शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

काल - वाक्य- एवम् क्रियाओं के रूप -


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वर्तमान काल और उसके भेद ★-

यद्यपि काल अखण्ड सत्ता है ; परन्तु पूर्वघटित घटना के समय भाग को भूत काल और प्रत्यक्ष घट रही घटना के समय को वर्तमान काल एवं आगे घटित होने वाली घटना समय को भविष्य काल के नाम से जाना जाता है । 

इस प्रकार काल को तीन भागो में बाँटा गया है. 

"काल किसे कहते हैं ?

अर्थात, क्रिया के उस रूपान्तर को काल कहते है, जिससे उसके कार्य-व्यापर का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो।

मुख्यतः क्रिया की चार अवस्थाएं होती हैं और इनके द्वारा ही काल की जानकारी प्राप्त होती है. 

अतः क्रिया के द्वारा किसी कार्य के होने या ना होने के समय के जानकारी को काल कहा जाता है. 

क्रिया का पूर्ववर्ती ( पहले होने वाले ) घटित रूप भूत काल, तो मध्यवर्ती घटित रूप को  जो आँखों के सामने है वर्तमानकाल, और उत्तरवर्ती घटितरूप को जो आगे होगा भविष्य काल के नाम से जाना जाता है। 

काल को उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं.

  1. रमन और श्याम दोनों साथ में स्कूल जाते हैं. वर्तमान काल
  2. दिव्या पिछले साल से ही कानपुर में रहती है. वर्तमान काल
  3. नेपाल कभी भारत का हिस्सा हुआ करता था. – भूतकाल
  4. तुम्हें अलीगढ़ में कुछ काम हो तो मुझे बताना मैं काल कानपुर जाऊंगा. भविष्यकाल
  5. बारिश के कारण क्रिकेट मैच ड्रा हो गया है. पूर्ण वर्तमान काल
  6. 1983 में पहली बार भारत ने विश्वकप को जीता था. पूर्ण भूतकाल
  7. (साधारण शब्दों में कहे तो काल का सम्बन्ध  क्रिया के घटित होने वाले समय से होता है.)

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काल के भेद-★

types to tense, काल के प्रकार

काल को मुख्य रूप से तीन भागो में बाटा गया है जो निम्नलिखित हैं.

  1. वर्तमान काल-
  2. भूतकाल-
  3. भविष्यकाल-

वर्तमान काल-

वह समय जो वर्तमान स्थिति को प्रदर्शित करता है तो उसे वर्तमान काल कहा जाता है. वर्तमान काल के द्वारा किसी कार्य का जारी रहना बताया जाता है.

वर्तमान काल के कितने भेद होते हैं-

सामान्य वर्तमान काल-

जिस वाक्य के अंत में ता है, ती है, तें है, आदि शब्द आते हैं तो उसे सामान्य वर्तमान काल कहा जाता है.

 सामान्य वर्तमान काल के कुछ उदाहरण - 

  1. सौम्या स्कूल जाती है.
  2. राम स्कूल नही जाता है.
  3. सोहन रोज मैच खेलने जाता है.
  4. मेरा भाई गाँव जाता है.
  5. पतंग आकाश में उड़ती है.
  6. भूमि का जल प्रतिदिन घटता है.
  7. सोैम्या हमेशा कक्षा में प्रथम आती है.
  8. लोगो  जमाने की बातें  करते हैं.
  9. पाप बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है.

अपूर्ण वर्तमान काल-★

इस काल में किसी कार्य का जारी रहना बताया जाता है.

 इसमें कार्य के ना तो शुरू होने के समय का जानकारी होती है और ना ही पूर्ण होनी की. इसीलिए इस काल को अपूर्ण वर्तमान काल कहा जाता है.

इस तरह के वाक्यों के अंत में रहा है, रही है, रहें हैं, आदि शब्द आते हैं.

अपूर्ण वर्तमान काल के वाक्य-

 काल के कुछ उदाहरण -

राम स्कूल जा रहा है.

मोहन किताब पढ़ रहा है.

बहिन जी खाना बना रही हैं.

वर्षा हो रही है.

पिता जी अलीगढ़ जा रहे हैं.

मैं कॉलेज जा रहा हूँ.

तुम अपना काम क्यों नही कर रहे हो.

पानी बहुत तेजी से बह रहा है.

आसमान में काले बादलों का आना शुरू हो रहा हैं.

घर के बाहर बूंदा बांदी हो रही है.

धीरे धीरे सूरज निकाल रहा रहा.

पूर्ण वर्तमान काल-★

इस तरह के काल में किसी कार्य के पूर्ण होने की जानकारी दी जाती है. इसलिए इस काल को पूर्ण वर्तमान काल कहा जाता है।

(इस काल के वाक्यों में संयुक्त क्रिया का पहला रूप भूतकाल कि तथा दूसरा रूप वर्तमानकाल का होता है। 

जैसे वह घर {(१-गया) (२-है)})

इसके वाक्य के अंत में गया है, गयी है, गये हैं, चूका है, चुके हैं, चुकी हैं शब्द आते हैं. इन शब्दों के द्वारा ही इस काल की पहचाना की जाती है

पूर्ण वर्तमान काल–

 उदाहरण 

१-सुमित खाना खा चूका हैं.

२-माता जी  जी रामायण पढ़ चुकी हैं .

३-पिता जी स्नान कर चुके हैं.

४-किसान खेत में काम कर चूका है.

५-पिता जी कानपुर पहुच गये हैं

६-टीचर क्लास में पढ़ा चुके हैं.

"सन्दिग्ध वर्तमान काल -

इस काल में कार्य के होने या ना होने में संदेह होता है. अर्थात् वह  क्रिया जिसके होने में अथवा ना होने में संदेह होता है तो उस काल को (संदिग्ध वर्तमान काल) कहा जाता है इस प्रकार को काल को वाक्यों में संयुक्त क्रिया का पूर्वरूप अपूर्ण वर्तमान अथवा अनिश्चित वर्तमान काल का तथा दूसरा उत्तर रूप भविष्य काल की क्रिया का वाचक होता है । 

(आ रहा होगा/ आता होगा)

 उदाहरण -

माता जी खाना बना रही होंगी. इस वाक्य का विश्लेषण करें तो ज्ञात होता है की माता जी हो सकता है की खाना बना रही हो या ना बना रही हो अनुमान लगाया जाता है ।.

  1. अलीगढ़ में बारिश हो रही होगी.
  2. मेरी बहन पढ़ाई कर रही होगी.
  3. पिता जी ऑफिस से आ रहे होंगे.
  4. भारत और पाकिस्तान का मैच खेला जा रहा होगा.
  5. अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहे होंगे
  6. वह यहाँ आता होगा।

तात्कालिक वर्तमान काल–

यह काल अपूर्ण काल से मिलता जुलता है. इस काल में क्रिया के द्वारा किसी कार्य का वर्तमान में जारी रहना बताया जाता है.

  1. मैं खाना खा रहा हूँ.
  2. मैं गाना सुन रहा हूँ.
  3. माता जी खाना बना रही हैं.
  4. पिता जी अभी स्नान कर रहे हैं.
  5. मेरे बड़े भाई किताब पढ़ रहे हैं.

उपर्युक्त सभी वाक्यों में क्रिया का वर्तमान में जारी रहना बताया जा रहा है.

संभाव्य वर्तमान काल–

इस काल में प्रयुक्त संभाव्य शब्द का अर्थ संभावना से है. अतः जिस क्रिया के माध्यम से वर्तमान काल में किसी कार्य के होने की संभावना को व्यक्त किया जाता है तो वह काल संभाव्य वर्तमान काल कहा जाता है.

  1. शायद बारिश हो रही हो.
  2. शायद आज पिता जी कानपुर से आये हो.
  3. शायद बारिश के कारण मैच बंद हो गया हो.

भूतकाल–

इस काल के द्वारा क्रिया के द्वारा किसी कार्य के पूर्ण होने या ना होने को भूतकाल में बताया जाता है. इस काल के वाक्य के अंत में था, थी, थे, आदि शब्द आते हैं.

  1. मैं खाना खा रहा था.
  2. मैं बचपन में साइकिल से स्कूल जाता था.
  3. तुम्हारे आने से पहले ट्रेन जा चुकी थी.
  4. सुबह से आज वर्षा हो रही थी.
  5. मैं रोज हॉकी मैच खेलने जाया करता था.
  • मैं स्कूल जाता था.
  • कल भारत का मैच खेला गया था.
  • तुम्हारे आने के पहले मैं खाना खा चूका था.

उपरोक्त सभी वाक्यों में कार्य का पूर्ण होना बताया जाता है इसलिए यह भूतकाल के वाक्य हैं.

भूतकाल के प्रकार

भूतकाल को अंग्रेजी में 4 भागों में विभाजित किया गया जबकि हिंदी भाषा में इसे 6 भागों में विभाजित किया गया हैं.।

 भूतकाल के 6 भाग-

भविष्य काल के भेद-

भविष्य काल मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं.

