भैंस के दूध में फैट गाय के दूध से दोगुना होता है,प्रोटीन, कैलरी, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम भी अधिक होता है। भैंस का दूध मजबूत हड्डियों, स्वस्थ दांतों, वजन बढ़ाने के लिए तथा दिल की बीमारियों से लड़ने में कारगर होता है। इसके दूध से पनीर, दही वगैरह भी अच्छा बनता है। यानी भैंस में नहीं तो उसके दूध में तो गुण जरूर होते हैं।
विज्ञान की दृष्टि से गाय Bos taurus (बोस टॉरस) प्रजाति का जीव है। भारतीय गाय Bos taurus indicus (बोस टॉरस इंडिकस) इसकी एक उप-प्रजाति है।
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भैंस( Bubalus bubalis) (बुबलस बुबालिस) प्रजाति का जीव है।
सामान्य रूप से विभिन्न प्रजातियों में "समझदारी" की तुलना अप्रासंगिक और असंगत है। किन्तु यह दोनों प्राणी पालतू दुधारू पशु हैं अतः इनकी तुलना की जा सकती है।
इस तुलना के लिए पशुविज्ञानी Encephalization and Cerebellar Quotients (एन्सेफलाइजेशन तथा सेरेबेलर कोटेंट) का प्रयोग करते हैं। इस मापन के पीछे यह अवधारणा है कि बडा मस्तिष्क होने से अधिक समझ होती है। यह मापन पशुओं के ग्राम में लिए गए मस्तिष्क के भार का किलोग्राम में तोले गए उनके शरीर के भार का अनुपात है।
एन्सेफलाइजेशन कोटेंट = मस्तिष्क का भार / (०.१२ × (शरीर का भार)^(२/३))
सेरेबेलर कोटेंट = मस्तिष्क का आयतन / (०.१४५ × (शरीर का भार)^(०.९७८))
मस्तिष्क का आयतन = मस्तिष्क का भार × १.०४
इस आधार पर गाय का मस्तिष्क का औसत भार ४२३ ग्राम मापा गया तथा गायों का औसत भार ५९१.१ किलोग्राम पाया गया। उपरोक्त सूत्रों से :
एन्सेफलाइजेशन कोटेंट — ०.५८
सेरेबेलर कोटेंट — ०.७२५
स्रोत :—
The Brain of the Domestic Bos taurus: Weight, Encephalization and Cerebellar Quotients, and Comparison with Other Domestic and Wild Cetartiodactyla
Authors : Cristina Ballarin, Michele Povinelli, Alberto Granato, Mattia Panin, Livio Corain, Antonella Peruffo, Bruno Cozzi
वहीं भारतीय पशुविज्ञानियों ने सूरती भैंस पर इसी प्रकार का अध्ययन कर भैंस के मस्तिष्क का भार ५२८.३३ ग्राम तथा उनका औसत भार ४३३.२९ किलोग्राम पाया। इस आधार पर भैंस का एन्सेफलाइजेशन कोटेंट ०.७४ मापा गया।
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इस आधार पर भैंस को गाय से अधिक "समझदार" प्राणी माना जा सकता है।
स्रोत :—
Gyrification Index and Encephalizaton Quotient of Brain of Surti Buffalo (Bubalus bubalis)
Authors : Alka Suman* and Sweta Pandya, Department of Veterinary Anatomy and Histology, College of Veterinary Science and AH, Anand Agricultural University, Anand-388001
किन्तु यह ध्यान रहे कि इस अध्ययन में सिर्फ भारतीय गायों पर कोई शोध नहीं किया गया है वरन् गायों की सभी प्रजातियां इस अध्ययन में सम्मिलित हैं। यदि हम तुलना करें तो भारतीय गायों का औसत भार लगभग ३८० किलोग्राम ही होता है, एवं यदि उनके मस्तिष्क का भार तुलनात्मक है तो उनका एन्सेफलाइजेशन कोटेंट कुछ अधिक हो सकता है।
गाय एक बुद्धिमान प्राणी है। पशुविज्ञानियों ने गाय में बुद्धिमानी के यह लक्षण पाए हैं :
गायें अपने बछड़ों से बिछड़ने पर बहुत दुखी होती हैं तथा वे इसका अवसाद उन्हें लम्बे समय तक झेलती हैं और उनको याद कर रोती हैं।
गायें उन्हें हानि पहुँचाने वालों के प्रति विद्वेष की भावना रखती हैं तथा इसका संत्रास (trauma) भी झेलती हैं।
गायें चेहरे पहचान सकती हैं तथा वे लम्बे समय तक चेहरों को याद भी रखती हैं। वे अपने चरने के उपयुक्त स्थान तथा पानी पीने के स्थान ध्यान रखती हैं। इनमें कुछ स्थानों को वह अधिक पसंद भी करती हैं।
अच्छी स्मरण शक्ति के होते वह अच्छी मित्र भी होती हैं। वे पक्की सखियाँ बनाने में भी रुचि लेती हैं।
गायें भूल-भुलैया से बाहर निकलने का रास्ता खोज सकती हैं तथा उसे याद कर सकती हैं।
गायें भी सामाजिक अनुक्रम बना कर रखती हैं। उनके गोवृन्द में कोई एक विशेष गाय उनकी नेत्री होती है जिसका उस समूह की अन्य गायें अनुसरण करती हैं। यदि कोई गाय झुण्ड के नियमों को नहीं मानती तो उसका झुण्ड बहिष्कार भी कर देता है। झुण्ड की नई गायें उस समूह के नियमों को सीखती हैं तथा उस झुण्ड के अन्य सदस्यों से मैत्री स्थापित करने का प्रयास करती हैं।
सामाजिक दृष्टि से हमारे अनुभवी पूर्वजों ने गायों और भैंसों को अधिक बुद्धिमान नहीं मानते। उदाहरणार्थ यदि कोई व्यक्ति भोला-नासमझ है तो उसे "बछिया का ताऊ" (बैल) कह कर सम्बोधित किया जाता है। वहीँ कुछ न तो समझने और न ही सराहने वाली "भैंस के आगे बीन बजाना" भी लोगों को नहीं सुहाता।
भैंस को लेकर जो कहावतें हैं उनके आधार पर भैंस को बुद्धिहीन कहा जा सकता है :
काला अक्षर भैंस बराबर
जिसकी लाठी उसकी भैंस
गई भैस पानी में
भैंस के आगे बीन बाजे, भैंस बैठ पगुराय
भैस पूछ उठाएगी तो गाना नहीं गाएगी गोबर करेगी।
भइंस पानी में हगी त उतरइबे करी। (भैंस पानी में हगेगी तो (गोबर) ऊपर आएगा ही।)
गायें भोली मानी गई हैं और नित्य सम्पर्क की आवश्यकता देखते कहा जाता है"नित्तई खेती दूजै गाय, जो ना देखै ऊ की जाय।" और यदि वह आपको मारने भी आए तो कहते हैं कि "दुधारू गाय की लात भली"।
गाय और भैंस की तुलना करते हुए कहा है "गाइ ओसर अउरी भँइस दोसर" (गाय पहलौठी और भैंस दूसरे) इसका अर्थ यूँ तो है "पहली बार ब्याई हुऊ गाय और दूसरी बार ब्याई हुई भैंस अच्छी मानी जाती हैं"। तो गाय पहले क्रम पर आती है।
अपनी तो भाई "गइयो हाँ अउरी भइँसियो हाँ" (गाय भी हाँ और भैंस भी हाँ) यानि गलत या सही का भेद न करते हुए किसी के हाँ में हाँ मिलाना। और कुछ समझ नहीं आए तो दान की बछिया के दाँत नहीं गिनते, माननीय!
Bubalina is a subtribe of wild cattle that includes the various species of true buffalo. Species include the African buffalo, the anoas, and the wild water buffalo. Buffaloes can be found naturally in sub-Saharan Africa, South Asia and Southeast Asia, and domestic and feral populations have been introduced to Europe, the Americas, and Australia. In addition to the living species, bubalinans have an extensive fossil record where remains have been found in much of Afro-Eurasia
बुबलिना जंगली मवेशियों का एक उपसमूह है जिसमें असली भैंस की विभिन्न प्रजातियां शामिल हैं। प्रजातियों में अफ्रीकी भैंस, अनास और जंगली जल भैंस शामिल हैं। भैंस उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में स्वाभाविक रूप से पाए जा सकते हैं, और घरेलू और जंगली आबादी को यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में पेश किया गया है। जीवित प्रजातियों के अलावा, बुबलिनन का एक व्यापक जीवाश्म रिकॉर्ड है जहां एफ्रो-यूरेशिया के अधिकांश हिस्सों में अवशेष पाए गए हैं
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