★-"इतिहास के बिखरे हुए पन्ने"-★
मंगलवार, 17 अगस्त 2021
हो सुन लो कन्हैया मेरी पुकारे ।
है तनहा तनहा ये जीवन और
खामोशी की हैं सौगाते ।
मंजिले हासिल नहीं हमको मिलती हैं पर घातों पे घाते ।।
तुमसे अरदास और आस है मेरे कन्हाई ।।
तेरे यादों की संगत हो तो मिटजायें तन्हाई
हो सुन लो कन्हैया मेरी पुकारे ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें