बुधवार, 5 अप्रैल 2023

मनुम् ।।बाहुयुग्मे तथा बाहूंराजन्य इति विन्यसेत् ।।

मुखे न्यसेद्ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीदिमं मनुम् ।।
बाहुयुग्मे तथा बाहूंराजन्य इति विन्यसेत् ।। ७०-१०१ ।।

ऊरू तदस्य यद्वैश्य इममूरुद्वये न्यसेत् ।।
न्यसेत्पादद्वये मंत्री पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।। ७०-१०२ ।।

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