गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

वर्ण-व्यवस्था और मनु एक नवीनत्तम व्याख्या-

वैदिक सन्दर्भों के अनुसार दास से ही कालान्तरण दस्यु शब्दः का विकास हुआ हैं। मनुस्मृति मे दास को शूद्र अथवा सेवक के रूप में उद्धृत करने के मूल में उनका वस्त्र उत्पादन अथवा सीवन करने की अभिक्रिया  कभी प्रचलन में थी। परन्तु कालान्तरण में लोग इस अर्थ को भूल गये। भ्रान्ति वश एक नये अर्थ का उदय हो गया। जिस पर हम आगे प्रकरण के अनुसार चर्चा करेंगे ।👇 ________________________________________ मनुःस्मृति पुष्य-मित्र सुंग कालीन अर्थात्‌ ई०पू० 184 की रचना है । यह किसी मनु की रचना तो नहीं है। मनु नाम का मौहर अवश्य है। शूद्र शब्द भी इण्डो -यूरोपीयन है । रूढ़िवादी लेखकों ने इसकी कभी कोई सही व्युत्पत्ति नहीं की ,सायद कर नहीं पाए शूद्र शब्द का प्रयोग देव संस्कृति के अनुयायी नॉर्डिक जन-जातियों में उन जन-जातियों के लिए किया --जो वस्त्रों के कलात्मक सर्जक शम्बर असुर के वंशज कोल थे । कोलों को आबाद में कोरी कोरिया भी कहा गया । --जो आज भी वंश परम्परा गत रूप से कपड़े बुनते हैं यह तो भारतीय इतिहास कार भी जानते हैं। की कपड़ा कालीन चोली आदि कोलों की देन है । कोलों को भार वाहक या कुली बनाना भी उनकी दासता को सूचित करता है । वैसे सेवक शब्द का अर्थ "सीवन (सिलाई) करने वाला" है। सिव् (Sewing)सीवन करना  यह सेवकों का प्रथम व्यवसाय था । संस्कृत भाषा में सीव् (श्वि) धातु(क्रिया-मूल)से सीवन और सेवक शब्द बने 👇 _______________________________________ सीवनम् :--(सिव्यु तन्तुसन्ताने + ल्युट्(अन्) । षिवु सिव्योर्ल्युटि वा दीर्घः इति सीवनं शब्दं निष्पद्यते।। व्याकरणाचार्य मुक्त बोध के अनुसार 👇 “ष्ठीवनसीवने वा । इति सूत्रात् निपातितः ) तन्तुसन्तानम् । सूचीकर्म्म । सेवानी इति सिलायी क्रिया इति  हिन्दीभाषा। सिव तन्तुसन्ताने + ल्युट् इति सीवनम् सूच्यादिना वस्त्रादिसीवनम् । सेलाइ  इति च भाषा ।  तत्पर्य्यायः ।सीवनम् २ सूतिः ३ ।  इत्यमरःकोश । ३।  २। ५ ॥  ऊतिः ४ व्यूतिः ५ । इति शब्दरत्नावली ॥  (यथा   सुश्रुते ।  १ ।  ८ ।  “ सूच्यः सेवने ।  इत्यष्टविधे कर्म्मण्युपयोगः शस्त्राणां व्याख्यातः  ॥  सेवृ सेवने + ल्युट् । ) उपास्तिः ।  उपासना ।  इति मेदिनी ॥   (यथा  भागवते पराणे।  ४ ।  १९ ।  १६ । तमन्वीयुर्भागवता ये च तत्सेवनोत्सुकाः ॥  आथयः ।  यथा   भागवते ।  ७ ।  १२ ।  २० । “ सत्यानृतञ्च वाणिज्यं श्ववृत्तिर्नीचसेवनम् । वर्ज्जयेत् तां मदा विप्रो राजन्यश्च जुगुप्सिताम् ॥  “ उपभोगः ।   यथा   मनुःस्मृति ।  ११ ।  १७९ ।  “ यत् करोत्येकरात्रेण वृषलीसेवनात् द्विजः । तद्भक्ष्यभुग्जपन्नित्यं त्रिभिर्व्वर्षैर्व्यपोहति ) तत्पर्य्यायः । सेवनम् २ स्यूतिः ३ । इत्यमरः कोश । ३ । २ । ५ ॥ ऊतिः ४ व्यूतिः ५ । इति शब्दरत्नावली ॥ (यथा, सुश्रुते । ४ । १ । शब्दरत्नावली -- मथुरेश की शब्द-कोशिय रचना है । (इसका समय १७वी शताब्दी) यथोक्तं सीवनं तेषु कार्य्यं सन्धानमेव च ॥) अमरकोशः सीवन नपुंसकलिङ्ग रूप  सूचीक्रिया  समानार्थक:सेवन,सीवन,स्यूति  3।