  1.  भविष्य काल
  2. संभाव्य भविष्य काल
  3. आज्ञार्थ भविष्य काल

 

भूतकाल के भेद-

(भूतकाल के छह भेद होते है-
(i) सामान्य भूतकाल
(ii) आसन्न भूतकाल
(iii) पूर्ण भूतकाल
(iv)अपूर्ण भूतकाल
(v) संदिग्ध भूतकाल
(vi) हेतुहेतुमद् भूत )

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(i)सामान्य भूतकाल- जिससे भूतकाल की क्रिया के विशेष समय का ज्ञान न हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। अर्थात, क्रिया के जिस रूप से काम के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का बोध हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।

जैसे- मोहन आया।
सीता गयी।
श्रीराम ने रावण को मारा।

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उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ बीते हुए समय में पूरी हो गई। अतः ये सामान्य भूतकाल की क्रियाएँ हैं।परन्तु घटना का समय निश्चित न होने से यह अनिश्चित भूत काल भी है ।

(ii)आसन्न भूतकाल-क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूर्ण हुई है, उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
इससे क्रिया की समाप्ति निकट भूत में या तत्काल ही सूचित होती है। 

वास्तव न इस काल में पूर्व क्रिया भूत काल में और अन्तिम क्रिया वर्तमान काल में चिन्हित होती है । 

जैसे हरि अपने गाँव (गया) -(है)।

 जैसे- मैने आम (खाया) (हैं)।
मैं अभी सोकर (उठी) (हूँ)।
अध्यापिका पढ़ाकर (आई) (हैं)।
उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ अभी-अभी पूर्ण हुई हैं। इसलिए ये आसन्न भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

कार्य वर्तमानकाल में पूर्ण होकर भूतकाल से जुड़ जाता है ।

(iii)पूर्ण भूतकाल- क्रिया के उस रूप को पूर्ण भूत कहते है, जिससे क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट बोध होता है कि क्रिया को समाप्त हुए काफी समय बीता है। 

अर्थात भूत काल की दो क्रियाऐं हो जाने से यह पूर्णभूतकाल होता है।

अर्थात, क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य पहले ही पूरा हो चुका है, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।

जैसे- उसने श्याम को (मारा) (था)।
अंग्रेजों ने भारत पर राज (किया) (था)।
महादेवी वर्मा ने संस्मरण (लिखे) (थे)।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ अपने भूतकाल में पूर्ण हो चुकी थीं। अतः ये पूर्ण भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

पूर्ण भूतकाल में क्रिया के हिन्दी वाक्यों के साथ 'था, थी, थे, चुका था, चुकी थी, चुके थे आदि शब्दाँश लगते है।

(iv)अपूर्ण भूतकाल- जिस क्रिया से यह ज्ञात हो कि भूतकाल में कार्य सम्पन्न नहीं हुआ था - अभी चल रहा था, उसे अपूर्ण भूत कहते हैं।

जैसे- वह अलीगढ़ जा रहा था।
गरीब रो रहा था।
उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ से कार्य के अतीत में आरंभ होकर, अभी पूरा न होने का पता चल रहा है। अतः ये अपूर्ण भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

(v)संदिग्ध भूतकाल- भूतकाल की जिस क्रिया से कार्य होने में अनिश्चितता अथवा संदेह प्रकट हो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते है।
इसमें यह सन्देह बना रहता है कि भूतकाल में कार्य पूरा हुआ या नही।

जैसे- वह सो गया होगा।
वह गाँव चला गया होगा।
दुकानें बंद हो चुकी होगी।

उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ से भूतकाल में काम पूरा होने में संदेह का पता चलता है। अतः ये संदिग्ध भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

वास्तव नें इस प्रकार के काल में दो क्रियाओं में पहली क्रिया भूत काल कि और अन्तिम दूसरी भविष्य काल को सूचित करती है ।

(vi)हेतुहेतुमद् भूतकाल- यदि भूतकाल में एक क्रिया के होने या न होने पर दूसरी क्रिया का होना या न होना निर्भर करता है, तो वह हेतुहेतुमद् भूतकाल क्रिया कहलाती है।

'हेतु' का अर्थ है कारण। जहाँ भूतकाल में किसी कार्य के न हो सकने का कारण एक वाक्य  के साथ दूसरे वाक्य में दिया गया हो, वहाँ हेतुहेतुमद् भूतकाल होता है।


इससे यह पता चलता है कि क्रिया भूतकाल में होनेवाली थी, पर किसी कारण न हो सका।

यदि तुमने अध्ययन किया होता, तो पास हो जाते।
यदि वर्षा होती, तो फसल अच्छी होती।

उपर्युक्त वाक्यों की क्रियाएँ एक-दूसरे पर निर्भर हैं। पहली क्रिया के न होने पर दूसरी क्रिया भी पूरी नहीं होती है। अतः ये हेतुहेतुमद् भूतकाल की क्रियाएँ हैं।

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((i) सामान्य भविष्यत काल
(ii) सम्भाव्य भविष्यत काल.                        (iii) हेतुहेतुमद भविष्यत काल)

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(i) सामान्य भविष्यत काल - क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में सामान्य ढंग से होने का पता चलता है, उसे सामान्य भविष्यत काल कहते हैं।
इससे यह प्रकट होता है कि क्रिया सामान्यतः भविष्य में होगी।

जैसे- हम कल गीत गायेंगे ।
वह घर जायेगा ।                                        वह बेरोजगारी में पकौड़े बेचेगा।

उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाएँ भविष्य में सामान्य रूप से घटित  होने की सूचना दे रही हैं। अतः ये सामान्य भविष्यत काल की क्रियाएँ हैं।

(ii) संभाव्य भविष्यत काल- क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में होने की संभावना का पता चलता है, उसे सम्भाव्य भविष्यत काल कहते हैं। जिससे भविष्य में किसी कार्य के होने की सम्भावना हो।

जैसे- शायद चोर पकड़ा जाए।
परीक्षा में शायद मुझे अच्छे अंक प्राप्त हों।
हो सकता है कि मैं कल वहाँ जाऊँ।

उपर्युक्त वाक्यों में क्रियाओं के भविष्य में होने की संभावना है। ये पूर्ण रूप से होंगी, ऐसा निश्चित नहीं होता। अतः ये सम्भाव्य भविष्यत काल की क्रियाएँ हैं।

(iii) हेतुहेतुमद भविष्य काल:- क्रिया के जिस रूप से एक कार्य का पूरा होना दूसरी आने वाले समय की क्रिया पर निर्भर हो उसे हेतुहेतुमद् भविष्य काल कहते है।

जैसे- वह आये तो मैं जाऊँ।
वह कमाये तो मैं खाऊँ।
जो कमाए सो खाए।
वह पढ़ेगा तो सफल होगा।

(विज्ञान कि भाषा में दो घटनाओं अथवा क्रियाओं के होने वाले अन्तराल को काल कहतें हैं|)

काल एक उद्गामी अवधारणा है। (time is an emergent concept)

भौतिक विज्ञान में गति और बल के परिभाषा और समीकरण देखिये

दूरी = काल X गति और बल = द्रव्यमान X वेग/ काल।

 (समय से परिवर्तन और परिवर्तन से कर्म का विपाक होता है ।

गति तथा बलों की प्रक्रियाओं के फलस्वरूप काल की उत्पत्ति होती है,

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               (वाणी का प्रादुर्भाव-)


वर्त्स=दाँत और मसूड़े के मिलने की जगह।

                   (वाणी का प्रादुर्भाव-)

-नाद की उस समय की अवस्था या स्वरूप जब वह मूलाधार  से उठकर हृदय में जाता है।

 विशेष—मूलाधार-योग में माने हुए मानव शरीर के भीतर के छ: चक्रों में से एक चक्र जिसका स्थान गुदा शिश्न के मध्य में है।

भारतीय शास्त्रों में वाणी या सरस्वती के चार चक्र माने गए हैं—(१-परा, २-पश्यन्ती, ३-मध्यमा और ३-वैखरी  । 

(मूलाधार)-से उठनेवाले नाद को 'परा' कहते हैं, जब वह मूलाधार से हृदय में पहुँचता है तब 'पश्यंती' (दिखाई देती हुई) कहलाता है,

 वहाँ से आगे बढ़ने और बुद्धि से युक्त होने पर उसका नाम 'मध्यमा होता है और जब वह कंठ में आकर सबके सुनने योग्य होता है तब उसे 'वैखरी' कहते हैं।

(विशेषेण खं राति रा+क स्वार्थे अण् ) विखर+अण् वैखरी- अर्थ बोधके कण्ठादिषूच्चार्य्यमाणे वर्णात्मके शब्द विशेषे ( ख= शब्द )

वाक्यों को यद्यपि तीन प्रकार से विभाजित किया जाता है।

(1- साहित्यिक दृष्टि कोण से)

(2- अर्थमूलक- दृष्टि कोण से

(3)-रचना मूलक दृष्टि कोण से ।

वाक्य को परिभाषा-★

शब्दों का वह सार्थक समूह , जो किसी न किसी भाव अथवा विचार  को प्रकट करता है ; वह वाक्य कहलाता है ।

यहाँ वाक्य के केवल दो आधारों का विश्लेषण किया गया है ।

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प्रथम रचना के आधार पर :-) रचना के आधार पर वाक्यों के  तीन भेद होते हैं -

(1. साधारण या सरल वाक्य ।)

(2. संयुक्त वाक्य ।

3. मिश्र या मिश्रित वाक्य ।)

(1. साधारण या सरल वाक्य:-  सरल वाक्य में एक उद्देश्य (कर्ता) और एक विधेय ( क्रिया तथा कर्म आदि) होता है |

इसमें एक ही क्रिया होती है जो मुख्य क्रिया होती है ।

इसमें उपवाक्य नहीं होते । जैसे -

(!) हरि मैच से खेलता है ।

(!!) मोहन कवि  बनना चाहता था ।

(!!!) वह प्रतिदिन घर का कार्य करने के बाद भी समय पर कार्यालय पहुँचता है |

टिप्पणी– यह आवश्यक नहीं कि सरल वाक्य छोटे ही होते हैं अपितु वे लम्बे (दीर्घ )भी हो सकते हैं ; जैसा कि उपर्युक्त तृत्तीय वाक्य है ।

(2. संयुक्त वाक्य (Compound  sentence):-

संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक स्वत्रन्त्र वाक्य योजक चिह्नों के द्वारा जुड़े रहते हैं | किन्तु ,परन्तु ,और ,तथा ,इसलिए ,या ,अथवा, अन्यथा, अत: इत्यादि योजक शब्द होते हैं ।

