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अविद्वांश्चैव विद्वांश्च ब्राह्मणो दैवतं महत् । | ||||||||||||
श्मशानेष्वपि तेजस्वी पावको नैव दुष्यति । | ||||||||||||
एवं यद्यप्यनिष्टेषु वर्तन्ते सर्वकर्मसु । | ||||||||||||
क्षत्रस्यातिप्रवृद्धस्य ब्राह्मणान्प्रति सर्वशः । क्षत्रियों से ब्राह्मण उत्पन्न हुए और ब्राह्मणों से क्षत्रिय दोनों एक दूसरे उत्पन्न हो जाते हैं । _______________________________________ क्षत्रियेभ्यश्च ये जाता ब्राह्मणास्ते च ते श्रुता: । और क्षत्रियों से बहुत से जो ब्राह्मण उत्पन्न हुए ऐसा भी सुना गया है ।
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सोमवार, 13 मार्च 2023
मनुस्मृतिः/नवमोध्यायः
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