2।5।2।2  पर्याप्तिः स्यात्परित्राणं हस्तधारणमित्यपि। सेवनं सीवनं स्यूतिर्विदरः स्फुटनं भिदा॥  _________________________________________ वाचस्पत्यम् सी(से)वन :- न॰ सिव--ल्युट् नि॰ वा दीर्घः। सीवने तन्तु-सन्ताने ( सिलने की क्रिया) अमरः कोश २ लिङ्गमण्यधस्थसूत्रे स्त्रीहेमच॰ ङीप्। शब्दसागरः सीवन noun (-Neuter)  1. Sewing, stitching.  2. A seam, a suture. (feminine.) (-नी)  1. The frenum of the prepuce.  2. A needle. E. षिव् to sew, ल्युट् aff.; also सेवन | Apte सीवनम् [sīvanam], 1 Sewing, stitching; सीवनं कञ्चुकादीनां विज्ञानं हि कलात्मकम् Śukra.4.329. A seam, suture. Monier-Williams सीवन n. sewing , stitching सीवन n. a seam , suture सेवक और शूद्र दौनों शब्द यूरोपीय अधिक और भारतीय कम हैं । और फिर संस्कृत या वैदिक भाषाओं में  बहुतायत शब्द यूरोपीय ही हैं । कुछ सुमेरियन भी हैं । वर्ण व्यवस्था का वैचारिक उद्भव अपने बीज वपन रूप में आज से सात हज़ार वर्ष पूर्व बाल्टिक सागर के तट- वर्ती स्थलों पर   तब भी यह वर्ग-व्यवस्था थी जिसका आधार ही व्यवसाय था । वर्ण-व्यवस्था त यह पूर्ण रूपेण भारत में हुई । जर्मन  की नारादिक स्वर Suver (सुर) जन-जातियों तथा यहीं बाल्टिक सागर के दक्षिण -पश्चिम में बसे  हुए ..गोैलॉ .वेल्सों  .ब्रिटों (व्रात्यों ) के पुरोहित ड्रयडों (Druids )के सांस्कृतिक द्वेष के रूप सघनतर होते गये और वंश परम्परा गत रूप में इन्हें द्वेष भावनाओं के रूप विकृत और परिवर्तित भी हुए । ईरानीयों में --जो वर्ग-व्यवस्था थी । भारतीय परोहितों वहीं से वर्ण-व्यवस्था की प्रेरणाऐं ली । यह मेरे प्रबल प्रमाणों के दायरे में है। आर्य थ्योरी मिथ्या है । क्यों की आर्य्य शब्द जन-जाति गत विशेषण था ही नहीं और यह शब्द भी केवल भारोपीय ही नहीं हिब्रू और सुमेरियन भाषाओं में है । यद्यपि नॉर्डिक संस्कृतियों में आर्य्य शब्द सम्माननीय उपाधि है। जिसे यूरोपीयन संस्कृतियों में क्रमशः "Ehre एर  "The honrable people in Germen tribes was called "Ehre" जर्मन भाषा में आर्य शब्द के ही इतर रूप हैं ...Arier  तथा Arisch आरिष यही एरिष Arisch शब्द जर्मन भाषा की उप शाखा डच और स्वीडिस् में भी विद्यमान है👇 और दूसरा शब्द शाउटर "Shouter" भी   है शाउटर शब्द का परवर्ती उच्चारण  साउटर "Souter" शब्द के रूप में भी है । शाउटर यूरोप की धरा पर स्कॉटलेण्ड के मूल निवासी थे। इसी का इतर नाम आयरलेण्ड भी था . अब आयर शब्द स्वयं में आर्य्य का प्रतिरूप है । शाउटर लोग गॉल अथवा ड्रयूडों की ही एक शाखा थी ; जो परम्परागत रूप से चर्म के द्वार वस्त्रों का निर्माण और व्यवसाय अवश्य करते थे। .Shouter ---a race who  had sewed  Shoes and Vestriarium..for nordic Germen tribes...... ...यूरोप की संस्कृति में वस्त्र  बहुत बड़ी अवश्यकता और बहु- मूल्य सम्पत्ति थे। क्यों कि वहाँ  शीत का प्रभाव ही अत्यधिक था। उधर उत्तरी-जर्मन के नार्वे आदि  संस्कृतियों में इन्हेैं सुटारी (Sutari ) के रूप में सम्बोधित किया जाता था । यहाँ की संस्कृति में इनकी महानता सर्व विदित है  यूरोप की प्राचीन सांस्कृतिक भाषा लैटिन में यह शब्द सुटॉर.