रविवार, 14 फ़रवरी 2021

आर्य का परिभाषा -

'आर्य' और 'वीर' शब्दों का विकास 
परस्पर सम्मूलक है ।
दौनों शब्दों की व्युपत्ति पर एक सम्यक् विश्लेषण -


ऋग्वेद में बहुतायत से अरि: ईश्वर वाली शब्द है 

सायणभाष्यम्

‘विश्वो हि' इति द्वादशर्चं द्वादशं सूक्तं त्रैष्टुभम् । इन्द्रवसुक्रयोः पितापुत्रयोः संवादोऽत्र क्रियते । पुरा वसुक्रे यज्ञं कुर्वाणे सति इन्द्रः प्रच्छन्नरूप आजगाम । तं वसुक्रपत्नीन्द्रागमनाकाङ्क्षिणी विप्रकृष्टमिवाद्ययास्तौत् । अतस्तस्याः सर्षिः इन्द्रो देवता । अथ तस्याः प्रीत्यै वसुक्रेण सहेन्द्रः संवादमकरोत् । द्वितीयादियुजश्चतुर्थीरहिताः पञ्चर्चं इन्द्रवाक्यानि । अतस्तासां स ऋषिः । यद्यप्यासु वसुक्रः संबोध्यत्वाद्देवता तथापि ता ऋच ऐन्द्रे कर्मणि विनियोक्तव्या इन्द्रलिङ्गसद्भावात् । चतुर्थीसहिताः शिष्टास्तृतीयाद्या वसुक्रवाक्यानि । अतः स ऋषिस्तासामिन्द्रो देवता। तथा चानुक्रान्तं----’विश्वो हि द्वादशेन्द्रवसुक्रयोः संवाद ऐन्द्रः सूक्तस्य प्रथमयेन्द्रस्य स्नुषा परोक्षवदिन्द्रमाहेन्द्रस्य युजः शेषा ऋषेश्चतुर्थी च' इति । गतो विनियोगः ॥

विश्वः । हि । अन्यः । अरिः । आऽजगाम । मम । इत् । अह । श्वशुरः । न । आ । जगाम ।

जक्षीयात् । धानाः । उत । सोमम् । पपीयात् । सुऽआशितः । पुनः । अस्तम् । जगायात् ॥१। (ऋ०१०/२८/१)

पदपाठ-:-

विश्वः॑ । हि । अ॒न्यः । अ॒रिः । आ॒ऽज॒गाम॑ । मम॑ । इत् । अह॑ । श्वशु॑रः । न । आ । ज॒गा॒म॒ ।

ज॒क्षी॒यात् । धा॒नाः । उ॒त । सोम॑म् । प॒पी॒या॒त् । सुऽआ॑शितः । पुनः॑ । अस्त॑म् । ज॒गा॒या॒त् ॥१।

अनया वसुक्रपत्नीन्द्रं स्तौति । “अन्यः इन्द्रव्यतिरिक्तः “(अरिः अर्य ईश्वरः) “विश्वो “हि सर्व एव देवगणः “आजगाम अस्मद्यज्ञं प्रत्याययौ। "इत् इत्यवधारणे। “अह इत्यद्भुते । सर्वदेवगण आगते सति “मम एव “श्वशुरः इन्द्रः “ना “जगाम । स इन्द्रो यद्यागच्छेत् तर्हि “धानाः भृष्टयवान् “जक्षीयात् भक्षयेत् । “उत अपि च "सोमम् अभिषुतं “पपीयात् पिबेत् । ततः "स्वाशितः सुष्ठु भुक्तस्तृप्तः सन् “पुनः भूयः “अस्तं स्वगृहं प्रति “जगायात् गच्छेत् ॥

अर्थ :-ऋषि पत्नी कहती है !  कि  सब देवता  निश्चय हमारे यज्ञ में आ गये (विश्वो ह्यन्यो अरिराजगाम,)
परन्तु मेरे श्वसुर नहीं आये इस यज्ञ में (ममेदह श्वशुरो ना जगाम )यदि वे आ जाते तो भुने हुए  जौ के साथ सोमपान करते (जक्षीयाद्धाना उत सोमं पपीयात् )और फिर अपने घर को लौटते (स्वाशित: पुनरस्तं जगायात् )
प्रस्तुत सूक्त में अरि: देव वाचक है ।


यस्य । अयम् । विश्वः । आर्यः । दासः । शेवधिऽपाः । अरिः ।

तिरः । चित् । अर्ये । रुशमे । पवीरवि । तुभ्य । इत् । सः । अज्यते । रयिः ॥ ९॥ ऋग्वेद १०/५१/९

विश्वः सर्वः अयं दृश्यमानः आर्यः असुरस्वामिको गणः यस्येन्द्रस्य (अरिः शत्रुर्भवति) । कीदृशः सः । दासः धनादेरुपक्षयिता शेवधिपाः । शेवधिर्निधिस्तं पाति रक्षतीति । तथा असुरादिधनस्यापहर्ता स्वधनस्य च रक्षितेत्यर्थः । तेनेन्द्रेण रुशमे अकल्याणे (अर्ये/अरये ईश्वर के लिए )तस्मिन् तिरश्चित् अन्तर्हितमेव पवीरवि । पवी रथनेमिस्तद्वन्तोऽराः पवीराः । तदुपेतं चक्रं पवीरवि। अत्र ‘पवी रथनेमिर्भवति' (निरु. ५. ५) इत्यादि निरुक्तं द्रष्टव्यम् । तादृशं चक्रमज्यते प्रक्षिप्यते । चतुर्थपादे प्रत्यक्षीकृत्य उच्यते । हे इन्द्र तुभ्यमेव त्वदर्थमेव सः असुरगणे विद्यमानः रयिः निधिलक्षणो धनराशिः अज्यते प्रक्षिप्यतेऽरिगणेन । असुरगणे गुप्तं चक्रदानमपि इन्द्राय निधिप्रदमभवत् तदा सत्पात्रे गुप्तं धनदानं महाफलदं स्यादिति किमु वक्तव्यमित्याशयः ॥

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ऋग्वेद के अष्टम् मण्डल के ५१ वें सूक्त का ९ वाँ श्लोक
अरि: का ईश्वर के रूप में वर्णन करता है ।
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"यस्यायं विश्व आर्यो दास: शेवधिपा अरि:
तिरश्चिदर्ये रुशमे पवीरवि तुभ्येत् सोअज्यते रयि:|९
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अर्थात्-- जो अरि इस  सम्पूर्ण विश्व का तथा आर्य और दास दौनों के धन का पालक अथवा रक्षक है ,
जो श्वेत पवीरु के अभिमुख होता है ,
वह धन देने वाला ईश्वर तुम्हारे साथ सुसंगत है ।
ऋग्वेद के दशम् मण्डल सूक्त( २८ )श्लोक संख्या (१)
देखें- यहाँ भी अरि: देव अथवा ईश्वरीय सत्ता का वाचक है ।



कुसीदकृषिवाणिज्यं पाशुपाल्यं विशः स्मृतम् ॥
शूद्रस्य द्विजशुश्रूषा द्विजो यज्ञान्न हापयेत् ॥ 96.28 ॥
(गरुड़ पुराण)

श्रीगारुजे महापुराणे पूर्वखण्डे प्रथमांशाख्ये आचारकाण्डे याज्ञवल्क्योक्तश्राद्धनिरूपणं नाम षण्णवतितमोऽध्यायः ॥ 96 ॥
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यह लेख सांस्कृतिक और ऐैतिहासिक अवधारणाओं पर आधारित है। 
भारतीय सन्दर्भों के अतिरिक्त "आर्य" और "आर्यन" शब्दों के अन्य उपयोगों के लिए, आर्य शब्द का प्रयोग हम  ईरानीयों के धर्म ग्रन्थों में विशेषत: "अवेस्ताएजैन्द" में देख सकते हैं । 

"आर्यन" शब्द (ग्रीक रूप ɛəriən ) में  वीरता गुण मूलक विशेषण है ; जिसका उपयोग भारत-ईरानी लोगों द्वारा कालान्तरण आत्म-पदनाम के रूप में भी किया जाता रहा है ।

इस शब्द का उपयोग भारत में वैदिक काल के सिन्धु नदी के तटवर्ती  लोगों द्वारा जातीय स्तर के रूप में किया जाता था ऐसा मुझे नहीं लगता ।

परन्तु प्रारम्भिक सन्दर्भों में आर्य शब्द यौद्धा का वाचक था ; और बाद में पाश्चात्य इतिहासविदों ने आर्य शब्द का प्रयोग देवसंस्कृति के अनुयायी यूरोपीय जर्मन जन-जातियों के लिए किया भी किया ।
परन्तु असुर संस्कृति से समन्वित ईरानी मिथकों में आर्य और वीर शब्दों का समानार्थक 
रूप से प्रयोग होता रहा है ।

बोगजकोई

प्राचीन अभिलेख मध्य एशिया के बोगजकोई नामक स्थान से लगभग १४०० ई॰ पू॰ का प्राप्त हुआ है।

 इस अभिलेख पर राजाओँ के मध्य एक संधि का उल्लेख है जिसमे राजाओँ ने वैदिक युगीन देवताओं को साक्षी माना था।

 इसमें इंद्र,वरुण,मित्र,नास्त्य चार देवताओं के नाम है।

      1. संदर्भ
  • M. B. Chande 1 January 2000. Indian Philosophy in Modern Times. Atlantic Publishers & Dist. पपृ॰ 60–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7156-896-3.
  • Subodh Kapoor 2002. Encyclopaedia of Vedic Philosophy: The Age, Religion, Literature, Pantheon, Philosophy, Traditions, and Teachers of the Vedas. Cosmo. पपृ॰ 952–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7755-357-4.
  • Hervey De Witt Griswold 1971. The Religion of the Ṛigveda. Motilal Banarsidass Publishe. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-0745-7.
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प्राय: यौद्धा वर्ग स्वयं के लिए इस शब्द का प्रयोग करता था ; और कालान्ततरण में यौद्धा वर्ग के साथ-साथ भौगोलिक क्षेत्र को सन्दर्भित करने के लिए इस शब्द का प्रयोग इतिहासविदों के द्वारा किया जाने लगा है।

  भारत- ईरान तथा यूरोपीय आर्य संस्कृतियों में आर्य शब्द वीरता का अर्थ देते देते आज श्रेष्ठ व नैतिक गुणों से समन्वित व्यक्ति का वाचक  है।

निकटतम ईरानी लोगों ने अवेस्ता शास्त्र में स्वयं के लिए एक जातीय लेबल( स्तर )के रूप में आर्यन शब्द का उपयोग किया  जिसके मूल में केवल वीरता का गुण था।
और इस शब्द के आधार पर देश के "ईरान" नाम की व्युत्पत्ति निर्धारित है। 

19 वीं शताब्दी में यह माना जाता था कि आर्यन भी सभी प्रोटो-इंडो-यूरोपियन द्वारा उपयोग किए जाने वाले आत्म-पदनाम थे ।
परन्तु होमर के महाकाव्य में आर्य शब्द अज्ञात है केवल अरीज् एक युद्ध का देवत
अवश्य दृष्टिगत होता है ।
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परन्तु इस सिद्धान्त को अब पीछे छोड़ दिया गया है। 
कि आर्य शब्द जनजाति मूलक था।
 विद्वान बताते हैं कि, प्राचीन काल में भी, "आर्यन" होने का विचार धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई था,
नस्लीय  कदापि नहीं। 
19वीं शताब्दी में पश्चिमी विद्वानों द्वारा ऋग्वेद में गलत व्याख्या किए गए संदर्भों पर चित्रण करते हुए, "आर्यन" शब्द को एक "आर्थर डी गोबिनाऊ" नाम के पाश्चात्य इतिहास विद के कार्यों के माध्यम से एक नस्लीय श्रेणी के रूप में अपनाया गया था ।

जो कि भ्रान्त धारणाओं पर आधारित था ।
जिनकी विचारधारा 'गौरी चमड़ी वाले' उत्तरी यूरोपीय "सुर जन-जाति के विचारों पर आधारित थी " 

जो स्थानीय आबादी के साथ नस्लीय मिश्रण के माध्यम से अपमानित होने से पहले, दुनिया भर में स्थानान्तरित हो गया था और सभी प्रमुख भारोपीय सभ्यताओं की स्थापना की थी।
 
ह्यूस्टन स्टीवर्ट चेम्बरलेन इतिहास वेत्ता के कार्यों के माध्यम से, गोबिनेउ के विचारों ने बाद में नाजी नस्लीय विचारधारा को प्रभावित किया, जिसमें "आर्यन लोग" को अन्य मूलवादी नस्लीय समूहों के लिए बेहतर रूप से श्रेष्ठ माना गया। 
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इस नस्लीय विचारधारा के नाम पर किए गए अत्याचारों ने शिक्षाविदों को "आर्यन" शब्द से बचने के लिए प्रेरित भी किया है, जिसे ज्यादातर मामलों में "भारत-ईरानी" द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है। 
यह शब्द अब केवल "इंडो-आर्य भाषा" के सन्दर्भ में दिखाई देता है। 
परन्तु यह सिद्धांत आज भी भ्रान्तिमूलक है ।
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व्युत्पत्ति मूलक दृष्टि कोण से आर्य शब्द हिब्रू बाइबिल में वर्णित एबर से भी सम्बद्ध है ।
और जिसका मूल है 'बर / बीर 
आर्य तथा वीर दौनों शब्द भारत, ईरान तथा समस्त जर्मन वर्ग की भाषाओं में और सेमैेटिक और हेमेटिक वर्ग की भाषाओं में भी कुछ अल्प भिन्न रूपों में विद्यमान है ।
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लैटिन वर्ग की भाषा आधुनिक फ्राञ्च में आर्य शब्द…(Arien)  तथा (Aryen) दौनों रूपों में। 
…इधर दक्षिणी अमेरिक की ओर पुर्तगाली तथा स्पेनिश भाषाओं में यह शब्द आरियो (Ario) के रूप में विद्यमान है। पुर्तगाली में इसका एक रूप ऐरिऐनॉ (Ariano) भी है और फिन्नो-उग्रियन शाखा की फिनिश भाषा में Arialainen (ऐरियल-ऐनन) के रूप में है। 
जो स्वयं को उर अथवा उग्रेटिक कहते थे ।
रूस की उप शाखा पोलेण्ड की पॉलिस भाषा में (Aryika) के रूप में है।  कैटालन भाषा में (Ari )तथा (Arica) दौनों रूपों में है। स्वयं रूसी भाषा में आरिजक (Arijec) अथवा आर्यक के रूप में यही आर्य शब्द  विद्यमान है। इधर पश्चिमीय एशिया की सेमैेटिक शाखा आरमेनियन , हिब्रू और अरबी भाषा में भी यही आर्य शब्द क्रमशः (Ariacoi) तथा (Ari )तथा अरबी भाषा में हिब्रू प्रभाव से म-आरि. M(ariyy ) तथा अरि दौनो रूपों में है । 
यद्यपि आरमेनियन का सीमा क्षेत्र तुर्किस्तान है ।
. तथा ताज़िक भाषा में यही आर्य शब्द ऑरियॉयी (Oriyoyi ) के रूप में है …इधर बॉल्गा नदी के मुहाने वुल्गारियन संस्कृति में आर्य शब्द ऐराइस् (Arice) के रूप में है।
वेलारूस की भाषा में (Aryeic) तथा (Aryika )दौनों रूप में; पूरबी एशिया की जापानी ,कॉरीयन और चीनी भाषाओं में बौद्ध धर्म के प्रभाव से आर्य शब्द .
'Aria–iin'के रूप में है । 

aria, air
Galician

Etymology
From Sanskrit आर्य (ā́rya, “noble" or "noble one”), from Proto-Indo-Iranian *áryas.

Adjective - ario mas• (feminine singular aria, masculine plural arios, feminine plural arias)

Aryan
Noun
ario m (plural arios, feminine aria, feminine plural arias)
__________
Aryan
Italian

Adjective
ario (feminine singular aria, masculine plural ari, feminine plural arie)

Aryan
Derived terms
preario
Spanish

Etymology
From Sanskrit आर्य (ā́rya, “noble" or "noble one”), from Proto-Indo-Iranian *áryas


आर्य शब्द के विषय में इतने तथ्य अब तक हमने दूसरी संस्कृतियों से उद्धृत किए हैं। 
परन्तु जिस भारतीय संस्कृति का प्रादुर्भाव देव संस्कृति के उपासक आर्यों की संस्कृति से हुआ । 
उनका वास्तविक चित्रण होमर ने ई०पू० 800 के समकक्ष इलियड और ऑडेसी महाकाव्यों में ही कर दिया है ट्रॉय युद्ध के सन्दर्भों में-
ग्राम संस्कृति के जनक देव संस्कृति के अनुयायी यूरेशियन लोग थे। 


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ऐसी इतिहास कारों की धारणा रही परन्तु ग्राम संस्कृतियों का प्रादुर्भाव चरावाहों (गोपों) की संस्कृति का व्यवस्थित रूप है ।
 तथा नगर संस्कृति के जनक द्रविड अथवा ड्रयूड (Druids) लोग थे ।
तो द्रविडों की भी वन्य संस्कृति रही है ।
नगर संस्कृतियों का विकास द्रविडों ने ही किया 
उस के विषय में हम कुछ तथ्यों को उद्धृत करते हैं ।
विदित हो कि यह समग्र तथ्य 
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अत: प्रमाणन प्रक्रिया के लिए सम्पर्क सूत्र-
8077160219...☸

भारोपीय आर्यों के सभी सांस्कृतिक शब्द समान ही हैं स्वयं आर्य शब्द का धात्विक-अर्थ( Rootnal-Mean आरम् धारण करने वाला वीर या यौद्धा 
(आरं धारयते येन स आर्य -) संस्कृत तथा यूरोपीय भाषाओं में आरम् (Arrown = अस्त्र तथा शस्त्र धारण करने वाला यौद्धा अथवा वीरः | 
आर्य शब्द की व्युत्पत्ति( Etymology ) 

पुरानी अंग्रेजी से (arwan)पहले (earh) "तीर," संभवतः पुराने नॉर्स से उधार लिया गया था ।
ör (जननेंद्रिय örvar), प्रोटो-जर्मनिक से *arkhwo (स्रोत गोथिक का भी arhwanza), पाई रूट से *arku-, लैटिन का स्रोत arcus
 arc-जमीनी समझदारी "धनुष से जुड़ी चीज़" होगी। कार्टोग्राफी आदि में "एक चिह्न जैसे तीर" 1834 से है।

arkwo- "माथा टेकना।" संंस्कृत अर्च् -पूूूजायां


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आर्य शब्द संस्कृत की अर् (ऋ ) धातु मूलक है— अर् धातु के तीन  सर्वमान्य अर्थ संस्कृत धातु पाठ में उल्लिखित हैं ।
 १–गमन करना Togo  २– मारना tokill  ३– हल (अरम्  Harrow ) चलाना 
 मध्य इंग्लिश में—रूप Harwe कृषि कार्य करना ।
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प्राचीन विश्व में सुसंगठित रूप से कृषि कार्य करने वाले प्रथम मानव आर्य  चरावाहे ही थे । 
इस तथ्य के प्रबल प्रमाण भी हमारे पास हैं ! 
पाणिनि तथा इनसे भी पूर्व  कार्त्स्न्यायन धातुपाठ में
…ऋृ (अर्) धातु  तीन अर्थ  कृषिकर्मे गतौ हिंसायाम् च.. के रूप में परस्मैपदीय रूप —ऋणोति अरोति वा अन्यत्र ऋृ गतौ धातु पाठ .३/१६ प० इयर्ति -(जाता है)
 उद्धृत है।

