शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

मलेरिया - और उसकी सामान्य दवा

मलेरिया एक ऐसा रोग है जिसमे रोगी को सर्दी और सिरदर्द के साथ बार-बार बुखार आता है। इसमें बुखार कभी कम हो जाता है तो कभी दुबारा आ जाता है। गंभीर मामलों में रोगी कोमा में चला जाता है या उसकी मृत्यु तक हो जाती है। 

मलेरिया के कारक:-

मलेरिया प्लाज़्मोडियम (plasmodium) नामक परजीवी (parasite) के कारण होता है। 

मलेरिया मादा एनोफेलीज मच्छर (Anopheles mosquito) के काटने से शुरू होता है जो इस प्लाज़्मोडियम परजीवी को शरीर में छोड़ता है।
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यह रोग अधिकांश भूमध्य रेखा (Mediterranean) के आसपास के उष्णकटिबंधीय (Tropical) और उपोष्णकटिबंधीय (subtropical) क्षेत्रों में पाया जाता है ; जिसमें सब-सहारा अफ्रीका और एशिया के ज़्यादातर देश शामिल हैं।

भारत में यह रोग पूरे वर्ष रहता है। हालांकि मच्छर प्रजनन के कारण ही  बारिश के दौरान और बारिश के बाद यह रोग अधिक लोगों को होता है।

दिसंबर 2016 में जारी किए गए नए WHO (विश्व स्वाथ्य संगठन ) के अनुमानों के मुताबिक मलेरिया के 212 मिलियन मामले सामने आए और इससे 42 p,000 मौतें हुईं।

 2015 में 91 देशों और क्षेत्रों में मलेरिया ट्रांसमिशन हो रहा था।


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दक्षिण पूर्व एशिया में कुल मलेरिया के मामलों में से 77% मामले भारत में हैं। 
यह रोग मुख्य रूप से भारत के प्रान्त राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, गोवा, दक्षिणी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और पूर्वोत्तर राज्यों में प्रचलित है।

दूसरों की तुलना में कुछ जनसंख्या समूह पर मलेरिया का खतरा अधिक रहता है।
इसमें शिशु, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चें, गर्भवती महिलायें और एचआईवी / एड्स के रोगी, साथ ही गैर-प्रतिरक्षा प्रवासी (non immune migrant), एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले लोग (mobile populations) और यात्रीगण शामिल हैं।
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देशी दवाओं मलेरिया रोधी दवा गिलोय और कुनैन भी है।
कुनैन से ही क्लोरोक्वीन फॉस्फेट दवा का निर्माण होता है ।
मलेरिया तथा अन्य रोगों में 
गुडूची (गिलोय) की गुणों की पहचान, फायदे और नुकसान भी हैं  - 

गुडूची क्‍या है?
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भारत के कई हिस्‍सों में पाया जाने वाला गिलोय या टीनोस्पोरा एक पर्णपाती वृक्ष है।
आयुर्वेदिक और पारंपरिक औषधि प्रणाली में अनेक उपचारों एवं स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक लाभों के लिए इस जड़ी बूटी को महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिया गया है।
यहां तक कि आयुर्वेद में इसे “रसायन” के तौर पर जाना जाता है क्‍योंकि इसमें शरीर के सभी कार्यों में सुधार लाने की क्षमता होती है। 
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आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि संस्‍कृत में गिलोय को “अमृत” कहा जाता है जिसका अर्थ “अमरता का प्रदान करने वाला”।

पौराणिक समय में देवताओं को युवा और स्‍वस्‍थ रखने में गिलोय मदद करता था और इसके स्‍वास्‍थ्‍वर्द्धक गुणों को देखकर इस बात की पुष्टि होती है कि गिलोय सेहत के लिए अमृत समान है।

गुडूची के वृक्ष की एक बहुवर्षीय लता होती है एवं इसके पत्तों का आकार पान के पत्तों की तरह होता है। इसका तना सफेद से लेकर भूरा रंग का होता है और यह 1 से 5 सेण्टी मीटर की मोटाई तक बढ़ सकता है। 
आयुर्वेद में गिलोय को ज्‍वर (बुखार) की सर्वोत्तम औषधि माना गया है। 
"गिलोय के पीले-हरे रंग के फूल गर्मी के मौसम में खिलते हैं जबकि इसके फल सर्दियों में देखे जाते हैं।

गिलोय के फल हरे रंग के होते हैं और पकने पर इनका रंग लाल हो जाता है। 
गिलोय के अधिकतर औषधीय गुण इसके तने में मौजूद होते हैं लेकिल इसकी पत्तियों, फल और जड़ का भी बुहत उपयोग किया जाता है।

गिलोय के बारे में  और रोचक तथ्‍य:
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वानस्‍पतिक नाम: - टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया
कुल: मेनिस्‍पर्मियेसी
सामान्‍य नाम: गिलोय, गुडूची, गुलबेल, टीनोस्पोरा
संस्‍कृत नाम: अमृता, चक्रांगी, कुंडलिनी, छिन्‍नरुहा
उपयोगी भाग: जड़, पत्तियां
भौगोलिक विवरण: गिलोय मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप से है लेकिन यह चीन में भी पाया जाता है।
गुण: अथवा तासीर गर्म  है ।

गिलोय की पहचान  ?- How to Identify Giloy Plant ?

गिलोय के फायदे डेंगू के उपचार में - Giloy for Dengue 
गुडूची के औषधीय गुण पाचन बनाएं बेहतर - Guduchi for Digestion 
गिलोय के उपयोग से मधुमेह करें नियंत्रित - Giloy Juice for Diabetes 
गिलोय का सेवन करें मस्तिष्क के टॉनिक के रूप में - Giloy as Brain Tonic 
गिलोय रस के फायदे हैं दमा के इलाज में - Benefits of Giloy in Asthma
गुडूची के उपयोग से पाएं गठिया में राहत - Giloy for Arthritis 
गिलोय के लाभ से मिले कामेच्छा में वृद्धि - Giloy as An Aphrodisiac 
गिलोय जूस के फायदे आँखों के लिए - Giloy for Eyesight 
गुडूची रस बेनिफिट्स युवा त्वचा के लिए - Benefits of Guduchi for Skin 
गिलोय के अन्य फायदे - Others benefits of Giloy 
क्या गिलोय बच्चों के लिए सुरक्षित है? - Is Giloy Safe For Kids 
गुडूची (गिलोय) के नुकसान - Giloy ke Nuksan 

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गिलोय की पहचान - How to Identify Giloy Plant 
गिलोय आयुर्वेद में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों में से एक है।
 यह भारतीय टीनोस्पोरा (Indian Tinospora) या गुदुची (Guduchi) के रूप में जाना जाता है। 
गिलोय को अक्सर अमृता बुलाया जाता है, जो अमृत का भारतीय नाम है।

यह विभिन्न प्रकार के प्रयोजनों और रोगों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है।
 हो सकता है आपने गिलोय की बेल देखी हो लेकिन जानकारी के अभाव में गिलोय की पहचान नहीं कर पाए हों।
 गिलोय का पौधा एक बेल के रूप में होता है और इसकी पत्त‍ियां पान के पत्ते की तरह होती हैं। जैसा कि हमने पहले बताया है गिलोय के औषधीय गुण कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने में उपयोग किए जाते हैं। 
गिलोय के कुछ महत्वपूर्ण फायदे अब हम बताने जा रहे हैं।

गुडूची (गिलोय) के फायदे - Guduchi (Giloy) ke fayde 
गिलोय के प्रयोग से बढ़ाएं इम्यूनिटी - Giloy for Immunity 
गिलोय का पहला और सबसे महत्वपूर्ण लाभ है - रोगों से लड़ने की क्षमता देना। 
गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कि स्वास्थ्य में सुधार लाते हैं और खतरनाक रोगों से लड़ते हैं। गिलोय गुर्दों और जिगर से विषाक्त पदार्थों को दूर करता है और मुक्त कणों (free radicals) को भी बाहर निकालता है।
 इन सब के अलावा, गिलोय बैक्टीरिया, मूत्र मार्ग में संक्रमण और जिगर की बीमारियों से भी लड़ता है जो अनेक रोगो का कारण बनते हैं। नियमित रूप से गिलोय का जूस का सेवन करने से रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।


गिलोय के फायदे डेंगू के उपचार में - Giloy for Dengue 
गिलोय का एक अन्य लाभ यह है कि यह लंबे समय से चले आ रहे ज्वर और रोगों का इलाज करता है।
 क्योंकि इसकी प्रकृति ज्वरनाशक है, इसलिए यह जीवन को खतरे में डालने वाली बीमारियों के संकेतो और लक्षणों को कम करता है।
 यह आपके रक्त में प्लेटलेट्स की गिनती को बढ़ाता है और डेंगू बुखार के लक्षण को भी दूर करता है।
 गिलोय के साथ तुलसी के पत्ते प्लेटलेट की गिनती को बढ़ाते हैं और डेंगू से लड़ते हैं।
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गिलोय के अर्क और शहद को एक साथ मिलाकर पीना मलेरिया में उपयोगी होता है।
 बुखार के लिए 90% आयुर्वेदिक दवाओं में गिलोय का उपयोग एक अनिवार्य घटक के रूप में होता है। 


गुडूची के औषधीय गुण पाचन बनाएं बेहतर - Guduchi for Digestion 
गुडूची आपके पाचन तंत्र की देखभाल कर सकता है। आधा ग्राम गुडूची पाउडर को कुछ आंवला के साथ नियमित रूप से लें।

अच्छे परिणाम के लिए, गिलोय का रस छाछ (मट्ठा) के साथ भी लिया जा सकता है।
यह उपाय बवासीर से पीड़ित रोगियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
संक्षेप में, गिलोय दिमाग को आराम देता है और अपच को रोकता है।

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गिलोय के उपयोग से मधुमेह करें नियंत्रित - Giloy Juice for Diabetes 
अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं, तो गिलोय निश्चित रूप से आपके लिए प्रभावी होगा।
 गिलोय एक (हाइपोग्लिसीमिक एजेंट) के रूप में कार्य करता है। यह रक्तचाप और लिपिड के स्तर को भी  कम कर सकता है।
 यह टाइप 2 मधुमेह के इलाज को बहुत आसान बनाता है।
 मधुमेह रोगियों को नियमित रूप से रक्त शर्करा के उच्च स्तर को कम करने के लिए गिलोय का जूस पीना चाहिए। 

गिलोय का सेवन करें मस्तिष्क के टॉनिक के रूप में - Giloy as Brain Tonic
गिलोय को अडाप्टोजेनिक (adaptogenic) जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, यह मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है। एक उत्कृष्ट स्वास्थ्य टॉनिक बनाने के लिए, गिलोय अक्सर अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिश्रित किया जाता है।
 यह स्मृति को बढ़ावा देने और काम पर ध्यान लगाने में मदद करता है।
 यह मस्तिष्क से सभी विषाक्त पदार्थों को भी साफ कर सकता है।
 गिलोय की जड़ और फूल से तैयार पांच मिली लीटर गिलोय के रस का नियमित सेवन एक उत्कृष्ट मस्तिष्क टॉनिक के रूप में समझा जाता है। 
गिलोय को अक्सर एक बुढ़ापा विरोधी जड़ी बूटी बुलाया जाता है।

गिलोय रस के फायदे हैं दमा के इलाज में - Benefits of Giloy in Asthma 
अस्थमा के कारण छाती में जकड़न, सांस की तकलीफ, खाँसी, घरघराहट आदि होती है। 
ऐसी हालत के लिए इलाज मुश्किल हो जाता है। हालांकि, कुछ आसान उपायो से अस्थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

उनमें से एक उपाय है - गिलोय।
 यह अक्सर अस्थमा के रोगियों के इलाज के लिए विशेषज्ञों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।
 गिलोय का रस दमा के इलाज में उपयोगी है। 
नीम और आंवला के साथ मिला कर इसका मिश्रण इसे और अधिक प्रभावी बनाता है। 


गुडूची के उपयोग से पाएं गठिया में राहत - Giloy for Arthritis 
अगर आप वातरोगी गठिया से पीड़ित है तो आपको गिलोय का सेवन करना चाहिए। 
इसमें सूजन को कम करने के साथ-साथ गठिया विरोधी गुण भी होते हैं जो कि गठिया और जोड़ों में दर्द सहित इसके कई लक्षणों का इलाज़ करते हैं।
 गिलोय गाउट को राहत देने के लिए, अरंडी के तेल के साथ प्रयोग किया जा सकता है।
 गठिया के इलाज के लिए, यह घी के साथ भी प्रयोग किया जाता है।
 यह रुमेटी गठिया का इलाज करने के लिए अदरक के साथ प्रयोग किया जा सकता है।

गिलोय के लाभ से मिले कामेच्छा में वृद्धि - Giloy as An Aphrodisiac 
अगर आपको लगता है कि आप बिस्तर पर अच्छे नहीं है तो चिंता की कोई बात नहीं है, आप तुरंत गिलोय का सेवन शुरू कर दें। 
पुरुषों के लिए भी गिलोय एक वरदान है क्योंकि गिलोय एक कामोद्दीपक दवा है जिसकी मदद से शरीर में कामेच्छा की वृद्धि होती है।
 यह सेक्स इच्छाशक्ति को बढ़ाता है, जिसके फलस्वरूप आप वैवाहिक सुख अच्छी तरह से भोग सकते हैं।



गिलोय जूस के फायदे आँखों के लिए - Giloy for Eyesight 
गिलोय नेत्र विकारों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
 यह आंखों की रोशनी बढ़ा देता है और चश्मे के बिना बेहतर देखने में मदद करता है।
भारत के कुछ भागों में लोग गिलोय को आंखों पर उपयोग करते हैं।
आप गिलोय को पानी में उबालें, उसको ठंडा करें और फिर आँखों की पलकों पर लगाएं।
आपको निश्चित रूप से एक परिवर्तन दिखाई देगा।

गुडूची रस बेनिफिट्स युवा त्वचा के लिए - Benefits of Guduchi for Skin 
गिलोय उम्र बढ़ने के लक्षणों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। 
इसमें उम्र विरोधी गुण हैं जो कि काले धब्बे, मुँहासे, बारीक लाइनों और झुर्रियों को कम करते हैं।
 यह आपकी त्वचा को उज्ज्वल, युवा और सुंदर रखता है। 
चहरे के दाने, झाइयाँ, मुँहासे, काले धब्बों पर गिलोय के रस को लगाने से सब त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं।



गिलोय के अन्य फायदे - Others benefits of Giloy 
उपर्युक्त रोगों के साथ-साथ  गिलोय और भी कई प्रकार के रोगो में उपयोग किया जाता है - 

गिलोय त्वचा और लीवर से संबंधित रोगों के इलाज के लिए, चीनी के साथ प्रयोग किया जाता है।
गिलोय कब्ज के इलाज के लिए, गुड़ के साथ प्रयोग किया जाता है।

गिलोय के पत्तो को पीसकर एक गिलास छाछ के साथ मिलाकर सुबह सुबह सेवन करने से पीलिया ठीक हो जाता है। इसके अलावा गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से भी पीलिया ठीक होता है।
गिलोय के तने को उबाल कर बनाए गए काढ़े को ठंडा करके पीने से उल्टी से राहत मिलती है।

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मलेरिया के लक्षण - Malaria Symptoms 
मलेरिया के लक्षण संक्रमित मच्छरों के काटने के सात दिनों बाद से विकसित हो सकते हैं।

