मंगलवार, 12 सितंबर 2017

क्रिया विशेषण और सम्बन्ध बोधक -

शब्दकोश ▼ सम्बन्धबोधक सम्बन्धबोधक जो अव्यय शब्द संज्ञा या सर्वनाम के साथ आकर उनका संबन्ध वाक्य के अन्य शब्दों से बताता है, उसे सम्बन्ध बोधक अव्यय कहते है । जैसे - ऊपर, नीचे, पीछे, बाहर, भीतर, बिना, सहित, आदि । उदाहरण – १.रमेश घर के बाहर पुस्तके रख रहा था । २.नदी के निकट एक पेड़ था । ३.पाठशाला के पास मेरा घर है । क्रियाविशेषण और सम्बन्ध बोधक कुछ स्थानवाचक और कालवाचक क्रिया का सम्बन्धबोधक के रुप में प्रयोग होता है । यदि इनका प्रयोग क्रिया के साथ हुआ तो उन्हें विशेषण मानना चाहिए और यदि संज्ञा या सर्वनाम के साथ विभक्ति चिन्ह जोड़कर इनका प्रयोग हो तो सम्बन्धबोधक । उदाहरण – (क) उसके सामने बैठों । क्रियाविशेषण (ख) स्कूल के सामने मेरा घर है । सम्बन्धबोधक (ग) बाहर चले जाओं । क्रियाविशेषण (घ) रमेश ने घर के बाहर पुस्तकें रखी ।सम्बन्धबोधक (ड़) मोहन भीतर है । क्रियाविशेषण (च) घर के भीतर सुरेश है । सम्बन्धबोधक प्रयोग की पुष्टि से सम्बन्धबोधक के भेद १. सविभक्तिक –वे सम्बन्धबोधक अव्यय जो विभक्ति सहित संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयोग मे आते है । जैसे- आगे- घर के आगे पीछे- राम के पीछे समीप - स्कूल के समीप दूर - नगर से दूर ओर - उत्तर की ओर पहले - लक्ष्मण से पहले २. निर्विभक्तिक – वे सम्बन्धबोधक अव्यय जो विभक्ति रहित संज्ञा के बाद प्रयुक्त होते है । जैसे - भर - वह रात भर घुमता रहा । तक - वह रात तक लौट आया । समेत - वह बाल–बच्चो समेत यहाँ आया । पर्यन्त - वह जीवन –पर्यन्त ब्रह्मचारी रहा । ३. उभय विभक्ति - जिन सम्बन्धबोधक अव्ययों का प्रयोग उक्त दोनों (विभक्ति सहित और विभक्ति रहित) प्रकार से होता है, वे उभय विभक्ति कहलाते है । द्वारा - पत्र के द्वारा, पत्र-द्वारा रहित - गुणरहित, गुण के रहित बिना - धन के बिना, धन –बिना अनुसार - रीति के अनुसार, रीति-अनुसार

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