभी कुछ Conjunction हमेशा समूह में या जोड़ी के साथ उपयोग किये जाते हैं.
इन्हे हम Co-Relatives Conjunction समानाधिकरण समुच्चय बोधक- के नाम से भी जानते हैं.

Example:

Either……or
Neither……nor etc.
कुछ Conjunctions ऐसे भी प्रयोग किये जाते हैं जो Compound हो:

Example:

As well as
As soon as
So as
ये सारे उदहारण Conjunction के प्रकार तो नहीं कहे जा सकते. ऐसा इसलिए क्यूंकि Conjunction को उसके रूप और उपयोग के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है.

कंजंक्शन.  Conjunctions, वह शब्द है जो दो या दो से अधिक शब्दों (Words), शब्द समूहों (Phases), वाक्यांशों (Clauses) या वाक्यों(sentences) को जोड़ता है। जैसे–

Veena and Sweeta went to market.

यहाँ And का प्रयोग Conjunctions के रूप में हुआ है।

Give me tea or coffee.

यहाँ Or का प्रयोग Conjunctions के रूप में हुआ है।

कंजंक्शनConjunctionsके प्रकार:
(i)co-ordinating conjunction
(ii)subordinating conjunction

Co-ordinating conjunction:
Co-ordinating conjunction का शाब्दिक अर्थ है “समान कोटि का ” होता है।
इनका प्रयोग दो समान कोटि शब्दों(Words), शब्द समूहों(Phases), वाक्यांशों(clauses) या वाक्यों(sentences) को जुड़ने के लिए किया जाता है। जैसे–

Anshu is good but her uncle is bad.

The frog lives in water and on land.

यहाँ दो sentences) का प्रयोग
Co-Conjunctions के रूप में हुआ है।

Subordinating conjunction : Subordinating conjunctionका शाब्दिक अर्थ है,” एक दूसरे पर निर्भर रहने वाला” होता है। इनका प्रयोग Subordinate Clause को principal clause से जुड़ने के लिए किया जाता है। जैसे–

Bhavna was found as she came late.

if he comes, I shall go.

I do not know where shw lives.

कुछ समुच्चय बोधक- नीचे दिए गए है,
जिनका प्रयोग शब्दों(Words), शब्द समूहों(Phases), वाक्यांशों(clauses) या वाक्यों (sentences) जुड़ने में किया जाता है:-

As well as

otherwise

or, else

therefore

both….and

so….that

too…..to

because

but

while

since/ for

such….tha

yet

not yet

as far as।

नीचे  हिन्दी अनुवाद 👇

साथ ही साथ

अन्यथा

वरना

इसलिये

दोनों और

ताकि

भी को

इसलिये

परंतु

जबकि

तब से

इस तरह के ... .tha

अभी तक

अभी नहीं

जहाँ तक।

Either……or
Neither……nor etc.
कुछ Conjunctions ऐसे भी प्रयोग किये जाते हैं जो Compound हो:👇

कुछ अव्यय निम्नांकित रूप से हैं ।
या तो यह या वह
न तो …… और न ही आदि।
कुछ अनुमान ऐसे भी प्रयोग किए जाते हैं

संबंधबोधक

मनीषा के पीछे सुधा खड़ी है।
विद्यालय के चारों ओर पेड़ हैं।

– ऐसे अव्यय शब्द जो संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ प्रकट करते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।

संबंध-बोधक- अव्यय के भेद

अर्थ के आधार पर
प्रयोग के आधार पर
अर्थ के अनुसार संबंधबोधक के भेद-

स्थानवाचक– के ऊपर, के सामने, के आगे।
कालवाचक – के पहले, के बाद, के पूर्व, के उपरांत, के पश्चात।
दिशावाचक– की ओर, की तरफ।
साधनवाचक– के द्वारा, के सहारे, के बल पर।
विरोधसूचक– के प्रतिकूल, के विरुद्ध, के उल्टा।
समतासूचक– के अनुसार, के सामने, के तुल्य, की तरह, के सदृश।
हेतुवाचक– के अतिरिक्त, के सिवा, के सहित ।
सहचसूचक– के समेत, के साथ, के संग।
विषयवाचक– के विषय में, की बाबत।
संग्रहवाचक– के समेत, तक, भर।

प्रयोग के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद-

विभक्ति युक्त संबंधबोधक
विभक्ति रहित संबंधबोधक
विभक्ति युक्त संबंधबोधक–
जैसे- मैं इतनी दूर से अपने भाई के लिए आया हूं।

विभक्ति रहित संबंध-बोधक-

जैसे- महाराणा प्रताप अपनी अंतिम सांस तक देश के लिए संघर्ष करते रहे।

संबंध-बोधक-  अव्यय और  क्रिया विशेषण में अंतर-

क्रियाविशेषण  शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं।
क्रियाविशेषण शब्द क्रिया से पहले आते हैं।
संबंध-बोधक- शब्द संज्ञा या सर्वनाम के बाद  आते हैं।
संबंध-बोधक- शब्द संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से प्रकट करते हैं।
नीरा बाहर बैठी हुई है (क्रिया विशेषण)
विद्यालय के बाहर वृक्ष लगाए जा रहे हैं। (संबंध-बोधक-)

समुच्चयबोधक अव्यय

जो शब्द दो शब्दों, वाक्य के अंशों अथवा उपवाक्य को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक कहते हैं। इन्हें योजक भी कहा जाता है।

जैसे- वेदराम और आयुष सहपाठी है।
– तुम्हें सफेद फूल चाहिए या लाल ?
– रचना पड़ रही है किंतु राधा खेल रही।

1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक

जिन समुच्चयबोधक शब्दों द्वारा दो समान शब्दों, वाक्य के अंशों और वाक्यों को जोड़ा जाता है, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।

जैसे- राधा और रेखा सगी बहनें हैं।
आप कविता या कहानी सुनाइए।

2. व्यधिकरण समुच्चय-बोधक

किसी वाक्य के प्रधान और आश्रित उपवाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को ‘व्यधिकरण समुच्चयबोधक’ कहते हैं।

जैसे- समय पर खाना खाया करो, ताकि स्वास्थ्य खराब ना हो।
रचना विद्यालय नहीं गई क्योंकि वह बीमार है।

समानाधिकरण समुच्चय-बोधक के भेद-

संयोजक
विभाजक
विरोध सूचक
परिणाम सूचक

1. संयोजक – और एवं, तथा आदि।
उदाहरण- राम और सीता घर घर पूजे जाते हैं।

2. विभाजक – या, अथवा, अन्यथा आदि।
उदाहरण- श्रीमती अनुराधा अथवा श्री विवेक गणित पढ़ाएंगे।

3. विरोध सूचक – बल्कि, किंतु, परंतु, लेकिन, मगर आदि।
उदाहरण- राम ने बहुत कोशिश की परंतु सफल ना हो सका।

4. परिणाम सूचक – अतः, इसलिए, फलत: अतएव, परिणाम स्वरुप आदि।
उदाहरण- सीला आ गई थी इसलिए मैं आपके पास न आ सकी।

व्यधिकरण समुच्चयबोधक के भेद-

कारण सूचक
संकेत सूचक
उद्देश्य सूचक
स्वरूप सूचक
1. कारण सूचक – ताकि, क्योंकि, कि, चूँकि,. इसलिए आदि।
जैसे- राखी एक अच्छी लड़की है, इसीलिए वह मेरी अच्छी मित्र है।

2. संकेत सूचक – यद्यपि, तथापि, जो- तो, यदि- तो।
जैसे- यद्यपि रूबी एक अच्छी लड़की है तथापि वह मेरी दोस्त नहीं है।

3. उद्देश्य सूचक – ताकि, जिससे, कि,. इसलिए,कि आदि।
जैसे- खूब मन लगाकर पढ़ाई करो ताकि कक्षा में प्रथम आ सको।

4. स्वरूप सूचक – अर्थात, मानो,कि, यानी आदि।
जैसे- लंबोदर अर्थात लंबा है उदर- जिसका

विस्मयादिबोधक अव्यय(Exclamation point)

इन शब्दों के द्वारा विस्मय, भय, हर्ष, क्रोध आदि भाव प्रकट होते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहते हैं।

जैसे- दीर्घायु हो! जय हो!
शाबाश ! तुम्हें बधाई हो।
बाप रे बाप! इतना बड़ा सांप!

विस्मयादिबोधक के भेद

विस्मयादि बोधक शब्द निम्नलिखित होते हैं :-
शोक बोधक – हाय, हाय-हाय, हाय राम, हे राम, आह, ओह, उफ़, तौबा-तौबा आदि।
विस्मय बोधक – अरे, ओह, ऐं, हैं, क्या, सच आदि।
भयबोधक – बाप रे, बाप रे बाप आदि।
घृणा बोधक – धत्, धिक्, ओफ़,  छी:, छी:-छी:, थू, आदि।

हर्ष बोधक – वाह, शाबाश, अहा, धन्य आदि।
संबंधबोधक – अरे, हे, हो, अरी, अजी, ए जी, ओजी, ओ, आदि।
स्वीकार बोधक – ठीक, अच्छा, हाँ, आदि।
आशीर्वाद बोधक – जियो, जुग- जुग जियो, जीते रहो, यशस्वी भव, सुखी रहो, दीर्घायु भव, जय हो आदि।

वाक्य में प्रयोग
जैसे- हाय! बेचारे का हाथ टूट गया।
छि: ! चारों ओर कूड़ा बिखरा पड़ा है। ( घृणाबोधक)

निपात Dump /collapse

किसी पद पर बल देने वाले अव्यय निपात कहलाते हैं ।

जैसे- ही, भी, तो,तक केवल, मात्र, भर आदि निपात है।

जैसे- केवल= आप मुझे केवल दस रुपये दे दों।
तक- रोहित को बीस तक गिनना आ गया।

वाक्य परिवर्तन ----

वाक्य के अर्थ में किसी तरह का परिवर्तन किए बिना उसे एक प्रकार के वाक्य से दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तन करना वाक्य परिवर्तन कहलाता है। साधारण वाक्यों का संयुक्त वाक्यों में परिवर्तन साधारण वाक्य संयुक्त वाक्य मैं दूध पीकर सो गया। मैंने दूध पिया और सो गया। वह पढ़ने के अलावा अखबार भी बेचता है। वह पढ़ता भी है और अखबार भी बेचता है मैंने घर पहुँचकर सब बच्चों को खेलते हुए देखा। मैंने घर पहुँचकर देखा कि सब बच्चे खेल रहे थे। स्वास्थ्य ठीक न होने से मैं काशी नहीं जा सका। मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं था इसलिए मैं काशी नहीं जा सका। सवेरे तेज वर्षा होने के कारण मैं दफ्तर देर से पहुँचा। सवेरे तेज वर्षा हो रही थी इसलिए मैं दफ्तर देर से पहुँचा। संयुक्त वाक्यों का साधारण वाक्यों में परिवर्तन संयुक्त वाक्य साधारण वाक्य पिताजी अस्वस्थ हैं इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। पिताजी के अस्वस्थ होने के कारण मुझे जाना ही पड़ेगा। उसने कहा और मैं मान गया। उसके कहने से मैं मान गया। वह केवल उपन्यासकार ही नहीं अपितु अच्छा वक्ता भी है। वह उपन्यासकार के अतिरिक्त अच्छा वक्ता भी है। लू चल रही थी इसलिए मैं घर से बाहर नहीं निकल सका। लू चलने के कारण मैं घर से बाहर नहीं निकल सका। गार्ड ने सीटी दी और ट्रेन चल पड़ी। गार्ड के सीटी देने पर ट्रेन चल पड़ी। साधारण वाक्यों का मिश्रित वाक्यों में परिवर्तन साधारण वाक्य मिश्रित वाक्य हरसिंगार को देखते ही मुझे गीता की याद आ जाती है। जब मैं हरसिंगार की ओर देखता हूँ तब मुझे गीता की याद आ जाती है। राष्ट्र के लिए मर मिटने वाला व्यक्ति सच्चा राष्ट्रभक्त है। वह व्यक्ति सच्चा राष्ट्रभक्त है जो राष्ट्र के लिए मर मिटे। पैसे के बिना इंसान कुछ नहीं कर सकता। यदि इंसान के पास पैसा नहीं है तो वह कुछ नहीं कर सकता। आधी रात होते-होते मैंने काम करना बंद कर दिया। ज्योंही आधी रात हुई त्योंही मैंने काम करना बंद कर दिया। मिश्रित वाक्यों का साधारण वाक्यों में परिवर्तन मिश्रित वाक्य साधारण वाक्य जो संतोषी होते हैं वे सदैव सुखी रहते हैं संतोषी सदैव सुखी रहते हैं। यदि तुम नहीं पढ़ोगे तो परीक्षा में सफल नहीं होगे। न पढ़ने की दशा में तुम परीक्षा में सफल नहीं होगे। तुम नहीं जानते कि वह कौन है ? तुम उसे नहीं जानते। जब जेबकतरे ने मुझे देखा तो वह भाग गया। मुझे देखकर जेबकतरा भाग गया। जो विद्वान है, उसका सर्वत्र आदर होता है। विद्वानों का सर्वत्र आदर होता है।[1]

रविवार, 30 दिसंबर 2018

रचना के आधार पर वाक्य -

संरचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं—– १सरल वाक्य
२ संयुक्त वाक्य
३ मिश्रित वाक्य
१ सरल वाक्य —– जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो ,उसे सरल वाक्य कहते हैं | जैसे …. १ सविता पुस्तक पढ़ती है |
२ नीता नाच -गा रही है |
२ संयुक्त वाक्य — १ जिस वाक्य में दो या दो से अधिक साधारण अथवा मिश्रित वाक्य स्वतंत्र रूप से समुच्चय बोधक अव्ययों {किन्तु ,परन्तु ,तथा ,एवं ,और }आदि द्वारा जुड़े हों ,वह संयुक्त वाक्य कहलाता है |
जैसे — १ मैं गया और वह आया |
२ मैंने उसे पढाया और नौकरी दिलवाई |
३ मिश्रित वाक्य —- जिस वाक्य में एक मुख्य {प्रधान}उपवाक्य और उसके एक अथवा एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों ,वह मिश्रित वाक्य कहलाता है | जैसे ….
१ तुम जहां से आए थे वहीं चले जाओ |
२ जिसका रंग काला है वही तो कान्हा है |
प्रधान उपवाक्य —- ये उप वाक्य दूसरे उप वाक्य की अपेक्षा स्वतंत्र अर्थ देते हैं और दूसरे वाक्य का अर्थ इन उपवाक्यों के बिना स्पष्ट नहीँ हो सकता | प्रधान उप वाक्य की विशेषताएं —
१ जिस उप वाक्य पर अन्य उपवाक्य आश्रित हो उसे प्रधान उप वाक्य कहते हैं |
जैसे —- मैंनहीं चाहता कि किसी का बुरा करूं | मैं नहीं चाहता —प्रधान उपवाक्य है क्योंकि वह दूसरे वाक्य पर आश्रित नही है २ कभी कभी दोनों उप वाक्य स्वतंत्र होते हैं लेकिन एक का अर्थ दूसरे के बिना पूर्ण नहीं होता |
जैसे — राम चला गया और कभी लौट कर नहीं आया | यह संयुक्त वाक्य है और योजक से जुड़े हैं दोनों का स्वतंत्र अर्थ है लेकिन दसरे वाक्य का अर्थ पहले वाक्य पर निर्भर है|
अत:पहला वाक्य -प्रधान उपवाक्य है |
टिप्पड़ी —प्रधान उपवाक्य संयुक्त और मिश्रित दोनों में लिखा जाता है संयुक्त वाक्य में प्रधान स्वतंत्र उपवाक्य होता है और दूसरा समानाधिकरण होता है जबकि मश्रित वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य एवं दूसरे आश्रित उपवाक्य होते हैं |
आश्रित उपवाक्य —– किसी वाक्य में प्रधान उपवाक्य के अतिरिक्त एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं |
ये तीन प्रकार के होते हैं — १ संज्ञा उपवाक्य —- जिस आश्रित उपवाक्य का प्रयोग प्रधान उपवाक्य की क्रिया के कर्म या पूरक के रूप में प्रयुक्त होता है वह संज्ञा उप वाक्य होता है |
ये अक्सर कि से प्रारम्भ होते हैं| उद्धरण चिह्न “—–” में कहे गए वाक्य भी संज्ञा उप वाक्य होते हैं | उदाहरण —- १ मोहन नए कहा कि वह कल कानपुर जा रहा है | २ कौन कह सकता है कि मैंने परिश्रम नहीं किया | ३ उसका विचार है -“राम सच्चा है ” इन वाक्यों में कि वह कल कानपुर जा रहा है ,कि मैंने परिश्रम नहीं किया ,राम सच्चा है ये संज्ञा उप वाक्य हैं क्योंकि ये प्रधान उप वाक्य की क्रिया के कर्म के रूप में प्रयुक्त हुए हैं |
२ विशेषण उप वाक्य — जो आश्रित उप वाक्य प्रधान की संज्ञा या सर्व नाम की विशेषता बताता है उसे विशेषण उप वाक्य कहते हैं |
ये प्राय: जिसके ,जिससे ,जिसने ,जिन ,जिसे आदि से प्रारम्भ होते हैं होते हैं |
उदाहरण —– १ जो परिश्रमी होते हैं वे उन्नति करते हैं | २ जिसने प्रथम स्थान प्राप्त किया वह मेरा मित्र है | ३ जिस कवि ने कामायनी लिखी ;वह जय शंकर प्रसाद हैं |
३ क्रिया विशेषण उप वाक्य —- जो आश्रित उप वाक्य प्रधान उप वाक्य की क्रिया की विशेषता बताते हैं,वे क्रिया विशेषण उप वाक्य कहलाते हैं |ये स्थान ,काल ,परिणाम ,प्रकार ,शर्त ,तुलना आदि क्रिया विशेषणों से प्रधान उप वाक्य से जुड़े रहते हैं | उदाहरण — १ जहां बसे वही सुन्दर देश |
—–स्थान २ यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होओगे |—शर्त ३ राधा उतनी ही शैतान है जितनी रीता |