आमतौर पर आपको किस परजीवी ने काटा है, उसके आधार पर संक्रमण होने से लक्षण शुरू होने के बीच का समय 7 से 18 दिन होता है। 
हालांकि, कुछ मामलों में लक्षण को विकसित होने में एक साल भी लग सकता है।

मलेरिया के प्रारंभिक लक्षण फ्लू की तरह हैं और इसमें शामिल हैं:

शरीर का उच्च तापमान (बुखार) ठण्ड लगना
पसीना आना
उल्टी होना
ये लक्षण अक्सर हल्के होते हैं और कभी-कभी इन्हें मलेरिया के रूप में पहचानना मुश्किल हो सकता है।

कुछ प्रकार के मलेरिया में बुखार 48 घंटे के चक्र (cycles) में होता है। 
इन चक्रों के दौरान आपको कपकपी के साथ पहले ठंड लगती है। 
फिर पसीना और थकान के साथ आपको बुखार आता है। ये लक्षण आम तौर पर 6 से 12 घंटे के बीच रहते हैं।

मलेरिया के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

मांसपेशियों में दर्द होना
दस्त
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आम तौर पर अस्वस्थ महसूस करना
सबसे गंभीर प्रकार के मलेरिया का कारण प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम                        (दरान्तीके आकार का )परजीवी है।
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अगर इसका शीघ्र उपचार ना हो, तो इससे आपके जीवन पर गंभीर परिणाम पड़ सकते हैं जैसे कि साँस लेने की समस्या और अंगों का काम नहीं करना (organ failure)। 
इसके कारण एनीमिया, सेरेब्रल मलेरिया (मस्तिष्क क्षति), बहुत कम रक्त शर्करा भी हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप कोमा हो सकता है या मृत्यु हो सकती है।
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उच्च जोखिम वाले मलेरिया क्षेत्र में रहने या यात्रा करने के दौरान यदि आपको तेज बुखार का अनुभव होता है तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें। 

मलेरिया होने पर परजीवी एक वर्ष तक आपके शरीर में निष्क्रिय रह सकते हैं। यदि आपको मलेरिया के गंभीर लक्षण हैं तो आपातकालीन चिकित्सा के लिए तुरंत जाएँ।
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मलेरिया के कारण - Malaria Causes-
मलेरिया एक प्रकार के परजीवी (parasite) के कारण होता है जिसे प्लाज्मोडियम कहा जाता है। प्लाज्मोडियम परजीवी कई अलग-अलग प्रकार के होते हैं।
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 लेकिन पांच ऐसे प्लाज्मोडियम परजीवी हैं जिनके कारण हमारे शरीर में मलेरिया फैलता है।
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मलेरिया परजीवी के प्रकार - Types of malarial parasites 

(१-) प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) - यह मुख्य रूप से अफ्रीका में पाया जाता है।
यह सबसे आम प्रकार का मलेरिया परजीवी है और दुनिया भर में अधिकांशत मलेरिया रोगी की मौत प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी के कारण ही होती हैं।
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( २-)प्लाज्मोडियम वायवैक्स (Plasmodium vivax) - यह मुख्य रूप से एशिया और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है। 
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यह परजीवी प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम की तुलना में मलेरिया के हल्के लक्षणों का कारण बनता है;

लेकिन यह तीन साल तक लिवर में रह सकता है और इसके परिणामस्वरूप फिर से यह रोग हो सकता है।
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(३-)प्लाज्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) - यह परजीवी काफी असामान्य है और आमतौर पर (पश्चिम अफ्रीका )में पाया जाता है। 

यह मलेरिया लक्षणों के उत्पादन के बिना कई वर्षों तक आपके लिवर में रह सकता है।
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(४-)प्लाज्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malariae) - यह परजीवी काफी दुर्लभ है और आमतौर पर केवल अफ्रीका में पाया जाता है।
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(५-)प्लास्मोडियम नाउलेसी (Plasmodium knowlesi) - यह परजीवी बहुत दुर्लभ है और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
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प्लाज्मोडियम परजीवी मुख्य रूप से मादा एनोफिल्स मच्छरों के काटने के कारण फैलता है, जो मुख्यतः शाम और रात को काटते हैं।
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मलेरिया कैसे फैलता है? - How does malaria spread ?
यदि आप मलेरिया से संक्रमित हैं और आपको एनोफेलीज मच्छर (Anopheles mosquito) काटता है तो उस मच्छर में मलेरिया के परजीवी रक्त में चले जाते हैं।

यदि वह मच्छर मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को काटने के बाद तुरंत किसी दूसरे को काटता है तो वह मलेरिया परजीवी का संचरण उसके शरीर में भी हो जाता है।

जब मलेरिया परजीवी उसके लिवर में प्रवेश कर जाता है तो वह कुछ साल अथवा एक साल तक उसके लिवर में रह सकता है।

जब परजीवी परिपक्व (mature) होते हैं तो वे लिवर को छोड़ देते हैं और उसकी लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। 
यह तब होता है जब आमतौर पर लोगों में मलेरिया के लक्षण विकसित होते हैं।





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फिर कोई मच्छर जब इस संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो वह मच्छर मलेरिया के परजीवी से संक्रमित हो जाता है और यह रोग इस मच्छर के किसी दूसरे व्यक्ति को काटने पर फैल सकता है।

क्योंकि मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं, इसलिए लोग इन्फेक्टेड रक्त के संपर्क में आकर मलेरिया से पीड़ित हो सकते हैं। जैसे -

माता से अजन्मे बच्चे को मलेरिया हो सकता है।
संक्रमित रक्त चढाने से मलेरिया हो सकता है।
संक्रमित व्यक्ति को दिए गए इंजेक्शन से दूसरे व्यक्ति को इंजेक्ट करने से मलेरिया हो सकता है।



रक्त की कणिकाएं Blood Corpuscles

रक्त की कणिकाएं 3 प्रकार की होती हैं- लाल रक्त कणिकाएं (RBC), श्वेत रक्त कणिकाएं (WBC) एवं रक्त विम्बाणु या प्लेटलेट्स।

लाल रक्त कणिकाएं Red blood cells or Red Blood Corpuscles (RBCs), Erythrocytes

लाल रक्त कोशिकाएं हमारे स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं तथा शरीर में ताजा ऑक्सीजन के जाती हैं। ऑक्सीजन रक्त को चमकदार लाल रंग देता है।

ये छोटी, गोल, चपटी टिकिया के आकार की होती हैं। इनकी संख्या एक मिमी. में लगभग 45 लाख होती है\ इसमें अर्ध तरल जीव द्रव्य होता है। इसमें एक श्वसन वर्णक पाया जाता है जो एक लौह यौगिक होता है। इसे हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) कहते हैं। यह एक प्रोटीन होता है जो ऑक्सीजन को शोषित करने का कार्य करता है। लाल रक्त कोशिकाएं कार्बन डाइऑक्साइड को फेफड़ों तक पहुंचा कर उसे शरीर से निकालने का भी काम करती हैं।

लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण अस्थि मज्जा (bone marrow) में होता है। इनका जीवनकल 120 दिनों का होता है, इसके बाद वे नष्ट हो जाती हैं। आयरन युक्त भोजन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होते हैं, विटामिन भी स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।  विटामिन ई, विटामिन बी 2, बी 12, और बी 3 इन कोशिकाओं के निर्माण में सहायक हैं।

आहार में लोहे या विटामिन की कमी से कई लाल रक्त कोशिकाओं से सम्बंधित कई बिमारिय हो सकती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं से सम्बंधित कई बीमारियाँ आनुवांशिक हो सकती हैं।


