"ठाकुर शब्द की उत्पत्ति व विकास-क्रम -
"ठाकुर शब्द का जन्म.ठाकुर एक सम्मान सूचक शब्द है
जो परम्परागतगत रूप में आज राजपूतों का विशेषण बन गया है। यद्यपि ब्राह्मण समाज का भी यह विशेषण रहा है।
संस्कृत शब्द-कोशों में इसे ठाकुर नहीं अपितु "ठक्कुर" लिखा है। जो देव मूर्ति के पर्याय के रूप में है। "ठाकुर" गुजरात तथा पश्चिमीय बंगाल तथा मिथिला के ब्राह्मणों की एक उपाधि है ।
द्विजोपाधिभेदे च । यथा गोविन्द- ठक्कुरःकाव्यप्रदीपकर्त्ता इसका रचना काल चौदहवीं सदी"
अनंत संहिता एक हाल ही में निर्मित ग्रन्थ है, जिसे गौड़ीय मठ के संस्थापक श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वतीठाकुर के शिष्य अनन्त वासुदेव ने लिखा है। यह एक पंचरात्र आगम माना जाता है , जो गौड़ीय वैष्णवों के बीच सामूहिक रूप से " नारद पंचरात्र" के रूप में जाना जाने वाला पंचरात्र कोष का हिस्सा है । जहां सारस्वत गौड़ीय मठ के श्रील श्रीधर देव गोस्वामी पुष्टि करते हैं कि यह पुस्तक उनके गुरु भाई अनंत वासुदेव द्वारा लिखी गई थी।
श्रीपाद अनंत वासुदेव परविद्याभूषण प्रभु
श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती के शिष्यों में व्यापक रूप से सबसे प्रतिभाशाली और निस्संदेह सबसे गूढ़ माना जाता है, अनंत वासुदेव परविद्याभूषण प्रभु का जन्म 1895 में हुआ।
अनन्त संहिता में श्री दामनामा गोपाल: श्रीमान सुन्दर ठाकुर: का उपयोग भी किया गया है, जो भगवान कृष्ण के संदर्भ में है।
ये संस्कृत भाषा में प्राप्त अठारवीं सदी के उत्तरार्द्ध का विवरण है। ये संहिता बाद की है ।
इसलिए विष्णु के अवतार की देव मूर्ति को ठाकुर कहते हैं ठाकुर नाम की उपाधि ब्राह्मण लेखकों की चौदहवीं सदी से हू प्राप्त होती है।
परन्तु बाद में उच्च वर्ग के क्षत्रिय की प्राकृत उपाधि ठाकुर भी इसी से निकली है।यद्यपि किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति को ठाकुर या ठक्कुर कहा जा सकता है।
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इन्हीं विशेषताओं और सन्दर्भों के रहते भगवान कृष्ण के लिए भक्त ठाकुर जी सम्बोधन का उपयोग करते हैं विशेषकर श्री वल्लभाचार्य जी द्वारा स्थापित पुष्टिमार्गी संप्रदाय के अनुयायी द्वारा हुआ। इसी सम्प्रदाय ने कृष्ण जी को ठाकुर का प्रथम सम्बोधन दिया ।
यद्यपि पुराणकारों ने कृष्ण के लिए ठाकुर सम्बोधन कभी प्रयुक्त नहीं किया है।
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"क्योंकि ठाकुर शब्द संस्कृत भाषा का नहीं अपितु तुर्की , ईरानी तथा आरमेनियन मूल का है।
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पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय में श्रीनाथजी के विशेष विग्रह के साथ कृष्ण भक्ति की जाती है।
जिसे ठाकुर जी सम्बोधन दिया गया है ।
पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय का जन्म पन्द्रहवीं सदी में हुआ है । परन्तु बारहवीं सदी में तक्वुर शब्द का प्रवेश -तुर्कों के माध्यम से भारतीय धरा पर हुआ था ।
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और ठाकुर शब्द तुर्कों और ईरानियों के साथ भारत में आया। बंगाली वैष्णव सन्तों ने भी स्वयं को ठाकुर कहा गया। ठाकुर जी सम्बोधन का प्रयोग वस्तुत स्वामी भाव को व्यक्त करने के निमित्त है । न कि जन-जाति विशेष के लिए । कृष्ण को ठाकुर सम्बोधन का क्षेत्र अथवा केन्द्र नाथद्वारा प्रमुखत: है।__________________________________
यहां के मूल मन्दिर में कृष्ण की पूजा ठाकुर जी की पूजा ही कहलाती है। यहाँ तक कि उनका मन्दिर भी "हवेली" कहा जाता है।
विदित हो कि हवेली (Mansion)और तक्वुर (ठक्कुर) दौनों शब्दों की पैदायश ईरानी भाषा से है । कालान्तरण में भारतीय समाज में ये शब्द रूढ़ हो गये। पुष्टिमार्गीय सम्प्रदाय के देशभर में स्थित अन्य मन्दिरों में भी भगवान को ठाकुर जी ही कहने का परम्परा है।
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ईरानी ,आरमेनियन तथा तुर्की भाषा से आयात "तगावोर" शब्द संस्कृत भाषा में तक्वुर: (ठक्कुर) हो गया इस शब्द के जन्म सूत्र- पार्थियन (पहलवी) और आर्मेनियन व तुर्की भाषा में ही प्राप्त हैं ।____________________________________
मध्य-आर्मेनियाई-
"शब्द-व्युत्पत्ति व विकास क्रम-
"यह मध्य आरमेनियन का "टैगवोर" शब्द पुराने अर्मेनियाई के թագաւոր ( t'agawor ) से आया और यह पुरानी आर्मेनियन का "टगावोर शब्द भी पार्थियन में पुरानी आर्मेनियन का ।
संज्ञा
թագւոր • ( t'agwor ), संबंधकारक एकवचन թագւորի ( t'agwori )
"व्युत्पन्न शब्द-
वंशज शब्द-
"सन्दर्भ:-
- लाज़रीन, टी। एस ; एवेटिसियन , एचएम (2009), “ թագւոր ”, मिइन हायरेनी बारान [ डिक्शनरी ऑफ मिडिल अर्मेनियाई ] (अर्मेनियाई में), दूसरा संस्करण, येरेवन: यूनिवर्सिटी प्रेस।
From Parthian [script needed] (tāg), attested in 𐫟𐫀𐫡𐫤𐫀𐫃 (xʾrtʾg /xārtāg/, “crown of thorns”), ultimately from Proto-Indo-European *(s)teg- स्थग्=संवरणे स्थगति सकता है / छुपाता है।(“to cover”) Related। अरबी देगा(ठगाई -छुपावशब्द संस्कृत स्थग-ठग का विकसित रूप है) to Arabic تَخْت (taḵt तख्त-, “bed, couch,..” भी इसी से सम्बन्धित है।), also an Iranian borrowing; and to Aramaic תָּגָא (tāḡā).
Attested as 𐢞𐢄 (tjतज), “crown”) (Nabatean script) in the 4th-century Namara inscription.[1]
"Pronouciation-
"noun-
تَاج • (tāj) m (plural تِيجَان (tījān)तजन)
- crown
- الصِّحَّةُ تَاجٌ عَلَى رُؤُوسِ الْأَصِحَّاءِ لَا يَرَاهُ إِلَّا الْمَرْضَى.
- aṣ-ṣiḥḥatu tājun ʿalā ruʾūsi l-ʾaṣiḥḥāʾi lā yarāhu ʾillā l-marḍā.
- Health is a crown on the heads of the healthy, that only the ill can see.
Declension
Descendants
- Andalusian Arabic: تَاج[1]
- Maltese: tieġ
- → Chagatai: تاج (taj)
- → English: taj
- → Persian: تاج (tâj)
- → Ottoman Turkish: تاج (tac)
- → Swahili: taji
References-
- ↑ 1.0 1.1 علی صیادانی، وامواژههای فارسی دیوان ابن هانی؛ شاعر شیعه اندلس, پژوهشهای زبانشناسی تطبیقی، ص ۱۵۵
Baluchi-
Etymology-
Noun-
تاج • (táj)
Ottoman Turkish
Etymology-
Noun-
تاج • (tac, taç)
- crown, diadem
- regal power, the position of someone who bears a crown
- (figuratively) reign
- a headdress worn by various orders of dervishes, a mitre
- corolla of a flower
- chapiteau of an alembic
- the تاج التواریخ (tac üt-tevarih, “Crown of Histories”) by Sadeddin, a model for the ornatest style of literature
Descendants-
Persian-
Etymology-
From Arabic تَاج (tāj), from Parthian [Manichaean needed] (tʾg /tāg/, “crown”), attested in 𐫟𐫀𐫡𐫤𐫀𐫃 (xʾrtʾg /xārtāg/, “crown of thorns”), from Old Iranian *tāga-, ultimately from Proto-Indo-European *(s)teg- (“to cover”).
Related to Persian تخت (taxt, “bed, throne”), and akin to Old Armenian թագ (tʿag), Arabic تاج (tāj), and Aramaic תָּגָא (tāḡā), Iranian borrowings.
Pronunciation-
- (Classical Persian): : /tɑːd͡ʒ/
- (Dari): : /tɒːd͡ʒ/
- (Iranian Persian): : /tɒːd͡ʒ/
- (Tajik): : /tɔːd͡ʒ/
Noun
Dari | تاج |
---|---|
Iranian Persian | |
Tajik | тоҷ (toj) |
تاج • (tâj) (plural تاجها (tâj-hâ))
Descendants-
- → Baluchi: تاج (táj)
- → Bashkir: таж (taj)
- → Bengali: তাজ (taj)
- → Chechen: таж (taž)
- → Kazakh: тәж (täj)
- → Punjabi: ਤਾਜ (tāj)
- → Turkish: taç
- → Urdu: تاج (tāj) / Hindi: ताज (tāj)
Urdu-
Etymology-
Noun-
" आद्य-भारोपीय -
"मूल-
*(रों)तेग- (अपूर्ण )
- कवर करने के लिए
-व्युत्पन्न शब्द-
- *(स)तेग-ए-ती ( मूल उपस्थित )
- *stog-éye-ti ( प्रेरक )
- *तेग-दलेह₂
- इटैलिक:
- लैटिन: तेगुला ( आगे के वंशजों के लिए वहां देखें )
- इटैलिक:
- *तेग-मन
- *तेग-नहीं-
- *स्टेग-नो
- प्रोटो-हेलेनिक: *स्टेग्नोस
- प्राचीन यूनानी: στεγανός ( स्टेग्नोस )
- ⇒ अंग्रेजी: स्टेग्नोग्राफ़ी
- प्राचीन यूनानी: στεγανός ( स्टेग्नोस )
- प्रोटो-हेलेनिक: *स्टेग्नोस
- *(रों)टेग-ओएस
- *teg-ur-yo-
- *tég-us (“thick”)
- *tog-eh₂-
- Italic:
- Latin: toga
- Italic:
- *tog-o-
From Old Irish tech, from Proto-Celtic *tegos, from Proto-Indo-European *(s)tég-os (“cover, roof”). Cognate with English thatch.
★Root-
*(s)teg-
"dDerved terms-
- *stog-eh₂
- Proto-Germanic: *stakô (see there for further descendants)
- *stog-nos
- Proto-Germanic: *stakkaz (see there for further descendants)
- *teg-slom
- *teg-nom
★Refereces-
- पोकोर्नी, जूलियस (1959) Indogermanisches etymologisches Wörterbuch [ इंडो-यूरोपियन व्युत्पत्ति संबंधी शब्दकोश ] (जर्मन में), खंड 3, बर्न, मुन्चेन: फ्रेंकी वेरलाग, पृष्ठ 1013
- बेली, एचडब्ल्यू (1979) खोतान साका का शब्दकोश , कैम्ब्रिज, लंदन, न्यूयॉर्क, मेलबोर्न: कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, पृष्ठ 127
Root-
*(s)teg- (imperfective)
- to cover
Derived terms-
- *(s)tég-e-ti (root present)
- *stog-éye-ti (causative)
- Proto-Indo-Iranian: *stʰagáyati
- Proto-Indo-Aryan: *stʰagáyati
- Sanskrit: स्थगयति"
- Proto-Indo-Aryan: *stʰagáyati
- Proto-Indo-Iranian: *stʰagáyati
- *teg-dʰleh₂
- Italic:
- Latin: tēgula (see there for further descendants)
- Italic:
- *tég-mn̥
- *teg-no-
- *steg-nós
- Proto-Hellenic: *stegnós
- Ancient Greek: στεγανός (steganós)
- ⇒ English: steganography
- Ancient Greek: στεγανός (steganós)
- Proto-Hellenic: *stegnós
- *(s)tég-os
- *teg-ur-yo-
- *tég-us (“thick”)
- *tog-eh₂-
- Italic:
- Latin: toga
- Italic:
- *tog-o-
From Old Irish tech, from Proto-Celtic *tegos, from Proto-Indo-European *(s)tég-os (“cover, roof”). Cognate with English thatch.
Root-
*(s)teg-
Derived terms-
- *stog-eh₂
- Proto-Germanic: *stakô (see there for further descendants)
- *stog-nos
- Proto-Germanic: *stakkaz (see there for further descendants)
- *teg-slom
- *teg-nom
References-
- Pokorny, Julius (1959) Indogermanisches etymologisches Wörterbuch [Indo-European Etymological Dictionary] (in German), volume 3, Bern, München: Francke Verlag, page 1013
- Bailey, H. W. (1979) Dictionary of Khotan Saka, Cambridge, London, New York, Melbourne: Cambridge University press, page 127
पार्थियन भाषा, जिसे अर्ससिड पहलवी और पहलवानीग के नाम से भी जाना जाता है, एक विलुप्त प्राचीन उत्तर पश्चिमी ईरानी भाषा है। यह एक बार पार्थिया में बोली जाती थी, जो वर्तमान उत्तरपूर्वी ईरान और तुर्कमेनिस्तान में स्थित एक क्षेत्र है। परिणाम स्वरूप यह तुर्की और फारसी शब्दों का भी साझा स्रोत है। पार्थियन अर्ससिड पार्थियन साम्राज्य (248 ईसा पूर्व - 224 ईस्वी)तक की राज्य की भाषा थी, साथ ही अर्मेनिया भी अर्सेसिड वंश की नामांकित शाखाओं की भाषा थी। अत: तुर्की उतर-पश्चिमी ईरानी भाषा का अर्मेनियाई लोगों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जिसकी शब्दावली का एक बड़ा हिस्सा मुख्य रूप से पार्थियन से उधार लेने से बना था; इसकी व्युत्पन्न आकारिकी और वाक्य रचना भी भाषा संपर्क से प्रभावित थी, लेकिन कुछ हद तक। इसमें कई प्राचीन पार्थियन (पहलवी) शब्द संरक्षित किए गए थे, और अब केवल अर्मेनियाई में ही जीवित हैं। ठाकुर शब्द भी यहीं निकल कर भारतीय भाषाओं ठक्कुर; तो कहीं ठाकुर और कहीं ठाकरे तथा टैंगोर रूप में विस्तारित है।
वर्गीकरण-★
टैक्सोनॉमिक(वर्गीकरण ) रूप से, पार्थियन, एक इंडो-यूरोपीय भाषा, उत्तर-पश्चिमी ईरानी भाषा समूह से संबंधित है, जबकि मध्य फ़ारसी दक्षिण-पश्चिमी ईरानी भाषा समूह से संबंधित है। भारतीय भाषाओं का ठाकुर शब्द का जन्मस्थान यही पार्थियन भाषा है । परन्तु इस शब्द का विकास और विस्तार आर्मेनिया और तुर्की और फारसी में होते हुए हुआ अरबी भाषा तक हुआ।
तुर्किस्तान में यह ठाकुर (तेकुर अथवा टेक्फुर ) के रूप में परवर्ती सेल्जुक तुर्की राजाओं की उपाधि थी । यहाँ पर ही इसका विस्तार शासकीय रूप में हुआ। यद्यपि संस्कृत भाषा में इसके जीवन अवयव उपलब्ध थे। परन्तु जन्म तुर्की आरमेनिया और फारसू भाषाओं में हुआ। यदि इसका जन्म संस्कृत में होता तो यह स्थग= आवरण भर=धारण करने वाला=स्थगभर= से (ठगवर) हो जाता । आवरण धारण करने वाला अर्थ देने वाला शब्द पार्थियन भाषा में टगा (मुकुट) अथवा शिरत्राण तथा वर -धारक का वाचक हो गया है।
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इसके सन्दर्भ में समीपवर्ती उस्मान खलीफा के समय का उल्लेख किया जा सकता है जो तुर्की राजा स्वायत्त अथवा अर्द्ध स्वायत्त होते थे वे ही तक्वुर अथवा ठक्कुर कहलाते थे।
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तब निस्संदेह इस्लाम धर्म का आगमन इस समय तक तुर्की में नहीं हो पाया था और मध्य एशिया में वहाँ सर्वत्र ईसाई विचार धारा ही प्रवाहित थी , केवल जो छोटे ईसाई राजा होते थे। यही स्थानीय बाइजेण्टाइन ईसाई सामन्त (knight) अथवा माण्डलिक जिन्हें तुर्की भाषा में इन्हें तक्वुर (ठक्कुर) कहा जाता था। वहीं से तुर्कों के साथ भारत में आया । तुर्को का उल्लेख पुराण भी करते है।
इस समय एशिया माइनर (तुर्की) और थ्रेस में ही इस प्रकार की शासन प्रणाली होती थी।
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तुर्की तैकफुर
ओटोमन तुर्की में है जो تكفور , अरबी से تَكْفُور ( तकफुर ) , मध्य अर्मेनियाई में թագւոր ( tʿagwor ) और , पुराने अर्मेनियाई թագաւոր ( t'agawor , “ राजा ” ) है। ये पार्थियन *टैग(ए) -बार ( “ राजा ” ) विकसित हुआ, शाब्दिक रूप से “ जिसकी ताज पेशी की गयी हो ” ) यह उस समय शासकीय शब्दावली में, अर्मेनियाई साम्राज्य के सिलिसिया के दौरान उधार लिया गया ।
उच्चारण
टेकफर
संज्ञा
टेकफुर ( निश्चित अभियोगात्मक टेकफुरु , बहुवचन टेकफुरलर )
बीजान्टिन युग के दौरान अनातोलिया और थ्रेस में एक ईसाई समान्त का पद नाम
संदर्भ
संपादन करना
Ačaṙean, Hračʿeay (1973), “ թագ ”, Hayeren armatakan baṙaran [ अर्मेनियाई व्युत्पत्ति शब्दकोश ] (अर्मेनियाई में), खंड II, दूसरा संस्करण, मूल 1926-1935 सात-खंड संस्करण का पुनर्मुद्रण, येरेवन: यूनिवर्सिटी प्रेस, पृष्ठ 136
डैंकॉफ़, रॉबर्ट (1995) अर्मेनियाई लोनवर्ड्स इन टर्किश (टरकोलॉजिका; 21), विस्बाडेन: हैरासोवित्ज़ वेरलाग, § 148, पृष्ठ 44
पारलाटिर, इस्माइल एट अल। (1998), “ टेकफुर ”, तुर्की सोज़्लुक में , खंड I, 9वां संस्करण, अंकारा: तुर्क दिल कुरुमु, पृष्ठ 163बी।
Tekfur was a title used in the late Seljuk and early Ottoman periods to refer to independent or semi-independent minor Christian rulers or local Byzantine governors in Asia Minor and Thrace.
