सोमवार, 25 सितंबर 2017

संस्कृत शिक्षा-

1 4 वैदिक-संस्कृत April 16, 2013 at 11:24pm · प्रश्नः-- शिक्षा के कितने अङ्ग हैं...??? उत्तरः-- शिक्षा के छः अङ्ग हैं----- 1. वर्ण, 2. स्वर, 3. मात्रा, 4. बल, 5. साम, 5. सन्तान । (1.) वर्णः--वर्ण से अभिप्राय अक्षरों से है। संस्कृत में कुल वर्ण 63 हैं---- (क) स्वरः--ह्रस्वः--अ इ उ ऋ लृ। दीर्घः--आ ई ऊ ऋ ए ऐ ओ औ प्लुतः---अ3 इ3 उ3 ऋ3 लृ3 ए3 ऐ3 ओ3 औ3 कुल स्वर 22 (ख) व्यंजनः--कवर्गः-क् ख् ग् घ् ङ् चवर्गः---च् छ् ज् झ् ञ् टवर्गः--ट् ठ् ड् ढ् ण् तवर्गः--त् थ् द् ध् न् पवर्गः--प् फ् ब् भ् म् अन्तस्थः य् र् ल् व् ऊष्मः--श् ष् स् ह् कुल व्यंजनृः---33 अयोगवाहः--ये कुल आठ होते हैं। 1. विसर्गः, 2. जिह्वामूलीय, 3. उपध्मानीय, 4. अनुस्वार, 5. ह्रस्व ॅ 6. दीर्घ ँ 7. अनुनासिक-चिह्न 8. ऴ (2.) स्वरः--स्वर से अभिप्राय उदात्त, अनुदात्त और स्वरित से है। (3.) मात्राः---मात्रा से अभिप्राय स्वरों के उच्चारण में लगने वाला समय से है। मात्रा तीन प्रकार की होती हैः--ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत । एक मात्रा-काल में ह्रस्व का, दो मात्रा-काल में दीर्घ का और तीन-मात्रा में प्लुत का उच्चारण होता है। (4.) बलः--शिक्षा में स्थान और प्रयत्न को बल कहा जाता है। (क) स्थानः--स्वर तथा व्यंजन के उच्चारण के समय वायु मुख के जिन स्थानों से टकराता हुआ बाहर निकलता है, उन वर्णों के वे स्थान कहे जाते हैं। ये कुल आठ हैः---कण्ठ्य, तालव्य, मूर्धन्य, दन्त्य, ओष्ठ्य, नासिक्य, जिह्वामूलीय, दन्त्यौष्ठ्य। (ख) प्रयत्नः--अक्षरों के उच्चारण में जो जो प्रयास करना पडता है, उसे प्रयत्न कहते हैं। इसके दो प्रकार हैः--आभ्यान्तर और बाह्य। आभ्यान्तरः---इसके चार प्रकार हैः---स्पृष्ट, ईषत्स्पृष्ट, विवृत तथा संवृत। बाह्यः--इसके ग्यारह प्रकार हैः---विवार, संवार, श्वास, नाद, घोष, अघोष, अल्पप्राण, महाप्राण, उदात्त, अनुदात्त, स्वरित। (5.) सामः---इसका अर्थ है साम्य अर्थात् दोष से रहित तथा माधुर्यादि गुणों से युक्त। यह पाठकों के गुण माने जाते है। (इसका वर्णन पृथक् पोस्ट में किया जाएगा।) (6.) सन्तानः--इसका अर्थ हैः--संहिता। अर्थात् पदों की अतिशय सन्निधि। पदों का स्वतन्त्र अस्तित्व रहने पर कभी-कभी दो पदों का आवश्यकतानुसार शीघ्रता से एक के अनन्तर उच्चारण होता है, इसे ही संहिता कहते हैं। LikeShow more reactions Comment

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