लाल रक्त कोशिकाओं से सम्बंधित प्रमुख रोग एनीमिया है, जिसमे लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन सामान्य रूप से नहीं हो पाता है, जिससे शरीर को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती है। एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य आकार की हो जाती हैं। एनीमिया के प्रमुख लक्षणों में, थकान, अनियमित दिल की धड़कन, पीली त्वचा, ठंड लगना गंभीर मामलों में दिल की विफलता, आदि शामिल हैं। लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से पीड़ित बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में धीरे धीरे विकास होता है। ये लक्षण ये प्रदर्शित करते हैं, कि लाल रक्त कोशिकाएं हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण हैं। कुछ सामान्य प्रकार के एनीमिया इस प्रकार होते हैं-

लोहे की कमी से होने वाला एनीमिया Iron-deficiency anemia

लोहे की कमी से हमारे शरीर में पर्याप्त मात्र में हीमोग्लोबिन का निर्माण नहीं हो पता है,, यह एनीमिया का सबसे आम रूप है। लोहे की कमी होने के कारणों में, कम लोहे युक्त भोजन, रक्त की एक अचानक हानि (जैसे कि माहवारी से) या दुर्घटना आदि से या भोजन से पर्याप्त लोहे को अवशोषित करने में असमर्थता हैं।

दात्र कोशिका अरक्‍तता Sickle cell anemia

यह एक आनुवंशिक रोग है। इसमें लाल रक्त कोशिकाएं अपने सामान्य वृत्ताकार आकर की बजाय अर्ध चंद्राकर आकार की हो जाती हैं। जिसके कारण यह चिपचिपी हो जाती हैं, और सामान्य रूप से रक्त वाहिकाओं में प्रवाह करने में असमथ हो जाती हैं। जिसके कारन रोगी को तीव्र दर्द और संक्रमण भी हो सकता है। यह पैदा होने की तुलना में तेजी से नष्ट होती है। यह कोशिकाएं सिर्फ 10-20 दिनों में ही नष्ट हो जाती है।

नोर्मोसाइट एनीमिया Normocytic anemia

इस प्रकार का एनीमिया तब होता है जब हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं तो सामान्य आकार की ही होती हैं, परन्तु इनकी मात्रा हमारे शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होती हैं। इस प्रकार का एनीमिया लम्बी अवधि के रोगों जैसे कि गुर्दे की बीमारी, कैंसर या रूमेटाइड संधिशोथ (rheumatoid arthritis) आदि के पश्चात् हो सकता है।

हीमोलिटिक अरक्तता Hemolytic anemia

इस प्रकार का एनीमिया तब होता है जब हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं किसी असामान्य प्रक्रिया द्वारा नष्ट होने लगती हैं और शरीर में पर्याप्त मात्र में लाल रक्त कणिकाएं उपलब्ध नहीं होती हैं। और अस्थि मज्जा में मांग के अनुसार लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी नहीं हो पाता है।

फैनकोनी एनीमिया Fanconi anemia

यह एक दुर्लभ आनुवंशिक रोग है, जिसमे अस्थि मज्जा लाल रक्त कोशिकाओं सहित रक्त के घटकों को पर्याप्त मात्र में बना पाने में सक्षम नहीं हो पाता है। इस बीमारी के साथ पैदा हुए बच्चों में गंभीर रक्त सम्बन्धी बीमारियाँ पाई जाती हैं और उनमे श्‍वेताणु रक्‍तता या ल्यूकेमिया (leukemia) का भी विकास हो सकता है।

श्वेत रक्त कणिकाएं White blood cells (WBCs), Leukocytes or Leucocytes

श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारी रक्त प्रणाली के एक महत्वपूर्ण घटक हैं। यद्यपि यह हमारे शरीर की केवल 1% होती हैं परन्तु हमारे स्वास्थ्य पर इनका प्रभाव महत्वपूर्ण है। ल्यूकोसाइट्स या सफेद रक्त कोशिकायें, बीमारी और बीमारी के खिलाफ अच्छे स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। ये रंगहीन, आकारहीन अमीबा के आकार की तरह पिलपिली होती हैं। 500 RBCs के बीच में एक WBC होती है। श्वेत रक्त कोशिकाएं का अस्थि मज्जा के अंदर ही उत्पादन होता है, और ये रक्त और लसीका ऊतकों (lymphatic tissues) में जमा रहती है। श्वेत रक्त कोशिकाओं का जीवन छोटा है, इसलिए इनका उत्पादन लगातार होता रहता है। ये दो प्रकार की होती हैं-

कणिकामय श्वेत रक्त कणिकाएं Granulocytes

ये तीन प्रकार की होती हैं-

1- बेसोफिल्स Basophils- यह लगभग 5% होती हैं। ये संक्रमण के समय अलार्म का कम करती हैं। ये हिस्टामिन (histamine) नाम के एक रसायन का स्रावण करती हैं, जो एलर्जी रोगों का सूचक होता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है।

2- इओसिनोफिल्स Eosinophils  3% होती हैं। ये परजीवियों को मारने, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और एलर्जी प्रतिक्रियाओं के खिलाफ सहायता प्रदान करती हैं।

3- न्यूट्रोफिल्स Neutrophils लगभग 67% होती हैं। ये बैक्टीरिया और कवक आदि को मारकर पचाने का कम करती हैं। शरीर में इनकी संख्या सबसे ज्यादा होती है। संक्रमण हमलों की स्थिति में ये रक्षा की पहली पंक्ति में होती हैं।

कणिकारहित श्वेत रक्त कणिकाएं Agranulocytes

ये भी 3 प्रकार की होती हैं

1- लिम्फोसाइट lymphocytes- ये लगभग 25% होती हैं। वे बैक्टीरिया, वायरस और अन्य संभावित हानिकारक संक्रमणों के खिलाफ की रक्षा के लिए एंटीबॉडी पैदा करती हैं।

2- मोनोसाइट्स Monocytes- ये लगभग 1.5% तक होती हैं। ये मुख्यतः जीवाणुओं को नष्ट करती हैं।

3- मेक्रोफेजेस Macrophages लगभग 3% तक होती हैं।

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रक्त विम्बाणु या प्लेटलेट्स Platelets or Thrombocytes

प्लेटलेट्स आकर में प्लेट की तरह, छोटी रक्त कोशिकाए होती है, जो रक्तस्राव (bleeding) को रोकने के लिए रक्त का थक्का ज़माने में मदद करती हैं। साथ ही वे कुछ रसायनों का भी स्राव करती हैं जो अन्य प्लेटलेट्स को रक्तस्राव की जगह पर पहुँचाने के लिए संकेत देते हैं।

प्लेटलेट्स का निर्माण भी श्वेत और लाल रक्त कणिकाओं के साथ ही अस्थि मज्जा में होता है। इनका जीवन काल लगभग 10 दिनों का होता है। इनमे केन्द्रक नहीं पाया जाता है। एक घन मिमी. में इनकी संख्या 25 लाख होती है।

प्लेटलेट की संख्या अधिक और कम होने पर क्या होता है?

असामान्य प्लेटलेट किस संख्या से निम्न चिकित्सीय प्रभाव हो सकते हैं-

1- थ्रोम्बोसाइटोपेनिया Thrombocytopenia इस स्थिति में अस्थि मज्जा में बहुत कम प्लेटलेट का निर्माण होता है, या किसी कारणवश ये नष्ट हो जाती हैं। इस कारन रक्तस्राव या आन्तरिक रक्तस्राव होता रहता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कई दवाओं, कैंसर, गुर्दे की बीमारी, गर्भावस्था, संक्रमण, और एक असामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली  (abnormal immune system) आदि कई कारणों से हो सकता है।

2- थ्रोम्बोसाइटोथीमिया Thrombocythemia इस स्थिति में अस्थि मज्जा प्लेटलेट्स का ज्यादा निर्माण करने लगती है (1 माइक्रोलीटर में 10 लाख से ज्यादा)। जिसके कारन मस्तिष्क या दिल की रक्त की आपूर्ति में अवरोध उत्पन्न हो सकता है। थ्रोम्बोसाइटोथीमिया के कारन अभी अज्ञात हैं।

3- थ्रोम्बोसाइटोसिस Thrombocytosis यह स्थिति भी अधिक प्लेटलेट निर्माण के कारन ही उत्पन्न होती है, लेकिन इसका कारण असामान्य अस्थि मज्जा (abnormal bone marrow) द्वारा अधिक मात्रा में प्लेटलेट का निर्माण नहीं होता है। शरीर में बीमारी या अन्य किसी परिस्थितियों के कारण अस्थि मज्जा अधिक प्लेटलेट्स बनाने लगता है। थ्रोम्बोसाइटोसिस से पीड़ित एक तिहाई व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होते हैं। अन्य कारणों में संक्रमण, सूजन, और दवाओं से होने वाली प्रतिक्रियायें शामिल हैं।

रुधिर बैंक Blood Bank

आजकल बड़े चिकित्सालयों में रुधिर बैंक खोले गए हैं। यहाँ दाताओं का रुधिर लिया जाता है और इसके वर्ग का निर्धारण करके इसे उपयुक्त आधुनिक उपकरणों एवं विधियों द्वारा सुरक्षित रखा जाता है। आवश्यकतानुसार इसे रोगियों को चढ़ाया जाता है। बैंकों में रुधिर को सुरक्षित रूप से केवल 30 दिनों तक रखा जा सकता है। केवल प्लाज्मा को भी बैंकों में रुधिर-आधान (Blood Transfusion) के लिए रखा जाता है। इसे अधिक दोनों तक भी रख सकते हैं, क्योंकि इसमें रुधिर का झंझट नहीं होता है, क्योंकि प्लाज्मा में कोई प्रतिजन (Antigen) नहीं होता है, इसलिए रोगी के रुधिर में प्लाज्मा को चढ़ाने से कोई प्रतिमान नहीं पहुँचता है। प्लाज्मा को सुखाकर पाउडर के रूप में भी रख सकते हैं। आधान के समय बस इसमें पानी मिलाकर इसका प्रयोग किया जा सकता है। युद्ध के समय घायल सैनिकों के लिए यह विधि वरदान स्वरूप सिद्ध हुई है। गत महायुद्ध में ही साधारण शर्करा (sugar) से बनाये गए डेक्सट्रान (Dextran) नामक पदार्थ से कृत्रिम प्लाज्मा बनाकर बड़े पैमाने पर इसका उपयोग किया गया। बाद में आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा रुधिर के स्थान पर पॉलीवाइनिल पाइरोलिडॉन (Polyvinylpyrrolidone) का सफल उपयोग किया। हाल में ही चीनी वैज्ञानिकों ने तरल परफ्लूक्रो कार्बन से ऐसा पदार्थ तैयार किया है जो रक्त के स्थान पर कार्य कर सकता है। इन वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि इस पदार्थ में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड के संवहन की क्षमता होती है।

रीसस करक Rhesus (Rh) factor

लैण्डस्टीनर एवं वीनर (Karl Landsteiner and Alexander S. Wiener) ने 1940 में रीसस बन्दर के लाल रुधिराणुओं की कला में एक अन्य प्रतिजन की उपस्थिति का पता लगाया। इसे रीसस तत्व या प्रतिजन का नाम दिया गया। अनेक मनुष्यों के रुधिर की भी, लाल रुधिराणुओं के अभिलेषण (Agglutination) के आधार पर जाँच की गयी, तो पता चला कि रीसस बंदरों के अतिरिक्त मनुष्यों में रीसस कारक कुछ व्यक्तियों में पाया जाता है। भारतियों में यह 97% व्यक्तियों में यह कारक पाया जाता है। जिन व्यक्तियों में रीसस करक पाया जता है उन्हें रीसस सकारी (Rh-Positive) तथा जिनमे यह कारक नहीं होता है उन्हें रीसस नकारी (Rh-Negative) कहते हैं।

रुधिर आधान में रीसस करक का महत्व Significance of Rh-Factor in Blood Transfusion

सामान्य रूप में मनुष्य में रीसस-प्रतिरक्षी (Rh-antibodies) नहीं होता, लेकिन रुधिर आधान में किसी रीसस-नकारी (Rh-Negative) को किसी रीसस-सकारी (Rh-Positive) का रुधिर चढ़ा दिया जाता है, तो प्रापक (Recipient) के रुधिर प्लाज्मा में धीरे-धीरे रीसस प्रतिरक्षी (Rh-Antibodies) बन जाते हैं। इन प्रतिरक्षियों (Antibodies) की मात्रा कम होने के कारण (donor) के लाल रुधिराणु जो रोगी के शरीर में पहुँच गए, चिपकने (clumping) लगेंगे और प्रापक की मृत्यु हो जायेगी, इसलिए अब रुधिर आधान (Blood Transfusion) में अन्य प्रतिजनों की भांति रीसस कारक का भी पहले पता लगा लेते हैं। रीसस कारक का लक्षण भी आनुवंशिक होता है।



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मलेरिया से बचाव - Prevention of Malaria 
मच्छरों को पनपने से रोकें।
जितना संभव हो उतना ही घर के अंदर रहे, विशेष रूप से रात के समय जब मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं।
मच्छरदानी का उपयोग करें। 
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कीट रिपेलेंट परमेथ्रिन के साथ मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
ऐसे कपडे पहनें जो आपके शरीर के अधिकांश भाग को ढक सके।
डीट या पिकारिदिन (DEET या picaridin) युक्त कीट से बचने वाली क्रीम का प्रयोग करें। ये त्वचा पर सीधे लगाईं जाती है (आपके मुंह और आंखों को छोड़कर)। यदि आप पिकारिडिन-आधारित रिपेलेंट चुनते हैं, तो आपको उसे हर कुछ घंटों में पुन: लगाने की आवश्यकता होगी।
कपड़ों पर परमेथ्रिन लगाएं।

वर्तमान में मलेरिया से सुरक्षा प्रदान कराने वाली कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, 
इसलिए आपको रोग होने की संभावना को कम करने के लिए मलेरिया विरोधी दवा (antimalarial medication) लेनी चाहिए।
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मलेरिया का परीक्षण - Diagnosis of Malaria 
मलेरिया का निदान कैसे करें?

रक्त के सैंपल से ब्लड स्मीयर (blood smear) अथवा रक्त चिन्ह धब्बा तैयार किया जाता है।


यदि पहले ब्लड स्मीयर में मलेरिया परजीवी की उपस्थिति नहीं दिखती है, लेकिन आपके डॉक्टर को  संदेह है, तो आपको अगले 36 घंटों तक हर 8 से 12 घंटे में दोबारा परीक्षण कराना चाहिए।

इलाज के दौरान, रक्त में मलेरिया परजीवी की संख्या कम हो रही है या नहीं डॉक्टर इसकी जांच करते हैं।

मलेरिया के निदान के लिए विकसित अन्य परीक्षणों में आनुवंशिक परीक्षण या अन्य रक्त परीक्षण शामिल हैं। जो विशेष तरह के दाग (smear) अथवा (stains) का उपयोग करके परजीवी की मौजूदगी दर्शाते हैं।

मलेरिया का इलाज - Malaria Treatment 
मलेरिया का उपचार कैसे करें?

मलेरिया के इलाज में ऐंटिमलेरियल ड्रग्स और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए दवाएं, बुखार को नियंत्रित करने के लिए दवाएं, ऐंटिसीज़र दवाएं (आवश्यकतानुसार), तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स शामिल होते हैं।
 मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का प्रकार रोग की गंभीरता और (क्लोरोक्वाइन (chloroquine) प्रतिरोध की संभावना पर निर्भर करता है। 
मलेरिया के इलाज के लिए उपलब्ध दवाओं में (क्विनीन,(मेफ्लोक्विन,) (डॉक्सीसाइक्लिन) 
और आर्टीमिसीनिन से बनी दवा (अल्फा-बीटा-आर्टीथर )शामिल हैं। 
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फाल्सीपेरम मलेरिया से ग्रस्त लोगों के लक्षण सबसे गंभीर होते हैं। इससे ग्रस्त लोगों को इलाज के शुरुआती दिनों में (ICU) -(Intensive Care Unit) "गहन सुरक्षा इकाई " में भर्ती होना पड़ सकता है।

और उन्हें निगरानी की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि इस बीमारी से श्वास की विफलता , कॉमा और किडनी की विफलता हो सकती है।
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गर्भवती महिलाओं में, क्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के लिए उपर्युक्त इलाज माना जाता है। 
जो गर्भवती महिलाएं क्लोरोक्विन के प्रति प्रतिरोधी होती हैं। उनके लिए क्विनीन और (क्लिंडामाइसीन) का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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मलेरिया के जोखिम और जटिलताएं - Malaria Risks & Complications
मलेरिया के जोखिम कारक क्या हैं ?

मलेरिया के विकास के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक उन उष्णकटिबंधीय इलाकों (tropical areas) में रहने या उन जगहों पर जाना है जहां यह रोग आम है। मलेरिया परजीवी के कई अलग-अलग उपप्रकार मौजूद हैं। जो विविधता सबसे अधिक घातक जटिलताओं का कारण बनता है वह निम्नलिखित जगह सबसे अधिक पाया जाता है -

सहारा रेगिस्तान के दक्षिण अफ्रीकी देशों में
भारतीय उपमहाद्वीप में
सोलोमन द्वीप, पापुआ न्यू गिनी और हैती में
गंभीर बीमारी के खतरे में निम्नलिखित लोग शामिल हैं -

युवा बच्चे और शिशु यात्रियों का उन जगहों से आना जहाँ मलेरिया न हो गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चे गरीबी, ज्ञान की कमी, और स्वास्थ्य देखभाल में कमी के कारण भी मलेरिया हो सकता है। 
 
मलेरिया क्षेत्र के निवासियों को यह रोग इतनी बार होता है कि उन्हें आंशिक प्रतिरक्षा प्राप्त हो जाती हैं।
जिससे मलेरिया के लक्षणों की गंभीरता कम हो जाती हैं।
 हालांकि, यह आंशिक प्रतिरक्षा तब गायब हो सकती है। जब आप किसी ऐसे देश में जाते हैं। जहां आप अक्सर परजीवी से अवगत नहीं होते हैं।

मलेरिया की जटिलताएं क्या हो सकती हैं?

ज्यादातर मामलों में, मलेरिया की मृत्यु इनमें से एक या अधिक गंभीर जटिलताओं से संबंधित होती है -
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सेरेब्रल मलेरिया - जब परजीवी से भरी हुई रक्त कोशिकाएं आपके मस्तिष्क में मौजूद छोटी रक्त वाहिकाओं (सेरेब्रल वैन्स) को ब्लॉक करती हैं, तब आपके मस्तिष्क में सूजन या मस्तिष्क की क्षति हो सकती है। 
सेरेब्रल मलेरिया कोमा का कारण हो सकता है। 
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सांस लेने में परेशानी - आपके फेफड़ों (पल्मोनरी एडिमा) में संचित द्रव के कारण सांस लेना मुश्किल हो सकता है।

अंग विफलता - मलेरिया आपके गुर्दे या जिगर को असफल कर सकता है। 
या आपका स्प्लीन Spleen ( तिल्ली/
प्लीहा खराब कर सकता है। इनमें से कोई भी स्थिति जान लेवा हो सकती है।

गंभीर एनीमिया - मलेरिया लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर एनीमिया हो सकता है।

निम्न रक्त शर्करा - मलेरिया के गंभीर रूप से रक्त शर्करा कम हो सकता है,
 जैसे क्विनिन - मलेरिया को खत्म करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सबसे आम दवाओं में से एक है।
बहुत कम रक्त शर्करा के कारण कोमा या मृत्यु हो सकती है।
मलेरिया फिर से हो सकता है - मलेरिया परजीवी की कुछ किस्म, जो आम तौर पर रोगों के हल्के रूपों का कारण बनती हैं, वह कई वर्षों तक जारी रहती है और पतन का कारण बन सकती है।
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संदर्भ सूची-

Vicki Symington. Malaria – A Global Challenge. The Society for General Microbiology [Internet]
Alessandro Bartoloni, Lorenzo Zammarchi. Clinical Aspects of Uncomplicated and Severe Malaria. Mediterr J Hematol Infect Dis. 2012; 4(1): e2012026. PMID: 22708041
Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Malaria
World Health Organization [Internet]. Geneva (SUI): World Health Organization; Malaria .
Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Malaria Diagnosis (United States)
Alessandro Bartoloni, Lorenzo Zammarchi. Clinical Aspects of Uncomplicated and Severe Malaria. Mediterr J Hematol Infect Dis. 2012; 4(1): e2012026. PMID: 22708041
 

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डॉक्सीसाइक्लिन

डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) का उपयोग किसके लिए किया जाता है?
डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) का उपयोग अलग-अलग तरह बैक्टीरिया के संक्रमण को खत्म करने के लिए किया जाता है जो मुंहासे की समस्या के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके अलाव मलेरिया को रोकने के लिए भी डॉक्सीसाइक्लिन का उपयोग किया जा सकता है। डॉक्सीसाइक्लिन को टेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक के रूप में जाना जाता है। यह बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकने और उसे खत्म करने का काम करता है।


डॉक्सीसाइक्लिन केवल जीवाणु संक्रमण का ही इलाज करता है। यह वायरल संक्रमण (जैसे, सर्दी या फ्लू) का इलाज नहीं करता है। किसी भी एंटीबायोटिक के अत्यधिक उपयोग से इसके प्रभाव में कमी आ सकती है।

अन्य उपयोग: यहां इस दवा के बारे में बताए गए उपयोग एक्सपर्ट द्वारा लेबलिंग नहीं किए गए हैं, लेकिन इसका उपयोग करने के लिए आप अपने एक्सपर्ट से बात कर सकत हैं।

इस दवा का उपयोग रोजेसिया (मुंहासों के कारण चेहरे पर होने वाली परेशानी) के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।

और पढ़ें : Telma 40 : टेल्मा 40 क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

मुझे डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) को हमेशा खाली पेट खाना चाहिए। इसे खाने के 1 से 2 घंटे बाद ही कुछ खाना चाहिए। आमतौर पर दिन में 1 से 2 बार इसके सेवन कर सकते हैं या फिर अपने डॉक्टर के बताएं अनुसार भी इसे खा सकते हैं। एक गिलास पानी (240 मिली) के साथ डॉक्सीसाइक्लिन को खा सकते हैं। अगर पेट में कोई खराबी है तो इसे दूध या खाने के साथ भी खा सकते हैं। हालांकि, दूध या खाने के साथ इसका सेवन करने से इसका असर कम हो सकता है। इसलिए इसका इस्तेमाल अपने डॉक्टर से पूछ कर ही करें। साथ ही डॉक्सीसाइक्लिन खाने के बाद 10 मिनट तक लेटें नहीं।

एल्यूमीनियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम या जिंक जैसे किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से 2 या 3 घंटे पहले डॉक्सीसाइक्लिन को सेवन कर सकते हैं। एंटासिड, विटामिन खनिज, डेयरी उत्पाद (जैसे दूध, दही) या कैल्शियम जैसे उत्पाद डॉक्सीसाइक्लिन के साथ काम नहीं करते हैं।

