शास्त्रों में किस प्रकार से जोड़-तोड़ होता है ।
यह आनन्द वृन्दावन चम्पू के पुराने और नये संस्करणों से जानों
नयी हिन्दी अनुवाद और टीका वाली प्रति में
संस्कृत का यह श्लोक द्वादश स्तवक का 84-85;वाँ श्लोक हटा दिया गया । जिसमें "शौरिराभीरिकाणां " शूरसेन प्रदेश सी आभीरिकाओं का" " यह अर्थ वृज की। गोपिकाओं को लिए था।
अब नयी अनुवाद और टीकायुक्त प्रति में यह अंश नहीं है।
"न्यञ्चत्कायश्चकित नयनो गोपयन्नङ्गमङ्गैर्गूढस्मेरो वसनमहरच्छौरिराभीरिकाणाम्।
नयी प्रति जिसका लिंक नीचे है।
https://archive.org/details/ananda_vrindavana_champu/page/n464/mode/1up
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मूल प्रति आनन्द वृन्दावन चम्पू-
जिसका आर्काइव लिंक नीचे है।
https://epustakalay.com/book/279021-anand-vrindavan-champu-by-karnapoor/
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