शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

चारण जो कालान्तरण में राजपूतों के रूप में ख्याति-लब्ध हुए और अब इसी राजपूती परम्पराओं के उत्तराधिकारी हैं ।

चारण जो कालान्तरण में राजपूतों के रूप में ख्याति-लब्ध हुए और अब इसी राजपूती परम्पराओं के उत्तराधिकारी हैं ।

करणी चारणों की कुल देवी है ।🚩

सन्दर्भ:-
Deshnok – Kani Mata Temple India, by Joe Bindloss, Sarina Singh, James Bainbridge, Lindsay Brown, Mark Elliott, Stuart Butler. Published by Lonely Planet, 2007. ISBN 1-74104-308-5. Page 257.
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इसी करण कन्या को चारणों ने करणी माता के रूप में अपनी कुल देवी स्वीकार कर लिया है ।
जिसका विवरण हम आगे देंगे -

ब्रह्मवैवर्त पुराण में राजपूतों की उत्पत्ति के विषय में वर्णन है।👇

< ब्रह्मवैवर्तपुराणम्‎ (खण्डः १ -(ब्रह्मखण्डः)
← अध्यायः ०९ ब्रह्मवैवर्तपुराणम्
अध्यायः १०

क्षत्रात्करणकन्यायां राजपुत्रो बभूव ह ।। 
राजपुत्र्यां तु करणादागरीति प्रकीर्तितः।। 
1/10।।

"ब्रह्म वैवर्तपुराण में राजपूतों की उत्पत्ति क्षत्रिय के द्वारा करण कन्या से बताई "🐈
करणी मिश्रित या वर्ण- संकर जाति की स्त्री होती है 
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार करण जन-जाति वैश्य पुरुष और शूद्रा-कन्या से उत्पन्न है।

और करण लिखने का काम करते थे ।
ये करण ही चारण के रूप में राजवंशावली लिखते थे ।
एेसा समाज-शास्त्रीयों ने वर्णन किया है ।

तिरहुत में अब भी करण पाए जाते हैं ।
लेखन कार्य के लिए कायस्थों का एक अवान्तर भेद भी करण कहलाता है  ।

करण नाम की एक आसाम, बरमा और स्याम की  जंगली जन-जाति है ।

क्षत्रिय पुरुष से करण कन्या में जो पुत्र पैदा होता उसे राजपूत कहते हैं।

वैश्य पुरुष और शूद्रा कन्या से उत्पन्न हुए को करण कहते हैं ।

और ऐसी करण कन्या से क्षत्रिय के सम्बन्ध से राजपुत्र (राजपूत) पैदा हुआ।

वैसे भी राजा का  वैध पुत्र राजकुमार कहलाता था राजपुत्र नहीं  ।
इसी लिए राजपूत शब्द ब्राह्मणों की दृष्टि में क्षत्रिय शब्द की अपेक्षा हेय है ।
राजपूत बारहवीं सदी के पश्चात कृत्रिम रूप से निर्मित हुआ ।
पर चारणों का वृषलत्व कम है । 
इनका व्यवसाय राजाओं ओर ब्राह्मणों का गुण वर्णन करना तथा गाना बजाना है ।
 चारण लोग अपनी उत्पत्ति के संबंध में अनेक अलौकिक कथाएँ कहते हैं  कालान्तरण में एक कन्या को देवी रूप में स्वीकार कर उसे करणी माता नाम दे दिया  करण या चारण का अर्थ मूलत: भ्रमणकारी होता है 





राजपूतीकरण- पार्ट 2.

आज जदोन, भाटी, चुदासमा और जडेजा के राजपूतीकरण के बारे जानेंगे.

करौली के यादव अपने नाम के साथ सिंह की जगह पाल लगाते थे सिर्फ इसलिये की यदुवंशी श्री कृष्ण की परंपरा का पालन करते हुए गौ पालक और गौ संरक्षक होते हैँ। उनमे गौ रक्षा के लिये इतना आग्रह होता है की वो गौ भक्षक सिंह की जगह पाल का उपयोग करते हैँ।
https://karauli.rajasthan.gov.in/content/raj/karauli/en/stone-industries/about-karauli/history.html#

करौली राजवंश के संस्थापक ब्रह्म पाल के बेटे दिग्गपाल को अहीर राजा कहा गया.

Source- Seattlement of District, Karauli. 

https://books.google.co.in/books?id=7ZoIAAAAQAAJ&pg=RA1-PA23&dq=digpal+mahaban+ahir&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwik89qc1O3uAhW0IaYKHd3_CEAQ6AEwAHoECAEQAg#v=onepage&q=digpal%20mahaban%20ahir&f=false

 करैली के राजवंश  यादव या अहीर है.
Source- Joseph Davey Cunningham( famous Historian). 
Asian Educational Service

https://books.google.co.in/books?redir_esc=y&id=FdPFkAsDJVgC&q=Ahir

जीतने भी राजपूत खुद को यदुवंशी राजपूत बोलते है उनकी उत्पति यदुवंशी अहीर से है. नारायणी सेना जो महाभारत काल की सबसे शक्तिशाली सेना थी, जिसके भय से सभी राजा श्री कृष्ण जी से मित्रता करते थे वो सेना अहीर ( गोप) की थी.

Source- Indian Statuary commision. 

https://books.google.co.in/books?hl=hi&id=KTEoAAAAMAAJ&dq=narayani+army+of+Yadava&focus=searchwithinvolume&q=narayani+army+

यदुवंशी क्षत्रिय सिर्फ अहीर है.
Source-Anthropological survey of India

https://books.google.co.in/books?id=wT-BAAAAMAAJ&dq=cattle+and+the+stick&focus=searchwithinvolume&q=Kshatriyas

1818 तक के सरकारी रेकॉर्ड मे किसी जादौन नाम के प्रजाति का नाम नही है. स्थानीय बोलचाल मे जादौन को किरार बोला जाता है, माना जाता है ये लोग करौली के असली यादव/अहीर राजा के वंसज नही है.

जादौन एक बंजारे का गोत्र है.
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Source-The Banjara https://books.google.co.in/books?id=JNvGp4Yuk4QC&pg=PA19&dq=Jadaun+sub+caste+of+Banjara&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwi1ksSMw4TvAhUVfH0KHXOWBEcQ6AEwAHoECAMQAw#v=onepage&q=Jadaun%20sub%20caste%20of%20Banjara&f=false
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भाटी.
भाटी के शिलालेख के अनुसार ये लोग यादवों के प्राचीन राजधानी काशी से अफगनिस्तां और फिर तुर्क के तरफ चले गए फिर 12 वी सदी मे जैसलमेर आये और अपना राज स्थापित किया.

भाटी खुद को जादम कुल से उत्पन्न बताते है जो की एक अहीर सरदार थे. जादम कुल के जाट, गुज्जर और राजपूत मे भी पाया जाता है लेकिन मुख्य रूप से ये अहीर का कुल है.
बहुत से अहीर का कुल उनके सरदार के नाम पर पड़ा, जिसमे गंवाल, जादम, दाबर, दहमीवाल आदि.
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Source- Richard Gabrarl fox, duke univercity, program in comparstive studies on South Asia. 

https://books.google.co.in/books?redir_esc=y&id=CAXULggU0QMC&focus=searchwithinvolume&q=Jadam
जडेजा & चुदासमा.

जडेजा सीरिया के मुस्लिम अबी जाहल के वंसज है उसने जाम सरनेम पैगंबर नूह से पाए है जो अपने नाम के साथ 'जाम' लगाते थे. पैगंबर नुह के बेटे का नाम 'साम' था, इसीलिए इन्हें समा वंशी भी कहते है. राजपुताना ( राजस्थान) या राजपूतों के इतिहास पर शोध करने वाले कर्नल टॉड ने सम्मा को कृष्णजी के पुत्र साम्ब से जोड़ दिया.
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Source: Bombay Presidency Gazeteer

https://books.google.co.in/books?id=JH7q-DP30HUC&pg=RA1-PA57&dq=jadeja+rajput+are+descendants+of+muslim+bombay+Gazetteer+Jam+unar&hl=hi&sa=X&ved=0ahUKEwj6gIqah_TqAhX7zTgGHSLnBkcQ6AEIMjAB#v=snippet&q=Tod%20connects&f=false

जडेजा अपने नाम के साथ 'जाम' टाइटल लगाते है और कच्छ और जाम नगर मे उन्हे जाम साहब कहा जाता है. 'जाम' टाइटल सिंध के मुस्लिम बादशाह का होता था.
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Source- Gujrat state gazettere; Jam Nagar. 

https://books.google.co.in/books?id=WLNhAAAAIAAJ&dq=Jadeja+Egypt+origin&focus=searchwithinvolume&q=Muslim+ruler+Jam+Yama

Archeological survey of India का रिपोर्ट के मुताबिक चुदासमा सिंध का 'अभीर' थे जो 875 AD मे कच्छ आये. चुदासमा युवराज गृहरिपु को सिंध का 'अभीर' या 'यादव' कहा गया है.
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Source- Archiological survey of India. 

https://books.google.co.in/books?id=2eIcAAAAMAAJ&q=Chudasama+Abhira&dq=Chudasama+Abhira&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwiE8Jyw9f_vAhVdyzgGHag5C6kQ6AEwA3oECAIQAw



1 टिप्पणी:

  1. भाई बहुत बहुत धन्यवाद आपका राजपूत की सच्चाई बताने के लिए। 🙏🙏🙏🙏

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