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पद्म पुराण और स्कन्द पुराण जैसे विशाल काय ग्रन्थों का अध्ययन किसी समुद्र को पार करने के सदृश ही था ।
स्वयं महाभारत का छ: खण्डों में उपलब्ध संस्करण एक लाख से अधिक श्लोकों का समुच्चय ।
महाभारत का पारायण किसी समुद्र को पार करने के सदृश ही दुष्कर कार्य था । परन्तु गुरु जी के आशीर्वाद से और गुरु जी के ऊपर हुई माता गायत्री और देवी दुर्गा की अहैतुकी कृपाओं से अठारह पुराण' महाभारत 'वाल्मीकि रामायण 'गर्गसंहिता 'पतञ्जलि महाभाष्य तथा अन्य वैष्णव ग्रन्थों गोपालचम्पू 'श्री वृन्दावनचम्पू तथा श्री राधागणोद्देश्यदीपिका एवं
भागवत पर उपलब्ध माधवाचार्य की भागवत तात्पर्य टीका वंशीधर शर्मा की वंशीधरीटीका और अन्वितार्थ प्रकाशिका टीका और भी अन्य तन्त्र ग्रन्थों' ऋग्वेद आदि का गहन अध्ययन करने के पश्चात तथ्यों का यथार्थ सन्दर्भ सहित प्रस्तुति करण इस ग्रन्थ में समाविष्ट हो सका हैं ।
पहली बार वेद,पुराण ,महाभारत,वैष्णव धार्मिक ग्रन्थों। उत्तरवेदांत ,ऐतिहासिक अभिलेखों ,गीता प्रेस,योगी आदित्यनाथ जी की गोपाल वंश पर आधारित किताबों के प्रकाश में तथा पुराणों में पद्म पुराण ' स्कन्द पुराण नान्दी उपपुराण तथा अन्य ग्रन्थों से -
(1) -वेदमाता गायत्री के अहीर
,गोपपुत्री ,यादवी तथा यदुवंंशसमुद्भभवा( यदुुुुश में उत्पन्न कन्या) होने के संदर्भ संग्रहीत हैैं ।
(2) आदिशक्ति दुर्गेश्वरी विंध्यवासिनी के नन्दगोप की पुत्री के पौराणिक और महाभारत से सम्बन्धित सन्दर्भ-
(3)- वृषभानु गोप की सुता राधिका जी का ऋग्वेद-पुराणों से सन्दर्भ आचार्य नीलकण्ठ की मन्त्रभागवत
पर आधारित भाष्यो का समावेेश है।
(4) नन्दगोप और वसुदेव के पितामह देवमीढ़ का श्रीधरी,अन्वितार्थप्रकाशिका,वंशीधरी टीका, भक्तमाल अंक गीता प्रेस गोरखपुर ,भागवतपुराण से नन्दगोप के वृष्णि कुल से सम्बन्धित यदुवंशीय होने के साक्ष्य ,गर्ग संहिता से नन्द के अहीर सम्बोधित होने ने के सन्दर्भों का प्रयोग
(5) गोपालचंम्पू,"राधाकृष्णोदेश्यदीपिका" से नन्द बाबा का पूरा परिचय वृष्णि कुल भूषण देवमीढ़ पर्यन्त ।
(6) पुराणों से खासकर स्कन्दपुराण -नागर खण्ड तथा प्रभास महात्म्य और पद्मपुराण सृष्टिखण्ड, हरिवंशपुराण ,देवीभागवत पुराण ' मार्कण्डेय 'नारद पुराण 'ब्रह्म वैवर्तपुराण तथा ब्रह्म पुराण आदि पुराणों से वसुदेव व कृष्ण के गोपवंश में अवतार लेने का प्रकरण।
(7 )अहीरवंश - यदुवंश अथवा गोप । गोपाल वंश के एक ही होने के पौराणिक सन्दर्भ।
(8 )-नन्द बाबा के यदुवंश में अवतरित होने के पौराणिक उल्लेख
(9)-कैसे एक ही हैै गोपवंश और यदुवंश इसका प्रमाणित सन्दर्भ भी प्रस्तुत पुस्तक में है ।।
(10 ) योगेश्वर-कृष्ण को ठाकुर क्यो कहते है ? तथा भारतीय भाषाओं में ठाकुर शब्द ता प्रचलन
(11) -क्या यदुवंश के लोगो को 'सिंंह' उपाधि लिखना चाहिए या नही ?