अगर मलेरिया के उपचार में डॉक्सीसाइक्लिन का उपयोग कर रहें को एक दिन में इसका एक ही बार सेवन करें। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।

अगर आप डॉक्सीसाइक्लिन का इस्तेमाल लिक्विड के तौर पर कर रहें हैं तो इसे पीने से पहले अच्छी तरह से मिला लें। बताए गए नियमों के अनुसार ही दवा की मात्रा लें। दवा की मात्रा कितनी लेनी है इसके लिए मापने वाले चम्मच का ही इस्तेमाल करें।

इसके खुराक का सेवन आपके स्वास्थ्य के अनुसार तय किया जाता है। बच्चों के लिए इसका इस्तेमाल उनके वजन के अनुसार ही किया जाना चाहिए।

इसके सेवन का बेहतर नतीजा तभी मिलेगा जब आप तय समयानुसार नियमित इसका सेवन करेंगे।

आपके डॉक्टर ने इसकी जिसकी मात्रा आपको दी है आपको तब तक उसका सेवन करना है जब तक यह पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता है। इस दौरान अगर बैक्टीरिया खत्म हो गए हैं तब भी इसका सेवन करते रहें। क्योंकि, अगर बीच में ही आपके इसके सेवन को रोक देते हैं तो वापस से आपको संक्रमण हो सकता है।

डॉक्सीसाइक्लिन दवा का प्रयोग-

इस पृष्ठ पर

  1. डॉक्सीसाइक्लिन के बारे में
  2. मुख्य तथ्य
  3. कौन doxycycline नहीं ले सकता है
  4. इसे कैसे और कब लेना है
  5. दुष्प्रभाव
  6. साइड इफेक्ट्स का सामना कैसे करें
  7. गर्भावस्था और स्तनपान
  8. अन्य दवाओं के साथ सावधानी
  9. सामान्य प्रश्न

1. डॉक्सीसाइक्लिन के बारे में

डॉक्सीसाइक्लिन एक एंटीबायोटिक है .

जबकि कोरोना एक वायरस ( विषाणु) है जो सजीव और निर्जीव के मध्य की इकाई है । जबकि जीवाणु एक कोशिकीय हैं ।

फिर भी यह रोग की धारा बदलने मे सहायक है ।

 

डॉक्सीसाइक्लिन इसका उपयोग:- 

 छाती में संक्रमण , त्वचा में संक्रमण, रोज़ा , दंत संक्रमण और यौन संचारित संक्रमण  STI (एसटीआई) जैसे संक्रमणों के साथ-साथ कई अन्य दुर्लभ संक्रमणों के इलाज के लिए किया जाता है।

यदि आप विदेश यात्रा कर रहे हैं तो इसका उपयोग मलेरिया को रोकने के लिए भी किया जा सकता है ।

डॉक्सीसाइक्लिन नुस्खे पर उपलब्ध है। 

यह कैप्सूल के रूप में आता है।

2. प्रमुख तथ्य

  • अधिकांश संक्रमणों के लिए, आप कुछ दिनों में बेहतर महसूस करने लगेंगे, लेकिन दवा का कोर्स खत्म करना महत्वपूर्ण है।

  • डॉक्सीसाइक्लिन का सबसे आम दुष्प्रभाव सिरदर्द, महसूस करना या बीमार होना है। 

  • यह आपकी त्वचा को धूप के प्रति संवेदनशील भी बना सकता है।

  • डॉक्सीसाइक्लिन बढ़ते दांतों को प्रभावित कर सकता है, इसलिए यह 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए निर्धारित नहीं है या गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दिया जाता है।
  • डॉक्सीसाइक्लिन लेते समय शराब न पिएं। कुछ सामान्य दवाएं भी हैं जिनके साथ आपको मिश्रण नहीं करना चाहिए।
  • डॉक्सीसाइक्लिन को ब्रांड नाम वाइब्रैमाइसिन-डी भी कहा जा सकता है।

3. कौन doxycycline नहीं ले सकता है ?


Doxycycline को 12 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्क और बच्चे ले सकते हैं। आमतौर पर गर्भावस्था में या स्तनपान करते समय डॉक्सीसाइक्लिन की सिफारिश नहीं की जाती है।

यह कुछ लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है। 

यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह दवा आपके लिए सुरक्षित है, यदि आपके पास है तो अपने डॉक्टर को बताएं :

  • अतीत में कभी भी डॉक्सीसाइक्लिन या किसी अन्य दवा से एलर्जी की प्रतिक्रिया हुई थी
  • गुर्दे से संबंधित समस्याएं
  • जिगर की समस्याएं
  • एक सूजन भोजन पाइप (ओस्पोफैगिटिस)
  • ल्यूपस , एक ऑटोइम्यून बीमारी
  • मायस्थेनिया ग्रेविस , एक बीमारी जो गंभीर मांसपेशियों को बर्बाद करने का कारण बनती है

4. कैसे और कब लेना है ?

डॉक्सीसाइक्लिन की आपकी खुराक इस बात पर निर्भर करती है कि आप इसे क्यों ले रहे हैं।

एक दिन में एक या दो बार सामान्य खुराक 100mg से 200mg है। यदि आप दिन में एक से अधिक बार doxycycline ले रहे हैं, तो दिन भर में समान रूप से अपनी खुराक देने की कोशिश करें। यदि आप इसे दिन में दो बार लेते हैं, तो यह सुबह और शाम को पहली चीज हो सकती है।

डॉक्सीसाइक्लिन

क्षेत्र छोड़ने के बाद 4 सप्ताह तक जारी रखें। अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से जांच लें कि आप जिस देश में यात्रा कर रहे हैं, वहां मलेरिया को रोकने के लिए डॉक्सीसाइक्लिन सबसे अच्छी दवा है।

महत्वपूर्ण

जब तक आप बेहतर महसूस न करें, तब तक आप डॉक्सीसाइक्लिन लेने की कोशिश करें। यदि आप अपने उपचार को जल्दी बंद कर देते हैं, तो संक्रमण वापस आ सकता है - या अब आपको मलेरिया से बचाया नहीं जा सकता है।

इसे कैसे लेना है

हमेशा अपने डॉक्सीसाइक्लिन कैप्सूल को पूरा निगल लें और इसे पूरे ग्लास पानी (एक मध्यम आकार के ग्लास - 200 मि.ली.) के साथ लें।

आप यह दवाई खाली पेट या खा कर कैसे भी ले सकते है। हालाँकि यदि आप इसे भोजन के साथ खाते हैं तो आपको बीमार होने की संभावना कम है।

जब आप एक ईमानदार स्थिति में हों तो doxycycline लेना महत्वपूर्ण है। आप बैठे, खड़े या चलते हुए हो सकते हैं। यह आपके भोजन नली या पेट को परेशान करने वाली दवा को बंद कर देगा।

क्या होगा अगर मैं इसे लेना भूल जाऊं?

यदि आप एक खुराक लेना भूल जाते हैं, तो जितनी जल्दी हो सके याद रखें, जब तक कि यह आपकी अगली खुराक के लिए लगभग समय न हो। इस मामले में, बस छूटी हुई खुराक को छोड़ दें और अपनी अगली खुराक को सामान्य मान लें।

एक ही समय में दो खुराक कभी नहीं ले। कभी भी भूल जाने के लिए अतिरिक्त खुराक न लें।

यदि आप अक्सर खुराक भूल जाते हैं, तो यह आपको याद दिलाने के लिए अलार्म सेट करने में मदद कर सकता है। आप अपनी दवाओं को याद रखने के अन्य तरीकों के बारे में सलाह के लिए अपने फार्मासिस्ट से भी पूछ सकते हैं।

अगर मैं बहुत ज्यादा ले लूं तो क्या होगा?

गलती से डॉक्सीसाइक्लिन की एक अतिरिक्त खुराक लेने से आपको नुकसान होने की संभावना नहीं है।

अपने फार्मासिस्ट या डॉक्टर से बात करें यदि आप चिंतित हैं या आप 1 से अधिक अतिरिक्त खुराक लेते हैं।

5. दुष्प्रभाव

सभी दवाओं की तरह, डॉक्सीसाइक्लिन साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है, हालांकि हर कोई उन्हें प्राप्त नहीं करता है।

आम दुष्प्रभाव

ये आम दुष्प्रभाव लगभग 1 से 10 लोगों में होते हैं। दवा लेते रहें, लेकिन अपने चिकित्सक या फार्मासिस्ट से बात करें यदि ये दुष्प्रभाव आपको परेशान करते हैं या दूर नहीं जाते हैं:

  • सिर दर्द
  • महसूस करना या बीमार होना (मतली या उल्टी)
  • सूर्य के प्रकाश के प्रति संवेदनशील होना

गंभीर दुष्प्रभाव

गंभीर दुष्प्रभाव दुर्लभ हैं और 1,000 लोगों में 1 से कम में होते हैं।

सीधे मिलने पर डॉक्टर को बुलाएँ:

  • चोट लगना या खून बहना आप स्पष्ट नहीं कर सकते (नाक से खून सहित), गले में खराश, उच्च तापमान (38C या अधिक) और आप थका हुआ या आमतौर पर अस्वस्थ महसूस करते हैं - ये रक्त की समस्याओं के संकेत हो सकते हैं
  • दस्त (संभवतः पेट में ऐंठन के साथ) जिसमें रक्त या बलगम होता है - यदि आपको गंभीर दस्त हैं जो 4 दिनों से अधिक समय तक रहता है, तो आपको डॉक्टर से भी बात करनी चाहिए
  • बज रहा है या आपके कानों में गूंज रहा है
  • पीली पू को डार्क पी के साथ, पीली त्वचा या आपकी आँखों के गोरे पीले होने पर - यह लिवर की समस्याओं का संकेत हो सकता है
  • संयुक्त या मांसपेशियों में दर्द जो तब से शुरू हुआ है जब आप डॉक्सीसाइक्लिन लेना शुरू करते हैं
  • गंभीर सिरदर्द, उल्टी और आपकी दृष्टि में समस्याएं - ये आपके मस्तिष्क के चारों ओर दबाव के संकेत हो सकते हैं ( इंट्राक्रानियल हाइपरटेंशन )
  • अपने आधार से दूर आ रहा एक नख - यह सूर्य के प्रकाश की प्रतिक्रिया हो सकती है जिसे फोटो-ऑनिकॉलिसिस कहा जाता है
  • गले में या मुंह, होंठ या जीभ में सूजन
  • आपके पेट में गंभीर दर्द, खूनी दस्त के साथ या बिना, उल्टी और उल्टी - ये अग्नाशयशोथ के लक्षण हो सकते हैं
  • कठिनाई या दर्द जब आप निगलते हैं, एक गले में खराश, एसिड भाटा, एक छोटी सी भूख या सीने में दर्द जो आपको खाने पर खराब हो जाता है - ये एक सूजन वाले भोजन पाइप (ऑसोफैगिटिस) या ओसोफेजल अल्सर के संकेत हो सकते हैं

गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया

डॉक्सीसाइक्लिन से एलर्जी की प्रतिक्रिया आम है और 100 से अधिक लोगों में 1 में होती है।

दुर्लभ मामलों में, डॉक्सीसाइक्लिन एक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया ( एनाफिलेक्सिस ) पैदा कर सकता है ।






प्रेडनिसोलोन टैबलेट

सामान्य ब्रांड (एस): डेल्टा-कॉर्टिफ, मिलिप्रेड डीपी

जेनेरिक नाम (एस): प्रेडनिसोलोन


उपयोग

प्रेडनिसोलोन अधिवृक्क ग्रंथि द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक पदार्थ (कॉर्टिकोस्टेरॉइड हार्मोन ) का एक मानव निर्मित रूप है। इसका उपयोग गठिया , रक्त की समस्याओं, प्रतिरक्षा प्रणाली के विकार , त्वचा और आंखों की स्थिति, श्वास की समस्याओं , कैंसर और गंभीर एलर्जी जैसी स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है । यह दर्द, सूजन और एलर्जी-प्रकार की प्रतिक्रियाओं जैसे लक्षणों को कम करने के लिए विभिन्न रोगों के प्रति आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को कम करता है।

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Prednisolone (प्रेडनिसोलोन) टैबलेट का उपयोग कैसे करें ?

पेट खराब होने से बचाने के लिए इस दवा को मुंह से , भोजन या दूध के साथ लें , ठीक वैसे ही जैसे आपके डॉक्टर ने बताया है। इस दवा को एक पूर्ण ग्लास पानी (8 औंस / 240 मिलीलीटर) के साथ लें जब तक कि आपका डॉक्टर आपको निर्देश न दे।


खुराक कार्यक्रम का ध्यानपूर्वक पालन करें। उपचार की खुराक और अवधि आपकी चिकित्सा स्थिति और उपचार के प्रति प्रतिक्रिया पर आधारित होती है। आपका डॉक्टर आपको दिन में 1 से 4 बार प्रेडनिसोलोन लेने या हर दूसरे दिन एक खुराक लेने का निर्देश दे सकता है। यह आपके कैलेंडर को अनुस्मारक के साथ चिह्नित करने में मदद कर सकता है या एक गोली बॉक्स का उपयोग कर सकता है। यदि आप प्रेडनिसोलोन खुराक पैक का उपयोग कर रहे हैं, तो पैकेज पर खुराक अनुसूची का पालन करें, जब तक कि आपके चिकित्सक द्वारा अन्यथा निर्देशित न किया जाए।


अपने चिकित्सक से परामर्श के बिना इस दवा को लेना बंद न करें। जब यह दवा अचानक बंद हो जाती है तो कुछ स्थितियां बदतर हो सकती हैं। आपकी खुराक धीरे - धीरे कम करने की जरूरत हो सकती है।


यदि आप अचानक इस दवा का उपयोग करना बंद कर देते हैं, तो आपके पास वापसी के लक्षण हो सकते हैं (जैसे कमजोरी , वजन में कमी , मतली , मांसपेशियों में दर्द , सिरदर्द , थकान, चक्कर आना )। वापसी को रोकने में मदद करने के लिए, आपका डॉक्टर आपकी खुराक धीरे-धीरे कम कर सकता है। यदि आप लंबे समय तक या उच्च खुराक में प्रेडनिसोलोन का उपयोग करते हैं, तो वापसी की संभावना अधिक होती है। अपने चिकित्सक या फार्मासिस्ट को तुरंत बताएं यदि आपके पास वापसी है। सावधानियां अनुभाग भी देखें।

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Ivermectin

एंटी हैलमेथिक है यह दवा
आइवरमेक्टिन एंटी हैलमैथिक दवा है। मुख्य रूप से इसका प्रयोग कोविड से पहले एलबेंडाजोल के विकल्प के रूप में किया जाता रहा है। ये पेट के कीड़ों को मारती है। इसे कृमिनाशक भी कहते हैं। - डॉ. अरुण दत्त, बाल रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल

कोविड में ऐसे करती है काम
- वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकती है।
- शरीर में मौजूद वायरस को फैलने से रोकती है।
- हल्के संक्रमित मरीजों में लक्षण खत्म करती है।
- अब कोरोना वायरस की उपचार पद्दति में शामिल की गई है।
- 15 दिन में 12 मिलीग्राम दवा वजन अनुसार ले सकते हैं।
- गर्भवती, बच्चों, अत्यधिक गंभीर रोगी के लिए यह दवा नहीं है।






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