नमस्कार मित्रो ! मित्रो - इस विडियो आप लोग परम प्रभु श्रीकृष्ण के उन तीन प्रसंग के विषय में जानेगे' जिसे आजतक बहुत ही कम लोग जानते हैं।
अथवा कहें कि फिर जानते ही नहीं हैं- किन्तु आज हम इस युगान्त कारी ज्ञान के आधार पर भगवान् श्रीकृष्ण से सम्बन्धित उन घटनाओं को प्रस्तुत करेंगे जिसे जानबूझ कर अथवा अज्ञानतावश कथा नाटकों द्वारा अब तक नहीं बताया गया है। जिसके परिणाम स्वरूप जनमानस में कृष्ण के वास्तविक चरित्रों ( कारनामों) का प्रचार प्रसार नहीं हो सका और श्रीकृष्ण के रहस्यों से सारी दुनिया अनिभिज्ञ रह गयी कृष्ण के वास्तविक स्वरूप का यथावत् ज्ञान ने होने के कारण साधारण लोग आज तक भ्रम जाल में भँसकर चक्कर लगा रहे-
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और इसी भ्रमजाल को दूर करने के लिए अर्थात् भगवान श्रीकृष्ण के चारित्रिक रहस्यों को सम्पूर्ण रूप बताने के लिए हमने इस विडियो को प्रमुख रूप तीन भागों में बाँटा हैं ताकि -
आप लोगों को स्टेप बाइ स्टेप (क्रमश:) समझ में आ जाय कि कृष्ण क्या थे ?-
जिसमें आप लोग विडियों के प्रथम भाग "ब्रह्माण्ड की संरचना" को जानते हुए यह जान पायेगें कि सबसे ऊपर कौन सा लोक है और उनसे नीचे क्रमश कौन कौन से लोक है। क्या इस ब्रह्माण्ड से परे भी कोई लोक है ?
और उस लोक में कौन कौन प्राणी रहते हैं , तथा उन लोके के अधिपति कौन है? और उन अधिपतियों के भी अधिपति (सुप्रीम पावर) कौन है ?
जिसकी शक्ति से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड गतिमान है जिसे ईश्वर, परम-प्रभु परम-तत्व" इत्यादि नामों से तत्वज्ञानी अपने अपने हिसाब से ही उस एक परम शक्ति का अनुभव व वर्णन किया करते हैं।
फिर आप लोग विडियो के दूसरे भाग में सृष्टि उत्पत्ति को दो तरीकों से जानेंगे- जिसमें सर्वप्रथम सुप्रीम पावर ( परम प्रभु श्रीकृष्ण) द्वारा सृष्टि कि उत्पत्ति को जानेंगे- जिसमे आप लोग जान पायेंगे कि परम प्रभु श्रीकृष्ण से सर्व प्रथम नारायण, ब्रह्मा, और विष्णु तथा शिव के अतिरिक्त गोलोक में ही गोप और गोपियाँ तथा देवों धर्म वायु आदि की उत्पत्ति कब और कैसे हुई ?
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उसी क्रम में आप लोग जान पाएंगे की श्रीकृष्ण के कितने भेद और विभेद हैं। जिसमे आप लोग तुलनात्मक ढ़ग से यह भेद कर पाएंगे कि श्री कृष्ण से भगवान विष्णु की उत्पत्ति हुई कि विष्णु से भगवान श्रीकृष्ण की - फिर सृष्टि उत्पत्ति के द्वितीय क्रम में जान पाएंगे कि प्रत्येक ब्रह्माण्ड में ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि रचना होती हैं -जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय ,वैश्य तथा शूद्र चार वर्णो की उत्पत्ति कर ब्रह्मा जी उपने कार्य में सफल होते हैं।
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फिर आप लोग विडियो के अन्तिम व तीसरे भाग में यह भी जान पाएंगे कि ब्रह्मा जी की सृष्टि रचना चार वर्णों के अतिरिक्त भी सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक पाँचवा वर्ण अर्थात वैष्णव वर्ण भी विद्यमान है।
जो ब्रह्मा जी के चार वर्णो से अलग है और जिसकी उत्पत्ति सर्वोच्च सत्ता- श्रीकृष्ण अर्थात जिसे (स्वराट- विष्णु ) भी कह सकते हैं से हुई है। जिनके सदस्यगण व लीला सहचर एक मात्र गोप ( अहीर ) ही हैं। जिनको वास्तविक वैष्णव कहा जाता है । ये स्वराज विष्णु से उत्पन्न होने से ही वैष्णव हैं।
और विडियो के अन्त में हम एक समीक्षा प्रस्तुत करेंगे कि भगवान श्रीकृष्ण की कथा का राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार के लिए हमने कौन सी संस्था का निर्माण किया है ? और इस दुर्लभ प्रसंग को विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए एक पुस्तक प्रकाशित करने के लिए किन दो विद्वानों को प्रेरित किया है ?
मित्रों विडियो थोड़ा लम्बा अवश्य किन्तु अद्भुत जानकारी से परिपूर्ण है।
जिसे आज तक साधारण लोग नहीं जानते हैं इसलिए इस विडियो को एकाग्र चित्त होकर अन्त तक अवश्य देखें-
तो चलिए इसे भगवान श्री कृष्ण का नाम कि उच्चारण करके प्रारम्भ करते हैं।
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