अपर्णा विष्ट ठाकुर ( राजपूत ) जाति से सम्बन्धित हैं विदित हो कि बिष्ट व विष्ट संस्कृत के (विशिष्ट) नामक शब्द का अपभ्रंश है। इसे हजारों वर्ष पूर्व, हिमालयी क्षेत्र के कुछ खण्डों नेपाल, कुर्माञ्चल (कुमांऊॅं), केदारखण्ड (गढ़वाल), जालन्धर (हिमाचल प्रदेश), और सुरम्य कश्मीर में उपनाम के रूप प्रयोग किया जाता है।
इस उपनाम की उत्पत्ति का आधार अभी तक अज्ञात ही है। यह उपनाम रूपी बिष्ट शब्द
नाम के पश्चात ही लगाया जाता है, जो आज भी इन्हीं क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है।
यह बिष्ट नामक उपनाम अधिकॉशत: ठाकुर, क्षत्रिय यानि हिन्दू राजपूत लोग ही अपने नाम के साथ लगाते हैं।
प्रतीक गुप्ता की पत्नी हैं अपर्णा विष्ट और ,
प्रतीक के वास्तविक जैविक पिता फरुर्खाबाद के रहने वाले व्यापारी चंद्रप्रकाश गुप्ता थे।
चन्द्र प्रकाश गुप्ता की ही पत्नी साधना गुप्ता हैं और यही साधना गुप्ता प्रतीक की माँ हैं।
साधना गुप्ता सपा की सक्रिय कार्यकर्ता थी कभी तभी विधुर जीवन व्यतीत कर रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव से भावनात्मक नजदीकियाँ हो जाने पर मुलायम सिंह ने साधना गुप्ता को उनके प्रार्थना करने पर जीवन साथी को रूप में अपना लिया ।
2003 में मुलायम सिंह यादव की विवाहित पत्नी (अखिलेश की मां) मालती देवी का प्रारब्ध वश निधन हो जाने को बाद से ग्रह स् जीवन शिथिल सा हो गया गया था।
जिसके बाद मुलायम सिंह ने साधना गुप्ता को उनके प्रार्थना करने पर अपना लिया।
यह इनका "लिव इन रिलेशनशिप " का ही रिश्ता था। लिव-इन सम्बन्ध या लिव-इन रिलेशनशिप एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें दो लोग जिनका विवाह नहीं हुआ है, साथ रहते हैं और एक पति-पत्नी की तरह आपस में शारिरिक सम्बन्ध बनाते हैं यह सम्बंध स्नेहात्मक होता है और रिश्ता गहरा होता है।
सम्बन्ध कई बार लम्बे समय तक चल सकते हैं या फिर स्थाई भी हो सकते हैं।
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और ध्यान रहे यहां न हिन्दू रीति-रिवाज से विवाह हुआ न ही कोर्ट मैरिज हुई. केवल लिव-इन रिलेशनशिप ही था।
लोगों ने इन्हें मुलायम सिंह यादव की पत्नी के रूप में मान्यता दे दी और उन्होंने उन्हें सार्वजनिक रूप से अपना लिया।
साधना गुप्ता का बेटा प्रकाशचन्द्र गुप्ता से उत्पन्न होने पर भी मुलायम सिंह ने प्रतीक और उनकी पत्नी अपर्णा को तमाम अधिकार दिए।
अपर्णा को 2017 में लखनऊ कैंट सीट से चुनाव लड़बाया लेकिन वह हार गई।
जहां तक बात अखिलेश और प्रतीक-अपर्णा के बीच के रिश्तों की है तो कभी बहुत स्नेह नजर नहीं आया। क्योंकि ये रिश्ते आनुवंशिक या खूनी रिश्ते नहीं थे।
आज अपर्णा ने भाजपा ज्वॉइन कर ली। इसमें कोई आश्चर्य नहीं क्यों कि ठाकुर अपर्णा विष्ट और बनिया (प्रतीक गुप्ता ) यादवों से जातीय रूप से सम्बद्ध कभी नहीं हैं ।
दोनों कि समाज दशकों से भारतीय जानता पार्टी को समर्थन में परम्परागत रूप से है ।
बनिया ,ब्राह्मण और ठाकुर बहुतायत से परम्परागत रूप से भाजपा के ही समर्थक रहे हैं ।
तो यह कोई नयी बात नहीं है ,!
कि मुलायम कि बहू अर्पणा विष्ट ने भाजपा कि सदस्यता ले ली ।
इससे सपा भी खुश है और भाजपा भी क्योंकि जातिवाद राजनीति कि धुरी है।
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अपर्णा राजनीति में बेहतर कर सकती है, वह जन नेत्री बन सकती हैं लेकिन वह मुलायम सिंह यादव की बहू नहीं हैं । अन्यथा अपने श्वशुर से विद्रोह अथवा उनकी बात न मानना यही दर्शाता है।
इसलिए उन्हें सबकुछ कहा जा सकता है।
लेकिन मुलायम सिंह की बहू नहीं कहा जा सकता।
4 जुलाई - 1986 में चन्द्र प्रकाश गुप्ता से इटावा के विधुना तहसील की रहने वाली " साधना गुप्ता की शादी हुई और उसके एक साल बाद 1987 में साधना गुप्ता ने प्रतीक गुप्ता का जन्म हुआ यह पुत्र जैविक रूप चन्द्र प्रकाश गुप्ता का ही था।
परन्तु मुलायम सिंह यादव ने इनका पालन पोषण किया और अधिकार पैत्रिक( पिता सम्बन्धी) ही दिए
प्रतीक गुप्ता और अपर्णा विष्ट में यादवों का कोई भी जेनेटिक तत्व समाहित नहीं है।
प्रतीक गुप्ता को जन्म के दो साल बाद ही प्रतीक सी माँ साधना गुप्ता और फरुर्खाबाद के रहने वाले उनके पति चन्द्र प्रकाश गुप्ता आपस में एक दूसरे से अलग हो गये थे।
और यह घटना प्रतीक के जन्म से दो वर्ष बाद की ही है।
साधना गुप्ता और चन्द्र प्रकाश गुप्ता अलग हो गये तब पुत्र प्रतीक गुप्ता को साधना गुप्ता लेकर मुलायम सिंह यादव के पास पहुँची और मुलायम सिंह ने उन्हें अपना लिया क्योंकि इनकी पूर्व पत्नी अखिलेश यादव की माँ मालती देवी का पहले ही 2003 में निधन हो गया था।
अब किसी को पुत्र या पुत्रवधू मान लेना अलग बात है परन्तु असली रिश्ते तो खून के ही प्रमाणित होते हैं और राजनैतिक कषौटी पर इसकी परख हो भी गयी है कि अपर्णा विष्ट क्या अपने को यादव मानती है?।
आज अपर्णा ने भाजपा ज्वॉइन कर ली। इसमें कोई आश्चर्य नहीं क्यों कि ठाकुर(अपर्णा विष्ट)और बनिया (प्रतीक गुप्ता ) यादवों से जातीय रूप से सम्बद्ध नहीं हैं ।
क्योंकि इनकी पूर्व पत्नी अखिलेश यादव की माँ पहले ही निधन हो गया था। अब किसी को पुत्र या पुत्रवधू मान लेना अलग बात है ; परन्तुअसली
रिश्ते तो खून के ही प्रमाणित होते हैं ।
Koi murkh or gawar hi aisi bkwas kr skta hai.Phli baat to jab Mulayam Singh ne khud Sadhna ko apni patni swikar kiya hai to tmhare jaise murkh kyun thekedari kar rhe hai smjh nhi aata.Agar Sadhna apne aap ko Yadav manane me garv mehsoos krti hai to tmhe khatti dakare kyun aa rhi hai pta nhi.Isi liye kuchh log Yadavo ko ek gawar aur jahil kehte hai.Kuchh purab ke gwalo ke chakkar me aa kr aisi harkat kr rhe ho.Apni jahilana harkato me sudhar kro...purab aur Bihar ke gwale yadav biradri par kalank hain.
जवाब देंहटाएंBhai prateek ka यादवों से कोई रक्त सम्बंध नहीं है, कोई माने या ना माने
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