—तुलना

रचना के आधार पर वाक्य के भेद
( Rachna ke aadhar par Vakya ke bhed )

सरल वाक्य
संयुक्त वाक्य
मिश्रित वाक्य
(1)  सरल वाक्य →

→   जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य तथा एक ही विधेय  होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं |

जैसे → राम ने रावण को मारा

उद्देश्य  =    राम ने

विधेय   =    रावण को मारा |

→   अमित खाना खा रहा है |

उद्देश्य  =    अमित

विधेय   =    खाना खा रहा है |

(2)  संयुक्त वाक्य →

जिस वाक्य में दो-या-दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य योजक या समुच्चयबोधक अव्यय द्वारा जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं |

उदाहरण
(1)  हमने फिल्म का टिकट खरीदा और सिनेमा हॉल चले गए |

(2) पिताजी बाजार गए और हमारे लिए मिठाई लाए |

(3)  मिश्रित वाक्य →

जिस वाक्य में एक से अधिक सरल वाक्य इस प्रकार जुड़े हो कि उनमें एक प्रधान उपवाक्य तथा अन्य आश्रित उपवाक्य हों | उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं |

जैसे →  वेदांत ने कहाँ कि मैं गाँव नहीं जाऊँगा |

प्रधान उपवाक्य =      वेदांत ने कहाँ

आश्रित उपवाक्य =     कि मैं गाँव नहीं जाऊँगा |

(2)  वे सफल होते हैं जो परिश्रम करते है |

प्रधान उपवाक्य =      वे सफल होते हैं

आश्रित उपवाक्य =     जो परिश्रम करते है |

रचना के आधार पर वाक्यों में परिवर्तन

(क)  सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य

सरल वाक्य                            

चाय या कॉफी में से कोई पी लेंगे |

माँ ने गोलू को डाँटकर सुलाया |

संयुक्त वाक्य

चाय पी लेंगे या कॉफी पी लेंगे

माँ ने गोलू को डाँटा और सुला दिया |

(ख)  सरल वाक्य से मिश्र वाक्य

सरल वाक्य                            

लापरवाह मजदूर छत से गिर गया |

ईमानदार व्यक्ति का सभी आदर करते हैं |

मिश्र वाक्य

जो मज़दूर लापरवाह था, वह छत से गिर गया |

जो व्यक्ति ईमानदार होता है, सभी उसका आदर करते हैं |

(ग)  संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य

संयुक्त वाक्य                          

शालू आई और पढ़ने लगी |

घबराओ मत और कविता सुनाओ |

सरल वाक्य

शालू आकर पढ़ने लगी |

बिना घबराए कविता सुनाओ |

(घ)  संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य

संयुक्त वाक्य                          

घंटी बज गई और बच्चे कक्षा में जाने लगे |

राधा आई तो रेखा चली गई |

मिश्र वाक्य

जब घंटी बज तो बच्चे कक्षा में जाने लगे |

जब राधा आई तब रेखा चली गई |

(ङ)  सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य तथा मिश्र वाक्य

(1)  कक्षा में अध्यापक आते ही सभी शांत हो गए |   (सरल वाक्य)

कक्षा में अध्यापक आया और सभी शांत हो गए |     (संयुक्त वाक्य)

जैसे ही कक्षा में अध्यापक आया वैसे ही सब शांत हो गए|    (मिश्र वाक्य)

(2)  माँ के आते ही दोनों बच्चे उनसे लिपट गए |    (सरल वाक्य)

माँ आई और दोनों बच्चे उनसे लिपट गए |   
  (संयुक्त वाक्य)

ज्यों ही माँ आई दोनों बच्चे उनसे लिपट गए |
  (मिश्र वाक्य)

प्रधान उपवाक्य (Pradhan Upvakya )
(2) आश्रित उपवाक्य (Ashrit Upvakya )

प्रधान उपवाक्य

→ प्रधान उपवाक्य (मुख्य उपवाक्य) किसी दूसरे उपवाक्य पर निर्भर नहीं होता है। वह स्वतंत्र उपवाक्य होता है।

आश्रित उपवाक्य

→ आश्रित उपवाक्य दूसरे उपवाक्य पर आश्रित होता है।
→   आश्रित उपवाक्य क्योंकि, कि, यदि, जो, आदि से आरंभ होते हैं।

आश्रित उपवाक्य के प्रकार

(1) संज्ञा उपवाक्य
(2) विशेषण उपवाक्य
(3) क्रियाविशेषण उपवाक्य

संज्ञा उपवाक्य ( Sangya Upvakya )

→ जब किसी आश्रित उपवाक्य का प्रयोग प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा के स्थान पर होता तो उसे संज्ञा उपवाक्य कहते है।
→   ‘संज्ञा उपवाक्य’ का प्रारम्भ ‘कि’ से होता है।

जैसे   →  गाँधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो।

→   इस वाक्य में ‘‘कि सदा सत्य बोलो’’ संज्ञा उपवाक्य हैं।

विशेषण उपवाक्य ( Visheshan Upvakya )

→ जब कोई आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य के किसी ‘संज्ञा’ या सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाये तो उस उपवाक्य को विशेषण उपवाक्य कहते हैं।

→        विशेषण उपवाक्य का प्रारम्भ जो, जिसका, जिसकी, जिसके में से किसी शब्द से होता है।

जैसे → 1. यह वही लड़का है, जो कक्षा में प्रथम आया था।

विशेषण उपवाक्य → जो कक्षा में प्रथम आया था।

यह वही फि़ल्म है जिसे अवाॅर्ड मिला था।
विशेषण उपवाक्य → जिसे अवाॅर्ड मिला था।

क्रियाविशेषण उपवाक्य ( Kriyavisheshav Upvakya )

→ जब कोई आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताये या सूचना दे, उस आश्रित उपवाक्य को क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते है।

→        क्रिया विशेषण उपवाक्य यदि, जहाँ, जैसे, यद्यपि, क्योंकि, जब, तब आदि में से किसी शब्द से शुरू होता है।

जैसे →    1. यदि मोहन मेहनत करता, तो अवश्य उत्तीर्ण होता।

क्रियाविशेषण उपवाक्य →  तो अवश्य उत्तीर्ण होता।

श्याम को गाड़ी नहीं मिली, क्योंकि वह समय पर नहीं गया।
क्रियाविशेषण उपवाक्य →  क्योंकि वह समय पर नहीं गया।

_________________________________________
वाक्य विश्लेषण

रचना के आधार पर बने वाक्यों को उनके अंगों सहित अलग कर उनका परस्पर सम्बन्ध बताना वाक्य विश्लेषण कहलाता है।

1. सरल/साधारण वाक्य का विश्लेषण
( Saral Sadharan Vakya ka Visletion )

→        सबसे पहले इसमें वाक्य के दो अंग – उद्देश्य तथा विधेय को बताना होता है।

→        उद्देश्य के अंग – कर्ता व कर्ता का विस्तार

→        विधेय के अन्तर्गत कर्म व कर्म का विस्तारक, पूरक, पूरक का विस्तारक।

जैसे → मेरा भाई तरुण धार्मिक बहुत पुस्तके पढ़ता है।

                      विधेय Predicate

मेरी बहन राधा धार्मिक पुस्तकें बहुत पढ़ती है।

3. मिश्र या मिश्रित वाक्य का विश्लेषण  ( Mishr ya Mishrit Vakya ka Visletion ) →

मिश्रित या मिश्र वाक्य के विश्लेषण में उसके प्रधान तथा आश्रित उपवाक्य एवं उसके प्रकार का उल्लेख किया जाता है।