योजक शब्द समुच्चय बोधक अव्यय (Conjection) होते हैं ।

जैसे -(!) मुझे बुखार था , (इसलिए ) मैं विद्यालय नहीं जा सका ।

(!!) वह बाज़ार गया (और) उसने सामान ख़रीदा ।

(!!!) मजदूर मेहनत करता है , (परन्तु) उसे लाभ नहीं मिलता ।

(|V) बादल घिरे (तथा) अँधेरा छा गया |

(V)मैंने उसकी बहुत प्रतीक्षा की (किन्तु )वह नहीं आया ।

विशेष:- संयुक्त वाक्यों में कभी –कभी अव्यय शब्दों का लोप भी किया जाता है ; जैसे –(!) क्या सोचा था , क्या हो गया ।

(3. मिश्र /मिश्रित वाक्यcomplex sentence ।-

 मिश्र वाक्यों में एक से अधिक उपवाक्य होते हैं -

(इस प्रकार के वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य होता है तथा शेष अन्य उपवाक्य उस पर आश्रित होते हैं।

जो उपवाक्य आश्रित होते हैं ।

उन्हें आश्रित उपवाक्य कहते हैं ।

ये उपवाक्य आपस में व्याधिकरण योजकों से जुड़े रहते हैं ।

ये योजक जो , जब , तब, जहाँ, वहाँ , कि , क्योंकि , अगर , यदि इत्यादि होते हैं ।

जैसे - (1) जब गीता ने मेहनत की , तब वह प्रथम आई

(2) जो छात्र परिश्रम करते हैं , वे ही सफल होते हैं ।

 (3) जैसे ही सूर्यास्त हुआ , चारों तरफ अँधेरा छा गया ।

 (4) यद्यपि वह दुबला –पतला है तथापि वह ताकतवर है ।

(5) वह विद्यालय नहीं आया क्योंकि वह बीमार है ।

(उपवाक्य Clouse ★-)

–एक मिश्रित वाक्य में अनेक उपवाक्य होते हैं ; जिनमें एक प्रधान तथा शेष आश्रित या गौण उपवाक्य होते हैं |

(मुख्य उपवाक्य की क्रिया मुख्य होती है |आश्रित उपवाक्यों का आरम्भ प्राय: ‘जो’ , ‘कि’ , ‘क्योंकि’ , ‘जिसे’ , ‘यदि’ इत्यादि शब्दों से होता है 

जैसे - मुख्य उपवाक्य - गीता अब तक ठीक नहीं हुई, आश्रित उपवाक्यों-क्योंकि उसने दवाई समय पर नहीं खायी ।

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मिश्र वाक्यों में तीन प्रकार के आश्रित उपवाक्य होते हैं –(1.संज्ञा उपवाक्य 2. विशेषण उपवाक्य 3. क्रियाविशेषण उपवाक्य)

1.संज्ञा उपवाक्य :- यह उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होता है  और यह उपवाक्य वाक्य में संज्ञा का काम करते हैं ।

(संज्ञा उपवाक्य प्रधान उपवाक्य से ‘कि’ योजक (Conjection )द्वारा जुड़े रहते हैं |

जैसे - १-सीता ने कहा कि वह खाना नहीं खाएगा ।                                                   २-राजा ने कहा कि युद्ध में जीतना कठिन है 

(2. विशेषण उपवाक्य- )यह उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।

यह उपवाक्य संज्ञा या सर्वनाम के विषय में विभिन्न सूचनाएँ देता है ।

(यह उपवाक्य प्रधान उपवाक्य से सम्बन्ध बोधक सर्वनाम ‘जो’ ,‘जिसके’ , ‘जिसने’ , ‘जिसे’ आदि शब्दों से जुड़ा रहता है ।

जैसे - (1) उस लड़के को अन्दर बुलाओ, (जो बाहर आया है )।

(2) यह वही औरत है, जिसने कल सामान चुराया था ।

(3) जो मेहनत करता है, वह सफलता प्राप्त करता है ।

(3. क्रियाविशेषण उपवाक्य :-यह उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताता है ।)

इन उपवाक्यों से क्रिया के घटित होने की रीति (ढ़ग) , समय , दिशा ,स्थान ,परिणाम इत्यादि की सूचना मिलती है ।

जैसे -

(1) जैसे वह समझाता है, (वैसे कोई नहीं समझाता)

(2) जहाँ वह रोज़ जाती है , वहाँ मेरा घर है।

(वाक्य -संश्लेषण(sentence Synthesis/agglutination ।

–दो या दो से अधिक वाक्यों को सार्थक रूप से मिलाना वाक्य- संश्लेषण कहलाता है।

योजकों की सहायता से संयुक्त और मिश्रित वाक्य बनाए जाते हैं ।

(जैसे –1. सीता ने मेहनत की 2.सीता सफल हो गई | सीता ने मेहनत की (और )सफल हो गई ।              (संयुक्त वाक्य )           

_____________________________________(जब सीता ने मेहनत की,तब वह सफल हुई -           ( मिश्रित वाक्य )

  

 (वाक्य रूपान्तरण – एक वाक्य का दूसरे वाक्य में रचना की दृष्टि से रूपान्तरित होना वाक्य रूपान्तरण कहलाता है |)                  

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  (जैसे –१- प्रात:काल पक्षी चहचहाते हैं |       ( सरल वाक्य )

२-प्रात:काल हुआ, और पक्षी चहचहाने लगे। | संयुक्त वाक्य )

३-जब प्रात:काल हुआ तब पक्षी चहचहाने लगे               ( मिश्रित वाक्य )

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• वाक्य की रचना शब्दों (पदों) के योग से होती है।

• वाक्य अपने में पूर्ण तथा स्वतंत्र होता है।

• वाक्य किसी-न-किसी भाव या विचार को पूर्णत: प्रकट कर पाने में सक्षम होता है।

वाक्य के प्रकार-

1. सरल वाक्य-सरल वाक्य में एक ही क्रिया होती है। अत: यह एक ही वाक्य होता है। इसमें उपवाक्य नहीं होते; जैसे- कल दिल्ली जाना है। इस वाक्य में एक ही क्रिया-जाने की हो रही है।

सरल वाक्य के घटक- उद्देश्य तथा विधेय एक ही होते हैं!

वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाए (कर्ता) वह उस वाक्य का उद्देश्य है और उद्देश्य के विषय में जो कहा जाए (क्रिया) वह विधेय है।

 इन दोनों के योग से ही वाक्य संरचना के स्तर पर पूर्ण होता है।

2. संयुक्त वाक्य:-संयुक्त वाक्य में आने वाले सभी उपवाक्य ’स्वतन्त्र उपवाक्य’ होते हैं।

स्वतन्त्र उपवाक्य से तात्पर्य यही है कि इनका प्रयोग भाषा में अलग से स्वतन्त्र रूप में हो सकता है।

(संयुक्त वाक्यों में आए उपवाक्य ’समान स्तर’ के उपवाक्य होते हैं। 

यहाँ न कोई उपवाक्य किसी से बड़ा होता है और न कोई किसी से छोटा।)

इसलिए संयुक्त वाक्यों के उपवाक्यों को समानाधिकृत उपवाक्य अथवा समानाधिकरण उपवाक्य भी कहते हैं; 

जैसे-★

• मोहन दिल्ली और शीला यहीं रहेगी।

• माता जी बाज़ार गईं और बच्चों के लिए खिलौने लाई।

• यहांँ आप रह सकते हैं या आपका भाई रह सकता है।

(संयुक्त वाक्यों के भेद:-

संयुक्त वाक्यों के भेद इस आधार पर किए जाते हैं कि उनके उपवाक्य परस्पर किन संबंधों के आधार पर जुड़े हैं।)

(सामान्यत: ये संबंध चार प्रकार के होते हैं-)


• संयोजक संयुक्त वाक्य।

• वियोजक संयुक्त वाक्य।

• विरोधवाचक संयुक्त वाक्य।

• परिणामवाची संयुक्त वाक्य।

(1. संयोजक संयुक्त वाक्य:-)

(जिन संयुक्त वाक्यों में उपवाक्य दो कार्य-व्यापारों या स्थितियों को जोड़ने का कार्य करते हैं; जैसे-)

• मैं दिल्ली गया था और मेरी पत्नी आगरा।

• यहाँ मैं बैठूँगाा तथा उधर दूसरे लोग बैठेंगे।

• आपके लिए खिचड़ी बनी है एवं मेरे लिए चावल।

(2. विभाजक/ वियोजक संयुक्त वाक्य:-जिन संयुक्त वाक्यों में आये उपवाक्यों से दो स्थितियों या कार्य-व्यापारों के बीच विकल्प दिखाया जाए या एक को स्वीकार किया जाए तथा दूसरी को त्यागा जाए, वे विभाजक संयुक्त वाक्य कहे जाते हैं। जैसे-

• आप पहुँच जाएँगे या मैं आपको फोन करूँ?

• ठीक से काम करो अथवा नौकरी छोड़ दो।

• क्या आप मेरे साथ रहेंगे कि मदन मोहन के साथ ?

