जिज्ञासा और एक पिपासा ।
उसका तृप्ति हिन्दी भाषा है।
हिन्दी में विचारों की अभिव्यक्ति।
यह मेरी एक अभिलाषा है ।।
धड़कन धड़कन हिन्दी निनाद ।
श्वाँसों का प्रवाह लय की लहरी ।
भाव विचारों की सम्वाहक,
जीवन व्यवहार की रणभेरी ।।
वर्ण वर्ण इसका अक्षर है ।
व्याकरण भी अच्छा खासा है ।
सदीयों से संगिनी मानव की ,
ये मानव स्वरूप की परिभाषा है ।
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सारा स्नेह सौहार्द यहाँ ,
हर ज्ञान होता है चरितार्थ यहाँ ,
इसने कवियों को तराशा है ।
यहीं पर कबीर, मारा की पीर ।
सन्त रैदास की भी आशा है ।
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मत भूलो तुम इतना प्यारे
रिश्ते अजीब इतने सारे
हिन्दी वर्ण माला -पूरी है ।
तवर्ग नहीं अंग्रेजी में
ये वर्ण माला तो अधूरी है ।
अंग्रेजी हिन्दी दौनों भाषा ,
सगी -बहिन मौंसेरी हैं ।
जर्मन संस्कृत दौनों बहिनाऐं।
कब आपस में वैरी हैं ।।
मातृ मादर देखो मदर
पितृ पिदर और पैटर
स्वसार जाहार सिष्टर
देखें कितनी समता है ।
सारे पारिवारिक शब्दों का
एक माता और पिता है ।
हिन्दी दिवस की पावन वेला पर
हिन्दी साहित्य प्रेमीयों को समर्पित !
यादव योगेश कुमार 'रोहि' के ये उद् -गार !
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