वास्तव में संस्कृत की अर् धातु का तादात्म्य (मेल) 
identity. यूरोप की सांस्कृतिक भाषा लैटिन की क्रिया -रूप इर्रेयर Errare =to go से प्रस्तावित है । 
जर्मन भाषा में यह शब्द आइरे irre =to go के रूप में है तो पुरानी अंग्रेजी में जिसका प्रचलित रूप एर (Err) है …….इसी अर् धातु से विकसित शब्द लैटिन तथा ग्रीक भाषाओं में क्रमशः Araval तथा Aravalis हैं । 
 यूरोपीय भाषाओं में एक अन्य क्रिया (ire)- मारना 'क्रोध करना आदि हैं ।
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 अर् धातु मूलक अर्य शब्द की व्युत्पत्ति ( ऋ+यत्) तत् पश्चात +अण् प्रत्यय करने पर होती है =आर्य एक   पुल्लिंग शब्द रूप है जिसका अर्थ पाणिनि आचार्य ने  "वैैश्यों का समूह " किया है 

संस्कृत कोशों में अर्य का अर्थ -१. स्वामी । २. ईश्वर और ३. वैश्य  है।

 संस्कृत धातु कोश में ऋ का सम्प्रसारण अर होता है अर्- धातु ( क्रिया मूल) का अर्थ 'हल चलाना' है 

समानार्थक:ऊरव्य,ऊरुज,अर्य,वैश्य,भूमिस्पृश्,विश्
2।9।1।1।3

ऊरव्या ऊरुजा अर्या वैश्या भूमिस्पृशो विशः।

 आजीवो जीविका वार्ता वृत्तिर्वर्तनजीवने॥

पत्नी : वैश्यपत्नी

पदार्थ-विभागः : समूहः, द्रव्यम्, पृथ्वी, चलसजीवः, मनुष्यः

अर्य पुं।

स्वामिः

समानार्थक:अर्य

3।3।147।1।2

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पृ॒थू रथो॒ दक्षि॑णाया अयो॒ज्यैनं॑ दे॒वासो॑ अ॒मृता॑सो अस्थुः। कृ॒ष्णादुद॑स्थाद॒र्या॒३॒॑ विहा॑या॒श्चिकि॑त्सन्ती॒ मानु॑षाय॒ क्षया॑य 

पृ॒थुः। रथः॑। दक्षि॑णायाः। अ॒यो॒जि॒। आ। एन॑म्। दे॒वासः॑। अ॒मृता॑सः। अ॒स्थुः॒। कृ॒ष्णात्। उत्। अ॒स्था॒त्। अ॒र्या॑। विऽहा॑याः। चिकि॑त्सन्ती। मानु॑षाय। क्षया॑य ॥  ऋग्वेद-१/१२३/१

अर्थ-  (मानुषाय) मनुष्यों के (क्षयाय) रोग के लिए (चिकित्सन्ती) उपचार करती हुई (विहायः) आकाश में  उषा उसी प्रकार व्यवहार करती है जैसे (अर्या) वैश्य कृषक की कन्या  (कृष्णात्) कृषि कार्य से (उदस्थात्) उच्च स्थिति में पहँचती है । (अयोजि) अकेली  (एनम्) इस विशाल रथ को (दक्षिणायाः) कुशलता से (पृथुः) विशाल (रथः) रथ (अमृतासः) मृत्यु रहित (देवासः) देव (आ, अस्थुः) उपस्थित होते हैं ॥ १ ॥

सायण ने ऋग्वेद की इन ऋचाओं पर भाष्य किया है

१-दक्षिणायाः- (प्रवृद्धायाः स्वव्यापारकुशलायाः) उषोदेवतायाः( पृथुः -विस्तीर्णः) "रथः "(अयोजि -अश्वैर्युक्तः संनद्धोऽभूत्) ।

 अत्र यद्यपि देवताविशेषो न श्रुतः तथापि उषस्यत्वात् उषस इति गम्यते । 

(“एनं संनद्धं रथम् अमृतासः अमरणधर्माणः) "देवासः -देवनाशीलाः हविर्भाजो देवाः) “आ “अस्थुः- अस्थितवन्तः) 

 देवयजनं गन्तुमारूढाः इत्यर्थः । अनन्तरं सा उषाः "कृष्णात् निकृष्टवर्णात् नैशात् तमसः सकाशात् "उदस्थात् उत्थिता अभूत् ।

 “कृष्णं कृष्यतेर्निकृष्टो वर्णः' (निरु. २. २०) इति यास्कः । कीदृशी सा। "अर्या -(अरणीया पूजनीया) “विहायाः -(विविधगमनयुक्ता महती वा )।

 विहाया इति महन्नाम ‘विहायाः यह्वः' ( नि. ३. ३. १२) इति तन्नामसु पाठात् । मानुषाय "क्षयाय मनुष्याणां निवासाय “चिकित्सन्ती अन्धकारनिवारणरूपां चिकित्सां कुर्वती तमो निवारयन्तीत्यर्थः॥


 संस्कृत भाषा मे आरा और आरि शब्द हैं परन्तु वर्तमान में "अर्" धातु नहीं है। 
सम्भव है पुराने जमाने में "अर्" धातु रही हो; पीछे से लुप्त हो गई हो । 

अथवा यह भी हो सकता है कि "ऋ" धातु ही के रूपान्तरण, " अर" (और संस्कृत व्याकरण में ऋ का अर् होता भी है) और उसका मूल अर्थ "हल चलाना" हो।
 यह भी सम्भव है कि हल की गति के कारण ही "ऋ" धातु का अर्थ गतिसूचक हो गया हो । 

"ऋ" धातु के पश्चात "यत्" प्रत्यय करने से "अर्य्य  और आर्य शब्द 'ऋ' धातु में  " ण्यत्" प्रत्यय करने से "आर्य्य शब्द की सिद्धि होती है।

 विभिन्न भाषाओं के कृषि वाचक धातुओं का विचार करने से जान पड़ता है कि "अर्य" और "आर्य" दोनों शब्दो का धात्वर्थ कृषक है।

 इसका परोक्ष प्रमाण संस्कृत-साहित्य और व्याकरण में पाया भी जाता है।
 आर्य ही नहीं अपितु "आर्य" शब्द का एक अर्थ वैश्य अथवा कृषक भी है।

 पाणिनि की अष्टाध्यायी के तृतीयाध्याय के पहले पाद का "आर्य: स्वामिवैश्ययोः" सूत्र इस बात का प्रमाण है। 

फिर पाणिनि के "इन्द्र वरुण-भव-शर्व" आदि (४-१-४९) सूत्र पर सिद्धान्त- कौमुदी में पाया और आर्याणी शब्दों का अर्थ वैश्य-जातीय स्त्री और आर्य शब्द का अर्थ वैश्य-पति लिखा है । 

फिर, वाजसनेय (१४-२८) और तैत्तिरीय संहिता (४-३-१०-१) में चारों वर्णो के नाम-ब्रह्मन्, क्षत्र, आर्य और शूद्र लिखे हैं।

प्राचीन वैश्यों का प्रधान काम कर्षण ही था ।
 इन्ही का नाम "आर्य" है । अतएव "आर्य" शब्द का अर्थ कृषक कहना युक्ति-विरहित नही।
किसी किसी का मत है कि "आर्य" काः
कृष्ण और संकर्षण जैसे शब्द भी कृषि मूलक हैं 
गोप गो -चारण करते थे और चरावाहों से कृषि संस्कृति का विकास हुआ ।
आर्य चला वा हे ही थे ।

अर्थात् कृषि कार्य.भी ड्रयूडों की वन मूलक संस्कृति से अनुप्रेरित है । 
देव संस्कृति के उपासक आर्यों की संस्कृति ग्रामीण जीवन मूलक है और कृषि विद्या के जनक आर्य थे । परन्तु आर्य विशेषण पहले असुर संस्कृति के अनुयायी ईरानीयों का था।
यह बात आंशिक सत्य है क्योंकि बाल्टिक सागर के तटवर्ती ड्रयूडों (Druids) की वन मूलक संस्कृति से जर्मनिक जन-जातियाँ से सम्बद्ध इस देव संस्कृति के उपासक आर्यों ने यह प्रेरणा ग्रहण की।
सर्व-प्रथम अपने द्वित्तीय पढ़ाव में मध्य -एशिया में ही कृषि कार्य आरम्भ कर दिया था। 
देव संस्कृति के उपासक आर्य स्वभाव से ही युद्ध-प्रिय व घुमक्कड़ थे ।

घोड़े रथ इनके -प्रिय वाहन थे ।
परन्तु इनका मुकाविला सेमैेटिक असीरियन जन जाति से मैसॉपोटामिया की संस्कृतियों में परिलक्षित है ।
असीरियन जन-जाति के बान्धव यहूदीयों का जीवन चरावाहों का जीवन था ।
ये कुशल चरावाहों के रूप में  सम्पूर्ण एशिया की धरा पर अपनी महान सम्पत्ति गौओं के साथ कबीलों के रूप में यायावर जीवन व्यतीत करते थे ।
 यहीं से इनकी ग्राम - सभ्यता का विकास हुआ था .अपनी गौओं के साथ साथ विचरण करते हुए .
जहाँ जहाँ भी ये विशाल ग्रास-मेदिनी (घास के मैदान )देखते उसी स्थान पर अपना पढ़ाव डाल देते थे ।
उसी प्रक्रिया के तहत बाद में ग्राम शब्द (पल्लि या गाँव) शब्द का वाचक  हो गया ।
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 संस्कृत भाषा में ग्राम शब्द की व्युत्पत्ति इसी व्यवहार मूलक प्रेरणा से हुई !
क्यों कि अब भी . संस्कृत तथा यूरोप की सभी भाषाओं में ग्राम शब्द का मूल अर्थ ग्रास-भूमि तथा घास है । इसी सन्दर्भ में यह तथ्य भी प्रमाणित है कि देव संस्कृति के उपासक आर्य ही ज्ञान और लेखन क्रिया के विश्व में द्रविडों के बाद द्वित्तीय प्रकासक थे । 
…ग्राम शब्द संस्कृत की ग्रस् …धातु मूलक है..—(ग्रस् मन् )प्रत्यय..आदन्तादेश..ग्रस् धातु का ही अपर रूप ग्रह् भी है । जिससे ग्रह शब्द का निर्माण हुआ है अर्थात् जहाँ खाने के लिए मिले वह घर है । 
इसी ग्रस् धातु का वैदिक रूप… गृभ् …है ; 
गृह ही ग्रास है 
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आर्य शब्द का ऐैतिहासिक प्रचलित रूप -
आर्य शब्द के सबसे शुरुआती रूप से प्रमाणित संदर्भ 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बेहिस्तून शिलालेख ईरान में प्राप्त होता है, जो स्वयं को "आर्य [भाषा या लिपि]"  में लिखा गया है।
जैसा कि अन्य सभी पुरानी ईरानी भाषा के उपयोग के मामले में भी है, शिलालेख की आर्यता "ईरानी" के अलावा कुछ भी संकेत नहीं देती है।
फिलोलॉजिस्ट (भाषा वैज्ञानिक) जेपी मैलोरी का तर्क है कि "एक जातीय पदनाम के रूप में, शब्द [आर्यन] भारत-ईरानियों तक सबसे उचित रूप से सीमित है, और सबसे हाल ही में बाद वाले लोगों के लिए जहां यह अभी भी ईरान देश को अपना नाम देता है"
संस्कृत भाषा में आर्य शब्द का प्रयोग -


प्रोटो-इंडो-ईरानी -------
संस्कृत शब्द प्रोटो-इंडो-ईरानी लोगों के लिए ज़ैद अवेस्ता में  एयर्या  के रूप में 'आदरणीय' तथा वीर के अर्थ में है ।
और पुरानी फारसी आर्य शब्द भी है ।

ईरानी भाषाओं में, मूल आत्म-पहचानकर्ता "एलन" और "आयरन" जैसे जातीय नामों पर रहता है।
इसी तरह, ईरान का नाम आर्यों की भूमि / स्थान के लिए फारसी शब्द है।

प्रोटो-इंडो-ईरानी शब्द को प्रोटो-इंडो-यूरोपीय उत्पत्ति के लिए अनुमानित किया गया है।
जबकि स्झेमेरेनी पाश्चात्य इतिहास विद के अनुसार यह संभवतया उग्रेटिक  आरी शब्द से साम्य रखता है ।
या उससे नि:सृत है ।

इसे प्रोटो-इंडो-यूरोपीय रूट शब्द को हेरोस haerós "के अर्थों के साथ" अपने स्वयं के (जातीय) समूह, सहकर्मी,स्वतन्त्र व्यक्ति "के सदस्यों के साथ-साथ आर्य के भारत-ईरानी अर्थ के साथ नियत किया गया है। 
इससे व्युत्पन्न शब्द थे !

"It has been postulated the Proto-Indo-European root word is (haerós) with the meanings "members of one's own (ethnic) group, peer वीर , freeman" as well as the Indo-Iranian meaning of Aryan. Derived from it were words like

the Hittite prefix arā- meaning member of one's own group, peer, companion and friend;
Old Irish aire, meaning "freeman" and "noble"
Gaulish personal names with Ario-
Avestan airya- meaning Aryan, Iranian in the larger sense
Old Indic ari- meaning attached to, faithful, devoted person and kinsman
Old Indic aryá- meaning kind, favourable, attached to and devoted
Old Indic árya- meaning Aryan, faithful to the Vedic religion.
The word (haerós) itself is believed to have come from the root (haer)- meaning "put together". The original meaning in Proto-Indo-European had a clear emphasis on the "in-group status" as distinguished from that of outsiders, particularly those captured and incorporated into the group as slaves. While in Anatolia, the base word has come to emphasize personal relationship, in Indo-Iranian the word has taken a more ethnic meaning.
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हित्ताइट उपसर्ग अरा- जिसका मतलब किसी के अपने समूह, साथी, साथी और मित्र का सदस्य है;

पुरानी आयरिश भाषा में आइर (आयर ), जिसका अर्थ है :- अभिजात अथवा स्वतन्त्र  और "महान" Old Irish (aire), meaning "freeman" and "noble"
एरियो- के साथ व्यक्तिगत नाम गॉलिश (प्राचीन फ्राँन्स की भाषा ) में तथा ईरानीयों के धर्म-ग्रन्थ
अवेस्ता में एेर्या airya है  जिसका अर्थ है आर्यन, ईरानी बड़े अर्थ में
ओल्ड इंडिक प्राचीन भारतीय भाषा में एरि-अर्थात्, वफादार, समर्पित व्यक्ति और रिश्तेदार से जुड़ा हुआ है।

माना जाता है कि  हेरोस स्वयं मूल हायर-अर्थ "एक साथ रखे" से आया है।
प्रोटो-इंडो-यूरोपीय में मूल अर्थ "इन-ग्रुप स्टेटस" पर स्पष्ट जोर दिया गया था, जो बाहरी लोगों की ओर से विशिष्ट था, विशेष रूप से उन लोगों को पकड़ा गया और समूह में गुलामों के रूप में शामिल किया गया था।
अनातोलिया (एशिया-माइनर) की भाषाओं में, मूल शब्द व्यक्तिगत सम्बन्धों पर जोर देने के लिए आया है, भारत-ईरानी में इस शब्द ने अधिक जातीय अर्थ ग्रहण कर लिया है। 
सम्भवतया जर्मन , हर्मन अथवा आर्यन का अर्थ भ्रातृत्व है ।

इस सन्दर्भ में कई अन्य विचारों की समीक्षा, और प्रत्येक के साथ विभिन्न समस्याओं को विश्लेषित ओसवाल्ड स्झेमेरेनी द्वारा दिया जाता है। 

नाज़ियों ने नस्लीय अर्थ में लोगों का वर्णन करने के लिए "आर्यन" शब्द का प्रयोग किया। 
नाजी के आधिकारिक अल्फ्रेड रोसेनबर्ग का मानना ​​था कि नॉर्डिक जाति प्रोटो-आर्यों से निकली थी, जिन्हें उनका मानना ​​था कि उत्तरी जर्मन मैदान पर प्रागैतिहासिक रूप से रहते थे ।
और आखिरकार अटलांटिस के खोए महाद्वीप से निकल गए थे। 
नाजी नस्लीय सिद्धांत के अनुसार,"आर्यन" शब्द ने जर्मनिक लोगों का वर्णन किया।हालांकि, "आर्यन" की एक संतोषजनक परिभाषा नाजी जर्मनी के दौरान समस्याग्रस्त रही।

नाज़ियों को सबसे पुराना आर्य माना जाता है जो "नॉर्डिक रेस" भौतिक आदर्श से संबंधित हैं, जिन्हें नाजी जर्मनी के दौरान "मास्टर रेस" के नाम से जाना जाता है। 
हालांकि नाजी नस्लीय सिद्धांतकारों का भौतिक आदर्श आम तौर पर लंबा था, निष्पक्ष बालों वाली और हल्की आंखों वाले नॉर्डिक व्यक्ति, ऐसे सिद्धांतकारों ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि बाल और आंखों का रंग काफी हद तक नस्लीय श्रेणियों के भीतर मौजूद था।
उदाहरण के लिए, एडॉल्फ हिटलर और कई नाजी अधिकारियों के पास काले बाल थे और उन्हें अभी भी नाज़ी नस्लीय सिद्धांत के तहत आर्यन जाति के सदस्य माना जाता था, क्योंकि किसी व्यक्ति के नस्लीय प्रकार का निर्धारण केवल एक परिभाषित करने के बजाय किसी व्यक्ति में कई विशेषताओं की पूर्वनिर्धारितता पर निर्भर करता है सुविधा। 
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The Nazis used the word "Aryan" to describe people in a racial sense. 
The Nazi official Alfred Rosenberg believed that the Nordic race was descended from Proto-Aryans, who he believed had prehistorically dwelt on the North German Plain and who had ultimately originated from the lost continent of Atlantis. 
According to Nazi racial theory, the term "Aryan" described the Germanic peoples. However, a satisfactory definition of "Aryan" remained problematic during Nazi Germany.
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The Nazis considered the most purest Aryans to be those that belonged to the "Nordic race" physical ideal, known as the "master race" during Nazi Germany.Although the physical ideal of the Nazi racial theorists was typically the tall, fair-haired and light-eyed  Nordic individual, such theorists accepted the fact that a considerable variety of hair and eye colour existed within the racial categories they recognised. For example, Adolf Hitler and many Nazi officials had dark hair and were still considered members of the Aryan race  under Nazi racial doctrine, because the determination of an individual's racial type depended on a preponderance of many characteristics in an individual rather than on just one defining feature."
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सितंबर 19 35 में, नाज़ियों ने नूर्नबर्ग कानून पारित किया। सभी आर्यन रीच नागरिकों को अपने आर्यन वंश को साबित करने की आवश्यकता थी, एक तरह से बपतिस्मा प्रमाण पत्र के माध्यम से सबूत प्रदान करके अहनेनपास प्राप्त करना था कि सभी चार दादा दादी आर्यन वंश के थे।
दिसंबर 1 9 35 में, नाज़ियों ने जर्मनी में आर्यन जन्म दर गिरने और नाजी यूजीनिक्स को बढ़ावा देने के लिए लेबेन्सबोर्न की स्थापना की। 