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Origin and meaning - (व्युत्पत्ति- और अर्थ )
The Turkish name, Tekfur Saray, means "Palace of the Sovereign" from the Persian word meaning "Wearer of the Crown". It is the only well preserved example of Byzantine domestic architecture at Constantinople. The top story was a vast throne room. The facade was decorated with heraldic symbols of the Palaiologan Imperial dynasty and it was originally called the House of the Porphyrogennetos - which means "born in the Purple Chamber". It was built for Constantine, third son of Michael VIII and dates between 1261 and 1291.
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From Middle- Armenian –թագւոր (tʿagwor), from Old Armenian թագաւոր (tʿagawor).
Attested in Ibn Bibi's works......(Classical Persian) /tækˈwuɾ/
(Iranian Persian) /tækˈvoɾ/
تکور • (takvor) (plural تکورا__ن_ हिन्दी उच्चारण ठक्कुरन) (takvorân) or تکورها (takvor-hâ) alternative form of Persian in Dehkhoda Dictionary
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tafur on the Anglo-Norman On-Line Hub
Old Portuguese ( पुर्तगाल की भाषा)
Alternative forms (क्रमिक रूप )
taful
Etymology (शब्द निर्वचन)
From Arabic تَكْفُور (takfūr, “Armenian king”), from Middle Armenian թագւոր (tʿagwor, “king”), from Old Armenian թագաւոր (tʿagawor, “king”), from Parthian. ( एक ईरानी भाषा का भेद)
Cognate with Old Spanish tafur (Modern tahúr).
Pronunciation
: /ta.ˈfuɾ/
संज्ञा -
tafurm
gambler
13th century, attributed to Alfonso X of Castile, Cantigas de Santa Maria, E codex, cantiga 154 (facsimile):
Como un tafur tirou con hũa baeſta hũa seeta cõtra o ceo con ſanna p̈ q̇ pdera. p̃ q̃ cuidaua q̇ firia a deos o.ſ.M̃.
How a gambler shot, with a crossbow, a bolt at the sky, wrathful because he had lost. Because he wanted it to wound God or Holy Mary.
Derived terms
tafuraria ( तफ़ुरिया )
Descendants
Galician: tafur
Portuguese: taful Alternative forms
թագվոր (tʿagvor) हिन्दी उच्चारण :- टेगुर. बाँग्ला टैंगॉर रूप...
թագուոր (tʿaguor)
Etymology( व्युत्पत्ति)
From Old Armenian թագաւոր (tʿagawor).
Noun
թագւոր • (tʿagwor), genitive singular թագւորի(tʿagwori)
king-
bridegroom- (because he carries a crown during the wedding)
Derived terms-
թագուորանալ(tʿaguoranal)
թագւորական(tʿagworakan)
թագւորացեղ(tʿagworacʿeł)
թագվորորդի(tʿagvorordi)
Descendants-
Armenian: թագվոր (tʿagvor)
References
Łazaryan, Ṙ. S.; Avetisyan, H. M. (2009), “թագւոր”, in Miǰin hayereni baṙaran [Dictionary of Middle Armenian] (in Armenian), 2nd edition, Yerevan: University Press !
तेकफुर एक सेलेजुक के उत्तरार्ध में इस्तेमाल किया गया एक शीर्षक था। और ओटोमन (उस्मान) काल के प्रारम्भिक चरण या समय में स्वतंत्रत या अर्ध-स्वतंत्र नाबालिग (वयस्क)ईसाई शासकों या एशिया माइनर और थ्रेस में स्थानीय बायज़ान्टिन राज्यपालों का पदनाम का तक्वुर (ठक्कुर) रूप में उल्लेख किया गया था।
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उत्पत्ति और अर्थ - (व्युत्पत्ति- और अर्थ)
पुरानी अर्मेनियाई թագաւոր (ट'गवायर) रूप से मध्य आर्मीनियाई में թագւոր (t'agwor) स्पष्ट भारती ठक्कुर; शब्द से साम्य रखता है।
यह शब्द इतिहासकार इब्न-बीबी के ऐतिहासिक कार्यो में सत्यापित है। ...
(शास्त्रीय फ़ारसी) में / त्केवुर /
(ईरानी फारसी) / टएकवोर/
تکور • (takvor ) (बहुवचन تکورا__n_ हिन्दी उच्चारण थाकुरन) (takvorân) या تکورها (takvor-hâ)
सन्दर्भ:- फ़ारसी
(Dehkhoda )शब्दकोश में उद्धृत-
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taful शब्द भी अरबी में राजा या सामन्त का वाचक है।
व्युत्पत्ति (शब्द निर्वचनता)
पार्थियन से ओल्ड आर्मेनियाई թագաւոր (ट'गवायर= "राजा") और यहाँ से अरबी तक्कीफुर (takfur, "अर्मेनियाई राजा") का वाचक , मध्य अर्मेनियाई թագւոր (t'agwor, "राजा") , ( आर्मेनियाई भाषा एक इरानी भाषा का ही हिस्सा है।)
पुरानी स्पैनिश में तफ़ूर (आधुनिक रूप तहुर) के साथ संज्ञानात्मक रूप दर्शनीय है। -
उच्चारण
: /ta.fuɾ/
संज्ञा -
tafurm
(जुआरी )
13 वीं शताब्दी, कैस्टिले के अल्फोंसो एक्स को जिम्मेदार ठहराया गया इस अर्थ रूप के लिए , सन्दर्भ:- कैंटिगास डी सांता मारिया, ई कोडेक्स, कैंटिगा 154 (प्रतिकृति):
तक्वुर शब्द के अर्थ व्यञ्जकता में एक अहंत्ता पूर्ण भाव ध्वनित है।
व्युत्पन्न शर्तों के अनुसार-
तफ़ूरिया (तफ़ूरिया)
वंशज
गैलिशियन: तफ़ूर
पुर्तगाली: सख्त वैकल्पिक रूप
թագվոր (t'agvor) हिन्दी: - टेगुँरु तथा बाँग्ला- टैंगोर रूप ...