(Sutor ) के रूप में होगय है। तथा पुरानी अंग्रेजी (एंग्लो-सेक्शन) में यही शब्द सुटेयर "Sutere" के रूप में है। जर्मनों की प्राचीनत्तम शाखा गॉथिक भाषा में यही शब्द सूतर (Sooter )के रूप में है। विदित हो कि गॉथ जर्मन स्वीअर जन-जाति का एक प्राचीन राष्ट्र है । जो विशेषतः बाल्टिक सागर के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है । ईसा की तीसरी शताब्दी में  डेसिया राज्य में इन लोगों ने प्रस्थान किया डेसिया का समावेश इटली के अन्तर्गत हो गया ! उस समय गॉथ राष्ट्र की सीमाऐं दक्षिणी फ्रान्स तथा स्पेन तक थी । उत्तरी जर्मन में यही गॉथ लोग ज्यूटों के रूप में प्रतिष्ठित थे ।      और भारतीय आर्यों में ये गौडों के रूप में परिलक्षित होते हैं। ये बातें आकस्मिक और काल्पनिक नहीं हैं क्यों कि यूरोप में जर्मन की बहुत सी शाखाऐं प्राचीन भारतीय गोत्र-प्रवर्तक ऋषियों के आधार पर हैं जैसे अंगिरस् ऋषि के आधार पर जर्मनों की ऐञ्जीलस् "Angelus"  या Angle.   जिन्हें पुर्तगालीयों ने अंग्रेज कहा था । इन्होंने ही ईसा की पाँचवीं सदी में ब्रिटेन के मूल वासीयों को परास्त कर ब्रिटेन का नाम- करण  आंग्ल -लेण्ड कर दिया था । ... जर्मन सुर जन-जाति के लोग थे जो वर्तमान में स्वीडन था । में गोत्र -प्रवर्तक भृगु ऋषि के वंशज "Borough" थे जर्मन के कुछ कबीले यह उपाधि अब भी लगाते हैं  और वशिष्ठ के वंशज "बेस्त"  कह लाते हैं। समानताओं के और भी स्तर हैं ...परन्तु हमारा वर्ण्य विषय शूद्रों से सम्बद्ध है । संस्कृत भाषा के समान  लैटिन भाषा में भी शूद्र शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन क्रिया स्वेयर -- Suere = "to sew "सीवन करना (सिलाई करना),वस्त्र -वपन करना क्रिया से ही है । विदित हो कि संस्कृत भाषा में भी शूद्र शब्द की व्युत्पत्ति   मूलक अर्थ  "वस्त्रों का सीवन करने बाला" .."सेवक" आदि है । भाषा विज्ञान भी इतिहास का सम्पूरक है। क्यों कि शब्द स्वयं धारक का इतिहास कहते हैं । जैसा कि सेवक का मूल अर्थ है सीवन करने वाला है। यह शोध प्रबन्ध योगेश कुमार रोहि के विश्व सांस्कृतिक शोधों पर आधारित है । जिसके प्रणयन में  कई भारोपीय संस्कृतियों को समावेशित किया गया है । संस्कृत में  शूद्र शब्द का वास्तविक अर्थ संस्कृत की "शुच् "धातु से "रक्" प्रत्यय करने पर बना है संस्कृत धातु 'पाठ में शुच् तापने परिस्कारे वस्त्रस्सीवने च अर्थों को अभिव्यक्त करने वाला धातु है । नॉर्डिक जन-जातियों ने शूद्र विशेषण सर्व प्रथम यहाँ के पूर्व वासी कोलो के विशेषण रूप में किया । जो पुश्तैनी रूप से आज भी कोरिया जन जाति के रुप में आज भी वस्त्रों का निर्माण करते हैं ... क्यों कि बाल्टिक या स्कैण्डनेवियन सागर के तटवर्ती प्रदेशों में नॉर्डिक जन-जातियों का मुकाबला प्राचीन फ्राँन्स के निवासीयों गॉलो से था । अत: कोलों भी उनहोंने गॉल माना --जो ड्र्यूड Druid पुरोहितों के यजमान थे। और उन्हें शुट्र के आधार पर