★-"इतिहास के बिखरे हुए पन्ने"-★
शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023
आभीरमतम्-
कर्म सिद्धान्त - यदि अहीर जाति और अहीरों के पूर्वजों का वास्तविक इतिहास वर्तमान अहीर समाज और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के उत्थान के लिए यादगार बनाना चाहते हैं। तो हिन्दू धर्म के ग्रंथों में ब्राह्मणों द्वारा अहीरों के खिलाफ लिखी गई प्रतिकूल प्रविष्टियों को पूर्णतया त्याग दीजिए और अनुकूल प्रविष्टियों को लेकर तथा अहीरों के पूर्वजों द्वारा स्थापित आध्यात्मिक और दार्शनिक मूल्यों तथा विरोधी यों के प्रति युद्धों और स्थापित किए गए राज्यों के राजा / गणतंत्र प्रमुखों का उल्लेख करते हुए एवं आजीविका के लिए पशुपालन व कृषि का उल्लेख करते हुए अपने विवेक से नये अनुकूल तथ्यों का शोध कर एक सच्चा वास्तविक इतिहास समाज के सामने प्रस्तुत करें ।
हिन्दू धर्म के ग्रंथों में जातियों एवं चार वर्णों की जो उत्पत्ति दर्शाई गई है वह पूर्णतया असत्य है।
इस संसार में जड़ प्रकृति और चेतन का अद्भुत मिलन अनेकों पुरुषों और अनेकों जीवों के रूप में विधाता के संकल्प से एक साथ हुआ है।
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