बुधवार, 4 अगस्त 2021

हम हैं बेसहारा साँवरे तुझको ही पुकारें !

हम हैं बेसहारा साँवरे- तुझको ही पुकारें !
 मझधार में हैं नैया- कन्हैया तू ही उबारे !
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छूट गये सब हमसे किनारे भँवरों के धारे !
ओ सामरे हम तेरे सहारे  हम तेरे सहारे !
यहाँ स्वार्थों की वेदीपर आहूति विश्वास हैं 
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"छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।                      ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।

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छूटे अपने सारे सहारे' झूँठे सब नाते हैं ।                              छूटे अपने सारे सहारे' झूँठे सब नाते हैं ।

ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।                                    ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।

छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।                            छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।                            ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।                                    ओ साँवरे ! हम तेरी  गुण गाते~ हैं।

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दुनियाँ में रिश्ते तोले जाते'  दौलत की तोल में !
ख़ुदगर्ज़ी और मर्जी में घुल जाते हैं कुछ घोल में ।

किस पर हम विश्वास करें इन सन्देहों के झोल में 
चहरों पर चहरे यहाँ चढ़े है ! झूँठेपन हैं बोल में 

झूँठी आशों के पाशों में यहाँ सब फँस जाते हैं।

झूँठी आशों के पाशो में यहाँ सब फँस जाते हैं।
वो वावरे ! कभी निकल नहीं पाते हैं !
ओ~ साँवरे हम तुझको बुलाते हैं ।
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दौलत से रिश्तों की बोली ' दुनियाँ के बाजार में 
बिक जाते हैं यहाँ चरित्र भी' चित्रों के हिसार में।

ईमान धर्म के देखे लबादे'  झूँठों और मक्कार में ।
आज शराफत की चादर में 'आफत बेशुमार में।

 पर उपकार भलाई करने से'  हम घबराते हैं।
 पर उपकार भलाई करने से' हम घबराते हैं।
 ओ साँवरे ! हम तेरे गुण गाते हैं।
 ओ~साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।

छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।
 छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं । 
  ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।
  ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।
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तुझको  क्या हाल सुनाऐं 
तू तो सबकुछ जानता ।

धूमिल होगयी अपनी राहें 
और मंजिल है लापता ।।
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खो गये हम तुझको खोजते                          आकर अब तू ही बता ।

मेरा रहवर तो तू ही है ।
मंजिल का देदे  पता ।।

अपमानों के अश्कों को पीकर 
हम  ग़म खाते हैं।
अपमानों के अश्कों को पीकर 
हम  ग़म खाते है।
ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।
ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।

छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।                             

ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।

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छूटे अपने सारे सहारे' झूँठे सब नाते हैं ।                              छूटे अपने सारे सहारे' झूँठे सब नाते हैं ।

ओ साँवरे ! हम तुझको बुलाते हैं।                                    ओ~ साँवरे! हम तेरे गुण गाते हैं।

छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।                            छूटे अपने सारे सहारे 'झूँठे सब नाते हैं ।


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