शूद्र कहकर सम्बोधित किया। _________________________________________ लौकिक संस्कृत में दास शब्द का अर्थ गुलाम के समकक्ष अधिक होगया है । परन्तु ऋग्वेद मे पुरोहित याचना तो कर रहे हैं कि यादवो को दास रूप में अधीन बनाने की परन्तु सफल तो वे पुरोहित हुए नही यही कारण है । कि उन्होनें  यहीं से घृणास्पद होकर  दास शब्द का अर्थ बदल देने की चेष्टा की । और दास का अर्थ लौकिक संस्कृत में गुलाम हो गया । और इसके बहुवचन रूप दस्यु: का अर्थ विद्रोही या डकैत । ऋग्वेद के दशम मण्डल में " उत् दासा परिविषे-स्मत्दृष्टि गोपर् ईणसा यदुस्तुर्वशुश्च मामहे ।।ऋ०10/62/10/ उपर्युक्त ऋचा में यदु और तुर्वशु को दास कहा गया है । परन्तु यादवों ने वर्ण-बद्ध व्यवस्था के प्रति विद्रोही रबैया  अपनाकर अपनी दस्यु सार्थकता सिद्ध की है। वैदिक सन्दर्भों में दस्यु और दास समानार्थक रूप हैं । और ये प्राय: असुरों के वाचक हैं । वर्ण व्यवस्था का यहा मतलब है वर्ण व्यवस्था के जरिए  पुरोहित यादवों को अधीन कर  दास बनाना चाहते थे। परन्तु यादव दास नही बने दस्यु बन गये। वर्ण व्यवस्था ई०पू० 800 में ईरानीयों की वर्ग - व्यवस्था से आयात है । ऋग्वेद का दशम मण्डल बुद्ध के समकालिक है। नवम मण्डल में प्राचीनता है ।👇 ""कारूरहम ततो भिषग् उपल प्रक्षिणी नना।। 'मैं कारीगर हूँ पिता वैद्य हैं और माता पसीने वाली है । (ऋग्वेद ९।११२ ।३) “ के रूप में वर्ग-व्यवस्था को ध्वनित करता है । अब जो वर्ण व्यवस्था के जरिये खुद को क्षत्रिय शूद्र तय कर रहे है वो यदुवंशीय धर्म के विरोधी हैं। क्यों कि उन्हें यदुवंश का कोई ऐैतिहासिक ज्ञान नहीं । उनको यदुवंशीय बोलने का कुछ अधिकार भी नही है क्यों कि यदुवंशीयों ने कभी भी वर्ण-व्यवस्था को स्वीकार ही नहीं किया। और ना ही उसकी समर्थन । ये ब्राह्मणों द्वारा स्थापित व्यवस्था के बागी थे । ब्राह्मणों द्वारा स्थापित वर्ण-बद्ध-जाति-व्यवस्था में क्षत्रिय होता  है ? ब्राह्मण का संरक्षक ! क्षत्रियों की पत्नीयों के साथ नियोग भी ब्राह्मण ही करते थे । परशुराम की कथा भी क्षत्रिय विनाश के बाद क्षत्रिय स्त्रीयों के साथ ब्राह्मण नियोग को दर्शाती है। लौकिक भाषाओं में दास और दस्यु अलग अलग अर्थों को व्यक्त करने लगे । फिर आज के अर्थों में  यदु के वंशजों ने दास बनना स्वीकार नही किया  तो फिर वे दस्यु बन गये। ब्राह्मण इतिहास कारों ने अहीरों को इतिहास में डकैतों (दस्युयों) के रूप में लिखा । दस्यु का अर्थ पहले चोर या लुटेरा नहीं था । दस्यु का सही अर्थ ब़ागी या विद्रोही है। क्यों कि चोर न कभी नैतिकता का पालन करता है और न कभी धार्मिक होकर गरीबों की सेवा करता है । आप चम्बल के डाकुओं की बात करें तो वे जमींदारों और शोषकों के विरुद्ध लड़ने वाले थे । 