भारतीय / संस्कृत साहित्य में आर्य शब्द का अर्थ
संस्कृत और संबंधित भारतीय भाषाओं में, आर्य का अर्थ है "वह जो महान कर्म करता है, एक महान व्यक्ति"। Āryvarta "आर्यों का निवास" संस्कृत साहित्य में उत्तर भारत के लिए एक आम नाम है।
मनु-स्मृति (2.22) नाम "पूर्वी सागर से पश्चिमी सागर तक हिमालय और विंध्य पर्वत के बीच का क्षेत्र को आर्यावर्त" नाम दिया जाता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न संशोधनों के साथ शीर्षक आर्य का उपयोग किया गया था।
 लगभग 1 ईसा पूर्व की कलिंग के सम्राट खरावेला को उड़ीसा के भुवनेश्वर में उदयगिरी और खंडागिरी गुफाओं के हाथीगुम्फा शिलालेखों में एक आर्य के रूप में जाना जाता है।
10 वीं शताब्दी में गुर्जर-प्रतिहार शासकों को "आर्यवार्त के महाराजाधिराज" शीर्षक दिया गया था।
जो निश्चित रूप से जॉर्जियाई अथवा गुर्जिस्तान के निवासी थे ।
जिनका माउण्ट आबू पर राजपूत करण हुआ ।
रामायण और महाभारत में, आर्य को हनुमान समेत कई पात्रों के लिए सम्मानित माना जाता है।
परन्तु यहाँ यह नाम केवल वीरता सूचक है ।
जातिगत कदापि नहीं वैसे भी वाल्मीकि रामायण बौद्ध काल के बाद की रचना है ।
पूरे यूरोप और मध्य पूर्व में 500 ईसा पूर्व में भारत-यूरोपीय भाषाओं में आर्य शब्द मिलता है ।
यद्यपि हुर्रियन शब्द में सुर रूप अधिक ध्वनित होता है परन्तु कुछ विद्वान इसे आर्यन शब्द का तद्भव मानने के पक्षधर हैं ।
ईरानी साहित्य आर्य शब्द-
पुरानी इंडो-आर्य में आर्य से जुड़े कई अर्थों के विपरीत, पुरानी फारसी शब्द का केवल जातीय अर्थ है। 
यह भारतीय उपयोग के विपरीत है, जिसमें कई माध्यमिक अर्थ विकसित हुए हैं, अर्थात् आत्म-पहचानकर्ता के रूप में अर्थ का अर्थ ईरानी उपयोग में संरक्षित है, इसलिए "ईरान" शब्द है।
The Avesta clearly uses airya/airyan as an ethnic name (Vd. 1; Yt. 13.143-44, etc.), where it appears in expressions such as airyāfi; daiŋˊhāvō "Iranian lands, peoples", airyō.šayanəm "land inhabited by Iranians", and airyanəm vaējō vaŋhuyāfi; dāityayāfi; "Iranian stretch of the good Dāityā", the river Oxus, the modern Āmū Daryā.
Old Persian  sources also use this term for Iranians. Old Persian which is a testament to the antiquity of the Persian language and which is related to most of the languages/dialects spoken in Iran including modern Persian, the Kurdish languages, and Gilaki makes it clear that Iranians referred to themselves as Arya.

The term "Airya/Airyan" appears in the royal Old Persian inscriptions in three different contexts:
एयरी  का अर्थ "ईरानी" था, और ईरानी anairya  मतलब था और "गैर-ईरानी" का मतलब है। आर्य को ईरानी भाषाओं में एक नृवंशविज्ञान के रूप में भी पाया जा सकता है, उदाहरण के लिए, एलन और फारसी ईरान और ओस्सेटियन  इर / आयरन यह नाम आर्यन के समतुल्य है, ।
जहां ईरान का मतलब है "आर्यों की भूमि," और सस्सिद काल के बाद से उपयोग में हैं
पुरानी फारसी जो फारसी भाषा की पुरातनता का प्रमाण है और जो आधुनिक फारसी, कुर्द भाषा और गिलकी समेत ईरान में बोली जाने वाली अधिकांश भाषाओं / बोलियों से संबंधित है ।
यह स्पष्ट करती है कि ईरानियों ने स्वयं को आर्य के रूप में संदर्भित किया है।

"एयर्या / एयरयान" शब्द शाही पुराने फारसी शिलालेखों में तीन अलग-अलग संदर्भों में दिखाई देता है:

बेहिस्तून में दारा प्रथम के शिलालेख के पुराने फारसी संस्करण की भाषा के नाम के रूप में
पर्शिपोलिस से शिलालेख में नकम-ए-रोस्तम और सुसा (डीएनए, डीएसई) और ज़ेरेक्स I 
में शिलालेखों में दारा प्रथम की जातीय पृष्ठभूमि के रूप में वर्णित है ।
(Behistun )वहिस्तून शिलालेख के (Elamite )एलम भाषा संस्करण में, आर्यों के भगवान, अहुरा मज्दा की परिभाषा के रूप में।

उदाहरण के लिए डीएनए और डीएस दारा और जेरेक्स में खुद को "एक अमेमेनियन, एक फारसी का एक फारसी पुत्र और आर्यन स्टॉक के आर्यन" के रूप में वर्णित किया गया है।
यद्यपि दारा ने अपनी भाषा को  आर्य भाषा कहा, आधुनिक विद्वान इसे पुराने फारसी के रूप में संदर्भित करते हैं क्योंकि यह आधुनिक फारसी भाषा की पूर्वज है। 

ग्रीक स्रोतों द्वारा पुरानी फारसी और अवेस्ता के  साक्ष्य की पुष्टि की गई है।
यूनानी इतिहास कार हेरोडोटस ने अपने इतिहास में ईरानी Medes मदीयन के बारे में टिप्पणी की है कि: "इन Medes को  सभी लोगों द्वारा ईमानदारी से बुलाया गया था;"पृष्ठ संख्या (7.62)।
अर्मेनियाई स्रोतों में, पार्थियन, मेडीयन और फारसियों को सामूहिक रूप से आर्यों के रूप में जाना जाता है। 
[रोड्स के यूडेमस दमसियस के साथ (प्लैटोनिस परमेनिडेम 125 बीआईएस में डबिटेशंस एट सॉल्यूशंस) 

यह "मागी और ईरानी (एरियन) वंशावली के सभी लोगों को संदर्भित करता है; डायोडोरस सिकुलस (1.94.2) ज़ोरोस्टर (ज़थ्रास्टेस) को अरियानो में से एक मानता है। 
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भूगोलकार स्ट्रैबो, अपनी भूगोल में, मेद, फारसी, बैक्ट्रीशियन और सोग्डियन की एकता का उल्लेख करते हैं: 

एरियाना का नाम फारस और मीडिया के एक हिस्से के साथ-साथ उत्तर में बैक्ट्रियन और सोग्डियनों तक भी बढ़ाया गया है; 
इनके लिए लगभग एक ही भाषा बोलती है, लेकिन थोड़ी भिन्नताएं होती हैं।

- भूगोल, पृष्ठ संख्या (15.8)
शापुर के आदेश द्वारा निर्मित त्रिभाषी शिलालेख हमें एक और स्पष्ट विवरण देता है।
इस्तेमाल की जाने वाली भाषा पार्थियन, मध्य फारसी और ग्रीक हैं। ग्रीक में शिलालेख कहता है:
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"... tou Arianon ethnous eimi despotes" जो अनुवाद करता है! "मैं आर्यों का राजा हूं"। 
मध्य फारसी शापौर में कहते हैं: "मैं ईरान शहर का भगवान हूं" और पार्थियन में वह कहता है: "मैं आर्यन शहर का स्वामी हूं"। 
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रब्बाक में कुषाण साम्राज्य के संस्थापक कनिष्क द ग्रेट का बैक्ट्रियन भाषा (एक मध्य ईरानी भाषा)में  शिलालेख, जिसे 1993 में बागानान के अफगानिस्तान प्रांत में एक अप्रत्याशित स्थान में खोजा गया था।
स्पष्ट रूप से इस पूर्वी ईरानी भाषा को आर्य के रूप में संदर्भित करता है।
इस्लामिक युग के बाद भी 10 वीं शताब्दी के इतिहासकार हमज़ा अल-इस्फाहनी के काम में आर्यन (ईरान) शब्द का स्पष्ट उपयोग देख सकता है।
अपनी मशहूर पुस्तक "द हिस्ट्री ऑफ़ प्रोपेट्स एंड किंग्स" में, अल-इस्फहानी लिखते हैं, "आर्यन जिन्हें पार भी कहा जाता है, इन देशों के बीच में है और इन छह देशों में इसका चारों ओर घिरा हुआ है ।
क्योंकि दक्षिण पूर्व चीन, उत्तर में है तुर्कों में, मध्य दक्षिण भारत है, मध्य उत्तर रोम है, और दक्षिण पश्चिम और उत्तर पश्चिम सूडान और बर्बर भूमि है "।
इन सब सबूतों से पता चलता है कि आर्य "ईरानी" नाम सामूहिक परिभाषा थी, जो लोगों को इंगित करता था (गीजर, पीपी 167 एफ।, श्मिट, 1978, पृष्ठ संख्या 31) 
जो एक जातीय भाषा से संबंधित थे, एक आम भाषा बोलते थे , और एक धार्मिक परंपरा है जो अहुरा (असुर महत्) मज़दा की पंथ पर केंद्रित है।

ईरानी भाषाओं में, मूल आत्म-पहचानकर्ता "एलान", "आयरन" जैसे जातीय नामों पर रहता है।
इसी प्रकार, ईरान शब्द आर्य के भूमि / स्थान के लिए फारसी शब्द है। 
यूरोपीय भाषाओं में आर्य शब्द का प्रचलित रूप

"आर्यन" शब्द का उपयोग नव खोजी गई इंडो-यूरोपीय भाषाओं के लिए, और विस्तार से, उन भाषाओं के मूल वक्ताओं के लिए किया गया था। और 19वीं शताब्दी में, "भाषा" को "जातीयता" की संपत्ति माना जाता था, और इस प्रकार भारत-ईरानी या भारत-यूरोपीय भाषाओं के वक्ताओं को "आर्यन जाति" कहा जाता था।
जैसा कि उन्हें क्या कहा जाता था, "सेमिटिक रेस"। 
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, कुछ लोगों के बीच, "आर्यन जाति" की धारणा नॉर्डिसिज्म से निकटता से जुड़ी हुई थी, जिसने अन्य सभी लोगों पर उत्तरी यूरोपीय नस्लीय श्रेष्ठता को जन्म दिया। 
इस "मास्टर रेस" आदर्श ने नाजी जर्मनी के "आर्यननाइजेशन" कार्यक्रमों को दोनों में शामिल किया, जिसमें "आर्यन" और "गैर-आर्यन" के रूप में लोगों का वर्गीकरण सबसे अधिक जोरदार रूप से यहूदियों को छोड़ने के लिए निर्देशित किया गया था। 

द्वितीय विश्व युद्ध 1944 के अंत तक, 'आर्यन' शब्द नाज़ियों द्वारा नस्लीय विचारधाराओं और अत्याचारों के साथ कई लोगों से जुड़ा हुआ था।

19वीं सदी के अंत में और 20 वीं शताब्दी के शुरुआती नस्लीयवाद के रूप में "आर्यन जाति" के पश्चिमी विचारों में प्रमुखता बढ़ी, जो कि नाज़ीवाद द्वारा विशेष रूप से गले लगाए गए विचार थे।  
नाज़ियों का मानना ​​था कि "नॉर्डिक लोग" (जिन्हें "जर्मनिक लोग" भी कहा जाता है)  आर्यों की एक आदर्श और "शुद्ध जाति" का प्रतिनिधित्व करते हैं जो उन लोगों के मूल नस्लीय स्टॉक का शुद्ध प्रतिनिधित्व रूप है ।
जिन्हें बाद में प्रोटो-आर्यों कहा गया था । 
नाजी पार्टी ने घोषणा की कि "नॉर्डिक्स" शुद्ध आर्य थे क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि वे "आर्यन लोगों" कहलाए जाने वाले अन्य लोगों की तुलना में अधिक "शुद्ध" (कम नस्लीय मिश्रित) थे।

इतिहास ---
अवेस्ता में वर्णित शब्द आर्य का प्रयोग प्राचीन फारसी भाषा ग्रंथों में किया जाता है, उदाहरण के लिए 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से बेहिस्तून के शिलालेख में, जिसमें फारसी राजा दारायस द ग्रेट( दारा प्रथम) और ज़ेरेक्स को "आर्यन स्टॉक के आर्यों" (आर्य आर्य चिसा) के रूप में वर्णित किया गया है।
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इस शिलालेख में देवता अहुरा मज़दा को "आर्यों का देवता" और प्राचीन फारसी भाषा के रूप में "आर्यन" के रूप में संदर्भित किया जाता है। 

इस अर्थ में शब्द भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं सहित प्राचीन ईरानियों की कुलीन संस्कृति को भी  संदर्भित करता है।
इस शब्द में जोरोस्ट्रियन धर्म का एक केंद्रीय स्थान भी है जिसमें "आर्यन विस्तार" (एयर्याना वेजाह) को ईरानी लोगों के पौराणिक मातृभूमि और दुनिया के केंद्र के रूप में वर्णित किया गया है। जो वस्तुत: आज का अजर-बेजान है । 
सॉवियत रूस का सदस्य देश

वैदिक साहित्य में आर्य शब्द-
ऋग्वेद में 34 ऋचाओं में आर्य शब्द का प्रयोग 36 बार किया जाता है। 
तलगेरी के अनुसार (2000, ऋग् वेद ए हिस्टोरिकल एनालिसिस) "ऋग्वेद के विशेष वैदिक आर्य इन पुरूषों में से एक वर्ग थे, जिन्होंने खुद को भारत कहा।" इस प्रकार, तालगेरी के अनुसार, यह संभव है कि एक बिंदु पर आर्य ने एक विशिष्ट जनजाति का उल्लेख किया था।

जबकि शब्द अंततः एक जनजातीय नाम से प्राप्त हो सकता है, पहले से ही ऋग्वेद में यह एक धार्मिक भेदभाव के रूप में प्रकट होता है, जो उन लोगों को अलग करता है जो ऐतिहासिक वैदिक धर्म से संबंधित नहीं हैं, बाद में हिंदू धर्म में उपयोग का प्रस्ताव देते हैं, जहां शब्द धार्मिक धार्मिकता या पवित्रता को दर्शाने के लिए आता है। 
ऋग्वेद 9.63.5 में, आर्य "महान, पवित्र, धर्मी" का उपयोग अरवन के विपरीत "उदार, ईर्ष्यापूर्ण, शत्रुतापूर्ण" के विपरीत नहीं किया जाता है:

संस्कृत महाकाव्य में आर्य शब्द आमतौर पर नैतिक अर्थो में प्रयुक्त है ।
आर्य और अनार्य मुख्य रूप से भारतीय महाकाव्य में नैतिक भावना के सन्दर्भ में उपयोग किए जाते हैं। 
लोगों को आम तौर पर आर्य या अनार्य को उनके व्यवहार के आधार पर कहा जाता है। 
आयरिश भाषा में भारतीयों के समान अनार्य या अनाड़ी
शब्द प्रचलित है 👇

Irish Etymology 
1 From an- +‎ airí.
Noun-
anairí f (genitive singular anairí, nominative plural anairithe)
undeserving, ungrateful, person
Declension 
genitive singular feminine of anaireach (“heedless, careless, inattentive”)
comparative degree of anaireach
Mutation
Irish mutation
RadicalEclipsiswith h-prothesiswith t-prothesis
anairín-anairíhanairínot applicable
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आर्य आमतौर पर धर्म का अनुसरण करते हैं।
  यह ऐतिहासिक रूप से भारत वर्ष या विशाल भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए लागू होता है। महाभारत के अनुसार, एक व्यक्ति का व्यवहार (धन या शिक्षा नहीं) संस्कार पर निर्धारित करता है कि क्या वह आर्य कहा जा सकता है।
आयरिश भाषा में और भी पौराणिक समानताऐं हैं 
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🔰जीवित आयरिश कहानियां - समानताएं -आधार, कहानियां, भारतीय वेदों के सागों में नाम [संस्कृत - 1 सहस्राब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत]। होने के नाते - सेल्ट्स की मां देवी के रूप में उभरती है = दानू (पुरानी आयरिश में अनु) डॉन (ओल्ड वेल्श) के साथ संज्ञेय। वेद, फारस, हित्तियों के साहित्य में उभरता है।
दानू = 'दिव्य जल'।
यूरोपीय नदियों ने उसे स्वीकार किया। डैनुवियस = पहली महान सेल्टिक नदी से जुड़ी कहानी। इस प्रकार> बॉयने के बारे में मिथक (देवी बोन्न से)। और शैनन (देवी सियोनन से)। हिंदू देवी गंगा - गंगा।
सेल्ट्स प्लस हिंदुओं - पवित्र नदियों में + पूजात्मक प्रसाद में पूजा की। वैदिक मिथक = दानू - जलप्रवाह कहानी = महासागर की मंथन में प्रकट होता है।
समानताएं - आयरिश संस्कृति और हिंदू संस्कृति। भाषा - पुरानी आयरिश कानून ग्रंथ (फेनेचस या ब्रेहॉन कानून) और मनु के वैदिक कानून। वेदस = 4 किताबें 1000-500 ईसा पूर्व। संस्कृत रूट - vid + 'ज्ञान'। पुरानी आयरिश = vid = '0bervation', 'धारणा', 'ज्ञान'। इसलिए की तुलना में - सेल्टिक ड्रुइड = ड्रू-विद - 'पूरी तरह से ज्ञान' की तुलना में।
समानताएं - पुरानी आइरिश और संस्कृत। पुरानी आयरिश में आर्य (फ्रीमैन) = संस्कृत, और वायु (एक महान)। संस्कृत में नाइब (अच्छा), और पुराने आयरिश में नोएब (पवित्र)। इसलिए - naomh = संत। मिंडा (शारीरिक दोष) - संस्कृत> मेंडा (एक जो स्टैमर) - पुरानी आयरिश। नमस (सम्मान) - संस्कृत> नेम्ड (सम्मान, निजीकृत) - पुरानी आइरिश। बदुरा (बहरा) - संस्कृत> बोधर (बहरा) - पुरानी आइरिश। 18 वीं शताब्दी अंग्रेजी = 'परेशान' द्वारा उधार लिया गया।