जैसे →  1. वेदान्त ने कहा कि मैं दिल्ली नहीं जाऊँगा।

जो परिश्रम करते हैं, वे सफल होते हैं।

3. संयुक्त वाक्य का वाक्य विश्लेषण ( Sanyukt Vakya ka Vakya Visletion )

संयुक्त वाक्य के विश्लेषण में साधारण या प्रधान उपवाक्य के उल्लेख के साथ उन्हें जोड़ने वाले योजक शब्द के विषय में नहीं बताना होता है।

जैसे → कृष्ण बाँसुरी बजाते थे और राधा नाचती थी।

साधारण वाक्य/प्रधान उपवाक्य

→ (अ) कृष्ण बाँसुरी बजाते थे
(ब) राधा नाचती थी।

वाक्य संश्लेषण

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वाक्य संश्लेषण का अर्थ है – भिन्न वाक्यों को एक वाक्य में मिलाना।

→  अलग-अलग वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य बनाना वाक्य संश्लेषण कहलाता है।
Make a sentence Complexing different sentences,
is called synthesis.

जैसे →

राधा मेरी दीदी हैं।
वे मेरे पास आईं।
मुझे कहानी सुनाईं।
वाक्य संश्लेषण – मेरी राधा दीदी ने मेरे पास आकर मुझे कहानी सुनाईं।

राम लौट रहा था।
राम ने भिखारी की ओर देखा वह रो रहा था।
वाक्य संश्लेषण – राम ने लौटते हुए भिखारी को रोते हुए देखा।

अनेक सरल वाक्यों को एक सरल वाक्य में संश्लेषण करने के कुछ नियम→

सभी वाक्यों में से किसी एक वाक्य की क्रिया को मुख्य क्रिया के रूप में छाँट लेना चाहिए।
अन्य वाक्यों की क्रियाओं को पूर्वकालिक क्रिया, विशेषण पदबंध में बदल लेना चाहिए।
आवश्यकता पड़ने पर प्रत्यय और उपसर्गों के योग से नए शब्द का निर्माण कर लेना चाहिए।
जैसे →

रात के दस बजे।
दुकानदार ने दुकान बंद की
दुकानदार घर चला गया।
वाक्य संश्लेषण – रात के दस बजे दुकानदार दुकान बंद करके घर चला गया।

राम उठा।
उसने साइकिल उठाई
वह बाजार चल दिया।
वाक्य संश्लेषण = राम उठकर साइकिल से बाजार चला गया।

पद-परिचय ( Pad Parichay )

पद परिचय ( Pad Parichay ) – वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद परिचय- पद व्याख्या या पदान्वय कहते है। पद परिचय में उस शब्द के भेद, उपभेद, लिंग, वचन, कारक आदि के परिचय के साथ, वाक्य में प्रयुक्त अन्य पदो के साथ उसके सम्बन्ध का भी उल्लेख किया जाता है।

राजेश ने रमेश को पुस्तक दी

राजेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’ के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’ के साथ

रमेश → संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक

पुस्तक → संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक

संज्ञा शब्द का पद परिचय

(Sangya Shabd Ka Pad Parichay)

किसी भी संज्ञा पद के पद परिचय हेतु निम्न 5 बाते बतलानी होती है

(1) संज्ञा का प्रकार
(2) उसका लिंग
(3)  वचन
(4)  कारक तथा
(5) उस शब्द का क्रिया के साथ सम्बन्ध

संज्ञा शब्द का क्रिया के साथ सम्बन्ध ‘कारक’ के अनुसार जाना जा सकता है।

राम पुस्तक पढ़ता है।

उक्त वाक्य में राम तथा ‘पुस्तक’ शब्द संज्ञाएँ हैं। यहाँ इनका पद परिचय उक्त पाँचों बातों के अनुसार निम्नानुसार होगा-

राम       :    व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एक वचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ता है’ क्रिया का कर्ता।

पुस्तक     :    जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘पढ़ता है’ क्रिया का कर्म।

सर्वनाम शब्द का पद परिचय

(Sarvanam Shabd Ka Pad Parichay)

किसी सर्वनाम के पद परिचय में भी उन्हीं बातों का उल्लेख करना होगा, जिनका संज्ञा शब्द के पद-परिचय में किया था।

अर्थात्      1  सर्वनाम का प्रकार पुरुष सहित,      2  लिंग,  3   वचन  4 कारक तथा       5 क्रिया के साथ सम्बन्ध आदि।