1987 में निर्मित हिन्दी फिल्म "डकैत" भी डकैतों के जमींदारों और शोषकों के विरुद्ध विद्रोही प्रवृत्तियों का दर्शाती है । जिसका नायक भी अर्जुुन यादव ( सनी दियोल )है ; जो एक किसान परिवार से है । ठाकुर जिसकी जमीन को अंग्रेजों से मिलकर हड़प लेते हैं। और जिसके परिवार में माँ बहिन आदि के साथ अश्लीलता करते हैं । तब 'वह अर्जुुन यादव चम्बल के डाकुओं से मिलकर बदला लेता है। वैसे भी यहाँं की पूर्वागत जन-जातियों ने अपने  जीविकोपार्जन के लिए अर्थव्यवस्था का आधार स्तम्भ पशुपालन और कृषि को चुना कबीलाई व्यवस्था बनाई । एक भी यादव उपनाम के साथ आप राजा नही दिखा सकते है इतिहास में क्यों कि ब्राह्मणों ने राजा को क्षत्रिय माना । और क्षत्रिय ब्राह्मणों के संरक्षक थे । आगे हम शूद्र शब्द पर विस्तृत विश्लेषण करेंगे ।   शूद्र कौन थे ? यह शब्द वर्ण व्यवस्था का आधार कैसे बना ? इन बिन्दुओं पर एक नवीनत्तम व्याख्या --जो रूढ़िवादी और संकीर्ण विचार धारणाओं से पृथक है । भारतीय इतिहास ही नहीं अपितु  विश्व इतिहास का यह प्रथम अद्भुत्  शोध है  सत्य का भी बोध है ।👇 विश्व सांस्कृतिक अन्वेषणों के पश्चात् एक तथ्य पूर्णतः प्रमाणित हुआ है जिस वर्ण व्यवस्था को मनु का विधान कह कर भारतीय संस्कृति के प्राणों में प्रतिष्ठित किया गया था । न तो 'वह मनु की व्यवस्था थी और न भारतीय धरा पर मनु नाम का कोई पूर्व पुरुष हुआ। ये सारी कथाऐं सुमेरियन बैबीलॉनियन संस्कृतियों से आयीं। आगे हम इन पर फिर से सम्यक् विचार करते हैं मनुःस्मृति की तो बात ही छोड़ो । मनु ही भारतीय धरा की विरासत नहीं थे । और ना हि अयोध्या उनकी जन्म भूमि थी। क्यों कि अयोध्या नामक की नगरी कई देशों की प्राचीन पुरा-कथाओं में है । वर्तमान में अयोध्या भी थाईलेण्ड में "एजोडिया" के रूप में है। सुमेरियन सभ्यताओं में भी अयोध्या को एजेडे "Agede" नाम से वर्णन किया है। जिसका अर्थ होता है। "जिसे मारा या जाता न सके" प्राचीन समय में ईरान, मध्य एशिया, बर्मा, थाईलैंड, इण्डोनेशिया, वियतनाम, कम्बोडिया, चीन, जापान और यहां तक ​​कि फिलीपींस में भी मनु की पौराणिक कथाऐं लोकप्रिय थीं। ब्रिटिश विद्वान संस्कृतिकर्मी, जे. एल. ब्रॉकिंगटन के अनुसार "राम" को विश्व साहित्य का एक उत्कृष्ट शब्द मानते हैं। यद्यपि राम का वर्णन करने वाले भारतीय ग्रन्थ वाल्मीकि रामायण महाकाव्य का कोई प्राचीन इतिहास नहीं है। यह बौद्ध काल के बाद की रचना है क्यों कि इस में अयोध्या काण्ड में महात्मा बुद्ध का वर्णन है। निन्दाम्यहं कर्म पितुः कृतं तद्धस्तवामगृह्वाद्विप मस्थबुद्धिम्। बुद्धयाऽनयैवंविधया चरन्त ,सुनास्तिकं धर्मपथादपेतम्।।” – अयोध्याकाण्ड, सर्ग 109श्लोक  33।। (गीताप्रेस गोरखपुर संस्करण) • सरलार्थ :- हे जावाली! मैं अपने पिता (दशरथ) के  इस कार्य की निन्दा करता हूँ कि उन्होने तुम्हारे जैसे वेदमार्ग से भ्रष्ट बुद्धि वाले धर्मच्युत नास्तिक को अपने यहाँ रखा। क्योंकि ‘बुद्ध’ जैसे नास्तिक मार्गी , जो दूसरों को उपदेश देते हुए घूमा-फिरा करते हैं , वे केवल घोर नास्तिक ही नहीं, प्रत्युत धर्ममार्ग से च्युत भी हैं । “यथा हि चोरः स, तथा ही बुद्ध स्तथागतं। नास्तिक मंत्र विद्धि तस्माद्धि यः शक्यतमः प्रजानाम् स नास्तिकेनाभिमुखो बुद्धः स्यातम् ।।” (अयोध्याकाण्ड, सर्ग -109, श्लोक: 34 / पृष्ठ :1678 ) सरलार्थ :- जैसे चोर दण्डनीय होता है, इसी प्रकार ‘तथागत बुद्ध’ और और उनके नास्तिक अनुयायी भी दंडनीय है । ‘तथागत'(बुद्ध) और ‘नास्तिक चार्वक’ को भी यहाँ इसी कोटि में समझना चाहिए। इसलिए राजा को  चाहिए कि  प्रजा की भलाई के लिए ऐसें  मनुष्यों को वहीं दण्ड दें, जो चोर को दिया जाता है। परन्तु जो  इनको दण्ड देने में असमर्थ या वश के बाहर हो, उन ‘नास्तिकों’ से समझदार और विद्वान ब्राह्मण कभी वार्तालाप ना करे। बुद्ध का वर्णन तो महाभारत से लेकर सभी पुराणों में है बुद्ध का समय 566 ई०पू० है । 👇फिर भी इस रामायण के पात्रों का प्रभाव सुमेरियन और ईरानीयों की प्राचीनत्तम संस्कृतियों में देखा जा सकता है। राम के वर्णन की विश्वव्यापीयता का अर्थ है कि राम एक महान ऐतिहासिक व्यक्ति रहे होंगे। इतिहास और मिथकों पर औपनिवेशिक हमला सभी महान धार्मिक साहित्यों का अभिन्न अंग है। लेकिन स्पष्ट रूप से एक ऐतिहासिक पात्र के बिना रामायण कभी भी विश्व की श्रेण्य-साहित्यिक रचना नहीं बन पाएगी। 'वह राम ही हैं । राम का वर्णन  मीदिया और ईरानीयों के एक नायक के रूप में  है। ईरानी संस्कृतियों में  मित्र, अहुरा मज़्दा आदि जैसे सामान्य देवताओं को वरीयता दी गई है। टी. क्यूइलर यंग  ​​एक प्रख्यात ईरानी विद्वान जो कैम्ब्रिज प्राचीन इतिहास और प्रारम्भिक विश्वकोश में ईरान के इतिहास और पुरातत्व पर लिखते हैं:-👇  और वे उप-महाद्वीप के बाहर प्रारम्भिक भारतीयों और ईरानीयों के सन्दर्भों की विवेचना करते हैं । _________________________________________  💐 राम ’पूर्व-इस्लामी ईरान में एक पवित्र नाम था; जैसे आर्य "राम-एनना" दारा-प्रथम के प्रारम्भिक पूर्वजों में से थे। इस प्रमाण के लिए उनकी सोने की टैबलेट( शील या मौहर )पुरानी फ़ारसी में एक प्रारम्भिक दस्तावेज़ है; राम जोरास्ट्रियन कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण नाम है;  "रेमियश" यह राम और वायु को समर्पित है सम्भवतः हनुमान की एक प्रतिध्वनि भी है । कई राम के नाम पर्सेपोलिस (ईरानी शहर) में पाए जाते हैं। "रामबजरंग" फारस की एक कुर्दिश जनजाति का नाम है। राम के नामों के साथ कई सासैनियन शहर: राम अर्धशीर, रामहोर्मुज़, रामपेरोज़, रेमा और रुमागम जैसे नाम प्राप्त होते हैं । राम-शहरिस्तान सूरों की प्रसिद्ध राजधानी थी।  राम-अल्ला यूफ्रेट्स (फरात) पर एक शहर है और यह फिलिस्तीन में भी है। _________________________________________ उच्च प्रामाणिक सुमेरियन राज-सूची में राम और भरत सौभाग्य से प्राप्त होते हैं। सुमेरियन इतिहास का एक अध्ययन राम का एक बहुत ही उद्भासित चित्र प्रदान करता है।  उच्च प्रामाणिक सुमेरियन राजाओं की सूची में भारत (वाराद) "warad" दसरत और (रिमसिन )जैसे पवित्र नाम दिखाई देते हैं।👇 __________________________________________  राम मेसोपोटामिया वर्तमान (ईराक और ईरान)के सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाले सम्राट थे जिन्होंने 60 वर्षों तक शासन किया। भारत सिन ने 12 वर्षों तक शासन किया (1834-1822 ई.पू.)