मंगलवार, 21 सितंबर 2021

आरती कुञ्जविहारी की !



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आरती कुंजबिहारी की।      श्रीगिरिधर कृष्णमुरारी की।1।

कोरस-★

आरती कुंजबिहारी की।      श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।2।

आरती कुंजबिहारी की।      श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।3।

कोरस-★

आरती कुंजबिहारी की।      श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।4।

     अन्तरा-★
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गले में बैजंती माला,       बजावै मुरली मधुर बाला।।

"श्रवण में कुण्डल झल काला।नंद  के  आनंद  नंद  लाला ।।

गगन सम अंग कान्ति काली ।राधिका चमक रही आली 

"लतन में ठाढ़े वन माली

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कोरस-

 "आरती कुंजबिहारी की।      श्रीगिरिधर कृष्णमुरारी की।।

कोरस-

"आरती कुंजबिहारी की।      श्रीगिरिधर कृष्णमुरारी की।

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जहां ते प्रकट भई गंगा,

"कलुष कलि हारिणि श्री गंगा

स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

"हरै अघ कीच"

चरण छवि श्रीवनमाली की   श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

 ,

आरती कुंजबिहारी की।।

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

आरती कुंजबिहारी की।।

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

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चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

"बज रही वृंदावन बेनू।

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू।

हंसत मृदु मंद। 

चांदनी चंद,।

कटत भव फंद,

टेर सुन दीन भिखारी की "

आरती कुंजबिहारी की।      श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।

आरती कुंजबिहारी की।      श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

आरती कुंजबिहारी की।      श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

आरती कुंजबिहारी की।      श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की



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