• न तो शीला ही आई, न अपने बेटे को ही भेजा।

3. विरोधवाचक संयुक्त वाक्य:-जब उपवाक्यों के बीच विरोध या विरोधाभास का बोध हो तो ऐसे संयुक्त वाक्य विरोधवाची संयुक्त वाक्य कहे जाते हैं। ये प्राय: मगर, पर, लेकिन, बल्कि आदि अव्ययों से जुड़े रहते हैं; जैसे-

• वह खेलने में तो अच्छा है मगर पढ़ाई-लिखाई नहीं करता।

• मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी।

• हम जाना नहीं चाहते थे लेकिन आपके पिता जी नहीं माने।

4. परिणामवाची संयुक्त वाक्य:- जब एक उपवाक्य से कार्य का तथा दूसरे से उसके परिणाम का बोध हो तो वे परिणामवाची संयुक्त वाक्य कहे जाते हैं।

 इनके उपवाक्य प्राय: इसलिए, अत:, सो आदि अव्ययों से जुड़े रहते हैं; जैसे-

• आज बाज़ार बंद है इसलिए कुछ नहीं मिलेगा।

• वह बहुत बीमार था अत: चुप ही बैठा रहा।

• वह आना नहीं चाहती थी सो झूठ बोलकर चली गई।

3. मिश्र वाक्य:- संयुक्त वाक्यों में जहाँ प्रत्येक उपवाक्य स्वतन्त्र उपवाक्य होता है, वहाँ मिश्र वाक्यों में एक उपवाक्य तो स्वतंत्र उपवाक्य होता है।

 तथा शेष उपवाक्य स्वतंत्र उपवाक्य पर आश्रित रहने के कारण ’आश्रित उपवाक्य’। 

स्वतंत्र उपवाक्य को ’प्रधान उपवाक्य’ भी कहा जाता है;

प्रधान उपवाक्य।

आश्रित उपवाक्य।

मैं उस लड़की से मिला था

जिसकी किताब खो गई थी।

मैंने वहीं मकान खरीदा है

जहाँ आप रहते हैं।

पिता जी ने मुझसे कहा

कि वे बहुत बीमार हैं।

आश्रित वाक्य -अन्य उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर आश्रित होने के कारण आश्रित उपवाक्य कहलाते हैं।

आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

• संज्ञा उपवाक्य युक्त मिश्र वाक्य

• विशेषण उपवाक्य युक्त मिश्र वाक्य

• क्रियाविशेषण उपवाक्य युक्त मिश्र वाक्य।

क्रियाविशेषण उपवाक्य की परिभाषा- जो उपवाक्य क्रियाविशेषण पद-बन्ध के स्थान पर प्रयुक्त हो सकते हैं, वे क्रियाविशेषण उपवाक्य कहलाते हैं।

क्रियाविशेषण उपवाक्य के भेद निम्नलिखित हैं-

1. समयवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य :

जैसे-

• जब मैं दिल्ली में रहता था बहुत काम करता था।

• जब आपका फोन आया मैं नहा रहा था।

2. स्थानवाची क्रियाविशेषण उपवाक्य :

जैसे

• जहाँ वे रहते हैं वहीं एक मंदिर भी है।

• यह वही जगह है जहाँ आपने झंडा गाड़ा था।

3. रीतिवाची क्रियाविशेषण उपवाक्य :

जैसे

• जैसा मैं चाहता हूँ वैसा ही होता है।

• जैसा वह गाती है वैसा कोई नहीं गाता।

4. परिणामवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य :

जैसे

• ज्यों-ज्यों वह बड़ा हो रहा है (त्यों-त्यों) मूर्ख होता जा रहा है।

• जितना तुम मुझे चाहते हो उतना मैं न कर पाऊँगा।

5. कारणवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य :

जैसे

• मैं नहीं पहुँच सकूँगा क्योंकि मेरा बेटा बीमार है।

• डॉक्टर (चिकित्सक) ने मरीज़ को इसलिए बुलाया कि वह उसे दवाई पिला सके।

• मैं इसलिए न आ सका कि मेरी तबियत खराब थी।

6. शर्तवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य :

जैसे:

• यदि तुम चाहो तो वापस लौट जाओ।

• अगर मेरी बात मानोगी तो सुखी रहोगी।

7. विरोधवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य :

जैसे

• यद्यपि मेरे पास रहने की जगह थी (फिर भी) मैंने किराए का मकान ही लिया।

• चाहे तुम कुछ भी कर लो (तो भी) वह नहीं मानेगी।

8. प्रयोजन क्रियाविशेषण उपवाक्य :

जैसे

• दरवाजा बन्द कर दो ताकि बिल्ली न आ जाए।

• केतली का ढक्कन बंद कर दो जिससे भाप न निकले।,

• जैसी लड़की मैं चाहता था वैसी ही मिल गई है।

रूपान्तरण या रचनवतरण-एक वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तित करना रूपांतरण या रचनांतरण कहलाता है।

वाक्य रचना–sentence formations/yntax

शब्दों के व्यवस्थित तथा सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं ।

जैसे →  (1)  पौधा खिला फूल में है एक ।

पौधों में एक फूल खिला है ।

(2)  घर सुंदर है बहुत हमारा ।

हमारा घर बहुत सुंदर है ।

वाक्य के अंग ( Vakya ke Ang )

(1)  उद्देश्य ( Udeshy )

(2)  विधेय ( Vidhey )

(1)  उद्देश्य →

जैसे →  साक्षी कपड़े धो रही थी |

              दामिनी ने खाना बनाया |

→   वाक्य में जिसके विषय में बताया जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं |

→   उद्देश्य के अन्तर्गत कर्ता तथा कर्ता का विस्तार आता है |

(2)  विधेय →

     जैसे →  मोहन झगड़ रहा था ।

            रागिनी सितार बजा रही है ।

(वाक्य के भेद -)

(1)  अर्थ के आधार पर 

(2)  रचना के आधार पर 

(अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद -+★

 (1)  विधानवाचक वाक्य

(2)  निषेधवाचक वाक्य

(3)  विस्मयवाचक वाक्य

(4)  संदेहवाचक वाक्य

(5)  आज्ञावाचक वाक्य

(6)  संकेतवाचक वाक्य

(7)  इच्छावाचक वाक्य

(8)  प्रश्नवाचक वाक्य)

(1)  विधानवाचक वाक्य→

जैसे →  हरि विद्यालय जा रहा है |

→   मोहन ने भाषण दिया |

→   जिस वाक्य में किसी बात या कार्य के होने या करने का सामान्य कथन हो, उसे विधानवाचक वाक्य कहते है |

(2)  निषेधवाचक वाक्य→

जैसे →  मैं बाजार नहीं जाऊँगा |

→   मोहन घूमने नहीं जा रहा |

जिस वाक्य में क्रिया के करने या होने का निषेध हो, उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं |

(3)  आज्ञावाचक वाक्य→

जैसे →  कृपया इधर  आइए |

तुम अन्दर जाकर पढ़ाई करो |

जिस वाक्य से आज्ञा, अनुमति, विनय या अनुरोध का बोध हो, उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं ।

(4)  प्रश्नवाचक वाक्य→

जैसे →  राहुल को किसने डाँट दिया ?

आपको किससे मिलना है ?

जिन वाक्यों द्वारा प्रश्न करने का भाव प्रकट होता है, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं |

(5)  इच्छावाचक वाक्य→

जिस वाक्यों से इच्छा, आशीर्वाद, कामना, शुभकामना आदि का भाव प्रकट होता है, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं ।

जैसे →  (1)  आपकी यात्रा मंगलमय हो ।

(2)  ईश्वर तुम्हें लंबी आयु दे ।

(6)  संदेहवाचक वाक्य→

ऐसे वाक्य जिनसे कार्य के होने या न होने के प्रति संदेह या संभावना प्रकट होती है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य  कहते हैं ।

     जैसे → (1)  शायद कल वर्षा हो जाए ।

(2)  लगता है आज बारिश होगी ।

(7)  संकेतवाचक वाक्य→

जिस वाक्य में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया के होने पर निर्भर करता हो, उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं

दूसरे शब्दों में ये शर्त वाचक (Conditional Sentence )भी करते  हैं ।

जैसे →  (1)  पानी न बरसता, तो धान सूख जाता |

(2)  यदि पेड़ लगाएँगे, तो वायु शुद्ध होगी |

(8)  विस्मयवाचक वाक्य →

जिस वाक्य से हर्ष, शोक, आश्चर्य, घृणा, आदि भावों का बोध होता है, उसे विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं |

जैसे →  (1)  भगवान रे भगवान ! इतना खजाना  |

(2)  वाह ! कितनी सुन्दर फुलवारी है |

रचना के आधार पर वाक्य के भेद

सरल वाक्य।

संयुक्त वाक्य।

मिश्रित वाक्य।

(1)  सरल वाक्य →

→ जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य तथा एक ही विधेय  होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं |

जैसे → राम ने रावण को मारा।

उद्देश्य  =    राम ने।

विधेय   =    रावण को मारा |

→   अमित खाना खा रहा है |

उद्देश्य  =    अमित।

विधेय   =    खाना खा रहा है |

(2)  संयुक्त वाक्य →

जिस वाक्य में दो-या-दो से अधिक स्वतन्त्र उपवाक्य योजक या समुच्चयबोधक अव्यय द्वारा जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं |

उदाहरण

(1)  हमने फिल्म का टिकट खरीदा और सिनेमा हॉल चले गए |

(2) पिताजी बाजार गए और हमारे लिए मिठाई लाए |

(3)  मिश्रित वाक्य →

जिस वाक्य में एक से अधिक सरल वाक्य इस प्रकार जुड़े हो कि उनमें एक प्रधान उपवाक्य तथा अन्य आश्रित उपवाक्य हों ।

उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं ।

जैसे →श्याम ने कहाँ कि मैं गाँव नहीं जाऊँगा |

प्रधान उपवाक्य =      श्याम ने कहाँ

आश्रित उपवाक्य =     कि मैं गाँव नहीं जाऊँगा |

(2)  वे सफल होते हैं जो परिश्रम करते है |

प्रधान उपवाक्य =      वे सफल होते हैं

आश्रित उपवाक्य =     जो परिश्रम करते है |

रचना के आधार पर वाक्यों में परिवर्तन

(क)  सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य

सरल वाक्य                            

चाय या कॉफी में से कोई पी लेंगे |

माँ ने गोलू को डाँटकर सुलाया |

संयुक्त वाक्य

चाय पी लेंगे या कॉफी पी लेंगे

माँ ने गोलू को डाँटा और सुला दिया |

(ख)  सरल वाक्य से मिश्र वाक्य

सरल वाक्य:-                            

लापरवाह मजदूर छत से गिर गया |

ईमानदार व्यक्ति का सभी आदर करते हैं ।

मिश्र वाक्य:-

जो मज़दूर लापरवाह था, वह छत से गिर गया। 

जो व्यक्ति ईमानदार होता है, सभी उसका आदर करते हैं ।

(ग)  संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य

संयुक्त वाक्य:-                          

शीला आई और पढ़ने लगी।

घबराओ मत और कविता सुनाओ ।

सरल वाक्य:-

शालू आकर पढ़ने लगी ।

बिना घबराए कविता सुनाओ ।

(घ)  संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य

संयुक्त वाक्य                          

घंटी बज गई और बच्चे कक्षा में जाने लगे ।

राधा आई तो रेखा चली गई ।

मिश्र वाक्य

जब घंटी बज तो बच्चे कक्षा में जाने लगे ।

जब राधा आई तब रेखा चली गई ।

(ङ)  सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य तथा मिश्र वाक्य

(1)  कक्षा में अध्यापक आते ही सभी शांत हो गए ।   (सरल वाक्य)

