#अब्राहम= #ब्रह्म_ब्रह्मा
अपने इजराइली दौरे पर कल मोदी जी ने कहा कि इज़राइल और भारत के रिश्ते स्वर्ग में बने हैं।
कैसे?????
भारत और इज़राइल के रिश्ते स्वर्ग में बने या न बने हों किन्तु यह जरूर है कि यहूदी तोरा-धर्म की तरह वैदिक धर्म भी अब्राहम(इब्राहिम) से निकली हुई शाखा है। ठीक वैसे ही जैसे ईसाई और इस्लाम, यानि अब्राहम के ही वंसज यहूदी, ईसाई , इस्लाम और वैदिक कहलाये जाते हैं। जिसमें देसी देस के देसी धर्मगुरु व देसी जनता शामिल नही हैं।
यहूदियों की तरह अब्राहम ( इब्राहिम) भी वैदिकों के पूज्य पुरुष है ,अब्राहम( इब्राहिम) का अपभ्रंश ब्रह्म और ब्रह्मा है। अब्राहम की पत्नी सारा थी, ब्रह्मा की पत्नी सावित्री है यह भी दिलचस्प है कि वैदिकों की सबसे पवित्र #गायत्री_मंत्र को #सावित्री_मन्त्र भी कहा जाता है
मनुस्मृति के पहले अध्याय के 23वें श्लोक में कहा गया है- ब्रह्मा ने यज्ञ की सिद्धि के लिए अग्नि प्रकट की"
ऋग्वेद का पहला अध्याय ही अग्नि की स्तुति से आरम्भ होता है।
अब्राहम , वैदिकों के पूर्वपुरुष भी अग्नि पूजक थे।
प्रचीन बाइबिल के अनुसार उन्होंने अपने उपास्य याह्वेह(यहोवा) के लिए ऊँची यज्ञ वेदी बनाई थी।
उपनिषदों में ब्रह्म को भू:, भुवः, और स्व: के अलावा महः भी कहा गया है। निघण्टु 3:3 में महः को यह्व कहा गया है , वैदिक इसे ईश्वर की उपाधि देते हैं।
यास्क के अनुसार उपनिषदो का महः ही यह्व: हो जाता है।
अब्राहम के आराध्य का नाम भी ठीक यही है यह्वेह या यहोवा है। यास्क के यह्व: और प्राचीन बाइबिल के यहोवा( यह्वेह ) में कोई अंतर नहीं है। दोनों ही परम शक्तियां मानी गई हैं और सृष्टि का निर्माण भी इन्होंने किया बताया गया है। इसलिए पूरी सृष्टि व धरती-आकाश में मौजूद हर चीज-जीव, पहाड़, बच्चे, नर-नारी जीव-जगत पेड-पौधे खनिज-सम्पदा के मालिक यहूदी हैं।
मूसा इस्राइलियों की प्राचीन बाइबिल ( 4:37-38) में कहते हैं - यह येहोवा का वचन है , मुझे छोड़ के दूसरे का परमेश्वर मत मानो।
वेदों में भी एकेश्वरवाद आया है, यजुर्वेद ( 32-3) में साफ़ कहा गया है कि उस ईश्वर की कोई प्रतिमा या मूर्ति नही है।
प्राचीन बाइबिल ( ओल्ड टेस्टामेंट) में ईरान मीडियन या मीड जातीय समूह का जिक्र है। मूसा ने मिडियांनो के तांत्रिक नेता की बेटी से शादी की थी।
प्रचान बाइबिल के अनुसार मिडियनो को गिडियनो से युद्ध करना पड़ा था, जिसमे डेढ़ लाख से अधिक मीडियन मारे गए थे। इतिहासकार बताते हैं कि जो मीडियन शाखा भारत आई उसे इंडोआर्यन कहा गया है।
यह भी आश्चर्य है कि माध्यन्दी कोई वैदिक ऋषि नहीं है किंतु माध्यन्दिनी एक मान्यता प्राप्त वैदिक शाखा है। गौरतलब है कि मिड का संस्कृत में मध्य/ माध्य होता है। इसलिए जो भी कोई घटना दुर्घटना, होनी-अनहोनी होती है वो माध्यं के द्वारा ही होती है।
प्रचीन बाइबिल के ' निर्गमन' अध्याय ( 38:1) में यज्ञवेदी का आकार और उसकी नाप दी गई है जंहा अब्राहम ने यज्ञवेदी बनाई और आहुति दी।
बकरे की यज्ञवेदी में आहुति सर्वप्रथम अब्राहम ने दी थी। उनके बाद यह परम्परा वैदिकों में भी रही है। जिसे अजमेघ कहा जाता है। अज=बकरा
प्रचीन बाइबिल के गिनती अध्याय (28 से 29) में विस्तार से अन्न, सुगन्धित पदार्थो, आदि की आहुति देने का लंबा विवरण है, ऐसी ही परम्परा वैदिक यज्ञ में आहुति देने की भी रही है।
संजय
अपौरुषेय-बाणी
बाबा-राजहंस
#अब्राहम= #ब्रह्म_ब्रह्मा
अपने इजराइली दौरे पर कल मोदी जी ने कहा कि इज़राइल और भारत के रिश्ते स्वर्ग में बने हैं।
कैसे?????
