" हिन्दी हिन्द की शान है ,
यही पहिचान है वतन की |
हृदय का भाव -अविरल ,
यही तज़वीज है मन की ||
इसकी फ़ज़ायल के कायल हम,
ये फ़िजा है मेरे गुलशन की ,
ये कबीर की साखीयों की हम़द है ।
गालिब की रुबाईयों की हद है !
विहारी की सतसई के दोहरे ,
हिन्दी हर इल्म की सरहद है ।
हिन्दी है रसखान के सबैये ,
जो व्रज - रज का दिवाना था |
खुसुरो की मुकरियाँ और तरन्नुम
ये रहीम का भी तराना था |
हिन्दी मेरे ख्वावों और भावों की अभिव्यक्ति है ||
हिन्दी मेरे मन की चेतना भी ,और बोलने की शक्ति है ।।
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सिवाय इसके अब हमारा कहाँ ठिकाना है ||
हिन्दी है मेरे जज्बातों की जुबाँ है ,
ये मेरी हयातों का फयसाना है |
मैं बोलता हूँ कितना
इस बात का पैमाना है ।
इस लिए रोहि छोड़ नहीं सकता हिन्दी को ।
इसे हर हाल में अपनाना है ।
भारतीय संस्कृति की अस्मिता
व्यवहार की साधक बहुहिता
ज्ञान के मोती पिरोयी माला।
हिन्दी हिन्द का गौरव विश्व में ,
रोहि नहीं इससे कोई तुलना करने वाला||
इसी से जानने लगा है विश्व भारत को ,
हिन्दी है हिन्द की पहिचाना खोई ।
रफी ,किशोर, लता के तराने ,
सुनके खुद को भूल जाते बटोही ।।
करोड़ों दिलों की आवाज है हिन्दी ||
इसी से अपना स्वाभिमान जिन्दा है |
हमारे जज्वातों खुशबू है हिन्दी ,
हिन्दी बोलता कोई परिन्दा है ||
यही तज़किरों का वज़ू ,
मोमिनों का अहल ए चमन है,
इसी में जीवन की तत्व गाथा ,
ये हमारी संस्कृति का धन है ||
मजलिसों की तकरीरों में भी ,
हिन्दी एक पहिचान बन गयी है |
सत्संग की सात्विकता इसमे,
ये हमारा भगवान् बन गयी है |
हम क्यों भूल गये हिन्दी को ,
जो हमको अनजान बन गयी है।
तीसरी दुनियाँ की हिन्दी
एक बड़ी जुबान बन गयी है
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अंग्रेजियत के भी इस वलगर दौर में ,
जो अब तक द़िलों में जिन्दी है।
वही हिन्दुस्तान की जुबाँ है केवल।
सुनो! उसी का नाम हिन्दी है
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌺🌺🌺🌺🌼🌾🌾🌾🌼 ज्ञान की गहराईयों में प्रेषित यादव योगेश कुमार 'रोहि' की जानिब से सामईन की खिद़मत में पेश ए नजंर :-
हिन्दी- दिवस की पूर्व पावन वेला के उपलक्ष्य में हिन्दी - साहित्य प्रेमीयों को समर्पित ये उद्-गार
..⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳🌾🌾🌾🌾 सम्पर्क ~ 8077160219
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