राज (राजा)> आयरिश ri> महाद्वीपीय रिक्स> लैटिन रेक्स।

जर्मनिक समूह - एक और शब्द विकसित किया - यानी, साइयन, कोएनिग, राजा। लेकिन - अंग्रेजी में पहुंचने के रूप में अंग्रेजी के रूप में बनाए रखा = राजा के रूप में भारत-यूरोपीय संकल्पना - जो अपने लोगों की रक्षा के लिए अपने हाथ तक पहुंचता है या फैलाता है। यह अवधारणा = कई भारतीय-यूरोपीय मिथकों में मिली है

ऋग वेदस - आकाश देवता डायुस = अपने लंबे हाथ फैलाता है। कोग्नेट - लैटिन डीयूएस, आयरिश डाया, स्लावोनिक देवोस। मतलब - 'उज्ज्वल वाला'। एक सूर्य देवता महत्व। Dyaus = Dyaus-Pitir = पिता Dyaus। ग्रीक में> ज़ीउस। लैटिन में> जोविस-पाटर (पिता जोव)। जूलियस सीज़र ने देखा कि सेल्ट्स में डि-पाटर (एक पिता देवता) था। आयरिश संदर्भ = ओलाथैयर = सभी पिता। ओलाथैयर = आकाश देवता, लुग को दी गई भूमिका।

लुग - वेल्श मिथक = लू (ब्राइट वन) में। लुग Lamhfada = आयरिश (लंबे हाथ का लुग) = खींचने और पहुंचने। Llew Llaw Gyffes = वेल्श (Skilfull हाथ के Lleu)।

बोन्न - देवी = 'गाय-सफेद'> नदी बॉयने। मां से अँगहस ओग - प्यार भगवान = गुओ-विंडा (गाय खोजक)। वैदिक नाम - गोविंदा = कृष्णा के लिए उपन्यास। आज हिंदू नाम। आकृतियां - पवित्र गाय / बैल = आसानी से सेल्टिक (विशेष रूप से आयरिश) में पाए जाते हैं + वैदिक / हिंदू मिथक। ग्यूलिश ईश्वर - एसस> असुर (शक्तिशाली) और इंद्र के लिए अश्वोपति = उपकला के साथ समान है। Gualish - Ariomanus> वैदिक आर्यमान के साथ संज्ञेय।

घोड़े की रीति-रिवाज - एक बार इंडो-यूरोपियन के साथ आम> आयरिश मिथक और अनुष्ठान + वैदिक स्रोत। "घोड़े और शासक के प्रतीकात्मक संघ का राजात्व अनुष्ठान दोनों में जीवित रहता है।" तिथियां - जब भारत-यूरोपियों ने घोड़ों को पालतू बनाया - इस प्रकार विस्तार शुरू करने में मदद मिली। घोड़े = शक्ति। इसलिए कुशल - कृषि, पशुधन, योद्धाओं।

आयरलैंड - मारे और राजा के प्रतीकात्मक संघ का अनुष्ठान - जेराल्डस कैम्ब्रेनिस [टाइपोग्राफिका हिबर्निया] द्वारा वर्णित। = 11 वीं शताब्दी। भारत - ऋग्वेद  में सरनियन की स्टैलियन और रानी = मिथक की समान प्रतीकात्मक अनुष्ठान।

'सत्य का अधिनियम'। प्राचीन आयरिश पाठ Auraicept Moraind - उपनिषद में एक मार्ग के लिए गलत हो सकता है। [देखें: डिलन, एम। 'द हिंदू एक्ट ऑफ ट्रुथ इन सेल्टिक ट्रेडिशन', मॉडर्न फिलोलॉजी, फरवरी 1 9 47]।

प्रतीकवाद - आयरिश मिथक = मोचाता एक्स (जब ब्लैकथर्न की आग में गरम किया जाता है, तो झूठा जला देगा लेकिन विपरीत नहीं होगा), या - लूटा के लौह (= एक ही गुणवत्ता), या कॉर्मैक मैक आर्ट का कप (= 3 झूठ बोलता है और यह अलग हो जाता है) - 3 सत्य> पूरी तरह से फिर से। चंदग्य उपनिषद में सभी = समकक्ष।

ब्रह्मांड संबंधी शब्द = तुलना - सेल्टिक, वैदिक संस्कृति। समानताएं - हिंदू, सेल्टिक कैलेंडर, उदाहरण के लिए, कॉलिनी कैलेंडर। मूल गणना + खगोलीय अवलोकन + गणना, इसलिए 1100 ईसा पूर्व में डाल दी गई।

Celts = ज्योतिष - 27 चंद्र मकानों पर आधारित 
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-ईरानी तथा संस्कृत भाषा में प्रचलित शब्द वीर यूरोपीय भाषा में प्रचलित( wiHrás )से प्रोटो-इंडो-यूरोपीय रूप से नि: सृत है ।
wiHrós से संस्कृत वीर ( vīrá ) से आयात किया हुआ है।  ग्रीक रूप ʋiːɾ उइर/ वीर • ( vīr ) वीर , नायक , सेनानी , जो बहादुर है ।
wiHrás से , प्रोटो-इंडो-ईरानी * wiHrás से , प्रोटो-इंडो-यूरोपीय wiHrós से । अवेस्तान  ( वीरा ) , लैटिन वीर ( " पुरुष " ) , लिथुआनियाई výras विरास, पुरानी आयरिश फेर , पुराना नॉर्स verr , गोथिक  ( वेयर ) , ओस्सेटियन ир इर   ओस्सेटियन " ) के साथ संज्ञेय , पुरानी अंग्रेज़ी wer (कहां अंग्रेजी wer )। 

1700 ईसा पूर्व - 1200 ईसा पूर्व ,ऋग्वेद में नायक या पति के अर्थ में ।

पाली: भाषा में वीरा सौरसानी प्राकृत:  ( वीरा ) हिंदी: बीर ) → हिन्दी: वीर ( वीर ) → इंडोनेशियाई: विरा → जावानीज: विरा → कन्नड़: विवेर ( वीरा ) → मलय: विरा → मराठी: वीर ( वीर )

लेडो-लेमोस द्वारा प्रस्तावित 'वर्जिन शब्द' की व्युत्पत्ति भी वीरांगना का तद्भव।

"uiH-ro- (आदमी) और * gʷén-eH₂- (महिला)" से एक यौगिक के रूप में वर्जिन शब्द बनता है।
, लेकिन * wir- 'युवा, युवा' ('आदमी' नहीं!) और '* gʷén-' महिला ' । 
इस परिकल्पना के अनुसार, लेट। कन्या एक परिसर के रूप में उभरा जिसका मूल अर्थ "युवा महिला" था (जैसे जर्मन जुंगफ्राउ 'युवा महिला> कुंवारी') के रूप में सन्दर्भित किया जा सकता है ।।

यदि लेडो-लेमोस परिकल्पना सच है, तो प्रतिक्रिया है: दोनों शब्द आईई से आए थे। जड़ जिसका अर्थ 'युवा, युवा' था।

लैटिन यूर का मतलब है "पुरुष", और यह भी माना जाता है कि यह शब्द अन्य भारतीय-यूरोपीय भाषाओं (पुरानी आयरिश फेर, गोथिक वायर इत्यादि) में दिखाता है। हालांकि, यह मानने का एक अच्छा कारण है कि इस तत्व का मूल मूल्य "युवा" था: 

कुछ के मतानुसार  * wiHrós क्रिया से  weyh₁- ("शिकार करने के लिए"  से लिया गया है।

WiHrós --
आदमी
पति
योद्धा, नायक

कर्ताकारक * wiHrós
संबंधकारक * wiHrósyo
विलक्षण दोहरी बहुवचन
कर्ताकारक * wiHrós * wiHróh₁ * wiHróes
सम्बोधन * wiHré * wiHróh₁ * wiHróes
कर्म कारक * wiHróm * wiHróh₁ * wiHróms
संबंधकारक * wiHrósyo *? * wiHróoHom
विभक्ति * wiHréad *? * wiHrómos
संप्रदान कारक * wiHróey *? * wiHrómos
स्थानीय * wiHréy, * wiHróy *? * wiHróysu
वाद्य * wiHróh₁ *? * wiHrṓys
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जर्मनिक, सेल्टिक, और इटालिक रूपों को रूट लारेंजियल के नुकसान के साथ एक छोटा रूप इंगित करता है, जिसे संस्कृत और लिथुआनियाई (बाल्टो-स्लाविक तीव्र, हर्ट के कानून द्वारा रूट स्वर में वापस ले जाने) के आधार पर पुनर्निर्मित किया जाता है।

अर्मेनियाई:
(संभवतः) पुरानी अर्मेनियाई: ամուրի (अमुरी, "पतिहीन")
बाल्टो-स्लाव: * व्यारास ("पति, आदमी")
लातवियाई: वीर
लिथुआनियाई: výras विरास
ओल्ड प्रशिया: विजर
सेल्टिक: * विरोस (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
जर्मनिक: * वेराज़ (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
हेलेनिक: [टर्म?]
(संभवतः) प्राचीन ग्रीक: * ϝῑρος (* विरोस, "हॉक, ईगल")
प्राचीन यूनानी: * ϝῑρᾱξ (* विरैक्स) 
प्राचीन यूनानी: ἱέρᾱξ (hiérāx)
इंडो-ईरानी: * wiHrás (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
इटालिक: * विरोस (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
Tocharian: [टर्म?]
Tocharian ए: wir ("युवा, युवा, ताजा")
देखें संस्कृतियों भाषा में वीर शब्द के सन्दर्भ -
↑वीर = शौर्य्ये । इति कविकल्पद्रुमः ॥ 
(अदन्तचुरा०-आत्म०-अक०-सेट् ) ङ, अविवीरत । 
शौर्य्यमुद्यमः । इति दुर्गादासः निरुक्त भाष्य॥

वीरम्=, (अज् धातु + “स्फायितञ्चिवञ्चीति ” 
उणादि सूत्र १।१३ ।
अर्थात् वी धातु का अज् आदेश होने पर  इत्यादिना रक् प्रत्यय ।
अजे- र्वीभावः ।
वीर + अच् वा ) शृङ्गी । नडः ।
इति मेदिनी ।  ६७ ॥ मरिचम् । 
पुष्कर- मूलम् । 
काञ्जिकम् । 
उशीरम् । 
आरूकम् । इति राजनिर्घण्टः ॥ 
वीरशब्दो मेदिन्यां पवर्गीयवकारादौ दृष्टोऽपि वीरधातोरन्तःस्थवकारादौ दर्शनादत्र लिखितः ॥

वीरः, पुं० (वीरयतीति । वीर विक्रान्तौ + पचाद्यच् । यद्वा, विशेषेण ईरयति दूरीकरोति शत्रून् ।
वि + ईर + इगुपधात् कः ।
यद्वा, अजति क्षिपति शत्रून् ।
अज + स्फायितञ्चीत्यादिना रक् । 
अजेर्व्वीः आदेश ) शौर्य्यविशिष्टः । 
तत्पर्य्यायः ।
१ -शूरः २ -विक्रान्तः ३ -। इत्यमरः कोश । २ । ८ । ७७ ॥ गण्डीरः ४ तरस्वी ५ । 
इति जटाधरः ॥ (यथा, महाभारते । १ ।१४१ ।४५ । “मृगराजो वृकश्चैव बुद्धिमानपि मूषिकः ।
 निर्ज्जिता यत्त्वया वीरास्तस्माद्वीरतरो भवान् ॥
वेदों में वीर शब्द का प्रयोग -
यथा च ऋग्वेदे । १ । ११४ । ८ ।
“वीरान्मानो रुद्रभामितो वधीर्हविष्यन्तः सद्मि त्वा हवामहे ॥” “वीरान् वीक्रान्तान् ।” इति सायणः भाष्य॥ 
पुत्त्रः । यथा, ऋग्वेदे । ५ । २० । ४ । “वीरैः स्याम सधमादः ” “वीरैः पुत्त्रैश्च सधमादः सहमाद्यन्तः स्याम तथा कुरु ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥
पतिः । 
पुत्त्रश्च । यथा, मार्कण्डेये । ३५ । ३१ । 
“न चालपेज्जनद्विष्टां वीरहीनां तथा स्त्रियम् । गृहादुच्छिष्टविण्मूत्रपादाम्भांसि क्षिपेद्बहिः ॥
यथा च अवीरा निष्पतिसुता ।
इत्यमरदर्शनाच्च ॥
दनायुदैत्यपुत्त्रः । यथा, महाभारते । १ । ६५ । ३३ । “दनायुषः पुनः पुत्त्राश्चत्त्वारोऽसुरपुङ्गवाः । 
विक्षरो बलवीरौच वृत्रश्चैव महासुरः ) 
जिनः । नटः । इति हेमचन्द्रः ॥
विष्णुः । यथा, वीरोऽनन्तो धनञ्जयः । 
इति विष्णु सहस्रनाम ॥ 
शृङ्गाराद्यष्टरसान्तर्गतरसविशेषः । 
तत्पर्य्यायः । उत्साहवर्द्धनः २ । इत्यमरः ॥ 
“उत्तमप्रकृतिर्वीर उत्साहस्थायिभावकः । 
महेन्द्रदैवतो हेमवर्णोऽयं समुदाहृतः ॥
उत्साहं वर्द्धयति इति उत्साहवर्द्धनः नन्द्यादित्वादनः । दानधर्म्मयुद्धेषु जीवानपेक्षोत्साहकारी रसो वीरः । वीरयन्ते अत्र वीरः । 
वीर तङ्कत् शौर्य्ये घञ् स्फीततयैव स्वाद्यते इति सर्व्व- रसलक्षणं कटाक्षितम् ।
इति भरतः ॥ तान्त्रिकभावविशेषः ।
यथा, -- “तत्रैव त्रिविधो भावो दिव्यवीरपशुक्रमः । दिव्यवीरैकजः प्रोक्तः 

वीरः, त्रि, श्रेष्ठः । इति हेमचन्द्रः ॥ (कर्म्मठः । यथा, ऋग्वेदे । ८ । २३ । १९ । “इमं धा वीरो अमृतं वीरं कृण्वीतमर्त्त्यः
“वीरः कर्म्मणि समर्थः ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥ यथा च । तत्रैव । ६ । २३ । ३ । 
“कर्त्ता वीराय सुष्वय उलोकं दाता वसु स्तुवते कीरये चित् ॥” “वीराय यज्ञादि कर्म्मसु दक्षाय ” 
इति तद्भाष्ये सायणः ॥ 
प्रेरयिता । यथा, तत्रैव । ६ । ६५ । ४ । 
“इदा हि वो विधते रत्नमस्तीदा वीराय दाशुष उषासः
“वीराय प्रेरयित्रे ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥)
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वाचस्पत्यम्
'''वीर''' 
नपुंसकलिंग रूप वीर--अच्। 

१ शृङ्गिणि 

२ नडे मेदि॰ 

३ गरिचे 

४ पद्म-मूले 

५ काञ्चिके 

६ उशीरे 

७ आरूके राजनि॰। 

८ शौर्य्यवि-शिष्टे शूरे त्रि॰ अमरः। 

९ जिने 

१० नटे पु॰ हेमच॰। 

११ विष्णौ पु॰ विष्णुस॰।
तन्त्रोक्ते 

१२ कुलाचारयुते त्रि॰ कुलाचारशब्दे पृ॰ दृश्यम्। 

१३ तण्डुलीये 

१४ वराहकन्दे

१५ लताकरञ्जे 

१६ करवीरे 

१७ अर्जुने पु॰ राजनि॰

१८ यज्ञाग्नौ भरतः वीरहा। 

१९ उत्तरे 

२० सुभटे च मेदि॰। 

२१ श्रेष्ठे त्रि॰ हेमच॰। 

२२ पत्यौ 

२३ पुत्रे च 

“अवीरानिष्पति सुता” अमरः कोश। 
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🔼 बाइबिल में अबीर नाम की उत्पत्ति मूलक अवधारणा 

अबीर नाम  जीवित अथवा अस्तित्वमान्  ईश्वर के खिताब में से एक है।
किसी कारण से इसका आमतौर पर अनुवाद किया जाता है (किसी कारण से सभी भगवान के नाम आमतौर पर अनुवादित होते हैं ।
और आमतौर पर बहुत सटीक नहीं होते हैं), और पसंद का अनुवाद आमतौर पर ताकतवर होता है, जो बहुत सटीक नहीं होता है। अहीर नाम बाइबल में छह बार होता है लेकिन कभी अकेला नहीं होता; पांच बार यह जैकब नाम और एक बार इज़राइल के साथ मिलकर है।

यशायाह 1:24 हमें तेजी से उत्तराधिकार में भगवान के चार नाम मिलते हैं क्योंकि यशायाह ने रिपोर्ट की: "इसलिए 1-अदन, 2-(यह्व )YHWH ,3-सबाथ ,4-अबीर इज़राइल घोषित करता है । 
यशायाह 49:26 में एक और पूर्ण कॉर्ड होता है: 
सभी मांस (आदमी )यह जान लेंगे कि मैं, हे प्रभु, आपका उद्धारकर्ता और आपका उद्धारक, अबीर याकूब हूं, "और जैसा यशायाह 60:16 में समान है।

पूरा नाम अबीर याकूब स्वयं पहली बार याकूब द्वारा बोला जाता था। 
अपने जीवन के अंत में, याकूब ने अपने बेटों को आशीर्वाद दिया, और जब यूसुफ की बारी थी तो उसने अबीर याकूब (उत्पत्ति 49:24) के हाथों से आशीर्वादों से बात की।
कई सालों बाद, स्तोत्रवादियों ने राजा दाऊद को याद किया, जिन्होंने अबीर जैकब द्वारा शपथ ली थी कि वह तब तक सोएगा जब तक कि उसे (YHWH )के लिए जगह नहीं मिली; अबीर याकूब के लिए एक निवास स्थान (भजन 132: 2-5)।
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       अबीर नाम की भाषिक व्युपत्ति
अबीर नाम हिब्रू धातु उबर ('बर ) से आता है, जिसका मोटे तौर पर अर्थ होता है मजबूत
सन्दर्भ:-
अबारीम प्रकाशन 'ऑनलाइन बाइबिल हिब्रू शब्दकोश
אבר
रूट אבר ('br) एक उल्लेखनीय जड़ है !
जो सभी सेमिटिक भाषा स्पेक्ट्रम पर होती है। मूल रूप से बाइबल में क्रिया के रूप में नहीं होता है लेकिन अश्शूर (असीरियन भाषा )में इसका अर्थ मजबूत या दृढ़ होना है। 
हिब्रू में स्पष्ट रूप से कई शब्द हैं जिन्हें ताकत के साथ प्रयोग करना हुआ है, लेकिन यह एक विशिष्ट प्रकार की शक्ति को दर्शाता है।
अर्थात् पक्षी के पंख या फ्लाइट-पंखों का।

यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि पूर्वजों ने पंख को कैसे देखा (या उन्होंने इसे "मजबूत" क्यों नाम दिया), लेकिन इसका कारण यह है कि उन्होंने इसे दो एपिडर्मल विकासों में से एक के रूप में पहचाना जिसके साथ एक प्राणी स्वाभाविक रूप से कवर किया जा सकता है, दूसरा बाल होने (और exoskeletons गिनती नहीं)। शायद पूर्वजों ने बालों को "कमज़ोर" और पंख को उनके मजबूत संरचनात्मक गुणों के कारण "मजबूत" के रूप में देखा होगा ।
लेकिन यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि बालों के लिए हिब्रू शब्द, अर्थात् शियर (सर ) का हिस्सा है ।शब्दों का एक समूह जो सभी को एक गहन भावनात्मक अनुभव के साथ करता है (और इस पर नज़र डालने के लिए, बाइबल में बालों पर 
riveting लेख देखें)। 
जब एक बालों वाले प्राणी को डर लगता है, तो यह केवल अपने जीवन के लिए लड़ सकता है या दौड़ सकता है; एक पंख वाले प्राणी बस उठा सकते हैं और निकल सकते हैं।

पृथ्वी से उठने और स्वर्ग की तरफ उड़ने की एक पक्षी की क्षमता का आध्यात्मिक पहलू हिब्रू कवियों से नहीं बच पाया; कुछ स्वर्गदूतों को पक्षियों की तरह पंख होते हैं जिनके साथ वे उड़ते हैं (यशायाह 6: 2)।
और यहां तक ​​कि भगवान स्वयं भी पंख रूप हैं ।(भजन 91: 4)। लेकिन चूंकि स्वर्गदूतों के पास आमतौर पर मानव उपस्थिति होती है और मनुष्य ईश्वर की छवि में बने होते हैं, इसलिए इसका कारण यह है कि मनुष्यों के पंख भी होते हैं। और इसका मतलब है कि:

पक्षियों के भौतिक अंग केवल एक सामान्य गुणवत्ता के शारीरिक अभिव्यक्तियां मात्र हैं, और
भगवान, स्वर्गदूतों और मनुष्यों के पंख गैर भौतिक पंख हैं जो भौतिक पंख पक्षियों के लिए समान चीज लाते हैं।
अब, वह "एक ही चीज़" क्या हो सकती है?

पूर्वजों ने आज की तुलना में बहुत अधिक देखभाल के साथ सृजन का निरीक्षण किया, और उन्होंने ध्यान दिया कि उड़ान एक पंख का सबसे परिभाषित कार्य नहीं है। वास्तव में, पंख के लिए हिब्रू शब्द כנף (कानप) है, और संबंधित क्रिया כנף (कानप) है।
जिसका मतलब उड़ना नहीं है बल्कि छुपा या संलग्न करना है। यशायाह के सेराफिम में छह पंख हैं, लेकिन केवल दो उड़ान के लिए उपयोग किए जाते हैं और चार को कवर और संरक्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इसलिए यशायाह YHWH की यरूशलेम की रक्षा करता है जैसे कि यरूशलेम की रक्षा उसकी चोंच (यशायाह 31: 5) और भगवान के पंखों के नीचे शरण लेने के स्तोत्रवादी (भजन 91: 4)। 
पंखों और कीड़ों जैसे पंख वाले जीव सामूहिक रूप से इसी तरह के क्रिया के बाद ףף ('op) के रूप में जाना जाता था, लेकिन एक संबद्ध संज्ञा עפעף (' ap'ap) का अर्थ पलक है; वह अंग जो आंख को ढकता है और उसकी रक्षा करता है।
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दूसरे शब्दों में: पंख अनिवार्य रूप से वाद्य यंत्र होते हैं जिनके साथ छिपाने या सुरक्षा करने के लिए, और उड़ान पंखों का एक मात्र दुष्प्रभाव है। पंखों वाली चीजें ऐसी चीजें हैं जो उन पंखों के नीचे जो कुछ भी प्राप्त कर सकती हैं, उनकी रक्षा करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, यानी, जो कुछ भी रक्षात्मक संचालन 
(जैसे कहें, एक शहर की रक्षा दीवार या एक सैनिक के सुरक्षात्मक कवच) की उस सीमा के भीतर हो सकती है। यही कारण है कि पंख वाली चीजें स्वाभाविक रूप से और प्रति परिभाषा मजबूत हैं। ऐसा नहीं है क्योंकि वे आकाश तक उतर सकते हैं।

हमारी जड़ बाइबिल के व्युत्पन्न हैं:

मासूम संज्ञा אבר ('eber), जिसका मतलब पिनियन (पंख), पंख पर या पंखों के साथ आप क्या कर सकते हैं करने की क्षमता। यह संज्ञा तीन बार होता है:
भजन 55: 6 में दाऊद भयभीत रूप से भयभीत करता है, और चाहता है कि कोई उसे कबूतर की तरह देगा (योना, योना), तो वह उड़ सकता है (עוף, 'op) और बसने (שכן , शाकन) [शांति में?]। भविष्यवक्ता यशायाह ने मशहूर रूप से घोषित किया कि जो लोग YHWH की प्रतीक्षा करेंगे वे आगे बढ़ेंगे (अल्लाह, 'एला) जैसे ईगल्स की तरह (यशायाह 40:31)। 
और यहेज्केल ने डाबर YHWH से एक पहेली प्राप्त की, 
जिसने स्पष्ट रूप से बेबीलोन साम्राज्य को महान पंखों (कन्फिम्स, कानापीम) के साथ एक महान ईगल के रूप में चित्रित किया, जिसमें लंबे पंख (उबेर) और पूर्ण पंख (नोवा, नोसा) और विभिन्न रंग (यहेजकेल 17: 3) )।
स्त्री समकक्ष אברה ('ebra), जिसका अर्थ है और चार बार उपयोग किया जाता है: अय्यूब 3 9:13 में शुतुरमुर्ग प्यार और प्यार के पंख के साथ खुशी से flaps। 
मुश्किल स्तोत्र में 68:13 "वह जो घर पर बनी हुई है," एक स्पष्ट लड़ाई के बाद, एक सुरक्षा में निहित है जो कबूतर के चांदी के पंख और सोने के साथ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यवस्थाविवरण 32:11 में, यहोवा एक ईगल के बराबर है जिसने याकूब (= इज़राइल) को अपने अल्लाह में पकड़ा, जबकि उसके ऊपर घूमते हुए और उसकी देखभाल की और उसकी आंखों के सेब की तरह उसकी रक्षा की।
कुछ समान है, लेकिन अनुकरण के बिना, 
भजन 91: 4 में होता है, जहां कोई व्यक्ति जो भगवान पर भरोसा करता है वह अपने पंखों के नीचे शरण ले सकता है और वह उसे अपने स्वामी के साथ ढकेलगा।
Denominative verb אבר ('abar), जिसका अर्थ है: पिनियंस / पंखों का उपयोग करना। यह नौकरी 3 9: 26 में केवल एक बार उपयोग किया जाता है। अधिकांश अनुवाद मानते हैं कि भगवान अय्यूब से पूछता है कि क्या यह उसकी समझ से है कि हॉक उगता है, लेकिन जाहिर है कि हमारी क्रिया उड़ान तक ही सीमित नहीं है।
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विशेषण אביר ('abbir) आवीर, आभीर जिसका अर्थ मजबूत है (जिस तरह पंख मजबूत है), और यह वह जगह है जहां हमारी जड़ और भी दिलचस्प हो जाती है:
विशेषण אביר ('abbir) का शाब्दिक अर्थ है पंख, जिसका अर्थ हिब्रू की तुलना में अंग्रेजी में कुछ और है। हिब्रू में यह शब्द एक पंख-पंख की कठोरता और लचीलापन के साथ-साथ पंख के सुरक्षात्मक गुणों और वाहक और संभावित मेहमानों को सुरक्षा के प्रति अपनी क्षमता को प्रतिबिंबित करता है।
यह शब्द अक्सर सैन्य संदर्भों में प्रकट होता है (पराक्रमी, नौकरी 24:22, यिर्मयाह 46:15, विलाप 1:15), और यहां अबारीम प्रकाशनों में हम आश्चर्य करते हैं कि क्या यह शायद एक प्रकार के सैनिक के लिए सामान्य शब्द के रूप में भी कार्य करता है, तुलनीय डेविड के "पराक्रमी पुरुष" (जो एक अलग शब्द है, गेबर, गेबर से)।

सबसे ज़ोरदार बात यह है कि इस शब्द का प्रयोग ईश्वर के व्यक्तिगत नाम के रूप में भी किया जाता है, अर्थात् अबीर, जिसका अर्थ ताकतवर है।

Masoretes हमारे विशेषण 'abbir और इस नाम' abir के उच्चारण के बीच एक मिनट के अंतर पर जोर दिया, लेकिन इस शब्द को पहली बार लिखा था के बाद 1500 साल तक यह अंतर मौजूद नहीं था।


अर्थात् कृषि कार्य.भी ड्रयूडों की वन मूलक संस्कृति से अनुप्रेरित है । 
देव संस्कृति के उपासक आर्यों की संस्कृति ग्रामीण जीवन मूलक है और कृषि विद्या के जनक आर्य थे । परन्तु आर्य विशेषण पहले असुर संस्कृति के अनुयायी ईरानीयों का था।
यह बात आंशिक सत्य है क्योंकि बाल्टिक सागर के तटवर्ती ड्रयूडों (Druids) की वन मूलक संस्कृति से जर्मनिक जन-जातियाँ से सम्बद्ध इस देव संस्कृति के उपासक आर्यों ने यह प्रेरणा ग्रहण की।
 …सर्व-प्रथम अपने द्वित्तीय पढ़ाव में मध्य -एशिया में ही कृषि कार्य आरम्भ कर दिया था। 
देव संस्कृति के उपासक आर्य स्वभाव से ही युद्ध-प्रिय व घुमक्कड़ थे ।
घोड़े रथ इनके -प्रिय वाहन थे ।
परन्तु इनका मुकाविला सेमैेटिक असीरियन जन जाति से मैसॉपोटामिया की संस्कृतियों में परिलक्षित है ।
असीरियन जन-जाति के बान्धव यहूदीयों का जीवन चरावाहों का जीवन था ।
ये कुशल चरावाहों के रूप में  सम्पूर्ण एशिया की धरा पर अपनी महान सम्पत्ति गौओं के साथ कबीलों के रूप में यायावर जीवन व्यतीत करते थे ।
 ….यहीं से इनकी ग्राम - सभ्यता का विकास हुआ था .अपनी गौओं के साथ साथ विचरण करते हुए .
जहाँ जहाँ भी ये विशाल ग्रास-मेदिनी (घास के मैदान )देखते उसी स्थान पर अपना पढ़ाव डाल देते थे ।
उसी प्रक्रिया के तहत बाद में ग्राम शब्द (पल्लि या गाँव) शब्द का वाचक  हो गया ।
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 संस्कृत भाषा में ग्राम शब्द की व्युत्पत्ति इसी व्यवहार मूलक प्रेरणा से हुई!
क्यों कि अब भी . संस्कृत तथा यूरोप की सभी भाषाओं में…. ग्राम शब्द का मूल अर्थ ग्रास-भूमि तथा घास है । इसी सन्दर्भ में यह तथ्य भी प्रमाणित है कि देव संस्कृति के उपासक आर्य ही ज्ञान और लेखन क्रिया के विश्व में द्रविडों के बाद द्वित्तीय प्रकासक थे । …ग्राम शब्द संस्कृत की ग्रस् …धातु मूलक है..—–(ग्रस् मन् )प्रत्यय..आदन्तादेश..ग्रस् धातु का ही अपर रूप ग्रह् भी है । जिससे ग्रह शब्द का निर्माण हुआ है अर्थात् जहाँ खाने के लिए मिले वह घर है । 
इसी ग्रस् धातु का वैदिक रूप… गृभ् …है ; गृह ही ग्रास है 
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अंग्रेजी शब्द "आर्यन" (मूल रूप से "एरियन" लिखा गया) संस्कृत शब्द आर्य से लिया गया था ।
 आर्य, 18 वीं शताब्दी में और सभी के द्वारा उपयोग किया जाने वाला आत्म-पदनाम माना जाता है ।
भारत-यूरोपीय लोग प्राय: इस शब्द का अधिक प्रयोग करते रहे हैं ।

आर्य शब्द का ऐैतिहासिक प्रचलित रूप -
आर्य शब्द के सबसे शुरुआती रूप से प्रमाणित संदर्भ 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बेहिस्तून शिलालेख ईरान में प्राप्त होता है, जो स्वयं को "आर्य [भाषा या लिपि]"  में लिखा गया है।
जैसा कि अन्य सभी पुरानी ईरानी भाषा के उपयोग के मामले में भी है, शिलालेख की आर्यता "ईरानी" के अलावा कुछ भी संकेत नहीं देती है।
फिलोलॉजिस्ट (भाषा वैज्ञानिक) जेपी मैलोरी का तर्क है कि "एक जातीय पदनाम के रूप में, शब्द [आर्यन] भारत-ईरानियों तक सबसे उचित रूप से सीमित है, और सबसे हाल ही में बाद वाले लोगों के लिए जहां यह अभी भी ईरान देश को अपना नाम देता है"
संस्कृत भाषा में आर्य शब्द का प्रयोग -

प्रारम्भिक वैदिक साहित्य में,(संस्कृत: आर्यावर्त, आर्यों का निवास) शब्द उत्तरी भारत को दिया गया था ।
जहां भारत-आर्य संस्कृति आधारित थी।
मनुस्म्ति (2.22) नाम आर्यावर्त को पूर्वी (बंगाल की खाड़ी) से पश्चिमी सागर (अरब सागर) तक हिमालय और विंध्य पर्वत के बीच का मार्ग निर्धारित कर देता है। 
प्रारम्भिक रूप में इस शब्द को वैदिक देवताओं (विशेष रूप से इंद्र) की पूजा करने वाले लोगों के लिए नामित करने के लिए राष्ट्रीय नाम के रूप में उपयोग किया गया था और वैदिक संस्कृति में (जैसे बलिदान, यज्ञ का प्रदर्शन) के सन्दर्भ में प्रयोग किया गया था।

प्रोटो-इंडो-ईरानी -------
संस्कृत शब्द प्रोटो-इंडो-ईरानी लोगों के लिए ज़ैद अवेस्ता में  एयर्या  के रूप में 'आदरणीय' तथा वीर के अर्थ में है ।
और पुरानी फारसी आर्य शब्द भी है ।

ईरानी भाषाओं में, मूल आत्म-पहचानकर्ता "एलन" और "आयरन" जैसे जातीय नामों पर रहता है।
इसी तरह, ईरान का नाम आर्यों की भूमि / स्थान के लिए फारसी शब्द है।

प्रोटो-इंडो-ईरानी शब्द को प्रोटो-इंडो-यूरोपीय उत्पत्ति के लिए अनुमानित किया गया है।
जबकि स्झेमेरेनी पाश्चात्य इतिहास विद के अनुसार यह संभवतया उग्रेटिक  आरी शब्द से साम्य रखता है ।
या उससे नि:सृत है ।

इसे प्रोटो-इंडो-यूरोपीय रूट शब्द को हेरोस haerós "के अर्थों के साथ" अपने स्वयं के (जातीय) समूह, सहकर्मी,स्वतन्त्र व्यक्ति "के सदस्यों के साथ-साथ आर्य के भारत-ईरानी अर्थ के साथ नियत किया गया है। 
इससे व्युत्पन्न शब्द थे !

"It has been postulated the Proto-Indo-European root word is (haerós) with the meanings "members of one's own (ethnic) group, peer वीर , freeman" as well as the Indo-Iranian meaning of Aryan. Derived from it were words like

the Hittite prefix arā- meaning member of one's own group, peer, companion and friend;
Old Irish aire, meaning "freeman" and "noble"
Gaulish personal names with Ario-
Avestan airya- meaning Aryan, Iranian in the larger sense
Old Indic ari- meaning attached to, faithful, devoted person and kinsman
Old Indic aryá- meaning kind, favourable, attached to and devoted
Old Indic árya- meaning Aryan, faithful to the Vedic religion.
The word (haerós) itself is believed to have come from the root (haer)- meaning "put together". The original meaning in Proto-Indo-European had a clear emphasis on the "in-group status" as distinguished from that of outsiders, particularly those captured and incorporated into the group as slaves. While in Anatolia, the base word has come to emphasize personal relationship, in Indo-Iranian the word has taken a more ethnic meaning.
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हित्ताइट उपसर्ग अरा- जिसका मतलब किसी के अपने समूह, साथी, साथी और मित्र का सदस्य है;

पुरानी आयरिश भाषा में आइर (आयर ), जिसका अर्थ है :- अभिजात अथवा स्वतन्त्र  और "महान" Old Irish (aire), meaning "freeman" and "noble"
एरियो- के साथ व्यक्तिगत नाम गॉलिश (प्राचीन फ्राँन्स की भाषा ) में तथा ईरानीयों के धर्म-ग्रन्थ
अवेस्ता में एेर्या airya है  जिसका अर्थ है आर्यन, ईरानी बड़े अर्थ में
ओल्ड इंडिक प्राचीन भारतीय भाषा में एरि-अर्थात्, वफादार, समर्पित व्यक्ति और रिश्तेदार से जुड़ा हुआ है।

माना जाता है कि  हेरोस स्वयं मूल हायर-अर्थ "एक साथ रखे" से आया है।
प्रोटो-इंडो-यूरोपीय में मूल अर्थ "इन-ग्रुप स्टेटस" पर स्पष्ट जोर दिया गया था, जो बाहरी लोगों की ओर से विशिष्ट था, विशेष रूप से उन लोगों को पकड़ा गया और समूह में गुलामों के रूप में शामिल किया गया था।
अनातोलिया (एशिया-माइनर) की भाषाओं में, मूल शब्द व्यक्तिगत सम्बन्धों पर जोर देने के लिए आया है, भारत-ईरानी में इस शब्द ने अधिक जातीय अर्थ ग्रहण कर लिया है। 
सम्भवतया जर्मन , हर्मन अथवा आर्यन का अर्थ भ्रातृत्व है ।

इस सन्दर्भ में कई अन्य विचारों की समीक्षा, और प्रत्येक के साथ विभिन्न समस्याओं को विश्लेषित ओसवाल्ड स्झेमेरेनी द्वारा दिया जाता है। 

नाज़ियों ने नस्लीय अर्थ में लोगों का वर्णन करने के लिए "आर्यन" शब्द का प्रयोग किया। 
नाजी के आधिकारिक अल्फ्रेड रोसेनबर्ग का मानना ​​था कि नॉर्डिक जाति प्रोटो-आर्यों से निकली थी, जिन्हें उनका मानना ​​था कि उत्तरी जर्मन मैदान पर प्रागैतिहासिक रूप से रहते थे ।
और आखिरकार अटलांटिस के खोए महाद्वीप से निकल गए थे। 
नाजी नस्लीय सिद्धांत के अनुसार,"आर्यन" शब्द ने जर्मनिक लोगों का वर्णन किया।हालांकि, "आर्यन" की एक संतोषजनक परिभाषा नाजी जर्मनी के दौरान समस्याग्रस्त रही।

