मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

मुहावरा और लोकोक्ति में अन्तर -+

बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है। इनकी उत्पत्ति एवं रचनाकार ज्ञात नहीं होते। लोकोक्तियाँ आम जनमानस द्वारा स्थानीय बोलियों में हर दिन की परिस्थितियों एवं संदर्भों से उपजे वैसे पद एवं वाक्य होते हैं जो किसी खास समूह, उम्र वर्ग या क्षेत्रीय दायरे में प्रयोग किया जाता है। इसमें स्थान विशेष के भूगोल, संस्कृति, भाषाओं का मिश्रण इत्यादि की झलक मिलती है। लोकोक्ति वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होती हँ। कुछ उदाहरणसंपादित करें नौ दो ग्यारह होना-रफूचक्कर होना या भाग जाना[1] असमंजस में पडना-दुविधा में पडना आँखों का तारा बनना-अधिक प्रिय बनना आसमान को छूना-अधिक प्रगति कर लेना किस्मत का मारा होना-भाग्यहीन होना गर्व से सीना फूल जाना-अभिमान होना गले लगाना-स्नेह दिखाना चैन की साँस लेना-निश्चिन्त हो जाना जबान घिस जाना-कहते कहते थक जाना टस से मस न होना-निश्चय पर अटल रहना तहस नहस हो जाना-बर्बाद हो जाना ताज्जुब होना-आश्चर्य होना दिल बहलाना-मनोरंजन करना वाक्य में प्रयोगसंपादित करें लोकोक्ति का वाक्य में ज्यों का त्यों उपयोग होता है। मुहावरे का उपयोग क्रिया के अनुसार बदल जाता है लेकिन लोकोक्ति का प्रयोग करते समय इसे बिना बदलाव के रखा जाता है। कभी-कभी काल के अनुसार परिवर्तन सम्भव है। अंधा पीसे कुत्ते खायें - प्रयोग: पालिका की किराये पर संचालित दुकानों में डीएम को अंधा पीसे कुत्ते खायें की हालत देखने को मिली।[2] टिप्पणीलोकोक्तियाँ (proverbs) की परिभाषा
किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को 'लोकोक्ति' कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत कहते है।

उदाहरण- 'उस दिन बात-ही-बात में राम ने कहा, हाँ, मैं अकेला ही कुँआ खोद लूँगा। इन पर सबों ने हँसकर कहा, व्यर्थ बकबक करते हो, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता' । यहाँ 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता' लोकोक्ति का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है 'एक व्यक्ति के करने से कोई कठिन काम पूरा नहीं होता' ।

लोकोक्ति किसी घटना पर आधारित होती है। इसके प्रयोग में कोई परिवर्तन नहीं होता है। ये भाषा के सौन्दर्य में वृद्धि करती है। लोकोक्ति के पीछे कोई कहानी या घटना होती है। उससे निकली बात बाद में लोगों की जुबान पर जब चल निकलती है, तब 'लोकोक्ति' हो जाती है।

मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर

दोनों में अंतर इस प्रकार है-
(1) मुहावरा वाक्यांश होता है, जबकि लोकोक्ति एक पूरा वाक्य, दूसरे शब्दों में, मुहावरों में उद्देश्य और विधेय नहीं होता, जबकि लोकोक्ति में उद्देश्य और विधेय होता है।
(2) मुहावरा वाक्य का अंश होता है, इसलिए उनका स्वतंत्र प्रयोग संभव नहीं है; उनका प्रयोग वाक्यों के अंतर्गत ही संभव है। लोकोक्ति एक पूरे वाक्य के रूप में होती है, इसलिए उनका स्वतंत्र प्रयोग संभव है।
(3) मुहावरे शब्दों के लाक्षणिक या व्यंजनात्मक प्रयोग हैं जबकि लोकोक्तियाँ वाक्यों के लाक्षणिक या व्यंजनात्मक प्रयोग हैं।

यहाँ कुछ लोकोक्तियाँ व उनके अर्थ तथा प्रयोग दिये जा रहे हैं-

अन्धों में काना राजा= (मूर्खो में कुछ पढ़ा-लिखा व्यक्ति)
प्रयोग- मेरे गाँव में कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति तो है नही; इसलिए गाँववाले पण्डित अनोखेराम को ही सब कुछ समझते हैं। ठीक ही कहा गया है, अन्धों में काना राजा।

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता= (अकेला आदमी लाचार होता है।)
प्रयोग- माना कि तुम बलवान ही नहीं, बहादुर भी हो, पर अकेले डकैतों का सामना नहीं कर सकते। तुमने सुना ही होगा कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता।

