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सम्बन्धबोधक
सम्बन्धबोधक
जो अव्यय शब्द संज्ञा या सर्वनाम के साथ आकर उनका संबन्ध वाक्य के अन्य शब्दों से बताता है, उसे सम्बन्ध बोधक अव्यय कहते है ।
जैसे - ऊपर, नीचे, पीछे, बाहर, भीतर, बिना, सहित, आदि ।
उदाहरण – १.रमेश घर के बाहर पुस्तके रख रहा था ।
२.नदी के निकट एक पेड़ था ।
३.पाठशाला के पास मेरा घर है ।
क्रियाविशेषण और सम्बन्ध बोधक
कुछ स्थानवाचक और कालवाचक क्रिया का सम्बन्धबोधक के रुप में प्रयोग होता है । यदि इनका प्रयोग क्रिया के साथ हुआ तो उन्हें विशेषण मानना चाहिए और यदि संज्ञा या सर्वनाम के साथ विभक्ति चिन्ह जोड़कर इनका प्रयोग हो तो सम्बन्धबोधक ।
उदाहरण – (क) उसके सामने बैठों । क्रियाविशेषण
(ख) स्कूल के सामने मेरा घर है । सम्बन्धबोधक
(ग) बाहर चले जाओं । क्रियाविशेषण
(घ) रमेश ने घर के बाहर पुस्तकें रखी ।सम्बन्धबोधक
(ड़) मोहन भीतर है । क्रियाविशेषण
(च) घर के भीतर सुरेश है । सम्बन्धबोधक
प्रयोग की पुष्टि से सम्बन्धबोधक के भेद
१. सविभक्तिक –वे सम्बन्धबोधक अव्यय जो विभक्ति सहित संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयोग मे आते है । जैसे- आगे- घर के आगे
पीछे- राम के पीछे
समीप - स्कूल के समीप
दूर - नगर से दूर
ओर - उत्तर की ओर
पहले - लक्ष्मण से पहले
२. निर्विभक्तिक – वे सम्बन्धबोधक अव्यय जो विभक्ति रहित संज्ञा के बाद प्रयुक्त होते है ।
जैसे - भर - वह रात भर घुमता रहा ।
तक - वह रात तक लौट आया ।
समेत - वह बाल–बच्चो समेत यहाँ आया ।
पर्यन्त - वह जीवन –पर्यन्त ब्रह्मचारी रहा ।
३. उभय विभक्ति - जिन सम्बन्धबोधक अव्ययों का प्रयोग उक्त दोनों (विभक्ति सहित और विभक्ति रहित) प्रकार से होता है, वे उभय विभक्ति कहलाते है ।
द्वारा - पत्र के द्वारा, पत्र-द्वारा
रहित - गुणरहित, गुण के रहित
बिना - धन के बिना, धन –बिना
अनुसार - रीति के अनुसार, रीति-अनुसार
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