सोमवार, 4 सितंबर 2017

भूतों का यथार्थ परिचय---

भूत कौन थे ? और उनका निवास स्थान क्या था ? यथार्थ के धरातल पर प्रतिष्ठित शोध....योगेश कुमार रोहि के गहन मीमांसा पर आधारित ....✍🏽✍🏽✍🏽✍🏽✍🏽✍🏽💥💥💥💥 भूटिया हिमालयी लोग हैं ! जो नौंवी शताब्दी या बाद में तिब्बत से दक्षिण की ओर उत्प्रवास करने वाले माने जाते हैं। इस जनजाति के लोगों को 'भोटिया' या 'भोट' और 'भूटानी' भी कहलाते हैं। ये लोग प्राचीन काल में भूत नाम से संस्कृत साहित्य में वर्णित हैं ...पश्चिमोत्तर की खश जन जाति से भी इनका तादात्म्य ( एकरूपता ) रही है .. ......परन्तु कालान्तरण में यह जनजाति पृथक् रूप से जानी गयी ..इन भूत जन जाति का जो स्थान था वही बाद में भूतःस्थान अर्थात् भूटान कह लाया था ! यह शिव के परम भक्त तथा अनुयायी थे इसी लिए शिव को भूतनाथ कहा जाता था ..ये लोग मुख्य रूप से अधिकांशत: पहाड़ी स्थानों पर ही रहते हैं। भूटिया जनजाति के लोग पर्वतीय ढलानों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर खेती करते हैं। ये दलाई लामा को अपने आध्यात्मिक नेता के रूप में मानते हैं। भूटिया भारत के पड़ोसी देश भूटान की जनसंख्या में बहुसंख्यक हैं और नेपाल तथा भारत, विशेषकर भारत के सिक्किम राज्य में अल्पसंख्यक हैं। ये चीनी तिब्बती भाषा परिवार की तिब्बती-बर्मी शाखा की विविध भाषाएँ बोलते हैं। भूटिया छोटे गाँवों और लगभग अगम्य भू-भाग द्वारा अलग किये गए पृथक भूखंडों में रहने वाले पहाड़ी लोग हैं। इस तथ्य का विश्लेषण ~इतिहास का यथार्थ विश्लेषण|.... नामक प्रथम श्रृंखला ...📔📔📔📙📙📙🗞🗞📰📰📰📂📁1⃣1⃣1⃣1⃣1⃣1⃣1⃣1⃣1⃣1⃣1⃣1⃣ इस जनजाति के लोग खेती पर अधिक निर्भर हैं। ये लोग पर्वतीय ढलानों पर सीढ़ीदार खेती करते हैं और मुख्यत: चावल, मक्का और आलू की फसल उगाते हैं। इनमें से कुछ पशु प्रजनक हैं, जो मवेशियों और याक के लिए जाने जाते हैं। 🐃🐃🐃🐃🐃🐏. 🐏🐏🐏. 🐏. 🐏 🐏 भूटियाओं का धर्म 'बॉन' नाम से विख्यात पूर्व बौद्ध ओझाई धर्म के सम्मिश्रण वाला तिब्बती बौद्ध धर्म है। ये दलाई लामा को अपने आध्यात्मिक नेता के रूप में मानते हैं। भूटिया अपनी उत्पत्ति को पैतृक वंश के अनुसार चिह्नित करते हैं। ये एकविवाही होते हैं, किन्तु कुछ क्षेत्रों में बहुविवाह अब भी प्रचलित हैं भारत के उत्तराखंड में द्रोणगिरी गाँव में बसने वाले भूटिया जनजाति के लोग हिन्दू धर्म को मानने वाले हैं ..वस्तुतः यह तो हमारे उन तथाकथित ब्राह्मणवाद के नाम पर समाज को विखण्डित करने बालों का ही प्रायश्चित से भी न मिटने बाला पाप है ...इन्हीं धूर्तों ने बुद्ध को बुद्धू बना दिया महावीर स्वामी के चरितार्थ नाम निर्ग्रन्थ अर्थात् जिसकी सभी विकारों की गाँठें मिट थी अतः महावीर को निर्ग्रन्थ कहा गया है और निर्ग्रन्थ .. को नाखन्दा बना दिया भूत एक हिमालय की जनजाति थी जो शिव- भक्त थी उसे यम लोक की आत्मा बना दिया .. और खश को खहीस बना दिया और पिशाच भी एक जनजाति थी जिसका विकृत रूप से पुराणों में पुष्यमित्र शुंग ई०पू० १४९ के समकक्ष वर्णन किया गया है ..विचार विश्लेषक.... योगेश कुमार रोहि ग्राम आजादपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़ उ०प्र० सम्पर्क 8979503784..

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