शनिवार, 14 अक्तूबर 2023

ज़िन्दगी के सफर में आशंकाओं के जब ब्रेकर बहुत हो।ज़िन्दगी रेंग रेंग चलती है।मंजिल कैसे फतह हो।।

भौतिक उपलब्धियाँ व्यक्ति की हैसियत का मापन तो कर सकती हैं परन्तु उसकी शख्सियत का मापन तो उसके आचरण और विचारों की महानता ही करती है।
अत: सस्ती लोकप्रियता के बदले अपने विचारों की महानता का समझौता मत करो!

अनुमान का सत्य के इर्दगिर्द विश्लेषण होता है सत्य केन्द्र है तो अनुमान परिधि !

ज़िन्दगी के सफर में 
आशंकाओं के जब ब्रेकर बहुत हो।
ज़िन्दगी  रेंग रेंग चलती है।
मंजिल कैसे फतह हो।।

आशंकाऐ सम्भावी अनहोनीयों के द्वार भी बन्द कर देती हैं। ये इन आशंकओं का सकारात्मक पक्ष है कि ये अनिष्टों के प्रति सदैव सावधान करती हैं। इस प्रकार विधाता ने इनको भी सार्थकता दी है

संसार में सामाजिक सारोकारों के तीन कारण दिखाई देते हैं। कर्तव्य - मोह और स्वार्थ 
कर्तव्य निर्देश करता है कि मनुष्य को क्या करना चाहिए ताकि उसका जीवन सफल हो सार्थक हो।

"भगवद् गीता अध्याय 5 श्लोक 11

"कायेन मनसा बुद्ध्या केवलैरिन्द्रियैरपि।
योगिनः कर्म कुर्वन्ति सङ्गं त्यक्त्वाऽऽत्मशुद्धये।।5.11।।

हिंदी अनुवाद - कर्मयोगी आसक्तिका त्याग करके केवल (ममतारहित) इन्द्रियाँशरीरमनबुद्धिके द्वारा अन्तःकरणकी शुद्धिके लिये ही कर्म करते हैं।
मूल श्लोकः
निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रहः।
शारीरं केवलं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्।।4.21।।
 अनुवाद:-जो आशा रहित है तथा जिसने चित्त और आत्मा (शरीर) को संयमित किया है,  जिसने सब परिग्रहों का त्याग किया है,  ऐसा पुरुष शारीरिक कर्म करते हुए भी पाप को नहीं प्राप्त होता है।।


मन आग्रह ही स्मरण है ।   
किसी भावों के आवेश से युक्त मन निर्णय उसी के उसी से सम्बन्धित वस्तु के पक्ष में लेता है।




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