मझधार में हैं नैया- कन्हैया तू ही उबारे !
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छूट गये सब हमसे किनारे भँवरों के धारे !
ओ सामरे हम तेरे सहारे हम तेरे सहारे !
यहाँ स्वार्थों की वेदीपर आहूति विश्वास हैं
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"छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं । ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।
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छूटे अपने सारे सहारे' झूँठे सब नाते हैं । छूटे अपने सारे सहारे' झूँठे सब नाते हैं ।
ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं। ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।
छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं । छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं । ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं। ओ साँवरे ! हम तेरी गुण गाते~ हैं।
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दुनियाँ में रिश्ते तोले जाते' दौलत की तोल में !
ख़ुदगर्ज़ी और मर्जी में घुल जाते हैं कुछ घोल में ।
किस पर हम विश्वास करें इन सन्देहों के झोल में
चहरों पर चहरे यहाँ चढ़े है ! झूँठेपन हैं बोल में
झूँठी आशों के पाशों में यहाँ सब फँस जाते हैं।
झूँठी आशों के पाशो में यहाँ सब फँस जाते हैं।
वो वावरे ! कभी निकल नहीं पाते हैं !
ओ~ साँवरे हम तुझको बुलाते हैं ।
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दौलत से रिश्तों की बोली ' दुनियाँ के बाजार में
बिक जाते हैं यहाँ चरित्र भी' चित्रों के हिसार में।
ईमान धर्म के देखे लबादे' झूँठों और मक्कार में ।
आज शराफत की चादर में 'आफत बेशुमार में।
पर उपकार भलाई करने से' हम घबराते हैं।
पर उपकार भलाई करने से' हम घबराते हैं।
ओ साँवरे ! हम तेरे गुण गाते हैं।
ओ~साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।
छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।
छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।
ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।
ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।
ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।
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तुझको क्या हाल सुनाऐं
तू तो सबकुछ जानता ।
धूमिल होगयी अपनी राहें
और मंजिल है लापता ।।
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खो गये हम तुझको खोजते आकर अब तू ही बता ।
मेरा रहवर तो तू ही है ।
मंजिल का देदे पता ।।
अपमानों के अश्कों को पीकर
हम ग़म खाते हैं।
अपमानों के अश्कों को पीकर
हम ग़म खाते है।
ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।
ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।
ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।
छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।
ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।
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