भारत और इज़राइल के रिश्ते स्वर्ग में बने या न बने हों किन्तु यह जरूर है कि यहूदी तोरा-धर्म की तरह वैदिक धर्म भी अब्राहम(इब्राहिम) से निकली हुई शाखा है। ठीक वैसे ही जैसे ईसाई और इस्लाम, यानि अब्राहम के ही वंसज यहूदी, ईसाई , इस्लाम और वैदिक कहलाये जाते हैं। जिसमें देसी देस के देसी धर्मगुरु व देसी जनता शामिल नही हैं।
यहूदियों की तरह अब्राहम ( इब्राहिम) भी वैदिकों के पूज्य पुरुष है ,अब्राहम( इब्राहिम) का अपभ्रंश ब्रह्म और ब्रह्मा है। अब्राहम की पत्नी सारा थी, ब्रह्मा की पत्नी सावित्री है यह भी दिलचस्प है कि वैदिकों की सबसे पवित्र #गायत्री_मंत्र को #सावित्री_मन्त्र भी कहा जाता है
मनुस्मृति के पहले अध्याय के 23वें श्लोक में कहा गया है- ब्रह्मा ने यज्ञ की सिद्धि के लिए अग्नि प्रकट की"
ऋग्वेद का पहला अध्याय ही अग्नि की स्तुति से आरम्भ होता है।
अब्राहम , वैदिकों के पूर्वपुरुष भी अग्नि पूजक थे।
प्रचीन बाइबिल के अनुसार उन्होंने अपने उपास्य याह्वेह(यहोवा) के लिए ऊँची यज्ञ वेदी बनाई थी।
उपनिषदों में ब्रह्म को भू:, भुवः, और स्व: के अलावा महः भी कहा गया है। निघण्टु 3:3 में महः को यह्व कहा गया है , वैदिक इसे ईश्वर की उपाधि देते हैं।
यास्क के अनुसार उपनिषदो का महः ही यह्व: हो जाता है।
अब्राहम के आराध्य का नाम भी ठीक यही है यह्वेह या यहोवा है। यास्क के यह्व: और प्राचीन बाइबिल के यहोवा( यह्वेह ) में कोई अंतर नहीं है। दोनों ही परम शक्तियां मानी गई हैं और सृष्टि का निर्माण भी इन्होंने किया बताया गया है। इसलिए पूरी सृष्टि व धरती-आकाश में मौजूद हर चीज-जीव, पहाड़, बच्चे, नर-नारी जीव-जगत पेड-पौधे खनिज-सम्पदा के मालिक यहूदी हैं।
मूसा इस्राइलियों की प्राचीन बाइबिल ( 4:37-38) में कहते हैं - यह येहोवा का वचन है , मुझे छोड़ के दूसरे का परमेश्वर मत मानो।
वेदों में भी एकेश्वरवाद आया है, यजुर्वेद ( 32-3) में साफ़ कहा गया है कि उस ईश्वर की कोई प्रतिमा या मूर्ति नही है।
प्राचीन बाइबिल ( ओल्ड टेस्टामेंट) में ईरान मीडियन या मीड जातीय समूह का जिक्र है। मूसा ने मिडियांनो के तांत्रिक नेता की बेटी से शादी की थी।
प्रचान बाइबिल के अनुसार मिडियनो को गिडियनो से युद्ध करना पड़ा था, जिसमे डेढ़ लाख से अधिक मीडियन मारे गए थे। इतिहासकार बताते हैं कि जो मीडियन शाखा भारत आई उसे इंडोआर्यन कहा गया है।
यह भी आश्चर्य है कि माध्यन्दी कोई वैदिक ऋषि नहीं है किंतु माध्यन्दिनी एक मान्यता प्राप्त वैदिक शाखा है। गौरतलब है कि मिड का संस्कृत में मध्य/ माध्य होता है। इसलिए जो भी कोई घटना दुर्घटना, होनी-अनहोनी होती है वो माध्यं के द्वारा ही होती है।
प्रचीन बाइबिल के ' निर्गमन' अध्याय ( 38:1) में यज्ञवेदी का आकार और उसकी नाप दी गई है जंहा अब्राहम ने यज्ञवेदी बनाई और आहुति दी।
बकरे की यज्ञवेदी में आहुति सर्वप्रथम अब्राहम ने दी थी। उनके बाद यह परम्परा वैदिकों में भी रही है। जिसे अजमेघ कहा जाता है। अज=बकरा
प्रचीन बाइबिल के गिनती अध्याय (28 से 29) में विस्तार से अन्न, सुगन्धित पदार्थो, आदि की आहुति देने का लंबा विवरण है, ऐसी ही परम्परा वैदिक यज्ञ में आहुति देने की भी रही है।
संजय
अपौरुषेय-बाणी
बाबा-राजहंस
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