नाज़ियों को सबसे पुराना आर्य माना जाता है जो "नॉर्डिक रेस" भौतिक आदर्श से संबंधित हैं, जिन्हें नाजी जर्मनी के दौरान "मास्टर रेस" के नाम से जाना जाता है। 
हालांकि नाजी नस्लीय सिद्धांतकारों का भौतिक आदर्श आम तौर पर लंबा था, निष्पक्ष बालों वाली और हल्की आंखों वाले नॉर्डिक व्यक्ति, ऐसे सिद्धांतकारों ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि बाल और आंखों का रंग काफी हद तक नस्लीय श्रेणियों के भीतर मौजूद था।
उदाहरण के लिए, एडॉल्फ हिटलर और कई नाजी अधिकारियों के पास काले बाल थे और उन्हें अभी भी नाज़ी नस्लीय सिद्धांत के तहत आर्यन जाति के सदस्य माना जाता था, क्योंकि किसी व्यक्ति के नस्लीय प्रकार का निर्धारण केवल एक परिभाषित करने के बजाय किसी व्यक्ति में कई विशेषताओं की पूर्वनिर्धारितता पर निर्भर करता है सुविधा। 
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The Nazis used the word "Aryan" to describe people in a racial sense. 
The Nazi official Alfred Rosenberg believed that the Nordic race was descended from Proto-Aryans, who he believed had prehistorically dwelt on the North German Plain and who had ultimately originated from the lost continent of Atlantis. 
According to Nazi racial theory, the term "Aryan" described the Germanic peoples. However, a satisfactory definition of "Aryan" remained problematic during Nazi Germany.
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The Nazis considered the most purest Aryans to be those that belonged to the "Nordic race" physical ideal, known as the "master race" during Nazi Germany.Although the physical ideal of the Nazi racial theorists was typically the tall, fair-haired and light-eyed  Nordic individual, such theorists accepted the fact that a considerable variety of hair and eye colour existed within the racial categories they recognised. For example, Adolf Hitler and many Nazi officials had dark hair and were still considered members of the Aryan race  under Nazi racial doctrine, because the determination of an individual's racial type depended on a preponderance of many characteristics in an individual rather than on just one defining feature."
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सितंबर 19 35 में, नाज़ियों ने नूर्नबर्ग कानून पारित किया। सभी आर्यन रीच नागरिकों को अपने आर्यन वंश को साबित करने की आवश्यकता थी, एक तरह से बपतिस्मा प्रमाण पत्र के माध्यम से सबूत प्रदान करके अहनेनपास प्राप्त करना था कि सभी चार दादा दादी आर्यन वंश के थे।
दिसंबर 1 9 35 में, नाज़ियों ने जर्मनी में आर्यन जन्म दर गिरने और नाजी यूजीनिक्स को बढ़ावा देने के लिए लेबेन्सबोर्न की स्थापना की। 

भारतीय / संस्कृत साहित्य में आर्य शब्द का अर्थ
संस्कृत और संबंधित भारतीय भाषाओं में, आर्य का अर्थ है "वह जो महान कर्म करता है, एक महान व्यक्ति"। Āryvarta "आर्यों का निवास" संस्कृत साहित्य में उत्तर भारत के लिए एक आम नाम है।
मनु-स्मृति (2.22) नाम "पूर्वी सागर से पश्चिमी सागर तक हिमालय और विंध्य पर्वत के बीच का क्षेत्र को आर्यावर्त" नाम दिया जाता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न संशोधनों के साथ शीर्षक आर्य का उपयोग किया गया था।
 लगभग 1 ईसा पूर्व की कलिंग के सम्राट खरावेला को उड़ीसा के भुवनेश्वर में उदयगिरी और खंडागिरी गुफाओं के हाथीगुम्फा शिलालेखों में एक आर्य के रूप में जाना जाता है।
10 वीं शताब्दी में गुर्जर-प्रतिहार शासकों को "आर्यवार्त के महाराजाधिराज" शीर्षक दिया गया था।
जो निश्चित रूप से जॉर्जियाई अथवा गुर्जिस्तान के निवासी थे ।
जिनका माउण्ट आबू पर राजपूत करण हुआ ।
रामायण और महाभारत में, आर्य को हनुमान समेत कई पात्रों के लिए सम्मानित माना जाता है।
परन्तु यहाँ यह नाम केवल वीरता सूचक है ।
जातिगत कदापि नहीं वैसे भी वाल्मीकि रामायण बौद्ध काल के बाद की रचना है ।
पूरे यूरोप और मध्य पूर्व में 500 ईसा पूर्व में भारत-यूरोपीय भाषाओं में आर्य शब्द मिलता है ।
यद्यपि हुर्रियन शब्द में सुर रूप अधिक ध्वनित होता है परन्तु कुछ विद्वान इसे आर्यन शब्द का तद्भव मानने के पक्षधर हैं ।
ईरानी साहित्य आर्य शब्द-
पुरानी इंडो-आर्य में आर्य से जुड़े कई अर्थों के विपरीत, पुरानी फारसी शब्द का केवल जातीय अर्थ है। 
यह भारतीय उपयोग के विपरीत है, जिसमें कई माध्यमिक अर्थ विकसित हुए हैं, अर्थात् आत्म-पहचानकर्ता के रूप में अर्थ का अर्थ ईरानी उपयोग में संरक्षित है, इसलिए "ईरान" शब्द है।
The Avesta clearly uses airya/airyan as an ethnic name (Vd. 1; Yt. 13.143-44, etc.), where it appears in expressions such as airyāfi; daiŋˊhāvō "Iranian lands, peoples", airyō.šayanəm "land inhabited by Iranians", and airyanəm vaējō vaŋhuyāfi; dāityayāfi; "Iranian stretch of the good Dāityā", the river Oxus, the modern Āmū Daryā.
Old Persian  sources also use this term for Iranians. Old Persian which is a testament to the antiquity of the Persian language and which is related to most of the languages/dialects spoken in Iran including modern Persian, the Kurdish languages, and Gilaki makes it clear that Iranians referred to themselves as Arya.

The term "Airya/Airyan" appears in the royal Old Persian inscriptions in three different contexts:
एयरी  का अर्थ "ईरानी" था, और ईरानी anairya  मतलब था और "गैर-ईरानी" का मतलब है। आर्य को ईरानी भाषाओं में एक नृवंशविज्ञान के रूप में भी पाया जा सकता है, उदाहरण के लिए, एलन और फारसी ईरान और ओस्सेटियन  इर / आयरन यह नाम आर्यन के समतुल्य है, ।
जहां ईरान का मतलब है "आर्यों की भूमि," और सस्सिद काल के बाद से उपयोग में हैं
पुरानी फारसी जो फारसी भाषा की पुरातनता का प्रमाण है और जो आधुनिक फारसी, कुर्द भाषा और गिलकी समेत ईरान में बोली जाने वाली अधिकांश भाषाओं / बोलियों से संबंधित है ।
यह स्पष्ट करती है कि ईरानियों ने स्वयं को आर्य के रूप में संदर्भित किया है।

"एयर्या / एयरयान" शब्द शाही पुराने फारसी शिलालेखों में तीन अलग-अलग संदर्भों में दिखाई देता है:

बेहिस्तून में दारा प्रथम के शिलालेख के पुराने फारसी संस्करण की भाषा के नाम के रूप में
पर्शिपोलिस से शिलालेख में नकम-ए-रोस्तम और सुसा (डीएनए, डीएसई) और ज़ेरेक्स I 
में शिलालेखों में दारा प्रथम की जातीय पृष्ठभूमि के रूप में वर्णित है ।
(Behistun )वहिस्तून शिलालेख के (Elamite )एलम भाषा संस्करण में, आर्यों के भगवान, अहुरा मज्दा की परिभाषा के रूप में।

उदाहरण के लिए डीएनए और डीएस दारा और जेरेक्स में खुद को "एक अमेमेनियन, एक फारसी का एक फारसी पुत्र और आर्यन स्टॉक के आर्यन" के रूप में वर्णित किया गया है।
यद्यपि दारा ने अपनी भाषा को  आर्य भाषा कहा, आधुनिक विद्वान इसे पुराने फारसी के रूप में संदर्भित करते हैं क्योंकि यह आधुनिक फारसी भाषा की पूर्वज है। 

ग्रीक स्रोतों द्वारा पुरानी फारसी और अवेस्ता के  साक्ष्य की पुष्टि की गई है।
यूनानी इतिहास कार हेरोडोटस ने अपने इतिहास में ईरानी Medes मदीयन के बारे में टिप्पणी की है कि: "इन Medes को  सभी लोगों द्वारा ईमानदारी से बुलाया गया था;"पृष्ठ संख्या (7.62)।
अर्मेनियाई स्रोतों में, पार्थियन, मेडीयन और फारसियों को सामूहिक रूप से आर्यों के रूप में जाना जाता है। 
[रोड्स के यूडेमस दमसियस के साथ (प्लैटोनिस परमेनिडेम 125 बीआईएस में डबिटेशंस एट सॉल्यूशंस) 

यह "मागी और ईरानी (एरियन) वंशावली के सभी लोगों को संदर्भित करता है; डायोडोरस सिकुलस (1.94.2) ज़ोरोस्टर (ज़थ्रास्टेस) को अरियानो में से एक मानता है। 
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भूगोलकार स्ट्रैबो, अपनी भूगोल में, मेद, फारसी, बैक्ट्रीशियन और सोग्डियन की एकता का उल्लेख करते हैं: 

एरियाना का नाम फारस और मीडिया के एक हिस्से के साथ-साथ उत्तर में बैक्ट्रियन और सोग्डियनों तक भी बढ़ाया गया है; 
इनके लिए लगभग एक ही भाषा बोलती है, लेकिन थोड़ी भिन्नताएं होती हैं।

- भूगोल, पृष्ठ संख्या (15.8)
शापुर के आदेश द्वारा निर्मित त्रिभाषी शिलालेख हमें एक और स्पष्ट विवरण देता है।
इस्तेमाल की जाने वाली भाषा पार्थियन, मध्य फारसी और ग्रीक हैं। ग्रीक में शिलालेख कहता है:
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"... tou Arianon ethnous eimi despotes" जो अनुवाद करता है! "मैं आर्यों का राजा हूं"। 
मध्य फारसी शापौर में कहते हैं: "मैं ईरान शहर का भगवान हूं" और पार्थियन में वह कहता है: "मैं आर्यन शहर का स्वामी हूं"। 
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रब्बाक में कुषाण साम्राज्य के संस्थापक कनिष्क द ग्रेट का बैक्ट्रियन भाषा (एक मध्य ईरानी भाषा)में  शिलालेख, जिसे 1993 में बागानान के अफगानिस्तान प्रांत में एक अप्रत्याशित स्थान में खोजा गया था।
स्पष्ट रूप से इस पूर्वी ईरानी भाषा को आर्य के रूप में संदर्भित करता है।
इस्लामिक युग के बाद भी 10 वीं शताब्दी के इतिहासकार हमज़ा अल-इस्फाहनी के काम में आर्यन (ईरान) शब्द का स्पष्ट उपयोग देख सकता है।
अपनी मशहूर पुस्तक "द हिस्ट्री ऑफ़ प्रोपेट्स एंड किंग्स" में, अल-इस्फहानी लिखते हैं, "आर्यन जिन्हें पार भी कहा जाता है, इन देशों के बीच में है और इन छह देशों में इसका चारों ओर घिरा हुआ है ।
क्योंकि दक्षिण पूर्व चीन, उत्तर में है तुर्कों में, मध्य दक्षिण भारत है, मध्य उत्तर रोम है, और दक्षिण पश्चिम और उत्तर पश्चिम सूडान और बर्बर भूमि है "।
इन सब सबूतों से पता चलता है कि आर्य "ईरानी" नाम सामूहिक परिभाषा थी, जो लोगों को इंगित करता था (गीजर, पीपी 167 एफ।, श्मिट, 1978, पृष्ठ संख्या 31) 
जो एक जातीय भाषा से संबंधित थे, एक आम भाषा बोलते थे , और एक धार्मिक परंपरा है जो अहुरा (असुर महत्) मज़दा की पंथ पर केंद्रित है।

ईरानी भाषाओं में, मूल आत्म-पहचानकर्ता "एलान", "आयरन" जैसे जातीय नामों पर रहता है।
इसी प्रकार, ईरान शब्द आर्य के भूमि / स्थान के लिए फारसी शब्द है। 
यूरोपीय भाषाओं में आर्य शब्द का प्रचलित रूप

"आर्यन" शब्द का उपयोग नव खोजी गई इंडो-यूरोपीय भाषाओं के लिए, और विस्तार से, उन भाषाओं के मूल वक्ताओं के लिए किया गया था। और 19वीं शताब्दी में, "भाषा" को "जातीयता" की संपत्ति माना जाता था, और इस प्रकार भारत-ईरानी या भारत-यूरोपीय भाषाओं के वक्ताओं को "आर्यन जाति" कहा जाता था।
जैसा कि उन्हें क्या कहा जाता था, "सेमिटिक रेस"। 
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, कुछ लोगों के बीच, "आर्यन जाति" की धारणा नॉर्डिसिज्म से निकटता से जुड़ी हुई थी, जिसने अन्य सभी लोगों पर उत्तरी यूरोपीय नस्लीय श्रेष्ठता को जन्म दिया। 
इस "मास्टर रेस" आदर्श ने नाजी जर्मनी के "आर्यननाइजेशन" कार्यक्रमों को दोनों में शामिल किया, जिसमें "आर्यन" और "गैर-आर्यन" के रूप में लोगों का वर्गीकरण सबसे अधिक जोरदार रूप से यहूदियों को छोड़ने के लिए निर्देशित किया गया था। 

द्वितीय विश्व युद्ध 1944 के अंत तक, 'आर्यन' शब्द नाज़ियों द्वारा नस्लीय विचारधाराओं और अत्याचारों के साथ कई लोगों से जुड़ा हुआ था।

19वीं सदी के अंत में और 20 वीं शताब्दी के शुरुआती नस्लीयवाद के रूप में "आर्यन जाति" के पश्चिमी विचारों में प्रमुखता बढ़ी, जो कि नाज़ीवाद द्वारा विशेष रूप से गले लगाए गए विचार थे।  
नाज़ियों का मानना ​​था कि "नॉर्डिक लोग" (जिन्हें "जर्मनिक लोग" भी कहा जाता है)  आर्यों की एक आदर्श और "शुद्ध जाति" का प्रतिनिधित्व करते हैं जो उन लोगों के मूल नस्लीय स्टॉक का शुद्ध प्रतिनिधित्व रूप है ।
जिन्हें बाद में प्रोटो-आर्यों कहा गया था । 
नाजी पार्टी ने घोषणा की कि "नॉर्डिक्स" शुद्ध आर्य थे क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि वे "आर्यन लोगों" कहलाए जाने वाले अन्य लोगों की तुलना में अधिक "शुद्ध" (कम नस्लीय मिश्रित) थे।

इतिहास ---
अवेस्ता में वर्णित शब्द आर्य का प्रयोग प्राचीन फारसी भाषा ग्रंथों में किया जाता है, उदाहरण के लिए 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से बेहिस्तून के शिलालेख में, जिसमें फारसी राजा दारायस द ग्रेट( दारा प्रथम) और ज़ेरेक्स को "आर्यन स्टॉक के आर्यों" (आर्य आर्य चिसा) के रूप में वर्णित किया गया है।
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इस शिलालेख में देवता अहुरा मज़दा को "आर्यों का देवता" और प्राचीन फारसी भाषा के रूप में "आर्यन" के रूप में संदर्भित किया जाता है। 

इस अर्थ में शब्द भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं सहित प्राचीन ईरानियों की कुलीन संस्कृति को भी  संदर्भित करता है।
इस शब्द में जोरोस्ट्रियन धर्म का एक केंद्रीय स्थान भी है जिसमें "आर्यन विस्तार" (एयर्याना वेजाह) को ईरानी लोगों के पौराणिक मातृभूमि और दुनिया के केंद्र के रूप में वर्णित किया गया है। जो वस्तुत: आज का अजर-बेजान है । 
सॉवियत रूस का सदस्य देश

वैदिक साहित्य में आर्य शब्द-
ऋग्वेद में 34 ऋचाओं में आर्य शब्द का प्रयोग 36 बार किया जाता है। 
तलगेरी के अनुसार (2000, ऋग् वेद ए हिस्टोरिकल एनालिसिस) "ऋग्वेद के विशेष वैदिक आर्य इन पुरूषों में से एक वर्ग थे, जिन्होंने खुद को भारत कहा।" इस प्रकार, तालगेरी के अनुसार, यह संभव है कि एक बिंदु पर आर्य ने एक विशिष्ट जनजाति का उल्लेख किया था।

जबकि शब्द अंततः एक जनजातीय नाम से प्राप्त हो सकता है, पहले से ही ऋग्वेद में यह एक धार्मिक भेदभाव के रूप में प्रकट होता है, जो उन लोगों को अलग करता है जो ऐतिहासिक वैदिक धर्म से संबंधित नहीं हैं, बाद में हिंदू धर्म में उपयोग का प्रस्ताव देते हैं, जहां शब्द धार्मिक धार्मिकता या पवित्रता को दर्शाने के लिए आता है। 
ऋग्वेद 9.63.5 में, आर्य "महान, पवित्र, धर्मी" का उपयोग अरवन के विपरीत "उदार, ईर्ष्यापूर्ण, शत्रुतापूर्ण" के विपरीत नहीं किया जाता है:

संस्कृत महाकाव्य में आर्य शब्द आमतौर पर नैतिक अर्थो में प्रयुक्त है ।
आर्य और अनार्य मुख्य रूप से भारतीय महाकाव्य में नैतिक भावना के सन्दर्भ में उपयोग किए जाते हैं। 
लोगों को आम तौर पर आर्य या अनार्य को उनके व्यवहार के आधार पर कहा जाता है। 
आयरिश भाषा में भारतीयों के समान अनार्य या अनाड़ी
शब्द प्रचलित है 👇

Irish Etymology 
1 From an- +‎ airí.
Noun-
anairí f (genitive singular anairí, nominative plural anairithe)
undeserving, ungrateful, person
Declension 
genitive singular feminine of anaireach (“heedless, careless, inattentive”)
comparative degree of anaireach
Mutation
Irish mutation
RadicalEclipsiswith h-prothesiswith t-prothesis
anairín-anairíhanairínot applicable
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आर्य आमतौर पर धर्म का अनुसरण करते हैं।
  यह ऐतिहासिक रूप से भारत वर्ष या विशाल भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए लागू होता है। महाभारत के अनुसार, एक व्यक्ति का व्यवहार (धन या शिक्षा नहीं) संस्कार पर निर्धारित करता है कि क्या वह आर्य कहा जा सकता है।
आयरिश भाषा में और भी पौराणिक समानताऐं हैं 
🎆
🔰जीवित आयरिश कहानियां - समानताएं -आधार, कहानियां, भारतीय वेदों के सागों में नाम [संस्कृत - 1 सहस्राब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत]। होने के नाते - सेल्ट्स की मां देवी के रूप में उभरती है = दानू (पुरानी आयरिश में अनु) डॉन (ओल्ड वेल्श) के साथ संज्ञेय। वेद, फारस, हित्तियों के साहित्य में उभरता है।
दानू = 'दिव्य जल'।
यूरोपीय नदियों ने उसे स्वीकार किया। डैनुवियस = पहली महान सेल्टिक नदी से जुड़ी कहानी। इस प्रकार> बॉयने के बारे में मिथक (देवी बोन्न से)। और शैनन (देवी सियोनन से)। हिंदू देवी गंगा - गंगा।
सेल्ट्स प्लस हिंदुओं - पवित्र नदियों में + पूजात्मक प्रसाद में पूजा की। वैदिक मिथक = दानू - जलप्रवाह कहानी = महासागर की मंथन में प्रकट होता है।
समानताएं - आयरिश संस्कृति और हिंदू संस्कृति। भाषा - पुरानी आयरिश कानून ग्रंथ (फेनेचस या ब्रेहॉन कानून) और मनु के वैदिक कानून। वेदस = 4 किताबें 1000-500 ईसा पूर्व। संस्कृत रूट - vid + 'ज्ञान'। पुरानी आयरिश = vid = '0bervation', 'धारणा', 'ज्ञान'। इसलिए की तुलना में - सेल्टिक ड्रुइड = ड्रू-विद - 'पूरी तरह से ज्ञान' की तुलना में।
समानताएं - पुरानी आइरिश और संस्कृत। पुरानी आयरिश में आर्य (फ्रीमैन) = संस्कृत, और वायु (एक महान)। संस्कृत में नाइब (अच्छा), और पुराने आयरिश में नोएब (पवित्र)। इसलिए - naomh = संत। मिंडा (शारीरिक दोष) - संस्कृत> मेंडा (एक जो स्टैमर) - पुरानी आयरिश। नमस (सम्मान) - संस्कृत> नेम्ड (सम्मान, निजीकृत) - पुरानी आइरिश। बदुरा (बहरा) - संस्कृत> बोधर (बहरा) - पुरानी आइरिश। 18 वीं शताब्दी अंग्रेजी = 'परेशान' द्वारा उधार लिया गया।

राज (राजा)> आयरिश ri> महाद्वीपीय रिक्स> लैटिन रेक्स।

जर्मनिक समूह - एक और शब्द विकसित किया - यानी, साइयन, कोएनिग, राजा। लेकिन - अंग्रेजी में पहुंचने के रूप में अंग्रेजी के रूप में बनाए रखा = राजा के रूप में भारत-यूरोपीय संकल्पना - जो अपने लोगों की रक्षा के लिए अपने हाथ तक पहुंचता है या फैलाता है। यह अवधारणा = कई भारतीय-यूरोपीय मिथकों में मिली है

ऋग वेदस - आकाश देवता डायुस = अपने लंबे हाथ फैलाता है। कोग्नेट - लैटिन डीयूएस, आयरिश डाया, स्लावोनिक देवोस। मतलब - 'उज्ज्वल वाला'। एक सूर्य देवता महत्व। Dyaus = Dyaus-Pitir = पिता Dyaus। ग्रीक में> ज़ीउस। लैटिन में> जोविस-पाटर (पिता जोव)। जूलियस सीज़र ने देखा कि सेल्ट्स में डि-पाटर (एक पिता देवता) था। आयरिश संदर्भ = ओलाथैयर = सभी पिता। ओलाथैयर = आकाश देवता, लुग को दी गई भूमिका।

लुग - वेल्श मिथक = लू (ब्राइट वन) में। लुग Lamhfada = आयरिश (लंबे हाथ का लुग) = खींचने और पहुंचने। Llew Llaw Gyffes = वेल्श (Skilfull हाथ के Lleu)।

बोन्न - देवी = 'गाय-सफेद'> नदी बॉयने। मां से अँगहस ओग - प्यार भगवान = गुओ-विंडा (गाय खोजक)। वैदिक नाम - गोविंदा = कृष्णा के लिए उपन्यास। आज हिंदू नाम। आकृतियां - पवित्र गाय / बैल = आसानी से सेल्टिक (विशेष रूप से आयरिश) में पाए जाते हैं + वैदिक / हिंदू मिथक। ग्यूलिश ईश्वर - एसस> असुर (शक्तिशाली) और इंद्र के लिए अश्वोपति = उपकला के साथ समान है। Gualish - Ariomanus> वैदिक आर्यमान के साथ संज्ञेय।

घोड़े की रीति-रिवाज - एक बार इंडो-यूरोपियन के साथ आम> आयरिश मिथक और अनुष्ठान + वैदिक स्रोत। "घोड़े और शासक के प्रतीकात्मक संघ का राजात्व अनुष्ठान दोनों में जीवित रहता है।" तिथियां - जब भारत-यूरोपियों ने घोड़ों को पालतू बनाया - इस प्रकार विस्तार शुरू करने में मदद मिली। घोड़े = शक्ति। इसलिए कुशल - कृषि, पशुधन, योद्धाओं।

आयरलैंड - मारे और राजा के प्रतीकात्मक संघ का अनुष्ठान - जेराल्डस कैम्ब्रेनिस [टाइपोग्राफिका हिबर्निया] द्वारा वर्णित। = 11 वीं शताब्दी। भारत - ऋग्वेद  में सरनियन की स्टैलियन और रानी = मिथक की समान प्रतीकात्मक अनुष्ठान।

'सत्य का अधिनियम'। प्राचीन आयरिश पाठ Auraicept Moraind - उपनिषद में एक मार्ग के लिए गलत हो सकता है। [देखें: डिलन, एम। 'द हिंदू एक्ट ऑफ ट्रुथ इन सेल्टिक ट्रेडिशन', मॉडर्न फिलोलॉजी, फरवरी 1 9 47]।

प्रतीकवाद - आयरिश मिथक = मोचाता एक्स (जब ब्लैकथर्न की आग में गरम किया जाता है, तो झूठा जला देगा लेकिन विपरीत नहीं होगा), या - लूटा के लौह (= एक ही गुणवत्ता), या कॉर्मैक मैक आर्ट का कप (= 3 झूठ बोलता है और यह अलग हो जाता है) - 3 सत्य> पूरी तरह से फिर से। चंदग्य उपनिषद में सभी = समकक्ष।

ब्रह्मांड संबंधी शब्द = तुलना - सेल्टिक, वैदिक संस्कृति। समानताएं - हिंदू, सेल्टिक कैलेंडर, उदाहरण के लिए, कॉलिनी कैलेंडर। मूल गणना + खगोलीय अवलोकन + गणना, इसलिए 1100 ईसा पूर्व में डाल दी गई।

Celts = ज्योतिष - 27 चंद्र मकानों पर आधारित 
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-ईरानी तथा संस्कृत भाषा में प्रचलित शब्द वीर यूरोपीय भाषा में प्रचलित( wiHrás )से प्रोटो-इंडो-यूरोपीय रूप से नि: सृत है ।
wiHrós से संस्कृत वीर ( vīrá ) से आयात किया हुआ है।  ग्रीक रूप ʋiːɾ उइर/ वीर • ( vīr ) वीर , नायक , सेनानी , जो बहादुर है ।
wiHrás से , प्रोटो-इंडो-ईरानी * wiHrás से , प्रोटो-इंडो-यूरोपीय wiHrós से । अवेस्तान  ( वीरा ) , लैटिन वीर ( " पुरुष " ) , लिथुआनियाई výras विरास, पुरानी आयरिश फेर , पुराना नॉर्स verr , गोथिक  ( वेयर ) , ओस्सेटियन ир इर   ओस्सेटियन " ) के साथ संज्ञेय , पुरानी अंग्रेज़ी wer (कहां अंग्रेजी wer )। 

1700 ईसा पूर्व - 1200 ईसा पूर्व ,ऋग्वेद में नायक या पति के अर्थ में ।

पाली: भाषा में वीरा सौरसानी प्राकृत:  ( वीरा ) हिंदी: बीर ) → हिन्दी: वीर ( वीर ) → इंडोनेशियाई: विरा → जावानीज: विरा → कन्नड़: विवेर ( वीरा ) → मलय: विरा → मराठी: वीर ( वीर )

लेडो-लेमोस द्वारा प्रस्तावित 'वर्जिन शब्द' की व्युत्पत्ति भी वीरांगना का तद्भव।

"uiH-ro- (आदमी) और * gʷén-eH₂- (महिला)" से एक यौगिक के रूप में वर्जिन शब्द बनता है।
, लेकिन * wir- 'युवा, युवा' ('आदमी' नहीं!) और '* gʷén-' महिला ' । 
इस परिकल्पना के अनुसार, लेट। कन्या एक परिसर के रूप में उभरा जिसका मूल अर्थ "युवा महिला" था (जैसे जर्मन जुंगफ्राउ 'युवा महिला> कुंवारी') के रूप में सन्दर्भित किया जा सकता है ।।

यदि लेडो-लेमोस परिकल्पना सच है, तो प्रतिक्रिया है: दोनों शब्द आईई से आए थे। जड़ जिसका अर्थ 'युवा, युवा' था।

लैटिन यूर का मतलब है "पुरुष", और यह भी माना जाता है कि यह शब्द अन्य भारतीय-यूरोपीय भाषाओं (पुरानी आयरिश फेर, गोथिक वायर इत्यादि) में दिखाता है। हालांकि, यह मानने का एक अच्छा कारण है कि इस तत्व का मूल मूल्य "युवा" था: 

कुछ के मतानुसार  * wiHrós क्रिया से  weyh₁- ("शिकार करने के लिए"  से लिया गया है।

WiHrós --
आदमी
पति
योद्धा, नायक

कर्ताकारक * wiHrós
संबंधकारक * wiHrósyo
विलक्षण दोहरी बहुवचन
कर्ताकारक * wiHrós * wiHróh₁ * wiHróes
सम्बोधन * wiHré * wiHróh₁ * wiHróes
कर्म कारक * wiHróm * wiHróh₁ * wiHróms
संबंधकारक * wiHrósyo *? * wiHróoHom
विभक्ति * wiHréad *? * wiHrómos
संप्रदान कारक * wiHróey *? * wiHrómos
स्थानीय * wiHréy, * wiHróy *? * wiHróysu
वाद्य * wiHróh₁ *? * wiHrṓys
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जर्मनिक, सेल्टिक, और इटालिक रूपों को रूट लारेंजियल के नुकसान के साथ एक छोटा रूप इंगित करता है, जिसे संस्कृत और लिथुआनियाई (बाल्टो-स्लाविक तीव्र, हर्ट के कानून द्वारा रूट स्वर में वापस ले जाने) के आधार पर पुनर्निर्मित किया जाता है।

अर्मेनियाई:
(संभवतः) पुरानी अर्मेनियाई: ամուրի (अमुरी, "पतिहीन")
बाल्टो-स्लाव: * व्यारास ("पति, आदमी")
लातवियाई: वीर
लिथुआनियाई: výras विरास
ओल्ड प्रशिया: विजर
सेल्टिक: * विरोस (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
जर्मनिक: * वेराज़ (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
हेलेनिक: [टर्म?]
(संभवतः) प्राचीन ग्रीक: * ϝῑρος (* विरोस, "हॉक, ईगल")
प्राचीन यूनानी: * ϝῑρᾱξ (* विरैक्स) 
प्राचीन यूनानी: ἱέρᾱξ (hiérāx)
इंडो-ईरानी: * wiHrás (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
इटालिक: * विरोस (आगे के वंशजों के लिए वहां देखें)
Tocharian: [टर्म?]
Tocharian ए: wir ("युवा, युवा, ताजा")
देखें संस्कृतियों भाषा में वीर शब्द के सन्दर्भ -
↑वीर = शौर्य्ये । इति कविकल्पद्रुमः ॥ 
(अदन्तचुरा०-आत्म०-अक०-सेट् ) ङ, अविवीरत । 
शौर्य्यमुद्यमः । इति दुर्गादासः निरुक्त भाष्य॥

वीरम्=, (अज् धातु + “स्फायितञ्चिवञ्चीति ” 
उणादि सूत्र १।१३ ।
अर्थात् वी धातु का अज् आदेश होने पर  इत्यादिना रक् प्रत्यय ।
अजे- र्वीभावः ।
वीर + अच् वा ) शृङ्गी । नडः ।
इति मेदिनी ।  ६७ ॥ मरिचम् । 
पुष्कर- मूलम् । 
काञ्जिकम् । 
उशीरम् । 
आरूकम् । इति राजनिर्घण्टः ॥ 
वीरशब्दो मेदिन्यां पवर्गीयवकारादौ दृष्टोऽपि वीरधातोरन्तःस्थवकारादौ दर्शनादत्र लिखितः ॥

वीरः, पुं० (वीरयतीति । वीर विक्रान्तौ + पचाद्यच् । यद्वा, विशेषेण ईरयति दूरीकरोति शत्रून् ।
वि + ईर + इगुपधात् कः ।
यद्वा, अजति क्षिपति शत्रून् ।
अज + स्फायितञ्चीत्यादिना रक् । 
अजेर्व्वीः आदेश ) शौर्य्यविशिष्टः । 
तत्पर्य्यायः ।
१ -शूरः २ -विक्रान्तः ३ -। इत्यमरः कोश । २ । ८ । ७७ ॥ गण्डीरः ४ तरस्वी ५ । 
इति जटाधरः ॥ (यथा, महाभारते । १ ।१४१ ।४५ । “मृगराजो वृकश्चैव बुद्धिमानपि मूषिकः ।
 निर्ज्जिता यत्त्वया वीरास्तस्माद्वीरतरो भवान् ॥
वेदों में वीर शब्द का प्रयोग -
यथा च ऋग्वेदे । १ । ११४ । ८ ।
“वीरान्मानो रुद्रभामितो वधीर्हविष्यन्तः सद्मि त्वा हवामहे ॥” “वीरान् वीक्रान्तान् ।” इति सायणः भाष्य॥ 
पुत्त्रः । यथा, ऋग्वेदे । ५ । २० । ४ । “वीरैः स्याम सधमादः ” “वीरैः पुत्त्रैश्च सधमादः सहमाद्यन्तः स्याम तथा कुरु ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥
पतिः । 
पुत्त्रश्च । यथा, मार्कण्डेये । ३५ । ३१ । 
“न चालपेज्जनद्विष्टां वीरहीनां तथा स्त्रियम् । गृहादुच्छिष्टविण्मूत्रपादाम्भांसि क्षिपेद्बहिः ॥
यथा च अवीरा निष्पतिसुता ।
इत्यमरदर्शनाच्च ॥
दनायुदैत्यपुत्त्रः । यथा, महाभारते । १ । ६५ । ३३ । “दनायुषः पुनः पुत्त्राश्चत्त्वारोऽसुरपुङ्गवाः । 
विक्षरो बलवीरौच वृत्रश्चैव महासुरः ) 
जिनः । नटः । इति हेमचन्द्रः ॥
विष्णुः । यथा, वीरोऽनन्तो धनञ्जयः । 
इति विष्णु सहस्रनाम ॥ 
शृङ्गाराद्यष्टरसान्तर्गतरसविशेषः । 
तत्पर्य्यायः । उत्साहवर्द्धनः २ । इत्यमरः ॥ 
“उत्तमप्रकृतिर्वीर उत्साहस्थायिभावकः । 
महेन्द्रदैवतो हेमवर्णोऽयं समुदाहृतः ॥
उत्साहं वर्द्धयति इति उत्साहवर्द्धनः नन्द्यादित्वादनः । दानधर्म्मयुद्धेषु जीवानपेक्षोत्साहकारी रसो वीरः । वीरयन्ते अत्र वीरः । 
वीर तङ्कत् शौर्य्ये घञ् स्फीततयैव स्वाद्यते इति सर्व्व- रसलक्षणं कटाक्षितम् ।
इति भरतः ॥ तान्त्रिकभावविशेषः ।
यथा, -- “तत्रैव त्रिविधो भावो दिव्यवीरपशुक्रमः । दिव्यवीरैकजः प्रोक्तः 

वीरः, त्रि, श्रेष्ठः । इति हेमचन्द्रः ॥ (कर्म्मठः । यथा, ऋग्वेदे । ८ । २३ । १९ । “इमं धा वीरो अमृतं वीरं कृण्वीतमर्त्त्यः
“वीरः कर्म्मणि समर्थः ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥ यथा च । तत्रैव । ६ । २३ । ३ । 
“कर्त्ता वीराय सुष्वय उलोकं दाता वसु स्तुवते कीरये चित् ॥” “वीराय यज्ञादि कर्म्मसु दक्षाय ” 
इति तद्भाष्ये सायणः ॥ 
प्रेरयिता । यथा, तत्रैव । ६ । ६५ । ४ । 
“इदा हि वो विधते रत्नमस्तीदा वीराय दाशुष उषासः
“वीराय प्रेरयित्रे ।” इति तद्भाष्ये सायणः ॥)
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वाचस्पत्यम्
'''वीर''' 
नपुंसकलिंग रूप वीर--अच्। 

१ शृङ्गिणि 

२ नडे मेदि॰ 

३ गरिचे 

४ पद्म-मूले 

५ काञ्चिके 

६ उशीरे 

७ आरूके राजनि॰। 

८ शौर्य्यवि-शिष्टे शूरे त्रि॰ अमरः। 

९ जिने 

१० नटे पु॰ हेमच॰। 

११ विष्णौ पु॰ विष्णुस॰।
तन्त्रोक्ते 

१२ कुलाचारयुते त्रि॰ कुलाचारशब्दे पृ॰ दृश्यम्। 

१३ तण्डुलीये 

१४ वराहकन्दे

१५ लताकरञ्जे 

१६ करवीरे 

१७ अर्जुने पु॰ राजनि॰

१८ यज्ञाग्नौ भरतः वीरहा। 

१९ उत्तरे 

२० सुभटे च मेदि॰। 

२१ श्रेष्ठे त्रि॰ हेमच॰। 

२२ पत्यौ 

२३ पुत्रे च 

“अवीरानिष्पति सुता” अमरः कोश। 
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🔼 बाइबिल में अबीर नाम की उत्पत्ति मूलक अवधारणा 

अबीर नाम  जीवित अथवा अस्तित्वमान्  ईश्वर के खिताब में से एक है।
किसी कारण से इसका आमतौर पर अनुवाद किया जाता है (किसी कारण से सभी भगवान के नाम आमतौर पर अनुवादित होते हैं ।
और आमतौर पर बहुत सटीक नहीं होते हैं), और पसंद का अनुवाद आमतौर पर ताकतवर होता है, जो बहुत सटीक नहीं होता है। अहीर नाम बाइबल में छह बार होता है लेकिन कभी अकेला नहीं होता; पांच बार यह जैकब नाम और एक बार इज़राइल के साथ मिलकर है।

यशायाह 1:24 हमें तेजी से उत्तराधिकार में भगवान के चार नाम मिलते हैं क्योंकि यशायाह ने रिपोर्ट की: "इसलिए 1-अदन, 2-(यह्व )YHWH ,3-सबाथ ,4-अबीर इज़राइल घोषित करता है । 
यशायाह 49:26 में एक और पूर्ण कॉर्ड होता है: 
सभी मांस (आदमी )यह जान लेंगे कि मैं, हे प्रभु, आपका उद्धारकर्ता और आपका उद्धारक, अबीर याकूब हूं, "और जैसा यशायाह 60:16 में समान है।

पूरा नाम अबीर याकूब स्वयं पहली बार याकूब द्वारा बोला जाता था। 
अपने जीवन के अंत में, याकूब ने अपने बेटों को आशीर्वाद दिया, और जब यूसुफ की बारी थी तो उसने अबीर याकूब (उत्पत्ति 49:24) के हाथों से आशीर्वादों से बात की।
कई सालों बाद, स्तोत्रवादियों ने राजा दाऊद को याद किया, जिन्होंने अबीर जैकब द्वारा शपथ ली थी कि वह तब तक सोएगा जब तक कि उसे (YHWH )के लिए जगह नहीं मिली; अबीर याकूब के लिए एक निवास स्थान (भजन 132: 2-5)।
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       अबीर नाम की भाषिक व्युपत्ति
अबीर नाम हिब्रू धातु उबर ('बर ) से आता है, जिसका मोटे तौर पर अर्थ होता है मजबूत
सन्दर्भ:-
अबारीम प्रकाशन 'ऑनलाइन बाइबिल हिब्रू शब्दकोश
אבר
रूट אבר ('br) एक उल्लेखनीय जड़ है !
जो सभी सेमिटिक भाषा स्पेक्ट्रम पर होती है। मूल रूप से बाइबल में क्रिया के रूप में नहीं होता है लेकिन अश्शूर (असीरियन भाषा )में इसका अर्थ मजबूत या दृढ़ होना है। 
हिब्रू में स्पष्ट रूप से कई शब्द हैं जिन्हें ताकत के साथ प्रयोग करना हुआ है, लेकिन यह एक विशिष्ट प्रकार की शक्ति को दर्शाता है।
अर्थात् पक्षी के पंख या फ्लाइट-पंखों का।

यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि पूर्वजों ने पंख को कैसे देखा (या उन्होंने इसे "मजबूत" क्यों नाम दिया), लेकिन इसका कारण यह है कि उन्होंने इसे दो एपिडर्मल विकासों में से एक के रूप में पहचाना जिसके साथ एक प्राणी स्वाभाविक रूप से कवर किया जा सकता है, दूसरा बाल होने (और exoskeletons गिनती नहीं)। शायद पूर्वजों ने बालों को "कमज़ोर" और पंख को उनके मजबूत संरचनात्मक गुणों के कारण "मजबूत" के रूप में देखा होगा ।
लेकिन यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि बालों के लिए हिब्रू शब्द, अर्थात् शियर (सर ) का हिस्सा है ।शब्दों का एक समूह जो सभी को एक गहन भावनात्मक अनुभव के साथ करता है (और इस पर नज़र डालने के लिए, बाइबल में बालों पर 
riveting लेख देखें)। 
जब एक बालों वाले प्राणी को डर लगता है, तो यह केवल अपने जीवन के लिए लड़ सकता है या दौड़ सकता है; एक पंख वाले प्राणी बस उठा सकते हैं और निकल सकते हैं।

पृथ्वी से उठने और स्वर्ग की तरफ उड़ने की एक पक्षी की क्षमता का आध्यात्मिक पहलू हिब्रू कवियों से नहीं बच पाया; कुछ स्वर्गदूतों को पक्षियों की तरह पंख होते हैं जिनके साथ वे उड़ते हैं (यशायाह 6: 2)।
और यहां तक ​​कि भगवान स्वयं भी पंख रूप हैं ।(भजन 91: 4)। लेकिन चूंकि स्वर्गदूतों के पास आमतौर पर मानव उपस्थिति होती है और मनुष्य ईश्वर की छवि में बने होते हैं, इसलिए इसका कारण यह है कि मनुष्यों के पंख भी होते हैं। और इसका मतलब है कि:

पक्षियों के भौतिक अंग केवल एक सामान्य गुणवत्ता के शारीरिक अभिव्यक्तियां मात्र हैं, और
भगवान, स्वर्गदूतों और मनुष्यों के पंख गैर भौतिक पंख हैं जो भौतिक पंख पक्षियों के लिए समान चीज लाते हैं।
अब, वह "एक ही चीज़" क्या हो सकती है?

पूर्वजों ने आज की तुलना में बहुत अधिक देखभाल के साथ सृजन का निरीक्षण किया, और उन्होंने ध्यान दिया कि उड़ान एक पंख का सबसे परिभाषित कार्य नहीं है। वास्तव में, पंख के लिए हिब्रू शब्द כנף (कानप) है, और संबंधित क्रिया כנף (कानप) है।
जिसका मतलब उड़ना नहीं है बल्कि छुपा या संलग्न करना है। यशायाह के सेराफिम में छह पंख हैं, लेकिन केवल दो उड़ान के लिए उपयोग किए जाते हैं और चार को कवर और संरक्षित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इसलिए यशायाह YHWH की यरूशलेम की रक्षा करता है जैसे कि यरूशलेम की रक्षा उसकी चोंच (यशायाह 31: 5) और भगवान के पंखों के नीचे शरण लेने के स्तोत्रवादी (भजन 91: 4)। 
पंखों और कीड़ों जैसे पंख वाले जीव सामूहिक रूप से इसी तरह के क्रिया के बाद ףף ('op) के रूप में जाना जाता था, लेकिन एक संबद्ध संज्ञा עפעף (' ap'ap) का अर्थ पलक है; वह अंग जो आंख को ढकता है और उसकी रक्षा करता है।
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दूसरे शब्दों में: पंख अनिवार्य रूप से वाद्य यंत्र होते हैं जिनके साथ छिपाने या सुरक्षा करने के लिए, और उड़ान पंखों का एक मात्र दुष्प्रभाव है। पंखों वाली चीजें ऐसी चीजें हैं जो उन पंखों के नीचे जो कुछ भी प्राप्त कर सकती हैं, उनकी रक्षा करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, यानी, जो कुछ भी रक्षात्मक संचालन 
(जैसे कहें, एक शहर की रक्षा दीवार या एक सैनिक के सुरक्षात्मक कवच) की उस सीमा के भीतर हो सकती है। यही कारण है कि पंख वाली चीजें स्वाभाविक रूप से और प्रति परिभाषा मजबूत हैं। ऐसा नहीं है क्योंकि वे आकाश तक उतर सकते हैं।

हमारी जड़ बाइबिल के व्युत्पन्न हैं:

मासूम संज्ञा אבר ('eber), जिसका मतलब पिनियन (पंख), पंख पर या पंखों के साथ आप क्या कर सकते हैं करने की क्षमता। यह संज्ञा तीन बार होता है:
भजन 55: 6 में दाऊद भयभीत रूप से भयभीत करता है, और चाहता है कि कोई उसे कबूतर की तरह देगा (योना, योना), तो वह उड़ सकता है (עוף, 'op) और बसने (שכן , शाकन) [शांति में?]। भविष्यवक्ता यशायाह ने मशहूर रूप से घोषित किया कि जो लोग YHWH की प्रतीक्षा करेंगे वे आगे बढ़ेंगे (अल्लाह, 'एला) जैसे ईगल्स की तरह (यशायाह 40:31)। 
और यहेज्केल ने डाबर YHWH से एक पहेली प्राप्त की, 
जिसने स्पष्ट रूप से बेबीलोन साम्राज्य को महान पंखों (कन्फिम्स, कानापीम) के साथ एक महान ईगल के रूप में चित्रित किया, जिसमें लंबे पंख (उबेर) और पूर्ण पंख (नोवा, नोसा) और विभिन्न रंग (यहेजकेल 17: 3) )।
स्त्री समकक्ष אברה ('ebra), जिसका अर्थ है और चार बार उपयोग किया जाता है: अय्यूब 3 9:13 में शुतुरमुर्ग प्यार और प्यार के पंख के साथ खुशी से flaps। 
मुश्किल स्तोत्र में 68:13 "वह जो घर पर बनी हुई है," एक स्पष्ट लड़ाई के बाद, एक सुरक्षा में निहित है जो कबूतर के चांदी के पंख और सोने के साथ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यवस्थाविवरण 32:11 में, यहोवा एक ईगल के बराबर है जिसने याकूब (= इज़राइल) को अपने अल्लाह में पकड़ा, जबकि उसके ऊपर घूमते हुए और उसकी देखभाल की और उसकी आंखों के सेब की तरह उसकी रक्षा की।
कुछ समान है, लेकिन अनुकरण के बिना, 
भजन 91: 4 में होता है, जहां कोई व्यक्ति जो भगवान पर भरोसा करता है वह अपने पंखों के नीचे शरण ले सकता है और वह उसे अपने स्वामी के साथ ढकेलगा।
Denominative verb אבר ('abar), जिसका अर्थ है: पिनियंस / पंखों का उपयोग करना। यह नौकरी 3 9: 26 में केवल एक बार उपयोग किया जाता है। अधिकांश अनुवाद मानते हैं कि भगवान अय्यूब से पूछता है कि क्या यह उसकी समझ से है कि हॉक उगता है, लेकिन जाहिर है कि हमारी क्रिया उड़ान तक ही सीमित नहीं है।
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विशेषण אביר ('abbir) आवीर, आभीर जिसका अर्थ मजबूत है (जिस तरह पंख मजबूत है), और यह वह जगह है जहां हमारी जड़ और भी दिलचस्प हो जाती है:
विशेषण אביר ('abbir) का शाब्दिक अर्थ है पंख, जिसका अर्थ हिब्रू की तुलना में अंग्रेजी में कुछ और है। हिब्रू में यह शब्द एक पंख-पंख की कठोरता और लचीलापन के साथ-साथ पंख के सुरक्षात्मक गुणों और वाहक और संभावित मेहमानों को सुरक्षा के प्रति अपनी क्षमता को प्रतिबिंबित करता है।
यह शब्द अक्सर सैन्य संदर्भों में प्रकट होता है (पराक्रमी, नौकरी 24:22, यिर्मयाह 46:15, विलाप 1:15), और यहां अबारीम प्रकाशनों में हम आश्चर्य करते हैं कि क्या यह शायद एक प्रकार के सैनिक के लिए सामान्य शब्द के रूप में भी कार्य करता है, तुलनीय डेविड के "पराक्रमी पुरुष" (जो एक अलग शब्द है, गेबर, गेबर से)।

सबसे ज़ोरदार बात यह है कि इस शब्द का प्रयोग ईश्वर के व्यक्तिगत नाम के रूप में भी किया जाता है, अर्थात् अबीर, जिसका अर्थ ताकतवर है।

Masoretes हमारे विशेषण 'abbir और इस नाम' abir के उच्चारण के बीच एक मिनट के अंतर पर जोर दिया, लेकिन इस शब्द को पहली बार लिखा था के बाद 1500 साल तक यह अंतर मौजूद नहीं था।


अरि की सायण भाष्य 

सायणभाष्यम्

‘विश्वो हि' इति द्वादशर्चं द्वादशं सूक्तं त्रैष्टुभम् । इन्द्रवसुक्रयोः पितापुत्रयोः संवादोऽत्र क्रियते । पुरा वसुक्रे यज्ञं कुर्वाणे सति इन्द्रः प्रच्छन्नरूप आजगाम । तं वसुक्रपत्नीन्द्रागमनाकाङ्क्षिणी विप्रकृष्टमिवाद्ययास्तौत् । अतस्तस्याः सर्षिः इन्द्रो देवता । अथ तस्याः प्रीत्यै वसुक्रेण सहेन्द्रः संवादमकरोत् । द्वितीयादियुजश्चतुर्थीरहिताः पञ्चर्चं इन्द्रवाक्यानि । अतस्तासां स ऋषिः । यद्यप्यासु वसुक्रः संबोध्यत्वाद्देवता तथापि ता ऋच ऐन्द्रे कर्मणि विनियोक्तव्या इन्द्रलिङ्गसद्भावात् । चतुर्थीसहिताः शिष्टास्तृतीयाद्या वसुक्रवाक्यानि । अतः स ऋषिस्तासामिन्द्रो देवता। तथा चानुक्रान्तं----’विश्वो हि द्वादशेन्द्रवसुक्रयोः संवाद ऐन्द्रः सूक्तस्य प्रथमयेन्द्रस्य स्नुषा परोक्षवदिन्द्रमाहेन्द्रस्य युजः शेषा ऋषेश्चतुर्थी च' इति । गतो विनियोगः ॥


विश्वो॒ ह्य१॒॑न्यो अ॒रिरा॑ज॒गाम॒ ममेदह॒ श्वशु॑रो॒ ना ज॑गाम ।

ज॒क्षी॒याद्धा॒ना उ॒त सोमं॑ पपीया॒त्स्वा॑शितः॒ पुन॒रस्तं॑ जगायात् ॥१

विश्वः॑ । हि । अ॒न्यः । अ॒रिः । आ॒ऽज॒गाम॑ । मम॑ । इत् । अह॑ । श्वशु॑रः । न । आ । ज॒गा॒म॒ ।

ज॒क्षी॒यात् । धा॒नाः । उ॒त । सोम॑म् । प॒पी॒या॒त् । सुऽआ॑शितः । पुनः॑ । अस्त॑म् । ज॒गा॒या॒त् ॥१

विश्वः । हि । अन्यः । अरिः । आऽजगाम । मम । इत् । अह । श्वशुरः । न । आ । जगाम ।

जक्षीयात् । धानाः । उत । सोमम् । पपीयात् । सुऽआशितः । पुनः । अस्तम् । जगायात् ॥१

अनया वसुक्रपत्नीन्द्रं स्तौति । “अन्यः इन्द्रव्यतिरिक्तः “अरिः अर्य ईश्वरः “विश्वो “हि सर्व एव देवगणः “आजगाम अस्मद्यज्ञं प्रत्याययौ। "इत् इत्यवधारणे। “अह इत्यद्भुते । सर्वदेवगण आगते सति “मम एव “श्वशुरः इन्द्रः “ना “जगाम । स इन्द्रो यद्यागच्छेत् तर्हि “धानाः भृष्टयवान् “जक्षीयात् भक्षयेत् । “उत अपि च "सोमम् अभिषुतं “पपीयात् पिबेत् । ततः "स्वाशितः सुष्ठु भुक्तस्तृप्तः सन् “पुनः भूयः “अस्तं स्वगृहं प्रति “जगायात् गच्छेत् ॥


॥हरिरुवाच ॥
मध्ये त्विलावृतो वर्षो भद्राश्वः पूर्वतोऽद्भुतः ॥
पूर्वदक्षिणतो वर्षो हिरण्वान्वृषभध्वज ॥ 55.1 ॥

ततः किम्पुरुषो वर्षो मेरोर्दक्षिणतः स्मृतः ॥
भारतो दक्षिणे प्रोक्तो हरिर्दक्षिणपश्चिमे ॥ 55.2 ॥

पश्चिमे केतुमालश्च रम्यकः पश्चिमोत्तरे ॥
उत्तरे च कुरोर्वर्षः कल्पवृक्षसमावृतः ॥ 55.3 ॥

सिद्धिः स्वाभाविकी रुद्र ! वर्जयित्वा तु भारतम् ॥
इन्द्रद्वीपः कशेरुमांस्ताम्रवर्णो गभस्तितमान् ॥ 55.4 ॥

नागद्वीपः कटाहश्च सिंहलो वारुणस्तथा ॥
अयं तुनवमस्तेषां द्वीपः सागरसंवृतः ॥ 55.5 ॥

पूर्वे किरातास्तस्यास्ते पश्चिमे यवनाः स्थिताः ॥
अन्ध्रा दक्षिणतो रुद्र ! तुरष्कास्त्वपि चोत्तरे ॥ 55.6 ॥

ब्राह्मणाः क्षत्त्रिया वैश्याः शूद्राश्चान्तरवासिनः ॥
महेन्द्रो मलयः सह्यः शुक्तिमानृक्षपर्वतः ॥ 55.7 ॥

विन्ध्यश्च पारियात्रश्च सप्तात्र कुलपर्वताः ॥
वेदस्मृति र्नर्मदा च वरदा सुरसा शिवा ॥ 55.8 ॥

तापी पयोष्णी सरयूः कावेरी गोमती तथा ॥
गोदावरी भीमरथी कृष्णवेणी महानदी ॥ 55.9 ॥

केतुमाला ताम्रपर्णो चन्द्रभागा सरस्वती ॥
ऋषिकुल्या च कावेरी मृत्तगङ्गा पयस्विनी ॥ 55.10 ॥

विदर्भा च शतद्रूश्च नद्यः पापहराः शुभाः ॥
आसां पिबन्ति सलिलं मध्यदेशादयो जनाः ॥ 55.11 ॥

पाञ्चालाः कुरवो मत्स्या यौधेयाः सपटच्चराः ॥
कुन्तयः शूरसेनाश्च मध्यदेशजनाः स्मृताः ॥ 55.12 ॥

वृषध्वज ! जनाः पाद्माः सूतमागधचेदयः ॥
काशय (षाया) श्च विदेहाश्च पूर्वस्यां कोशलास्तथा ॥ 55.13 ॥

कलिंगवंगपुण्ड्रांगा वैदर्भा मूलकास्तथा ॥
विन्ध्यान्तर्निलया देशाः पूर्वदक्षिणतः स्मृताः ॥ 55.14 ॥

पुलन्दाश्मकजीमूतनयराष्ट्रनिवासिनः ॥
कर्णा(र्ना)टकम्बोजघणा दक्षिणापथवासिनः ॥ 55.15 ॥

अम्बष्ठद्रविडा लाटाः काम्बोजाः स्त्रीमुखाः शकाः ॥
आनर्त्तवासिनश्चैव ज्ञेया यक्षिणपश्चिमे ॥ 55.16 ॥

स्त्रीराज्याः सैन्धवा म्लेच्छा नास्ति का यवनास्तथा ॥
पश्चिमेन च विज्ञेया माथुरा नैषधैः सह ॥ 55.17 ॥

माण्डव्याश्च तुषाराश्च मूलिकाश्वमुखाः खशाः ॥
महाकेशा महानादा देशास्तूत्तरपश्चिमे ॥ 55.18 ॥

लम्ब (म्पा) का स्तननागाश्च माद्रगान्धारबाह्लिकाः ॥
हिमाचलालया म्लेच्छा उदीचीं दिशमाश्रिताः ॥ 55.19 ॥

त्रिगर्त्तनीलकोलात (भ) ब्रह्मपुत्राः सटङ्कणाः ॥
अभीषाहाः सकाश्मीरा उदक्पर्वेण कीर्त्तिताः ॥ 55.20 ॥

इति श्रीगारुडे महापुराणे पूर्वखण्डे प्रथमांशाख्ये आचारकाण्डे भुवनकोशवर्णनं नाम पञ्चपञ्चाशत्तमोऽध्यायः ॥ 55 ॥

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