सर्वप्रथम भारत में किस जाति के लोगो ने सिंह उपाधि धारण किया ? आदि अवान्तर वादों ( मतों का सम्यक् विवेचन ।
(12) क्या यदुवंश खत्म हो गया है ?
(13) नन्द बाबा और वासुदेव कृष्ण की मुलाकात कब कब होती रही हैै ?
(14) ऋग्वेद जिसमें कृष्ण को असुुुर क्यों कहा अथवा अदेव कहने का अर्थ क्या है? आदि मताें का सम्यक विवेचन ।
(15)-सर्वप्रथम अहीर और उसके पर्यायवाची गोप, गोपाल ,घोष,बल्लव शब्दो का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर किन किन पुस्तको में है ? इसका विवेचन ।
(16) -अहीरों को कहाँ -कहाँ शूद्र,महाशूद्र,,अन्त्यज ,लुटेरा,पापी,वर्णसंकर विदेशी लिखा गया है? और क्यो लिखा गया है? इसका भी विवेेचन।
(17)-अहीरों के अलावा किस किस जाति को -दैत्य,वर्णशंकर, तथा,शूद्र लिखा गया है ?
(18) कहां कहाँ कहाँ अहीरो को क्षत्रिय ,शूरवीर लिखा गया ।
(19) -किस पुराण व पुस्तक में अहीर जाति को आर्य कहा गया है ?
(20) किन पुराणों में लिखा है कि अहीर वंश की कथा सुनने से समस्त पापों से मनुष्य को मुक्ति मिल जाति है।
किस पुराण में गोपी गण/अहीरकी चरण धूलि लेने के लिए ब्रह्मा' विष्णु और महेश भी व्यग्र रहते है ?
और भी ढेर सारे प्रश्नों के उत्तर
इस पुस्तक में है जिनको यहाँ बताना असम्भव ही है ।
वेदों की अधिष्ठात्री देवी माता गायत्री को सर्व प्रथम गोप आभीर और यादव विशेषणों से पौराणिक सन्दर्भों में विशेषत: पद्मपुराण सृष्टि खण्ड , स्कन्द पुराण नागर और प्रभास महात्म्यखण्ड तथा इसके अतिरिक्त देवीभागवत, मार्कण्डेय पुराण तथा नान्दी उप पुराण आदि में दुर्गा गायत्री आदि महाशक्तियों की अधिष्ठात्री देवीयों को गोप कन्या ' आभीर कन्या और यादवी तथा यदुवंशसमुद्भवा कह कर सम्बोधित किया गया । इसके अतिरिक्त अनेक वैष्णव ग्रन्थों में नन्द 'वृषभानु और राधा आदि महा विभूतियों को यदुवंश सम्भूता कह कर यादव 'आभीर और गोप गोपी आदि नामों से वर्णित किया गया है ।
नन्द की देवमीढ़ पर्यन्त वंशावली तथा नन्द के लिए आभीर गोप और यादव सम्बोधन के प्रमाण तथा स्वयं वसुदेव को गोप रूप में उत्पन्न होने और गोपालन वृत्ति से जीवन निर्वाह करने के प्रमाण प्रस्तुत ग्रन्थ में समाविष्ट हैं।
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प्रस्तुति करण यादव योगेश कुमार रोहि - 8077160219
योगेश जी ये पुस्तक कैसे खरीद सकते हैं ?
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