यह उसकी वही कार है, जिसे कोई चुराकर ले गया था।

इस वाक्य में ‘यह’, ‘उसकी’, ‘जिसे’, तथा ‘कोई’ पद सर्वनाम है। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा-

यह    :    निश्चयवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, स्त्रीलिंग, एक वचन, सम्बन्ध कारक, ‘कार’ संज्ञा शब्द से सम्बन्ध।

जिसे : सम्बन्धवाचक सर्वनाम, स्त्रीलिंग, एकवचन कर्मकारक, ‘चुराकर ले गया’ क्रिया का कर्म।

कोई : अनिश्चयवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिंग एकवचन, कर्ता कारक, ‘चुराकर ले गया क्रिया का कर्ता।

विशेषण शब्द का पद परिचय

(Visheshan Shabd Ka Pad Parichay)

किसी विशेषण शब्द के पद परिचय हेतु निम्न बातों का उल्लेख करना होता है 1 विशेषण का प्रकार 2  अवस्था 3 लिंग 4 वचन तथा 5 विशेष्य व उसके साथ सम्बन्ध।

वीर राम ने सब राक्षसों का वध कर दिया।

उक्त वाक्य में ‘वीर’ तथा ‘सब’ शब्द विशेषण हैं, इनका पद-परिचय निम्नानुसार होगा-

वीर       :    गुणवाचक विशेषण, मूलावस्था, पुल्लिंग, एकवचन, ‘राम’ विशेष्य के गुण का बोध कराता है।

सब       :    संख्यावाचक विशेषण, मूलावस्था, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘राक्षसों’ विशेष्य की संख्या का बोध कराता है।

क्रिया शब्द का पद परिचय

(Kriya Shabd Ka Pad Parichay)

क्रिया शब्द के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, लिंग, वचन, वाच्य, काल तथा वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दांे के साथ सम्बन्ध को बतलाया जाता है।

जैसे – राम ने रावण को मारा।

मारा-क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल।

‘मारा’ क्रिया का कर्ता राम तथा कर्म रावण।

– सवेरे मैं उठा।

उठा-क्रिया, अकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। उठा क्रिया का कर्ता मैं, कर्म अन्वित।

अव्यय शब्द का पद परिचय

(Avyay Shabd Ka Pad Parichay)

अव्यय शब्द चूंकि लिंग, वचन, कारक आदि से प्रभावित नहीं होता अतः इनके पद परिचय में केवल अव्यय शब्द के प्रकार, उसकी विशेषता या सम्बन्ध ही बताया जाता है।

(1) क्रियाविशेषण – क्रियाविशेषण के भेद (रीतिवाचक, स्थानवाचक, कालवाचक, परिमाणवाचक) उस क्रिया का उल्लेख, जिसकी विशेषता बताई जा रही हो।

जैसे – मैं भीतर बैठी थी और बच्चे धीरे-धीरे पढ़ रहे थे।

भीतर – क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘बैठी’ क्रिया के स्थान की विशेषता।

धीरे-धीरे- क्रियाविशेषण, रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘पढ़ रहे थे’ क्रिया की रीति की विशेषता।

(2) संबंधबोधक –    संबंधबोधक के भेद, किस संज्ञा/सर्वनाम से संबंद्ध है।

जैसे – कुरसी के नीचे बिल्ली बैठी है।

के बीच – संबंधबोधक, ‘कुरसी’ और ‘बिल्ली’ इसके संबंधी शब्द हैं।

(3) समुच्चयबोधक   –  भेदों का उल्लेख, जुड़ने वाले पदों का उल्लेख।

जैसे – तुम काॅपी और किताब ले लो लेकिन फाड़ना नहीं।

और – समुच्चयबोधक (समानाधिकरण) काॅपी-किताब शब्दों का संबंध करने वाला।

लेकिन – भेद दर्शक (विरोध-दर्शक) तुम…………ले लो तथा ‘फाड़ना नहीं’ इन दो वाक्यों को जोड़ता है।

(4) विस्मयादिबोधक – भेदों और भावों का उल्लेख।

जैसे – वाह! कितना सुन्दर दृश्य !

जैसे – वाह! कितना सुंदर बग़ीचा है। ठीक! मैं रोज़ आऊँगा

वाह! – विस्मयादिबोधक, हर्ष – उल्लास

ठीक! – विस्मयादिबोधक, स्वीकार बोधक