इस्कॉन:- गोलोक ही नित्य धाम है अन्य कैलाश आदि लोक सब अनित्य है नश्वर है।
ले देवी भागवत स्कंध ९ अध्याय ८ श्लोक १०७:-
दशमन्वन्तरं तप्त्वा श्रीकृष्णः परमं तपः ।
गोलोकं प्राप्तवान्दिव्यं मोदतेऽद्यापि यत्र हि ॥
हे विभो ! प्राचीन कालमें शंकरजीने एक सौ मन्वन्तरतक उन भगवतीका तप किया था। ब्रह्माजीने भी सौ मन्वन्तरतक शक्तिके नामका जप किया था। इसी प्रकार भगवान् विष्णु भी सौ मन्वन्तरतक तपस्या करके सम्पूर्ण जगत्के रक्षक बने ।। 105-106
श्रीकृष्णने दस मन्वन्तरतक कठोर तप करके दिव्य गोलोक प्राप्त किया, जहाँपर आज भी वे आनन्द प्राप्त कर रहे हैं ।। 107 ।।
उन्हीं भगवतीको भक्तिसे युक्त होकर धर्म दस मन्वन्तरतक तपस्या करके सबके प्राणस्वरूप, सर्वपूज्य तथा सर्वाधार हो गये॥ 108 ॥इसी प्रकार सभी देवता, मुनि, मनुगण, राजा तथा ब्राह्मण भी उन भगवती मूलप्रकृतिकी तपस्याके द्वारा ही पूजित हुए हैं ॥ 109 ॥
[ हे नारद!] इस प्रकार मैंने आगमसहित इस पुराणको गुरुके मुखसे जैसा जाना था, वह सब आपको बता दिया; अब आप आगे क्या सुनना चाहते हैं ? ॥ 110 ॥
उन्हीं भगवतीको भक्तिसे युक्त होकर धर्म दस मन्वन्तरतक तपस्या करके सबके प्राणस्वरूप, सर्वपूज्य तथा सर्वाधार हो गये॥ 108 ॥इसी प्रकार सभी देवता, मुनि, मनुगण, राजा तथा ब्राह्मण भी उन भगवती मूलप्रकृतिकी तपस्याके द्वारा ही पूजित हुए हैं ॥ 109 ॥
[ हे नारद!] इस प्रकार मैंने आगमसहित इस पुराणको गुरुके मुखसे जैसा जाना था, वह सब आपको बता दिया; अब आप आगे क्या सुनना चाहते हैं ? ॥ 110 ॥
अर्थात:- श्री कृष्ण ने दस मन्वन्तर तक कठोर तप करके दिव्य गोलोक प्राप्त किया, जहाँ पर आज भी वे आनन्द प्राप्त कर रहे हैं.....🙂🙂🙂
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
तो प्रेम से बोलो जय माता दी 🙏😌
सारे बोलो जय माता दी 🙏😌
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें