बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

सप्ता आभीरा आवभृत्या दश गर्दभिनो नृपाःकङ्काः षोडश भूपाला भविष्यन्त्यतिलोलुपाः ।२८।


अथ प्रथमोऽध्यायः (12.1)
राजोवाच -
  (अनुष्टुप् छन्द) 

स्वधामानुगते कृष्ण यदुवंशविभूषणे ।
 कस्य वंशोऽभवत् पृथ्व्यां एतद् आचक्ष्व मे मुने।१।

 राजा परिक्षत् ने पूछा :-भगवन् ! यदुवंंश शिरोमणि भगवान श्री कृष्ण जब अपने परमधाम गये ; तब पृथ्वी पर किस वंश का राज्य हुआ; तथा अब किसका राज्य होगा ! आप कृपा करके मुझे यह बताइए ।।१।।
                    (श्रीशुक उवाच)

योऽन्त्यः पुरञ्जयो नाम भाव्यो बार्हद्रथो नृप।
तस्यामात्यस्तु शुनको हत्वा स्वामिनमात्मजम् ।२।

प्रद्योतसंज्ञं राजानं कर्ता यत्पालकः ।सुतःविशाखयूपस्तत्पुत्रो भविता राजकस्ततः ।३।

नन्दिवर्धनस्तत्पुत्रः पञ्च प्रद्योतना इमे
अष्टत्रिंशोत्तरशतं भोक्ष्यन्ति पृथिवीं नृपाः ।४।

शुकदेव जी ने कहा :- प्रिय परीक्षित ! मैंने तुम्हें नवे स्कन्ध में यह बात बतलाई थी, कि जरासंध के पिता बृहद्रथ के वंश में अंतिम राजा होगा पुरंजय अथवा रिपुंजय, उसके मंत्री का नाम होगा सुनक वह अपने स्वामी को मार डालेगा ; और अपने पुत्र प्रद्योत को राजसिंहासन पर अभिषिक्त करेगा ! प्रद्योत का पुत्र होगा पालक और पालक का विशाखयूप और विशाखयूप का रजक और रजक का पुत्र होगा नंदीवर्धन और नन्दिवर्धन ! प्रद्योत राजवंश  में यही पांच नरपति होंगे ;इनकी संज्ञा  होगी प्रद्योतन यह (138 )वर्ष तक पृथ्वी का उपयोग करेंगे ।२-४।

शिशुनागस्ततो भाव्यः काकवर्णस्तु तत्सुतः।
क्षेमधर्मा तस्य सुतः क्षेत्रज्ञः क्षेमधर्मजः ।५।

इसके पश्चात् शिशुनाग नाम का राजा होगा; शिशुनाग का काकवर्ण उसका क्षेमधर्मा और  क्षेमधर्मा का पुत्र होगा क्षेत्रज्ञ ।५।

विधिसारः सुतस्तस्या जातशत्रुर्भविष्यति ।
दर्भकस्तत्सुतो भावी दर्भकस्याजयः स्मृतः।६।

 क्षेत्रज्ञ का विधिसार उसका अजातशत्रु फिर दर्भक और  दर्भक का पुत्र होगा अजय ।६।

नन्दिवर्धन आजेयो महानन्दिः सुतस्ततः।
शिशुनागा दशैवैते सष्ट्युत्तरशतत्रयम् ।७।

अजय से नंदीवर्धन और नंदीवर्धन का पुत्र होगा महानन्दी ; शिशुनाग वंश में यह 10 राजा होंगे यह सब मिलकर कलयुग में (360) वर्ष तक पृथ्वी पर राज्य करेंगे  ! ।७।

समा भोक्ष्यन्ति पृथिवीं कुरुश्रेष्ठ कलौ नृपाः
महानन्दिसुतो राजन्शूद्रा गर्भोद्भवो बली ।८।

प्रिय परीक्षित ! महानंदी की शुद्रा पत्नी के गर्भ से नंद नाम का पुत्र होगा; वह बड़ा बलवान होगा । 

महापद्मपतिः कश्चिन्नन्दः क्षत्रविनाशकृत्
ततो नृपा भविष्यन्ति शूद्र प्रायास्त्वधार्मिकाः ।९।

महानंदी महापद्म नामक निधि का अधिपति होगा ! इसलिए लोग उसे महापद्म भी कहेंगे वह क्षत्रिय राजाओं के विनाश का कारण बनेगा तभी से राजा अधार्मिक हो जाएंगे ।

स एकच्छत्रां पृथिवीमनुल्लङ्घितशासनः
शासिष्यति महापद्मो द्वितीय इव भार्गवः ।१०।

महापद्म पृथ्वी का एकछत्र शासक होगा उसके शासन का उल्लंघन कोई भी नहीं कर सकेगा ! क्षत्रियों के विनाश में हेतु होने की दृष्टि से तो उसे दूसरा परशुराम ही समझना चाहिए  

तस्य चाष्टौ भविष्यन्ति सुमाल्यप्रमुखाः सुताः
य इमां भोक्ष्यन्ति महीं राजानश्च शतं समाः ।११।

उसके सुमाल्य आदि आठ पुत्र होंगे वह सभी राजा होंगे और 100 वर्ष तक इस पृथ्वी का भोग करेंगे।११।

नव नन्दान्द्विजः कश्चित्प्रपन्नानुद्धरिष्यति !
तेषां अभावे जगतीं मौर्या भोक्ष्यन्ति वै कलौ ।१२।

 (कौटिल्य वात्सायन तथा चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध एक ब्राह्मण विश्वविख्यात) नंद और उसके सुमाल्य आदि आठ पुत्रों का नाश कर डालेगा उनका नाश हो जाने पर कलयुग में मौर्यवंशी नरपति पृथ्वी का राज्य करेंगे।१२।

स एव चन्द्र गुप्तं वै द्विजो राज्येऽभिषेक्ष्यति
तत्सुतो वारिसारस्तु ततश्चाशोकवर्धनः ।१३।

 वही  चंद्रगुप्त को पहले पहले  राजा के पद पर अभिषेक  करेगा और चंद्रगुप्त का पुत्र होगा वारिसार और वारिसार का अशोकवर्धन ।१३।

सुयशा भविता तस्य सङ्गतः सुयशःसुतः
शालिशूकस्ततस्तस्य सोमशर्मा भविष्यति ।१४।

अशोक वर्धन का पुत्र होगा सुयश और सुयश का पुत्र  होगा शालिशूक और शालिशूक का पुत्र होगा सोमशर्मा ।१४।

शतधन्वा ततस्तस्य भविता तद् बृृहद्रथ:।मौर्या ह्येते दशनृपाःसप्तत्रिंशच्छतोत्तरम्।समा भोक्ष्यन्ति पृथिवीं कलौ कुरुकुलोद्वह ।१५।

सोमशर्मा का सत्धन्वा और शत्धन्वा का पुत्र होगा बृहद्रथ कुरुवंश विभूषण परीक्षित ! मौर्य वंश के यह 10 नरपति कलयुग में 137 वर्ष तक पृथ्वी का उपभोग करेंगे ।

अग्निमित्रस्ततस्तस्मात्सुज्येष्ठो भविता ततः
वसुमित्रो भद्रकश्च पुलिन्दो भविता सुतः ।१६।

ततो घोषः सुतस्तस्माद्वज्रमित्रो भविष्यति
ततो भागवतस्तस्माद्देवभूतिः कुरूद्वह ।१७।

शुङ्गा दशैते भोक्ष्यन्ति भूमिं वर्षशताधिकम्
ततः काण्वानियं भूमिर्यास्यत्यल्पगुणान्नृप ।१८।

बृहद्रथ का सेनापति होगा पुष्यमित्रशुंग वह अपने स्वामी को मार कर स्वयं राजा बन बैठेगा पुष्यमित्रशुंग का अग्नि मित्र और अग्निमित्र का सुजेष्ठ पुत्र होगा सुजेष्ठ का वसुमित्र और वसुमित्र का भद्रक और भद्रक का पुलिंद और पुलिंद का घोष और घोष का पुत्र होगा वज्रमित्र और वज्रमित्र का भागवत और भागवत का पुत्र होगा देव भूति सुँग वंश के यह 10 नरपति 112 वर्ष तक पृथ्वी का पालन करेंगे ।।१६-१७-१८।।

शुङ्गं हत्वा देवभूतिं काण्वोऽमात्यस्तु कामिनम्
स्वयं करिष्यते राज्यं वसुदेवो महामतिः ।१९।

परिक्षित् !  शुंगवंशी नरपतियों का राज्य का काल समाप्त होने पर यह पृथ्वी कण्ववंशी नरपतियों के हाथ में चली जायेगी (कण्ववंशी नरपति अपने पूर्ववर्ती राजाओं से कम गुण वाले होगें ) सुँगवंश का अन्तिम नर- पति बड़ा ही लम्पट होगा उसे उसका मन्त्री कण्ववंशी वसुदेव मार डालेगा । और अपने बुद्धि बल से स्वयं राज्य करेगा ।१९।

तस्य पुत्रस्तु भूमित्रस्तस्य नारायणः सुतः काण्वायना इमे भूमिं चत्वारिंशच्च पञ्च च शतानि त्रीणि भोक्ष्यन्ति वर्षाणां च कलौ युगे।२०।

 वसुदेव का पुत्र होगा भूमित्र और  भूमित्र का नारायण और नारायण का सुशर्मा, सुशर्मा बड़ा यशस्वी होगा कण्ववंश के ये नरपति काण्वायन कहलाऐंगे और कलियुग में (३४५)वर्ष तक शासन करेंगे ।-२०।

हत्वा काण्वं सुशर्माणं तद्भृत्यो वृषलो बली
गां भोक्ष्यत्यन्ध्रजातीयः कञ्चित्कालमसत्तमः ।२१।

प्रिय परिक्षित् कण्ववंशी सुशर्मा का एक शूद्र सेवक होगा -बली । वह आन्ध्र जाति एवं बड़ा दुष्ट होगा वह सुशर्मा को मारकर स्वयं कुछ काल तक पृथ्वी का उपभोग करेगा ।२२।  

कृष्णनामाथ तद्भ्राता भविता पृथिवीपतिः
श्रीशान्तकर्णस्तत्पुत्रः पौर्णमासस्तु तत्सुतः ।२२।

इसके बाद उसका भाई कृष्ण राजा होगा उसका श्रीशान्तकर्ण और उसका पौर्णमास पुत्र होगा।२२ ।

लम्बोदरस्तु तत्पुत्रस्तस्माच्चिबिलको नृपः।
मेघस्वातिश्चिबिलकादटमानस्तु तस्य च ।२३।

पौर्णमास का पुत्र लम्बोदर और उसका चिलविलक और चिलविलिक का मेघ स्वाति मेघस्वाति कि अटमान ।२३।

निष्टकर्मा हालेयस्तलकस्तस्य चात्मजः
पुरीषभीरुस्तत्पुत्रस्ततो राजा सुनन्दनः ।२४।

और अटमान का पुत्र निष्टकर्मा  और निष्टकर्मा का हालेय  और हालेय का तलक उसका पुरीषभीरु और पुरुषभीरु का पुत्र सुनन्दन होगा ।२४।

चकोरो बहवो यत्र शिवस्वातिररिन्दमः
तस्यापि गोमती पुत्रः पुरीमान्भविता ततः ।२५।

परीक्षित सुनंदन का पुत्र चकोर चकोर के 8 पुत्र होंगे जो सभी बहु कहलाएंगे इनमें सबसे छोटे का नाम होगा शिवस्वाति  वह बड़ा वीर होगा । और शत्रुओं का दमन करेगा शिवस्वाति का गोमती पुत्र और उसका पुत्र होगा पूरीमान  ।२५।

मेदशिराः शिवस्कन्दो यज्ञश्रीस्तत्सुतस्ततः
विजयस्तत्सुतो भाव्यश्चन्द्र विज्ञः सलोमधिः ।२६।

पूरीमान का मेदशिरा  मेदशिरा का शिवस्कंद और शिवस्कंद का यज्ञश्री और यज्ञश्री का विजय और विजय के दो पुत्रों के चंद्रविज्ञ और लोमधि ।।२६।

एते त्रिंशन्नृपतयश्चत्वार्यब्दशतानि च
षट्पञ्चाशच्च पृथिवीं भोक्ष्यन्ति कुरुनन्दन ।२७।

 परीक्षित यह 30 राजा 456 वर्ष तक पृथ्वी का राज भोगेंगे ।२७।

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सप्ता आभीरा आवभृत्या दश गर्दभिनो नृपाः
कङ्काः षोडश भूपाला भविष्यन्त्यतिलोलुपाः ।२८।

परिक्षित् ! इसके बाद अवभृति नगरी के सात आभीर राजा,  दश गर्दभी राजा और सौ वह कंक राजा पृथ्वी का शासन करेंगे  ये सबके सब बड़े लोभी होंगे ।२८।

ततोऽष्टौ यवना भाव्याश्चतुर्दश तुरुष्ककाः।
भूयो दश गुरुण्डाश्च मौला एकादशैव तु ।२९।

इसके बाद आठ यवन और चौदह तुर्क शासन करेंगे  इसके बाद दश गुरुण्ड और ग्यारह मौन नरपति शासन करेंगे ।२९।

एते भोक्ष्यन्ति पृथिवीं दश वर्षशतानि च।
नवाधिकां च नवतिं मौला एकादश क्षितिम् ।३०।

मौंनो के  यह सब (1099)  एक हजार निन्यानवै वर्ष तक पृथ्वी का उपयोग करेंगे तथा 11 मौन नरपति 300 वर्ष तक पृथ्वी का शासन करेंगे ।३०

भोक्ष्यन्त्यब्दशतान्यङ्ग त्रीणि तैः संस्थिते ततः।
किलकिलायां नृपतयो भूतनन्दोऽथ वङ्गिरिः।३१।

जब उनका राज्य काल समाप्त हो जाएगा तब किलकिला नाम की नगरी में भूतनंद नाम का राजा होगा तब भूतनन्द का वाँगिरी ।३१।

शिशुनन्दिश्च तद्भ्राता यशोनन्दिः प्रवीरकः।
इत्येते वै वर्षशतं भविष्यन्त्यधिकानि षट् ।३२।

भूत नन्द का वाँगिरी  वाँ गिरी का भाई शिशुनन्दि यशोनन्दि और प्रवीरक- ये एक सौ छ: वर्ष तक शासन करेंगे ।३२।

तेषां त्रयोदश सुता भवितारश्च बाह्लिकाः।
पुष्पमित्रोऽथ राजन्यो दुर्मित्रोऽस्य तथैव च ।३३। 

इसके 13 पुत्र होंगे और वे सब के सब बाह्लीक कहलाएंगे उनके पश्चात पुष्पमित्र नामक क्षत्रिय और उनके पुत्र दुर्मित्र का राज होगा ।३३।

एककाला इमे भूपाः सप्तान्ध्राः सप्त कौशलाः
विदूरपतयो भाव्या निषधास्तत एव हि ।३४।

परीक्षित !बाह्लीक वंशी नरपति एक साथ ही विभिन्न प्रदेशों में राज्य करेंगे उनमें सात आंध्र प्रदेश के सात ही कोसल देश के अधिपति होंगे कुछ विदूर -भूमि के शासक और कुछ निषधदेश के स्वामी होगें ।३४।

मागधानां तु भविता विश्वस्फूर्जिः पुरञ्जयः।
करिष्यत्यपरो वर्णान्पुलिन्द यदु मद्रकान् ।३५।

इसके बाद मगध देश का राजा होगा विश्वस्फूर्ति  यह पूर्वोक्त पुरुञ्जय के अतिरिक्त दुसरा पुरुञ्जय कहलाएगा  ( यह ब्राह्मण आदि उच्च वर्णों को  पुलिन्द, यदु, और मद्र आदि म्लेच्छप्राय जातियों के रूप में वर्णित कर देगा ।३५। 

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प्रजाश्चाब्रह्मभूयिष्ठाः स्थापयिष्यति दुर्मतिः
वीर्यवान्क्षत्रमुत्साद्य पद्मवत्यां स वै पुरि
अनुगङ्गमाप्रयागं गुप्तां भोक्ष्यति मेदिनीम् ।३६।

इसकी बुद्धि इतनी दुष्ट होगी कि यह ब्राह्मण, क्षत्रिय वैश्यों का नाश करके शूद्रप्राय: जनता की रक्षा करेगा यह अपने बल-वीर्य से क्षत्रियों को उजाड़ देगा पद्मावती पुरी को राजधानी बनाकर हरिद्वार से लेकर प्रयाग पर्यन्त पृथ्वी का राज्य करेगा ।३६।

सौराष्ट्रावन्ति-आभीराश्च शूरा अर्बुदमालवाः।
व्रात्या द्विजा भविष्यन्ति शूद्र प्राया जनाधिपाः।३७।

परीक्षित ज्यों ज्योतिष घोर कलियुग आता जाएगा त्यों त्यों सौराष्ट्र , अवन्ती ,आभीर,  शूर अर्बुद और मालव देश के ब्राह्मण गण संस्कार शून्य हो जाएंगे तथा राजा लोग भी शूद्र तुल्य हो जाएगा ।३७।

सिन्धोस्तटं चन्द्रभागां कौन्तीं काश्मीरमण्डलम्।
भोक्ष्यन्ति शूद्रा व्रात्याद्या म्लेच्छाश्चाब्रह्मवर्चसः।३८।

सिन्धु तट चन्द्रभागा का तटवर्ती प्रदेश कौन्तीपुरी और काश्मीर मण्डल पर प्राय: शूद्रों का संस्कार एवं ब्रह्म तेज से हीन नाममात्र के द्विजों और म्लेच्छों का राज्य होगा ।३८।

तुल्यकाला इमे राजन्म्लेच्छप्रायाश्च भूभृतः।
एतेऽधर्मानृतपराः फल्गुदास्तीव्रमन्यवः।३९।

 परीक्षित् ! यह सब के सब राजा आचार विचार में म्लेचछप्राय: होगें  यह सब एक ही समय विभिन्न प्रांतों में राज्य करेंगे यह सब के सब परले सिरे के झूठे अधार्मिक और कम दान करने वाले होंगे छोटी-छोटी बातों को लेकर ही यह क्रोध के मारे आगबबूला हो जाया करेंगे।३९।

स्त्रीबालगोद्विजघ्नाश्च परदारधनादृताः।
उदितास्तमितप्राया अल्पसत्त्वाल्पकायुषः।४०।

 यह दुष्ट लोग स्त्री, बच्चों गो ब्राह्मणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने के लिए यह सर्वदा उत्सुक रहेंगे ना तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और ना घटते क्षण में ही रुष्ट तो क्षण में तुष्ट इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी ।४०।

असंस्कृताः क्रियाहीना रजसा तमसावृताः
प्रजास्ते भक्षयिष्यन्ति म्लेच्छा राजन्यरूपिणः।४१।

इनमें परंपरागत संस्कार नहीं होंगे यह अपने कर्तव्य कर्म का पालन नहीं करेंगे ! रजोगुण और तमोगुण से अंधे बने रहेंगे राजा के वेश में वे म्लेच्छ होंगे वे लूट कसोट कर अपनी प्रजा का खून चूसेंगे ।४१।

तन्नाथास्ते जनपदास्तच्छीलाचारवादिनः।
अन्योन्यतो राजभिश्च क्षयं यास्यन्ति पीडिताः ।४२।

 जब ऐसे लोगों का शासन होगा तो देश की प्रजा में भी वैसे ही स्वभाव ,आचरण और भाषण की वृद्धि हो जाएगी राजा लोग तो उनका शोषण करेंगे ही वे आपस में भी एक दूसरे को उत्पीड़ित करेंगे और अंततः सब के सब नष्ट हो जाएंगे ।४२।

इति श्रीमद्भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां द्वादशस्कन्धे प्रथमोऽध्यायः

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