कक्षा में अध्यापक आया और सभी शांत हो गए ।     (संयुक्त वाक्य)

जैसे ही कक्षा में अध्यापक आया वैसे ही सब शान्त हो गए।    (मिश्र वाक्य)

(2)  माँ के आते ही दोनों बच्चे उनसे लिपट गए ।    (सरल वाक्य)

माँ आई और दोनों बच्चे उनसे लिपट गए (संयुक्त वाक्य)

ज्यों ही माँ आई दोनों बच्चे उनसे लिपट गए | (मिश्र वाक्य)

__________________________________________

                 वाक्य के प्रकार (भेद)

               (Types of sentences)


अर्थ के आधार पर वाक्य के प्रकार (Types of sentence based on their meaning)

(1) विधानवाचक वाक्य (Assertive sentence )

जिस वाक्य से क्रिया करने या होने का बोध हो , उसे विधानवाचक वाक्य कहते है।

जैसे :- राधा खेल रही है।

(2) निषेधवाचक वाक्य (Negative sentence)

जिस वाक्य में क्रिया न करने या न होने का बोध हो , उसे निषेधवाचक वाक्य कहते है।

जैसे :-  बाहर जाना मना है।

3) प्रश्नवाचक वाक्य (Interrogative sentence)

जिस वाक्य में प्रश्न का बोध हो , उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते है।

जैसे :-  तुम क्या कर रहे हो ?

4) संदेहवाचक वाक्य (Skeptical sentence)

जिस वाक्य में संदेह या संभावना का बोध हो , उसे संदेहवाचक वाक्य कहते है।

जैसे :-  शायद आज बारिश होगी।

(5) संकेतवाचक वाक्य (Indicative sentence/ Conditional Sentence)

जिस वाक्य में एक क्रिया दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का संकेत हो , उसे संकेतवाचक वाक्य कहते है।

जैसे :-  यदि बारिश होती तो पानी की कमी न होती।

(6) इच्छावाचक वाक्य (Optative sentence )

जिस वाक्य में इच्छा , शुभकामना , आशीर्वाद , आशा आदि के भाव प्रकट हों , उसे इच्छावाचक वाक्य कहते है।

जैसे :-  मुझे आज बाहर जाने का मन हो रहा है। (इच्छा-wish का भाव )

आप अच्छे अंको से पास हो।

(शुभकामना-greetings का भाव )

सदा कल्याण हो। (आशीर्वाद-blessings का भाव )

अच्छे के लिए आशा !(आशा-hope का भाव)

(7) आज्ञावाचक वाक्य (Imperative sentence)

जिस वाक्य में आज्ञा , उपदेश , आदेश , अनुमति या प्रार्थना आदि के भाव प्रकट हो , उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते है।

इस प्रकार के हिन्दी वाक्यों के अन्त में ओ अथवा ए स्वर की आवाज आती है ।

जैसे :-  तुम बाहर जाओ। (आज्ञा-order का भाव )

निरन्तर कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं।

(उपदेश-advice का भाव )

तुम खेलने के लिए बाहर जा सकते हो।

(अनुमति-permission का भाव )

हे प्रभु ! मेरा विश्वास कमज़ोर न हो। (प्रार्थना-prayer का भाव)

8) विस्मयादिवाचक वाक्य (Exclamatory sentence)

जिस वाक्य में विस्मय , हर्ष , क्रोध , घृणा आदि के भाव प्रकट हों , उसे विस्मयादिबोधक वाक्य कहते है।

जैसे :-  अरे ! तुम कितनी सुंदर लग रही हो।

(विस्मय-amazement का भाव )

धन्य – धन्य ! तुम पहले नंबर से पास हो गए।

(हर्ष-happiness का भाव )

बस करो ! तुम्हें कुछ समज में नहीं आता ? (क्रोध-anger का भाव )

छिः ! कितना गंदा पानी है। (घृणा-hate का भाव )

Exercise (अभ्यास)

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नीचे दिए गए वाक्यों के अर्थ के आधार पर प्रकार लिखिए। 👇

1) आप सब इधर देखिए।

2) यदि ट्रैफिक में न फँसा होता तो जल्दी आ जाता।

3) तुम कौन हो ?

4) धरती गोल है।

5) यहाँ गाड़ी खड़ी करना मना है।

6) शायद मैं कल दिल्ली जाऊँगा।

7) हे प्रभु ! सबका कल्याण हो।

8) अहा ! कितना सुंदर उपवन है।

9) उपवन में पक्षी कलरव कर रहे है।

10) ऐसी सर्दी में बाहर मत जाओ।

11) पत्रोत्तर अवश्य देना।

12) संभवत: इस साल वर्षा हो।

13) वाह ! भारत ने विश्वकप जीत लिया।

14) ईश्वर आपको लंबी उम्र दे।

15) उसने झूठी गवाही न दी होती तो गोपी जेल से बाहर होता।

16) चिड़िया चहचहा रही है।

17) अनुभा चित्र नहीं बनाती है।

18) मेरे लिए एक कप कोफ़ी लाना।

19) क्या वह आगरा जाएगी ?

20) आप दीर्धायु हो।

21) हो सकता है कि उस साल अच्छी फसल पैदा हो।

22) छि :  ऐसा घृणित कार्य तुमने किया है।

23) उसने झूठी गवाही न दी होती तो उसे जेल न होती।

24) बालक बगीचे में खेल रहा है।

25) राम पुस्तक नहीं पढ़ता।

26) कृपया फोन पर जवाब अवश्य देना।

27) राम क्या कर रहा है ?

28) आज अच्छी कमाई हो जाती।

29) शायद महँगाई कुछ कम हो जाए।

रचना के आधार पर वाक्य प्रकार (types of sentences based on their formation)

1) सरल वाक्य (simple sentence)

जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय होता है , उसे सरल वाक्य कहते है।

जैसे :-  सोहन खेलता है। (‘सोहन’ उद्देश्य है और ‘खेलता है ‘ विधेय है। )

2) संयुक्त वाक्य (compound sentence)

जिस में दो या अधिक स्वतंत्र उपवाक्य होते है और वे ‘या’ , ‘किंतु’ , ‘और’ जैसे समुच्चबोधकों(conjunctions) से जुड़े होते हैं , उसे संयुक्त वाक्य कहते है।

जैसे :- शिला बहादुर है और चतुर भी है।

(‘शिला बहादुर है।’ , ‘चतुर भी है।’ दोनों स्वतंत्र उपवाक्य है। ‘और ‘ समुच्चयबोधक अव्यय है।)

3) मिश्र वाक्य (complex sentence)

जिस वाक्य में उपवाक्य मुख्य उपवाक्य पर आश्रित होता है और वे ‘कि ‘ , ‘ तथापि ‘ , ‘ इसलिए ‘ जैसे समुच्चयबोधकों(conjunctions) से जुड़े होते है , उसे मिश्र वाक्य कहते है।

जैसे :-  मैंने देखा कि पर्दे के पीछे कोई छिपा था। (‘मैंने देखा’ मुख्य उपवाक्य है और ‘पर्दे के पीछे कोई छिपा था।’ आश्रित उपवाक्य है।  ‘कि ‘ समुच्चयबोधक अव्यय है। )

वाक्य के प्रकार-★

वाक्य वर्गीकरण मुख्यतः दो प्रकार से किया जाता है।

(1. अर्थ के आधार पर वाक्य - आठ प्रकार

विधानवाचक वाक्य।

निषेधवाचक वाक्य।

संदेहवाचक वाक्य।

संकेतवाचक वाक्य।

इच्छावाचक वाक्य

आज्ञावाचक वाक्य।

प्रश्नवाचक वाक्य।

विस्मयवाचक वाक्य।

(2. रचना के आधार पर वाक्य - तीन भेद)

साधारण/सरल वाक्य

मिश्रित वाक्य

संयुक्त वाक्य

अर्थ के आधार पर वाक्य

1. विधानवाचक वाक्य

जब वाक्य में क्रिया का सामान्य रूप से होना पाया जाये तो वहां विधान वाचक वाक्य होगा।

जैसे - शीना पढ़ना चाहती है।, सुरेश गांव में रहता है।

2. निषेधवाचक वाक्य

जब वाक्य में क्रिया से पहले निषेध वाचक शब्द आयें तो वहां निषेध वाचक वाक्य होता है।

जैसे - मनोज गांव नहीं जायेगा।

विशेष-

संदेह वाचक, संकेत वाचक, इच्छा वाचक, आज्ञा वाचक, प्रश्नवचक तथा विस्मयवाचक वाक्यों की क्रियाओं से पहले न, नहीं आने पर भी वह वाक्य निषेध वाचक नहीं होगा।

3. संदेहवाचक वाक्य

जब वाक्य में क्रिया के होने या न होने में संदेह कि स्थित बनी रहे तो उसे संदेह वाचक वाक्य कहते हैं।

विशेष-

संदिग्ध भूतकाल, संभाव्य वर्तमानकाल, संदिग्ध वर्तमानकाल तथा संभाव्य भविष्यतकाल कि क्रियाएं जिन हिन्दी वाक्यों में आयें वे वाक्य सन्देह वाचक ही होंगे।

जैसे - उसने पत्र पढ़ा होगा।

लगता है। कोई हमारी बातें सुन रहा रहा है।

संभवतः विक्रम कल आये।

हो सकता है मैं बाजार जाऊं।

4. संकेतवाचक वाक्य

जब वाक्य में एक क्रिया का होना दुसरी क्रिया पर आश्रित हो तो उसे संकेत वाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे - जो परिश्रम करेगा वह सफल होगा।

5. इच्छावाचक वाक्य

जब वाक्य में कहने वाले कि इच्छा या कामना का बोध हो तो उसे इच्छा वाचक वाक्य कहते हैं।

जैसे - भगवान तुम्हारा भला करे।

नोट - इच्छा या कामना किसी अन्य से अपने लिए या किसी अन्य के लिए होती है। और यह आवश्यक नहीं कि इच्छा या कामना हमेशा अच्छी ही हो। बुरी इच्छा या कामना भी इच्छा वाचक ही होती है।

6. आज्ञावाचक वाक्य

जब वाक्य में आदेश या अनुमति दिये जाने का बोध हो तो वहां आज्ञा वाचक वाक्य होता है।

जैसे - तुम अब घर जा सकते हो।

7. प्रश्नवाचक वाक्य

जब वाक्यों से प्रश्न कियेे जाने का बोध होतो वहां प्रश्नवाचक वाक्य होगा।

जैसे - तुम कहां रहते हो ?