अधजल गगरी छलकत जाय= डींग हाँकना।
प्रयोग- इसके दो-चार लेख क्या छप गये कि वह अपने को साहित्य-सिरमौर समझने लगा है। ठीक ही कहा गया है, 'अधजल गगरी छलकत जाय।'

आँख का अन्धा नाम नयनसुख= (गुण के विरुद्ध नाम होना।)
प्रयोग- एक मियाँजी का नाम था शेरमार खाँ। वे अपने दोस्तों से गप मार रहे थे। इतने में घर के भीतर बिल्लियाँ म्याऊँ-म्याऊँ करती हुई लड़ पड़ी। सुनते ही शेरमार खाँ थर-थर काँपने लगे। यह देख एक दोस्त ठठाकर हँस पड़ा और बोला कि वाह जी शेरमार खाँ, आपके लिए तो यह कहावत बहुत ठीक है कि आँख का अन्धा नाम नयनमुख।

आँख के अन्धे गाँठ के पूरे= (मूर्ख धनवान)
प्रयोग- वकीलों की आमदनी के क्या कहने। उन्हें आँख के अन्धे गाँठ के पूरे रोज ही मिल जाते हैं।

आग लगन्ते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ= नुकसान होते-होते जो कुछ बच जाय, वही बहुत है।
प्रयोग- किसी के घर चोरी हुई। चोर नकद और जेवर कुल उठा ले गये। बरतनों पर जब हाथ साफ करने लगे, तब उनकी झनझनाहट सुनकर घर के लोग जाग उठे। देखा तो कीमती माल सब गायब। घर के मालिकों ने बरतनों पर आँखें डालकर अफसोस करते हुए कहा कि खैर हुई, जो ये बरतन बच गये। आग लगन्ते झोपड़ा, जो निकले सो लाभ। यदि ये भी चले गये होते, तो कल पत्तों पर ही खाना पड़ता।

अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत= (समय निकल जाने के पश्चात् पछताना व्यर्थ होता है)
प्रयोग- सारे साल तुम मस्ती मारते रहे, अध्यापकों और अभिभावक की एक न सुनी। अब बैठकर रो रहे हो। ठीक ही कहा गया है- अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।

आगे नाथ न पीछे पगहा= (किसी तरह की जिम्मेवारी का न होना)
प्रयोग- अरे, तुम चक्कर न मारोगे तो और कौन मारेगा? आगे नाथ न पीछे पगहा। बस, मौज किये जाओ।

आम के आम गुठलियों के दाम= (अधिक लाभ)
प्रयोग- सब प्रकार की पुस्तकें 'साहित्य भवन' से खरीदें और पास होने पर आधे दामों पर बेचें। 'आम के आम गुठलियों के दाम' इसी को कहते हैं।

ओखली में सिर दिया, तो मूसलों से क्या डर= (काम करने पर उतारू होना)
प्रयोग- जब मैनें देशसेवा का व्रत ले लिया, तब जेल जाने से क्यों डरें? जब ओखली में सिर दिया, तब मूसलों से क्या डर।

आ बैल मुझे मार= (स्वयं मुसीबत मोल लेना)
प्रयोग- लोग तुम्हारी जान के पीछे पड़े हुए हैं और तुम आधी-आधी रात तक अकेले बाहर घूमते रहते हो। यह तो वही बात हुई- आ बैल मुझे मार।
आँखों के अन्धे नाम नयनसुख= (गुण के विरुद्ध नाम होना)
प्रयोग- उसका नाम तो करोड़ीमल है परन्तु वह पैसे-पैसे के लिए मारा-मारा फिरता है। इसे कहते है- आँखों के अन्धे नाम नयनसुख।

अन्धा बाँटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को दे= (अधिकार का नाजायज लाभ अपनों को देना)

अपनी गली में कुत्ता

मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ (Idioms and Proverbs)
विश्व की सभी भाषाओं में लोकोक्तियों का प्रचलन है। प्रत्येक समाज में प्रचलित लोकोक्तियाँ अलिखित कानून के रूप में मानी गई हैं। मनुष्य अपनी बात को और अधिक प्रभावपूर्ण बनाने के लिए इनका प्रयोग करता है।लोकोक्ति शब्द लोक+उक्ति के योग से निर्मित हुआ है। लोक में पीढि़यों  से प्रचलित इन उक्तियों मेंअनुभव का सार एवं व्यावहारिक नीति का निचोड़ होता है। अनेकलोकोक्तियों के निर्माण में किसी घटना विशेष का विशेष योगदान होता है और उसी कोटि की स्थिति परिस्थिति के समय उस लोकोक्ति का प्रयोग स्थिति या अवस्था के सुस्पष्टीकरण हेतु किया जाता है, जो उस सम्प्रदायया समाज को सहर्ष स्वीकार्य होता है। मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश होता है जिसके प्रयोग से अभिव्यक्ति-कौशल में अभिवृद्धि होती है। प्रायः मुहावरे के अंत में क्रिया का सामान्य रूप प्रयुक्त होता है। जैसे - i. नाकों चने चबाना , ii. दाँतों तले अंगुली दबाना।

