गुरुवार, 27 मई 2021

केपसूल

Etymology

प्रोटो-इंडो-यूरोपीय मूल का अर्थ है "ठंडा; जमना।" 

यह सभी या इसका हिस्सा बनता है: chillcoldcongealcoolgelgelatinegelatinousgelatogelidglaceglacialglaciateglaciationglacierglaciologyglacisjelljelly.

यह इसके अस्तित्व के लिए/साक्ष्य का काल्पनिक स्रोत है: लैटिन gelare "जम जाना के लिये," gelu "ठंढ," glacies"बर्फ;" पुरानी अंग्रेज़ीcald "ठंडा, ठंडा," जर्मन kalt.


Borrowed from French gélatine (jelly, gel), from Italian gelatina (jelly, gel)- जमाना- जड होना।

जिलेटिन (अंग्रेज़ीGelatin) रंगहीन, स्वादहीन, भंगुर (सुखने पर) ठोस पदार्थ है जिसका निर्माण जीव-जन्तुओं से प्राप्त उत्पादों में प्राप्त कोलेजन से किया जाता है। जिलेटिन शब्द का निर्माण लेटिन शब्द गिलेक्ट्स (gelatus) से हुआ है जिसका अर्थ 'जमा हुआ' अथवा 'दृढ़' होता है।


जिलेटिन प्रोटीन का एक प्रकार होता है जिसे जानवरों की हड्डी, मांस और टिश्‍यू से निकले कोलेजन से प्राप्‍त किया जाता है। जिलेटिन को अलग-अलग तरीकों से इस्‍तेमाल‍ किया जा सकता है। जिलेटिन का सेवन हेल्‍थ को कई तरह के लाभ (Benefits of Gelatin) देता है।

  

जिलेटिन (Gelatin or gelatine)  एक पारदर्शी, रंगहीन, स्वाद रहित भोजन घटक होता है जो मुख्य रूप से ग्लाइसिन और प्रोलिन नामक एमिनो एसिड से बना है। यह सामान्यतः हड्डियों, रेशेदार ऊतकों और जानवरों के अंगों से प्राप्त किया जाता है। यह एमिनो एसिड त्वचा, बाल और नाखून के उचित विकास के साथ-साथ प्रतिरक्षा कार्य और वजन के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  

जिलेटिन को अलग-अलग तरीकों से इस्‍तेमाल‍ किया जाता है। इसे पाउडर, कैप्सूल, जैली और अन्य खाद्य उत्पादों के रूप में भी ग्रहण किया जा सकता है। जिलेटिन, प्रोटीन का उत्कृष्ट स्रोत होने के साथ-साथ तांबा, सेलेनियम (selenium) और फॉस्फोरस सहित कई विटामिन, खनिजों (minerals) और कार्बनिक यौगिकों का अच्छा स्रोत है।  


यहां से मिलता है जिलेटिन (Source of Gelatin in hindi)

जिलेटिन को जानवर उत्पादों से कोलेजन निकालने के लिए बनाया जाता है। कोलेजन एक रेशेदार प्रोटीन  होता है, जो जानवरों में मांसपेशियों, हड्डियों और त्वचा को आपस में जोड़ता है।


इसका प्रयोग बालों की गुणवत्ता में सुधार लाने और खेल से संबंधित चोट का इलाज करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त जिलेटिन का उपयोग खाद्य पदार्थों, सौंदर्य उत्पादों और दवाइयों के लिए किया जाता है।


विशेष रूप से जिलेटिन में कोलेजन होता है। कोलेजन  उन पदार्थों में से एक है जो उपास्थि (cartilage) और हड्डी बनाते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग सोचते हैं कि जिलेटिन गठिया  और अन्य जोड़ों की स्थितियों में मदद कर सकता है।


सेहत के लिए जिलेटिन के उपयोग (Gelatin Uses for Health in hindi)

  • शरीर को कोलेजन प्रदान करने में।
  • त्वचा, बाल और नाखून में वृद्धि में मदद।
  • सेल्युलाईट में सुधार।
  • त्वचा को लोचदार और चमकदार बनाने में।
  • मांसपेशियों को मजबूत बनाने में।
  • पाचन में सुधार।
  • खाद्य उत्पादों, दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों में।
  • मार्शमैलो और ड्रग कैप्सूल की कोटिंग  में।

जिलेटिन के फायदे (Benefits of Gelatin in hindi)

  • वजन कम करने के लिए जिलेटिन (Gelatin for weight loss) का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। जब आप जिलेटिन का सेवन करते हैं तो इससे बार बार भूख नहीं लगती है और पेट भरा हुआ महसूस होता है।
  • जिन लोगों को घुटनों में या जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है वो लोग भी जिलेटिन का सेवन कर सकते हैं। एक शोध के अनुसार जिलेटिन में कोलेजन पाया जाता है जो ऑस्टियोअर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे हड्डी रोग का कम करता है।
  • डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए जिलेटिन वरदान माना जाता है। इसमें पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड इंसुलिन बनाने में मदद करता है।
  • क्‍योंकि जिलेटिन में प्रोटीन की अच्‍छी खासी मात्रा होती है इसलिए जिन लोगों को दांत संबंधी समस्‍याएं होती हैं उनके लिए भी जिलेटिन का सेवन फायदेमंद होता है। जिलेटिन से न सिर्फ दांतों की सड़न दूर होती है बल्कि इससे कैविटी और दांतों के टिश्यू भी एक्टिव होते हैं।
  • पाचन संबंधी समस्‍याओं या पेट संबंधी रोगों से निजात पाने में भी जिलेटिन लाभकारी होता है।

एनिमल जिलेटिन की जगह अब सैलूलोज से बनेगा कैप्सूमद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा कंपनियों को नोटिस जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब कैप्सूल कवर एनिमल जिलेटिन की जगह सैलूलोज से बनाया जाए। इसके बाबत सभी को अपनी बात रखने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया गया है। भारतीय संविधान की धारा 48 के तहत गौवध पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने के लिए मंत्रालय ने यह नोटिस जारी किया है। इसी सिलसिले में सर्वोच्च न्यायालय ने 2005 में भी आदेश जारी कि या था कि गौवध के नियम को सख्ती से लागू किया जाए। बता दें कि एनिमल जिलेटिन को बनाने में जानवरों के चमड़े और हड्डी का प्रयोग किया जाता है। वहीं, सैलूलोज कवर को प्राकृतिक तरीके से पेड़-पौधों से बनाया जाता है।


रोहतक के डॉ. बेहरा के सैलूलोज कैप्सूल कवर को मिलेगा स्थान
एनिमल जिलेटिन कैप्सूल कवर बंद होने पर सैलूलोज कैप्सूल कवर का प्रयोग होगा। इसे एमडीयू (महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय) रोहतक स्थित बायोटेक्नोलाजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. बसंत कुमार बेहरा द्वारा तैयार किया गया था। अमर उजाला से विशेष बातचीत में डॉ. बेहरा ने बताया कि 2006 में उन्होंने और सुनील मुंदरा ने मिलकर  बैंगलूर स्थित नैचुरल कैप्सूल लिमिटेड कंपनी के लिए सैलूलोज कैप्सूल कवर का निर्माण किया था। इसको बनाने के तरीके पर वर्ल्ड हेेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) का भी पेटेंट मिल गया था। भारत में पहली बार यह लांच हुआ, अब यह जरूरी हो जाएगा। कंपनी विदेशों में सैलूलोज कैप्सूल कवर सप्लाई कर रही है, जबकि हिंदुस्तान में एनिमल जिलेटिन कैप्सूल कवर ही प्रयोग हो रहा है। भारतीय फार्माकोपिया के मुताबिक जिलेटिन कवर को दवाई में इस्तेमाल करने के लिए प्रयोग किया जाता है। बता दें कि जिलेटिन फोटोग्राफी प्लेट बनाने में, फूड इंडस्ट्रीज में और मेडिकल कैप्सूल बनाने में प्रयोग होता है। 


ये है जिलेटिन और सैलूलोज कैप्सूल कवर
जिलेटिन कैप्सूल कवर गाय और सूअर की हड्डी और चमड़े से बनता है। हड्डी और चमड़े को एसिड में डुबाया जाता है। इस प्रक्रिया में जो पदार्थ नीचे बचता है, उसे जिलेटिन कहते हैं। इसे कैप्सूल कवर के रूप में तैयार किया जाता है। दवा कड़वी होती है, यदि सीधी लेते है तो उल्टी हो जाएगी। इसलिए इसका कवर के रूप में प्रयोग होता है। वहीं, सैलूलोज कैप्सूल कवर शाकाहारी है। यह पेड़ पौधों के सैलूलोज (कोशमय) से बनता है।  

जिलेटिन से होती है बीमारियां
जिलेटिन में बोबाइन, संपोजीकोरम, एन्सेफोलापकी (बीएसई) वायरस होता है। यह गाय को पागल बना देता है और उसी का प्रभाव मानव के मस्तिष्क पर पड़ने का खतरा हो सकता है। जिलेटिन कैप्सूल बनाने वाले कारखाने को अत्यधिक प्रदूषित उद्योगों में गिना जाता है, जबकि सैलूलोज कैप्सूल पूर्ण रूप से पेड़ पौधों के सैलूलोज से बनता है। इससे मानव शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है। अभी भारत में दो कंपनियां सैलूलोज कैप्सूल बना रही हैं और उनकी बनाने की विधि अंतरराष्ट्रीय नियम व कानून के तहत है।

सेलुलोस (Cellulose) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र (C6H10O5)n है। यह एक बहुशर्करा (पॉलीसैक्कराइड) है जिसमें एक ही प्रकार का अणु लगातार जुड़ने से एक हजारों अणुओं वाला पॉलीमर बन जाता है। बहुत सारे हरे पौधों की कोशिका भित्तियाँ सेलुलोस की ही बनी होतीं हैं और जीव-जगत में इसका बहुत महत्व है। कपास के रेशों का ९०% हिस्सा सेलुलोस होता है।[3]



प्रोटो-इंडो-यूरोपीय मूल का अर्थ है "ठंडा; जमना।" 

यह सभी या इसका हिस्सा बनता है: chillcoldcongealcoolgelgelatinegelatinousgelatogelidglaceglacialglaciateglaciationglacierglaciologyglacisjelljelly.

यह इसके अस्तित्व के लिए/साक्ष्य का काल्पनिक स्रोत है: लैटिन gelare "जम जाना के लिये," gelu "ठंढ," glacies"बर्फ;" पुरानी अंग्रेज़ीcald "ठंडा, ठंडा," जर्मन kalt.



एनिमल जिलेटिन पर 2001 में फ्रांस में प्रतिबंध लगा था। इसके बाद यूरोप के देशों में इस पर प्रतिबंध लगा। अब इसे भारत में भी प्रतिबंधित करने की तैयारी हो रही है। इसकी प्रक्रिया जारी है। 


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