8. विस्मयवाचक वाक्य

जब वाक्य में भय, घृणा, हर्ष, शोक, दुख, खेद, कष्ट, आश्चर्य आदि भावों की अभिव्यक्ति करने वाले शब्द आयें तो वहां विस्मय वाचक वाक्य होगा।

जैसे - उफ! कितनी गर्मी है।

अरे! तुम पास हो गये।

उदाहरण

निम्न में से संकेत वाचक वाक्य है-

1. पिता ने पुत्र की और इशारा किया।

2. विक्रम गांव जाना चाहता है।

3. रामू ने गांव की और इशारा किया।

4. इनमें से काई नहीं

उत्तर 4

ये सभी वाक्य विधान वाचक हैं क्योकि इनमें क्रिया सामान्य रूप से हो रही है।

रचना के आधार पर वाक्य

1. साधारण वाक्य

जब वाक्य में एक कर्ता तथा एक ही क्रिया शब्द हो तो उसे सरल वाक्य कहते हैं। दुसरे शब्दों में साधारण वाक्य में एक उद्देश्य तथा एक ही विधेय होता है।

जैसे - रमेश हिन्दी पढ़ता है।

नोट - कभी-2 साधारण वाक्य में उद्देश्य तथा विधेय दोनों का विस्तार इतना अधिक होता है कि साधारण वाक्य को साधारण मानने में भ्रांति उत्पन्न होती है।

जैसे - ओमप्रकारश हरिमोहन के छोटे बेटे वैभव  पिछले दस वर्षो से पैनल वैचारिक नें जीवविज्ञान पढ़ा रहे हैं । 

2. मिश्रित वाक्य

आश्रित उपवाक्यों से मिलकर बना वाक्य मिश्रित वाक्य कहलाता है। दुसरे शब्दों में जब एक मुख्य वाक्य के साथ एक या अधिक आश्रित उपवाक्य जुड़े हो तो उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं।

मिश्रित वाक्य की पहचान हेतू आश्रित उपवाक्य का बोध होना अनिवार्य है।

आश्रित उपवाक्य

जिनका स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता जो किसी अन्य वाक्य पर आश्रित रहते हैं उन्हें आश्रित उपवाक्य कहते हैं। इनके तीन भेद हैं ।(उपवाक्य (Clause) की परिभाषा:-)

ऐसा पदसमूह, जिसका अपना अर्थ हो, जो एक वाक्य का भाग हो और जिसमें उदेश्य और विधेय हों, उपवाक्य कहलाता हैं।

उपवाक्यों के आरम्भ में अधिकतर "कि, जिससे" ताकि, जो, जितना, ज्यों-त्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहाँ इत्यादि होते हैं।

__________________________________________

(उपवाक्य के प्रकार:-)


उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

(1) संज्ञा-उपवाक्य (Noun Clause)(2) विशेषण-उपवाक्य (Adjective Clause)(3) क्रियाविशेषण-उपवाक्य (Adverb Clause)

________________________________________

(1) संज्ञा-उपवाक्य(Noun Clause)- 

जो आश्रित उपवाक्य संज्ञा की तरह व्यवहृत हों, उसे 'संज्ञा-उपवाक्य' कहते हैं।

यह कर्म (सकर्मक क्रिया) या पूरक (अकर्मक क्रिया) का काम करता है, जैसा संज्ञा करती है। 'संज्ञा-उपवाक्य' की पहचान यह है कि इस उपवाक्य के पूर्व 'कि' होता है।

जैसे- 'राम ने कहा कि मैं पढूँगा' यहाँ 'मैं पढूँगा' संज्ञा-उपवाक्य है।

'मैं नहीं जानता कि वह कहाँ है'- इस वाक्य में 'वह कहाँ है' संज्ञा-उपवाक्य है।

(2) विशेषण-उपवाक्य (Adjective Clause)- जो आश्रित उपवाक्य विशेषण की तरह व्यवहृत हो, उसे विशेषण-उपवाक्य कहते हैं।

जैसे- वह आदमी, जो कल आया था, आज भी आया है। यहाँ 'जो कल आया था' विशेषण-उपवाक्य है।

इसमें 'जो', 'जैसा', 'जितना' इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता हैं।

(3) क्रियाविशेषण-उपवाक्य (Adverb Clause)- जो उपवाक्य क्रियाविशेषण की तरह व्यवहृत हो, उसे क्रियाविशेषण-उपवाक्य कहते हैं।

जैसे- जब पानी बरसता है, तब मेढक बोलते हैं यहाँ 'जब पानी बरसता है' क्रियाविशेषण-उपवाक्य हैं। इसमें प्रायः 'जब', 'जहाँ', 'जिधर', 'ज्यों', 'यद्यपि' इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता हैं।

इसके द्वारा समय, स्थान, कारण, उद्देश्य, फल, अवस्था, समानता, मात्रा इत्यादि का बोध होता हैं।

वाक्य-उपवाक्य:-

उपवाक्य-भेद

उपवाक्य (Clause) की परिभाषा :

वाक्यों का ऐसा पदसमूह या भाग, जिसका अपना स्वतन्त्र अर्थ हो, और जिसमें उदेश्य और विधेय हों, उपवाक्य कहलाता हैं।

सभी उपवाक्य, प्रधान उपवाक्य से हिन्दी के योजक (Connectors) शब्दों से जुड़े रहते हैं 

जैसे - कि, जिससे, जिसे, जिसकों, जिसमें, ताकि, जो, जितना, ज्यों-त्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहाँ इत्यादि होते हैं।

उपवाक्य के भेद :

______________________________';:

उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

(1) संज्ञा-आश्रित उपवाक्य (Noun Subordinate Clause)

(2) विशेषण-आश्रित उपवाक्य (Adjective Subordinate Clause)

(3) क्रियाविशेषण-आश्रित उपवाक्य (Adverb Subordinate Clouse)

(1) संज्ञा-आश्रित उपवाक्य(Noun Subordinate Clause)- वह आश्रित उपवाक्य संज्ञा की तरह (कर्ता/कर्म) की भांति उपयोग होता है, उसे 'संज्ञा-आश्रित उपवाक्य' कहते हैं।

पहचान : सामान्यत: यह आश्रित उपवाक्य योजक शब्द "कि" से जुड़ा रहता है अर्थात 'संज्ञा-उपवाक्य' की पहचान यह है कि इस उपवाक्य के पूर्व "कि" होता है।

यह कर्म (सकर्मक क्रिया) या पूरक (अकर्मक क्रिया) का काम करता है, जैसा संज्ञा कार्य करता है।  जैसे-

(i) 'राम ने कहा कि मैं यही पढूँगा' | संज्ञा आश्रित उपवाक्य - कि मैं ही पढूँगा

(ii) 'मैं नहीं जानता कि वह क्या कर रही है । संज्ञा आश्रित वाक्य - कि वह क्या कर रही है।

(2) विशेषण-आश्रित उपवाक्य (Adjective Subordinate Clause):- यह उपवाक्य पूरी तरह विशेषण की तरह कार्य करता है, उसे विशेषण-आश्रित उपवाक्य कहते हैं।

जैसे- वह आदमी, जो कल आया था, आज भी आया है। यहाँ 'जो कल आया था' विशेषण-उपवाक्य है।

इसमें 'जो', जिसे, जिसका, जिसमें, 'जैसा', 'जितना' इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता हैं।

(3) क्रियाविशेषण-आश्रित उपवाक्य (Adverb Subordinate Clause)- जो उपवाक्य क्रियाविशेषण की तरह व्यवहृत हो, उसे क्रियाविशेषण-उपवाक्य कहते हैं।

जैसे- जब पानी बरसता है, तब मेढक बोलते हैं यहाँ 'जब पानी बरसता है' क्रियाविशेषण-उपवाक्य हैं। इसमें प्रायः 'जब', 'जहाँ', 'जिधर', 'ज्यों', 'यद्यपि' इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता हैं। इसके द्वारा समय, स्थान, कारण, उद्देश्य, फल, अवस्था, समानता, मात्रा इत्यादि का बोध होता हैं।

__________________________________

1. वाक्य-परिचय-और-वाक्य-भेद

2. उपवाक्य-भेद

3. संज्ञा-आश्रित-उपवाक्य

4. विशेषण-आश्रित-उपवाक्य

5. क्रिया-विशेषण-आश्रित-उपवाक्य

6. वाक्य-परिवर्तन

7. उपवाक्य-उदाहरण-अभ्यास-प्रश्न 1

8. उपवाक्य-उदाहरण-अभ्यास-प्रश्न 2

(परिभाषाः- वाक्य - व्याकरण के नियमों के अनुसार रचित सार्थक शब्दों का समूह वाक्य कहा जाता है।

1. हिन्दी व्याकरण के नियमों के अनुसार क्रिया का प्रयोग वाक्य के अंत में होता है। यह वाक्य के समापन (समाप्त) होने को बताती है।

जैसे : वह फुटबॉल  खेल रहा है।

उपर्युक्त वाक्यों में

वह - काम को करने वाला कर्ता यानि  SUBJECT है।

फुटबॉल - कर्म यानि  OBJECT है।

खेल रहा है -  क्रिया यानि VERB  है। इससे वाक्य समाप्त हो रहा है।

अंग्रेजी भाषा में इस वाक्य की रचना करने पर वाक्य इस प्रकार होगा।

He is playing football.