अंतर: लोकोक्ति का अपर नाम ‘कहावत’ भी है। लोकोक्ति जहाँ अपने आप में पूर्ण होती है  और प्रायः प्रयोग में एक वाक्य के रूप में ही प्रयुक्त होती है, जबकि मुहावरा वाक्यांश मात्र होता है। लोकोक्ति का रूप प्रायः एक सा ही रहता है, जब कि मुहावरे के  स्वरूप में लिंग, वचन एवं काल के अनुसार परिवर्तन अपेक्षित होता है।

मुहावरे
मुहावरे हमारी तीव्र हृदयानुभूति को अभिव्यक्त करने में सहायक होते हैं। इनका जन्म आम लोगों के बीच होता है। लोक-जीवन में प्रयुक्त भाषा में इनका उपयोग बड़े ही सहज रूप में होता है। इनके प्रयोग से भाषा को प्रभावशाली, मनमोहक तथा प्रवाहमयी बनाने में सहायता मिलती है। सदियों से इनका प्रयोग होता आया है और आज इनके अस्तित्व को भाषा से अलग नहीं किया जा सकता। यह कहना निश्चित रूप से गलत नहीं होगा कि मुहावरों के बिना भाषा अप्राकृतिक तथा निर्जीव जान पड़ती है। इनका प्रयोग आज हमारी भाषा अौर विचारों की अभिव्यक्ति का एक अभिन्न तथा  महत्वपूर्ण  अंग  बन  गया  है।  यही  नहीं  इन्होेंने  हमारी  भाषा  को  गहराई  दी  है  तथा  उसमें सरलता तथा सरसता भी उत्पन्न की है। यह मात्र सुशिक्षित या विद्वान लोगों की ही धरोहर नहीं है, इसका  प्रयोग  अशिक्षित  तथा  अनपढ़  लोगों  ने  भी  किया  है।  इस  प्रकार  ये  वैज्ञानिक  युग  की  देन नहीं है। इनका प्रयोग तो उस समय से होने लगा, जिस समय मनुष्य ने अपने भावों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया था। 
अपना उल्लू सीधा करना : स्वार्थ सिद्ध करना
अपनी खिचड़ीअलग पकाना: सबसे अलग रहना
अपने मुँह मियां मिट्ठू बनना: अपनी प्रशंसा स्वयं करना
अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना: स्वयं को हाँनि पहुँचाना
अपने पैरों पर खड़े होना : आत्म निर्भर होना
अक्ल पर पत्थर पड़ना : बुद्धि भ्रष्ट होना
अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना : मूर्खता प्रदर्शित करना
अँगूठा दिखाना : कोई वस्तु देने या काम करने से इंकार करना
अँधे की लकड़ी होना : एक मात्र सहारा
अच्छे दिन आना : भाग्य खुलना
अंग-अंग फूले न समाना : बहुत खुशी होना
अंगारों पर पैर रखना : साहस पूर्ण खतरे में उतरना
आँख का तारा होना : बहुत प्यारा
आँखें बिछाना: अत्यन्त प्रेम पूर्वक स्वागत करना
आँखें खुलना : वास्तविकता का बोध होना
आँखों से गिरना : आदर कम होना
आँखों में धूल झोंकना : धोखा देना
आँख दिखाना: क्रोध करना/डराना
आटे दाल का भाव मालूम होनाः बड़ी कठिनाई में पड़ना
आग बबूला होना : बहुत गुस्सा होना
आग से खेलना : जानबूझ कर मुसीबत मोल लेना
आग में घी डालना: क्रोध भड़काना
आँच न आने देना : हानि या कष्ट न होने देना
आड़े हाथों लेना : खरी-खरी सुनाना
आनाकानी करना : टालमटोलकरना
आँचल पसारना : याचना करना
आस्तीन का साँप होना : कपटी मित्र
आकाश के तारे तोड़ना : असंभव कार्य करना
आसमान से बातें करना: बहुतऊँचा होना
आकाश सिर पर उठाना: बहुत शोर करना
आकाश पाताल एक करना : कठिन प्रयत्न करना
आँख का काँटा होना : बुरा लगना
आँसू पीकर रह जाना : भीतर ही भीतर दुःखी होना
आठ-आठ आँसू गिराना: पश्चाताप करना
इधर-उधर की हाँकना : बे मतलब की बातें करना
इतिश्री होना : समाप्त होना ।

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