թագուոր (t'aguor)
(व्युत्पत्ति)
ओल्ड आर्मीनियाई թագաւոր (टी'गवायर) से
संज्ञा ।
թագւոր • (t'agwor), एकवचन शब्द (t'agwori)
राजा के अर्थ में।
दुल्हन (क्योंकि वह शादी के दौरान एक मुकुट पहना करती है)
______________________________
թագուորանալ (t'aguoranal)
թագւորական (t'agworakan)
թագւորացեղ (t'agworac'eł)
թագվորորդի (t'agvorordi)
वंशज
अर्मेनियाई: թագվոր (t'agvor)
संदर्भ -----
लज़ारियन, Ṙ एस .; Avetisyan, एच.एम. (200 9), "üyühsur", में Miine hayereni baaran
[मध्य अर्मेनियाई के शब्दकोश] (अर्मेनियाई में), 2 संस्करण, येरेवन: विश्वविद्यालय प्रेस आर्मीनिया !
___________________
टक्फुर (तक्वुर) शब्द एक तुर्की भाषा में रूढ़ माण्डलिक का विशेषण शब्द है.
जिसका अर्थ होता है " किसी विशेष स्थान अथवा मण्डल का मालिक अथवा स्वामी ।
तुर्की भाषा में भी यह ईरानी भाषा से आयात है ।
इसका जडे़ भी वहीं पार्थीयन में है ।
ईरानी संस्कृति में ताजपोशी जिसकी की जाती वही तेकुर अथवा टेक्फुर कहलाता था ।
"A person who wearer of the crown is called Takvor "
यह ताज केवल उचित प्रकार से संरक्षित होता था, केवल बाइजेण्टाइन गृह सम्बन्धित उत्सवों के अवसर पर भी पहनकर इसका प्रदर्शन होता था।सास्कृति परम्पराओं के निर्वहन करने हेतु बाइजेण्टाइन गृह सम्बन्धित उत्सवों के उदाहरण- के निमित्त विशेष अवसरों पर इसका प्रदर्शन भी होता था। पुरातात्विक और ऐतिहासिक साक्ष्यों ने ये प्रमाणित कर दिया की मुकुट धारक की उपाधि ठाकुर होती थी।
उसका सिंहासन कक्ष एक उच्चाट्टालिका के रूप में होता था राजा की मुखाकृति को शौर्य शास्त्रीय प्रतीकों द्वारा. सुसज्जित किया जाता था । और
शाही ( राजकीय) पुरालेखों में इस कक्ष को राजा के वंशज व्यक्तियों की धरोहरों से युक्त कर संरक्षित किया जाता था ।
और इसे पॉरफाइरो जेनेटॉस का कक्ष कह कर पुकारा जाता था ।
जिसका अर्थ होता है :- बैंगनी कक्ष से उत्पन्न "
इसे अनवरत रूप से माइकेल तृतीय के पुत्र द्वारा बनवया गया ।
यद्यपि व्युत्पत्ति- की दृष्टि से तक्वुर शब्द अज्ञात है परन्तु आरमेनियन ,अरेबियन (अरब़ी) तथा हिब्रू तथा तुर्की आरमेनियन भाषाओं में ही यह प्रारम्भिक चरण में उपस्थिति है।
जिसकी निकासी ईरानी भाषा पार्थियन से हुई है।
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बताया जा चुका है कि "आरमेनियन" भाषा में यह शब्द "तैगॉर" रूप में वर्णित है ।
जिसका अर्थ होता है :- ताज पहनने वाला ।
The origin of the title is uncertain. It has been suggested that it derives from the Byzantine imperial name Nikephoros, via Arabic Nikfor. It is sometimes also said that it derives from the Armenian taghavor,= "crown-bearer".
The term and its variants (tekvur, tekur, tekir, etc.
( History of Asia Minor)📍
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Identityfied of This word with Sanskrit Word Thakkur " ठक्कुर:
It Etymological thesis Explored by Yadav Yogesh kumar Rohi -
began to be used by historians writing in Persian or Turkish in the 13 th century, to refer to "denote Byzantine lords or governors of towns and fortresses in Anatolia (Bithynia, Pontus) and Thrace.
It often denoted Byzantine frontier warfare leaders, commanders of akritai, but also Byzantine princes and emperors themselves", e.g. in the case of the Tekfur Sarayı , the Turkish name of the Palace of the Porphyrogenitus in Constantino
(मॉद इस्तानबुल " के सन्दर्भों पर आधारित तथ्य )
Thus Ibn Bibi refers to the Armenian kings of Cilicia as tekvur,(ठक्कुर )while both he and the Dede Korkut epic refer to the rulers of the Empire of Trebizond as "tekvur of Djanit".
In the early Ottoman period, the term was used for both the Byzantine governors of fortresses and towns, with whom the Turks fought during the Ottoman expansion in northwestern Anatolia and in Thrace, but also for the Byzantine emperors themselves, interchangeably with malik ("king") and more rarely, fasiliyus (a rendering of the Byzantine title basileus).
Hasan Çolak suggests that this use was at least in part a deliberate choice to reflect current political realities and Byzantium's decline, which between
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1371–94 and again between 1424 and the Fall of Constantinople in 1453 made the rump Byzantine state a tributary vassal to the Ottomans. 15th-century Ottoman historian Enveri somewhat uniquely uses the term tekfur also for the Frankish rulers of southern Greece and the Aegean islands.
References--( सन्दर्भ तालिका )
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^ a b c d Savvides 2000, pp. 413–414.
^ a b Çolak 2014, p. 9.
^ Çolak 2014, pp. 13ff..
^ Çolak 2014, p. 19.
^ Çolak 2014, p. 14.
यद्यपि ठाकुर- शीर्षक का मूल अनिश्चित है । यह सुझाव दिया गया है कि यह बीजान्टिन शाही नाम निकेफोरोस से निकला है, अरबी निकफोर के माध्यम से यह कभी-कभी यह भी कहा जाता है कि यह अर्मेनियाई तागवर, "मुकुट-धारक" से निकला है। शब्द और इसके विकसित प्रकार (tekvur, tekur, tekir, आदि हैं।)
(एशिया माइनर का इतिहास) 📍
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यह शब्द 13 वीं शताब्दी में फ़ारसी या तुर्की में लिख रहे इतिहासकारों द्वारा इस्तेमाल किया जाने लगा था , जिसका अर्थ है "बीजान्टिन प्रभुओं या एनाटोलिया ( तुर्की) के बीथिनीया, पोंटस) और थ्रेस में कस्बों और किले के गवर्नरों (राजपालों )के निरूपण करना से था। यह शब्द प्रायः बीजान्टिन सीमावर्ती युद्ध के नेताओं, अकराति के कमांडरों, तथा बीजान्टिन राजकुमारों और सम्राटों को भी निरूपित करता है ", उदाहरण के लिए, कॉन्स्टेंटिनो में पोर्कफिरोजनीटस के पैलेस के तुर्की नाम, "टेक्फुर सराय" के मामले में
( देखें--- तुर्की लेखक "मोद इस्तानबूल "के सन्दर्भों पर आधारित तथ्य) इस प्रकार इब्न बीबी ने भी सिल्किया के अर्मेनियाई राजाओं को (टेक्विर) के रूप में संदर्भित किया है।
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सातवीं से बारहवीं सदी के बीच में मध्य एशिया से तुर्कों की कई शाखाएँ यहाँ भारत में आकर बसीं। इससे पहले यहाँ से पश्चिम में भारोपीय भाषी (यवन, हेलेनिक) और पूर्व में कॉकेशियाइ जातियों का पढ़ाब रहा था। विदित हो कि तुर्की में ईसा के लगभग ७५०० वर्ष पहले मानवीय आवास के प्रमाण मिल चुके हैं।अत: यहीं
हिट्टी साम्राज्य की स्थापना (१९००-१३००) ईसा पूर्व में हुई थी। ये भारोपीय वर्ग की भाषा बोलते थे । १२५० ईस्वी पूर्व ट्रॉय की लड़ाई में यवनों (ग्रीक) ने ट्रॉय शहर को नेस्तनाबूद (नष्ट) कर दिया और आसपास के क्षेत्रों पर अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिया।
१२०० ईसापूर्व से तटीय क्षेत्रों में यवनों का आगमन भी आरम्भ हो गया।
छठी-सदी ईसापूर्व में फ़ारस के शाह साईरस (कुरुष) ने अनातोलिया पर अपना अधिकार कर लिया।
इसके करीब २०० वर्षों के पश्चात ३३४ ई० पूर्व में सिकन्दर ने फ़ारसियों को हराकर इस पर अपना अधिकार किया। बस !
ठक्कुर अथवा ठाकुर शब्द का इतिहास भारतीय संस्कृति में यहीं से प्रारम्भ होकर आज तक व्याप्त है ।
कालान्तरण में सिकन्दर अफ़गानिस्तान होते हुए भारत तक पहुंच गया था।
तब तुर्की और ईरानी सामन्त तक्वुर का लक़ब उपाधि(title) लगाने लग गये थे ।
भारत में तुर्की शासनकाल में तुर्की शब्दावली से भारतीय शासन शब्दावली में यह तक्वोर शब्द ठक्कुर: ठाकुर शब्द बनकर समाहित हो गया ।
यहीं से भारतीय राजपूतों ने इसे अपने शाही रुतवे के लिए के ग्रहण किया ।
ईसापूर्व १३० ईसवी सन् में अनातोलिया (एशिया माइनर अथवा तुर्की ) रोमन साम्राज्य का अंग बन गया था । ईसा के पचास वर्ष बाद सन्त पॉल ने ईसाई धर्म का प्रचार किया और सन ३१३ में रोमन साम्राज्य ने ईसाई धर्म को अपना लिया।
इसके कुछ वर्षों के अन्दर ही कान्स्टेंटाईन साम्राज्य का अलगाव हुआ और कान्स्टेंटिनोपल इसकी राजधनी बनाई गई।
सन्त शब्द भी भारोपीय मूल से सम्बद्ध है ।
यूरोपीय भाषा परिवार में विद्यमान (Saint) इसका प्रति रूप है ।
रोमन इतिहास में सन्त की उपाधि उस मिसनरी missionary' को दी जाती है । जिसने कोई आध्यात्मिक चमत्कार कर दिया हो ।
छठी सदी में बिजेन्टाईन साम्राज्य अपने चरम पर था पर १०० वर्षों के भीतर मुस्लिम अरबों ने इस पर अपना अधिकार जमा लिया।
बारहवी सदी में धर्मयुद्धों में फंसे रहने के बाद बिजेन्टाईन साम्राज्य का पतन आरम्भ हो गया।
सन् १२८८ में ऑटोमन साम्राज्य का उदय हुआ ,और सन् १४५३ में कस्तुनतुनिया का पतन।
इस घटना ने यूरोप में पुनर्जागरण लाने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
विशेष- कोन्स्तान्तीनोपोलिस, बोस्पोरुस जलसन्धि और मारमरा सागर के संगम पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो रोमन, बाइज़ेंटाइन, और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी थी। 324 ई. में प्राचीन बाइज़ेंटाइन सम्राट कोन्स्टान्टिन प्रथम द्वारा रोमन साम्राज्य की नई राजधानी के रूप में इसे पुनर्निर्मित किया गया, जिसके बाद इन्हीं के नाम पर इसे नामित किया गया।
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वर्तमान तुर्क पहले यूराल और अल्ताई पर्वतों के बीच बसे हुए थे। जलवायु के बिगड़ने तथा अन्य कारणों से ये लोग आसपास के क्षेत्रों में चले गए।
लगभग एक हजार वर्ष पूर्व वे लोग एशिया माइनर में बसे। नौंवी सदी में ओगुज़ तुर्कों की एक शाखा कैस्पियन सागर के पूर्व बसी और धीरे-धीरे ईरानी संस्कृति को अपनाती गई। ये सल्जूक़ तुर्क ही जिनकी उपाधि (title) तेगॉर थी भारत में लेकर आये। और ईरानियों में भी तेगुँर उपाधि नामान्तर भेद से प्रचलित थी।
बाँग्ला देश में आज भी टेंगौर शब्द के रूप में केवल ब्राह्मणों का वाचक है । मिथिला में भी ठाकुर ब्राह्मण समाज की उपाधि है।
यद्यपि ठाकरे शब्द महाराष्ट्र के कायस्थों का वाचक है, जिनके पूर्वजों ने कभी मगध अर्थात् वर्तमान विहार से ही प्रस्थान किया था ।
यद्यपि इस ठाकुर शब्द का साम्य तमिल शब्द (तेगुँर )से भी प्रस्तावित हैै ।
तमिल की एक बलूच शाखा है बलूच ईरानी और मंगोलों के सानिध्य में भी रहे है । जो वर्तमान बलूचिस्तान की ब्राहुई भाषी है ।
संस्कृत स्था धातु का सम्बन्ध भारोपीयमूल के स्था (Sta )धातु से है ।
संस्कृत भाषा में इस धातु प्रयोग --प्रथम पुरुष एक वचन का रूप तिष्ठति है ,
तथा ईरानी असुर संस्कृति के उपासक आर्यों की भाषा में हिस्तेति तथा ग्रीक भाषा में हिष्टेमि ( Histemi ) लैटिन -Sistere ।
तथा रूसी परिवार की लिथुअॉनियन भाषा में -Stojus जर्मन भाषा (Stall) गॉथिक- Standan ।
स्थग् :--- हिन्दी रूप ढ़कना, आच्छादित करना आदि। भारतीय इतिहास एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा पूर्व-आग्रहों (pre solicitations )से ग्रसित होकर ही लिखा गया । आज आवश्यकता है इसके यथा स्थिति पर पुनर्लेखन की ।
"This is a research -Thesis whose overall facts is explored "by Yadav Yogesh Kumar 'Rohi"
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