He- Subject

is playing – Verb

football – Object

अंग्रेजी भाषा के उपरोक्त वाक्य में कर्ता के बाद ही क्रिया का प्रयोग हो रहा है ;और वाक्य का समापन (समाप्त) कर्म से हो रहा है।

अतः हिन्दी भाषा में वाक्य के अंत में क्रिया का प्रयोग होता है इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।

2. किसी वाक्य के दो हिस्से होते हैं -

  पहला :- वाक्य जिसके बारे में हो। इसे उद्देश्य ; SUBJECT कहते हैं।

  दूसरा :- उद्देश्य के बारे में जो कुछ भी कहा जाए। इसे विधेय PREDICATE कहते हैं।

उदाहरण -  वीर शिवाजी ने दुष्ट मुगलों को मारा ।

यहाँ

वीर शिवाजी ने -   उद्देश्य है

दुष्ट मुगलों को मारा - विधेय है।

रचना के आधार पर वाक्य 3 प्रकार के होते हैं -

1.  सरल या साधारण वाक्य (Simple Sentence) :-

    जिसमें एक उद्देश्य और एक विधेय हो और क्रिया पद (शब्द) भी एक हो   

        उदाहरण: वीर शिवाजी ने दुष्ट मुगलों को मारा ।

      मेरे पुरखों ने धरती का रूप सँवारा ।

2.   संयुक्त वाक्य (Compound Sentence):- 

जिसमें दो सरल वाक्य किसी योजक (और, एवं, परन्तु, लेकिन, तथा, अथवा, किन्तु, मगर, बल्कि, नहीं तो, अन्यथा, परिणामस्वरूप, ताकि, या, पर, क्योंकि, तो, नहीं तो, इसलिए, अतः आदि शब्द जो जोड़ने का कार्य करते हों) से जुड़े हों।  

उदाहरण: तुम मेरे घर आए थे लेकिन मैं घर पर नहीं था ।          

 ( सरल वाक्य +  योजक +  सरल वाक्य )

लोगों ने चोर को पकड़ लिया और उसे लाठियों से पीटने लगे।

(विशेष - योजक चिह्नों को हटाने पर दो स्वतन्त्र  वाक्य बन जाते हैं । )

3.  मिश्र या मिश्रित वाक्य(Complex Sentence):-

   इसमें दो उपवाक्य होते हैं ।

एक प्रधान उपवाक्य होता  है, एक आश्रित उपवाक्य। आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर निर्भर होता है। अपने आप में दोनों अधूरे लगते हैं ।

आश्रित उपवाक्य से पहले जो, जिसने, जब , जितना  जैसे ही आदि शब्दों का प्रयोग होता है अर्थात् आश्रित उप-वाक्य वह हुआ जिसके पहले कि, जो, जिसने, जब, जितना, जहाँ, वहाँ, यद्यपि  जैसे शब्द का प्रयोग हो।               

उदाहरण:  जो काली गाय है, वह खेत में चर रही है।

(यहाँ ‘जो काली गाय है’  आश्रित उपवाक्य है और ‘वह खेत में चर रही है’ प्रधान उपवाक्य है।)

             जो सोता है सो खोता है।   

    (यहाँ ‘ जो सोता है’  आश्रित उपवाक्य है और ‘सो खोता है’ प्रधान उपवाक्य है।)

वाक्य संश्लेषण sentence Synthesis/ agglutination

कई वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य बनाना संश्लेषण कहलाता है।

उदाहरणतः यहाँ नीचे  दो सरल वाक्य दिए गए हैं। इनका सरल वाक्य, संयुक्त वाक्य और मिश्र वाक्य क्या होगा,  यह बताया गया है -

अध्यापक कक्षा में आए ।(सरल वाक्य)

सब छात्र खड़े हो गए ।(सरल वाक्य)

संश्लेषण करने पर:

सरल वाक्य :अध्यापक के आते ही सब छात्र खड़े हो गए ।

संयुक्त वाक्य: अध्यापक कक्षा में आए और सब छात्र खड़े हो गए।               

मिश्रित वाक्य: जैसे ही अध्यापक कक्षा में आए, सब छात्र खड़े हो गए । 

The Clause (उपवाक्य)-

ऐसा वाक्य जो किसी बड़े वाक्य का भाग होता है, Clause कहलाता है l इसमें भी अपनी मुख्य क्रिया होती है l

दूसरे शब्दों में कहे तो ऐसा वाक्य जिसमे एक से अधिक वाक्य मिले होते है, के प्रत्येक वाक्य को clause कहते हैं l

(A sentence which has more than one sentence, it,s every sentence is called as clause.)

For Examples-

He said that you were working in the field.

Its true that he is honest.

I understand whatever you say.

Kinds of Clause(उपवाक्य के प्रकार):-

Clause निम्नलिखित 3 प्रकार का होता है-

(a)- Principal Clause(प्रधान उपवाक्य)

(b)- Subordinate Clause(आश्रित उपवाक्य)

(c)- Co-ordinate clause(समान पदीय उपवाक्य)

(a)- Principal Clause(प्रधान उपवाक्य):-

ऐसा वाक्य जो स्वंय अपना पूर्ण अर्थ देता है, अर्थात अपने अर्थ के लिए दूसरे sentence पर निर्भर नहीं करता, Principal Clause कहलाता है l

For Examples-

I sing a song.

You write a letter.

He said that they were working in the field.

As soon as I reached home, my friend came.

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित sentence अपना अर्थ पूर्णरूप से स्वंय देते है इसलिए ऐ principal clause हैं l

(b)- Subordinate Clause(आश्रित उपवाक्य):-

ऐसा वाक्य जो स्वंय अपना पूर्ण अर्थ नहीं देता है, अर्थात अपने अर्थ के लिए दूसरे sentence पर निर्भर करता है, Subordinate Clause कहलाता है l

For Examples:-

You know that I sing a song.

When he came, I was sleeping.

He said that they were working in the field.

As soon as I reached home, my friend came.

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित sentence अपना अर्थ पूर्णरूप से स्वंय नहीं देते है इसलिए ऐ subordinate clause हैं l

Subordinate Clause तीन प्रकार के होते हैं-

1- Subordinate Noun Clause(आश्रित संज्ञा उपवाक्य)

2- Subordinate Adjective Clause(आश्रित विशेषण उपवाक्य)

3-  Subordinate Adverb Clause(आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य)

1 - Subordinate Noun Clause(आश्रित संज्ञा उपवाक्य)

वह subordinate clause जो noun की तरह कार्य करता है, अर्थात जो principal clause की क्रिया के subject के रूप में कार्य करता है, Subordinate Noun Clause कहलाता है l

For Examples-

What you said was right.

Write carefully what she tells.

He said that they were working in the field.

This is the book which I like most.

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित sentence अपना अर्थ पूर्णरूप से स्वंय नहीं देते है इसलिए ऐ subordinate clause हैं और ऐ Principal clause के noun के रूप में कार्य करते हैं l

Subrdinate Noun Clause 5 प्रकार के होते हैं-

(i)Subject to a Verb

(ii)Object to a Verb

(iii)Object to a Preposition

(iv)Complement to the Verb

(v)Case n Apposition to a Noun or Pronoun

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(Presented by★– Yadav Yogesh kumar "Rohi"

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(समानाधिकरण)-

समान आधार। व्याकरण में वे दो शब्द या पद जो एक ही कारक की विभक्ति से युक्त हों।

(व्याधिकरण-

व्याकरण में वे दो शब्द या पद  जिनके आधार विषम हो अथवा उनका विषम आधारों पर होना अर्थात् अनेक कारको से  युक्त जिनकी विभक्तियाँ हो ।

what you said  it was right -               आपने जो कहा वह सही था

वह जो कहती है; उसे ध्यान से लिखो       what she tells; write it carefully

आपने जो कहा; वह सही था।                    what You said; it was right.

वह जो कहती है ; उसे ध्यान से लिखो।     what she says; Write it down carefully.

(अधिकरण पर व्याकरणिक टिप्पणी-)

व्याकरण में कर्ता और कर्म द्वारा क्रिया का आधार जो कारक होता है ;सातवाँ कारक अधिकरण है इसकी विभक्तियाँ 'में ओर पर' चिन्ह होते हैं । 

-व्याकरण में कर्ता और कर्म द्वारा क्रिया का आधार ही अधिकरण है ।

यह सातवाँ कारक ।
इसकी विभक्तियाँ 'में ओर पर' हैं ।

(औपश्लेषिक आधार)-

व्याकरण में अधिकरण कारक के अतर्गत तीन आधारों में से वह आधार जिसके किसी अंश ही से दूसरी वस्तु का लगाव हो।
जैसे,—वह चटाई पर बैठा है ।
वह बटलोई में पकाता है ।
यहाँ चटाई और बटलोई औपश्लेषिक आधार हैं ।

औपश्लेषिक आधार:- जहां आधार का आधेय के साथ एकदेशीय सम्बन्ध हो वहाँ औपश्लेषिक आधार होता है यथा:-
ऋजीषे रोटिकां भर्जति = ऋषीज (तवे) पर रोटी सेकता है।
तल्पे शेते = गद्दे पर सोता/ती है।

नद्यां तरति = नदी में तैरता/ती है।

जलाशये जलं पिबति = तालाब से पानी पीता/ती है।

सरस्यां स्नाति = तालाब में नहाता/ती है।

ह्रदे स्थित्वा हृष्यति =
तालाब में खड़ा होकर प्रसन्न होता है।

कटाहे वटकान् तलति = कड़ाही में वड़े तलता/ती है।

समानार्थक:ऋजीष,पिष्टपचन 

सप्तम्यधिकरणे च’

- इस सूत्र से अधिकरण आधार में सप्तमी विभक्ति होती है।
आधार तीन तरह का होता है

1-औपश्लेषिक

2-वैषयिक

3-अभिव्यापक।

1.औपश्लेषिक:- जहाँ आधार का आधेय के साथ संयोग आदि संबंध रहता है, उसको ‘औपश्लेषिक आधार’ कहते हैं (यह आधार एकदेशीय होता है);
जैसे- ‘कटे आस्ते’ (चटाई पर बैठता है)-
यहाँ ‘कट’ का बैठने वाले के साथ संयोग संबंध है,
अतः ‘कट’ औपश्लेषिक आधार है।
इसी प्रकार ‘स्थाल्यां पचति’ आदि उदाहरण समझने चाहिए।

श्रीमद्भागवत् गीता में इसके प्रयोग इस प्रकार हुए हैं- ‘शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मनः,

‘उपविश्य आसने’ आदि।

समीपता के कारण भी औपश्लेषिक आधार माना जाता है; जैसे ‘गुरौ वसति’ (गुरु के समीप रहता है),

‘वटे गावः शेरते’ (वट के समीप गायें सोती हैं),

‘गंगायां घोषः’ (गंगा के समीप यादव घोषीयों का गाँव है) आदि।

2. विषयता संबंध से जब किसी को आधार माना जाता है, तब वह ‘वैषयिक आधार’ होता है।
यह आधार बौद्धिक होता है।
जैसे, ‘मोक्षे इच्छास्ति’ (मोक्ष में विषय इच्छा है)।


विषयता संबंध से जब किसी को आधार माना जाता है, तब वह ‘वैषयिक आधार’ होता है।
यह आधार बौद्धिक होता है।
जैसे, ‘मोक्षे इच्छास्ति’ (मोक्ष में विषय इच्छा है)।

यहाँ इच्छा का विषय मोक्ष है। दूसरे शब्दों में, सत्तारूप क्रिया (अस्ति) का आधार ‘इच्छा’ कर्ता है और उस कर्ता का भी विषयत्वेन आधार ‘मोक्ष’ है।

इसी प्रकार ‘व्याकरणे रुचिः’, ‘शिवे भक्ति’ आदि उदाहरण समझने चाहिए।

श्रीमद्भागवत् गीता में भी इसके प्रयोग आये हैं;
जैसे- ‘निश्चयं शृणु मे तत्र त्यागे’,[ ‘तत्र’]आदि।

3. जहाँ आधार के प्रत्येक अवयव में आधेय की सत्ता विद्यमान हो, वहाँ ‘अभिव्यापक आधार’ मानना चाहिए।
जैसे, ‘सर्वस्मिन् आत्मा८स्ति’ (सब में आत्मा है)- यहाँ सत्तारूप क्रिया (अस्ति) का आधार ‘आत्मा’ कर्ता है और उस कर्ता का भी अभिव्यापक आधार ‘सर्व’ है।

इसी प्रकार ‘तिलेषु तैलम्’, ‘दध्नि सर्पिः’, ‘पयसि घृतम्’ आदि उदाहरण समझने चाहिए।
श्रीमद्भागवत् गीता में भी ‘समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम्,

‘समोऽहं सर्वभूतेषु’

आदि प्रयोग हैं।

अधिकरण कारक की मुख्य दो विभक्तियाँ हैं : मैं और पर।
इन दोनों विभक्तियों के अर्थ और प्रयोग अलग-अलग हैं, इसलिए इनका विचार अलग-अलग किया जायगा।

. 'में ' का प्रयोग नीचे लिखे अर्थों में होता है :

(क) अभिव्यापक आधार : दूध में मिठास, तिल में तिल, फूल में सुगंध, आत्मा सब में व्याप्त है।

अधिकरण:- आधार को व्याकरण में अधिकरण कहते हैं और जो बहुधा तीन प्रकार का होता है।
1-अभिव्यापक आधार वह है, जिसके प्रत्येक भाग में आधेय पाया जाय; इसे व्याप्ति आधार भी कहते हैं।

2-औपश्लेषिक आधार वह कहलाता है जिसके किसी एक भाग में आधेय रहता है जैसे : नौकर कोठे में सोता है, लड़का घोड़े पर बैठा है।
इसे एकदेशाधार भी कहते हैं।

3-वैषयिक:- तीसरा आधार वैषयिक कहलाता है और उससे विषय का बोध होता है, जैसे : धर्म में रुचि, विद्या में प्रेम।
इसका नाम विषयाधार भी है।

(ख) औपश्लेषिक आधार : वह वन में रहता है, किसान नदी में नहाता है ,मछलियाँ समुद्र में रहती हैं, पुस्तक कोठे में रखी है।

ग) वैषयिक आधार : नौकर काम में है, विद्या में उसकी रुचि है ,इस विषय में कोई मतभेद नहीं है, रूप में सुंदर, डील में ऊँचा, गुण में पूरा आदि ।

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( घ ) मोल(मूल्य) : पुस्तक चार आने में मिली, उसने बीस रुपये में गाय ली, यह कपड़ा तुमने कितने में बेचा?

: मोल के अर्थ में संप्रदान, संबंध और अधिकरण आते हैं।

इन तीनों प्रकार के अर्थों में यह अंतर जान पड़ता है।

(कि संप्रदान कारक से कुछ अधिक दामों का, अधिकरण कारक से कुछ कम दामों का, और संबंध कारकों से उचित दामों का बोध होता है,)

  जैसे : मैंने बीस रुपये की गाय ली, मैंने बीस रुपये में गाय ली और मैंने बीस रुपये को गाय ली।)


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(सूत्रम् – आधारोSधिकरणम् ।। १⁄४⁄४५ ।।
कर्तुः कर्मणः च सम्बद्ध–क्रियायाः आधारः अधिकरणम् इति उच्यते । अधिकरणं साक्षात् क्रियायाः आधारः न भवति अपितु कर्त्रा‚ कर्मणा च भवति । सरलरूपेण वदामः चेत् क्रियायाः आधारः अधिकरणम् उच्यते ।

हिन्दी – 
 कर्ता और कर्म से सम्बद्ध क्रिया के आधार को अधिकरण कहते हैं ।अधिकरण साक्षात् क्रिया का आधार नहीं होता अपितु कर्ता और कर्म के द्वारा क्रिया का आधार होता है सरल रूप से कहें तो क्रिया का आधार अधिकरण है ।
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(सूत्रम् – सप्तम्यधिकरणे च ।। २⁄३⁄३६ ।।
अधिकरणे सप्तमी भवति । च इति शब्देन दूरवाची‚ निकटवाची च शब्दयोः अपि सप्तमी विभक्तिः भवति ।

अधिकरण में सप्तमी होती है और दूर वाची और निकटवाची शब्दों में भी सप्तमी विभक्ति होती है 

औपश्लेषिको वैषयिकोऽभिव्यापकश्चेत्याधारसि्त्रधा – 

औपश्लेषिक वैषयिक और अभिव्यापक ये तीन आधार होते हैं ।
आधारः त्रिधा भवति ।
१– औपश्लेषिक आधारः (संयोग–सम्बन्ध–मूलक–आधारः) – उपश्लेषः इत्युक्ते संयोगसम्बन्धः । औपश्लेषिक इत्युक्ते यत्र कर्ता उत कर्म संयोग सम्बन्धेन आधारे तिष्ठन्ति ।

जहाँ कर्ता और कर्म संयोग सम्बन्ध के द्वारा आधार पर प्रतिष्ठित होते हैं।
उदाहरणम् – 
कटे आस्ते – चटाई पर बैठता है ।उपविश्यमाणस्य कर्तुः कटेन सह संयोग सम्बन्धः इति । बैठते हुए कर्ता का चटाई त
 साथ सम्बन्ध इस प्रकार होने से-

(२– वैषयिक आधारः –( विषयेन सह सम्बद्धः आधारः ) –अस्मिन् आधारेण सह आधेयस्य बौद्धिकसम्बन्धः भवति ।
उदाहरणम् – 
मोक्षे इच्छा अस्ति ।
अस्मिन् मोक्षरूपी आधारेण सह बौद्धिक सम्बन्धः विद्यते ।

इसमें मोक्ष रूपी आधार के द्वारा बौद्धिक सम्बन्ध विद्यमान होता है।

३– अभिव्यापक आधारः ( सर्वेषु अवयवेषु व्याप्तः आधारः ) –अस्मिन् आधार–आधेययोः व्याप्य–व्यापक सम्बन्धः भवति ।

उदाहरणम् – 
सर्वस्मिन् शरीरे आत्मा अस्ति ।

हिन्दी –
अधिकरण में सप्तमी विभक्ति होती है।आधार तीन प्रकार का होता है।

(औपश्‍लेषिक आधार, वैषयिक आधार तथा अभिव्‍यापक आधार।

"सारांश-★

(★–औपश्‍लेषिक- आधार में आधार और आधेय के मध्‍य संयोग सम्‍बन्‍ध होता है अर्थात् आधार से आधेय साक्षात् जुडा हुआ होता है।


(★–वै‍षयिक- आधार में आधार से आधेय बौद्धिक रूप से जुडा हुआ होता है। 


(★–तथा अभिव्‍यापक -आधार में आधार और आधेय के बीच व्‍याप्‍य-व्‍यापक सम्‍बन्‍ध होता है ।

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