का समय जैसा कि बौद्धों के दशरथ जातक में कहा गया है। जातक का कथन है, "साठ बार सौ, और दस हज़ार से अधिक, सभी को बताया, / प्रबल सशस्त्र राम ने"  केवल इसका मतलब है कि राम ने साठ वर्षों तक शासन किया, जो अश्शूरियों (असुरों) के आंकड़ों से बिल्कुल सहमत हैं। ______________________________________ अयोध्या सरगोन की राजधानी अगाडे (अजेय) हो सकती है । जिसकी पहचान अभी तक नहीं हुई है। यह सम्भव है कि एजेड (Agade) (अयोध्या) डेर या हारुत के पास हरयु  या सरयू के पास थी।👇     सीर दरिया का साम्य सरयू से है । सिर दरिया मध्य एशिया की एक बड़ी नदी है। यह 2,212 किलोमीटर लम्बी नदी किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, उज़बेकिस्तान और काज़ाख़स्तान के देशों से निकलती है। आमू दरिया और सिर दरिया को मध्य एशिया की दो सब से महत्वपूर्ण नदियाँ माना जाता है, हालांकि आमू दरिया में सिर दरिया से कहीं ज़्यादा पानी बहता है। अवेस्ता ए झेन्द मे सरयू को हरयू कहा गया है ।   इतिहास लेखक डी. पी. मिश्रा जैसे विद्वान इस बात से अवगत थे कि राम हेरात क्षेत्र से हो सकते हैं। प्रख्यात भाषाविद् सुकुमार "सेन" ने यह भी कहा कि राम ईरानीयों के धर्म ग्रन्थ अवेस्ता में एक पवित्र नाम है। ________________________________________ सुमेरियन माइथॉलॉजी में दूर्मा नाम से धर्म की प्रतिध्वनि है ।🌸 सुमेरियन माइथॉलॉजी के मितानियन ( मितज्ञु )राजाओं का तुसरत नाम दशरथ की प्रतिध्वनि प्रतीत होता है। मितज्ञु शब्द ऋग्वेद में एक दो वार आया है पाश्चात्य इतिहास विद "मार्गरेट .एस. ड्रावर ने तुसरत के नाम का अनुवाद 'भयानक रथों के मालिक' के रूप में किया है। लेकिन यह वास्तव में 'दशरथ रथों का मालिक' या 'दस गुना रथ' हो सकता है जो दशरथ के नाम की प्रतिध्वनि है। दशरथ ने दस राजाओं के संघ का नेतृत्व किया। इस नाम में आर्यार्थ जैसे बाद के नामों की प्रतिध्वनि है। सीता और राम का ऋग्वेद में वर्णन है। _________________________________________ राम नाम के एक असुर (शक्तिशाली राजा) को संदर्भित करता है, लेकिन कोसल का कोई उल्लेख नहीं करता है।  वास्तव में कोसल नाम शायद सुमेरियन माइथॉलॉजी में "खास-ला" के रूप में था । और सुमेरियन अभिलेखों के मार-कासे (बार-कासे) के अनुरूप हो सकता है।👇 refers to an Asura (powerful king) named Rama but makes no mention of Kosala.♨ In fact the name Kosala was probably Khas-la and may correspond to Mar-Khase (Bar-Kahse) of the Sumerian records. कई प्राचीन संस्कृतियों में  मिथकों में साम्य हैं। प्रस्तुत लेख मनु के जीवन की प्रधान घटना  बाढ़ की कहानी का विश्लेषण करना है। 👇👇👇👇 2-सुमेरियन संस्कृति में 'मनु'का वर्णन जीवसिद्ध के रूप में- महान बाढ़ आई और यह अथक थी और मछली जो विष्णु की मत्स्य अवतार थी, ने मानवता को विलुप्त होने से बचाया। ज़ीसुद्र सुमेर का एक अच्छा राजा था और देव एनकी ने उसे चेतावनी दी कि शेष देवताओं ने मानव जाति को नष्ट करने का दृढ़ संकल्प किया है । उसने एक बड़ी नाव बनाने के लिए ज़ीसुद्र को बताया। बाढ़ आई और मानवता बच गई। सैमेटिक संस्कृतियों में प्राप्त मिथकों के अनुसार नूह (मनु:)को एक बड़ी नाव बनाने और नाव पर सभी जानवरों की एक जोड़ी लेने की चेतावनी दी गई थी। नाव को अरारात पर्वत जाना था । और उसके शीर्ष पर लंगर डालना था जो बाढ़ में बह गया था। इन तीन प्राचीन संस्कृतियों में महान बाढ़ के बारे में बहुत समान कहानियाँ हैं। बाइबिल के अनुसार इज़राइल में इस तरह की बड़ी बाढ़ का कारण कोई महान नदियाँ नहीं हैं, लेकिन हम जानते हैं कि इब्रानियों ने उर के इब्राहीम के लिए अपनी उत्पत्ति का पता लगाया जो मेसोपोटामिया में है। भारतीय इतिहास में यही इब्राहीम ब्रह्मा है। जबकि टिगरिस (दजला)और यूफ्रेट्स (फरात)बाढ़ और अक्सर बदलते प्रवेश में, उनकी बाढ़ उतनी बड़े पैमाने पर नहीं होती है। एक दिलचस्प बात यह है कि अंग्रेजी क्रिया "Meander "का अर्थ है, जिसका उद्देश्य लक्ष्यहीनता से एक तुर्की नदी के नाम से आता है । जो अपने परिवेश को बदलने के लिए कुख्यात है। सिंधु और गंगा बाढ़ आती हैं लेकिन मनु द्वारा वर्णित प्रलय जैसा कुछ भी नहीं है। महान जलप्रलय 5000 ईसा पूर्व के आसपास हुआ जब भूमध्य सागर काला सागर में टूट गया। इसने यूक्रेन, अनातोलिया, सीरिया और मेसोपोटामिया को विभिन्न दिशाओं में (littoral) निवासियों के प्रवास का नेतृत्व किया। ये लोग अपने साथ बाढ़ और उसके मिथक की अमिट स्मृति को ले गए। अक्कादियों ने कहानी को आगे बढ़ाया क्योंकि उनके लिए सुमेरियन वही थे जो लैटिन यूरोपीय थे। सभी अकाडियन शास्त्रियों को सुमेरियन, एक मृत भाषा सीखना था, जैसे कि सभी शिक्षित यूरोपीय मध्य युग में लैटिन सीखते हैं। ईसाइयों ने मिथक को शामिल किया क्योंकि वे पुराने नियम को अवशोषित करते थे क्योंकि उनके भगवान जन्म से यहूदी थे। बाद में उत्पन्न हुए धर्मों ने मिथक को शामिल नहीं किया। जोरास्ट्रियनवाद जो कि भारतीय वैदिक सन्दर्भों में साम्य के साथ दुनियाँ के रंगमञ्च पर उपस्थित होता है; ने मिथक को छोड़ दिया। अर्थात्‌ पारसी धर्म ग्रन्थ अवेस्ता में जल प्रलय के स्थान पर यम -प्रलय ( हिम -प्रलय ) का वर्णन है । जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म। इसी तरह इस्लाम जो यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और कुछ स्थानीय अरब रीति-रिवाजों का मिश्रण है, जो मिथक को छोड़ देता है। सभी मनु के जल प्रलय के मिथकों में विश्वास करते हैं । ______________________________________ सीरिया में अनदेखी मितन्नी राजधानी को वासु-खन्नी अर्थात समृद्ध -पृथ्वी का नाम दिया गया था। मनु ने अयोध्या को बसाया यह तथ्य वाल्मीकि रामायण में वर्णित है। वेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है, "अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या" अथर्ववेद १०/२/३१ में  वर्णित है। वास्तव में यह सारा सूक्त ही अयोध्या पुरी के निर्माण के लिए है। नौ द्वारों वाला हमारा यह शरीर ही अयोध्या पुरी बन सकता है। अयोध्या का समानार्थक शब्द "अवध" है । प्राचीन काल में एशिया - माइनर ---(छोटा एशिया), जिसका ऐतिहासिक नाम -करण अनातोलयियो के रूप में भी हुआ है । यूनानी इतिहास कारों विशेषत: होरेडॉटस् ने अनातोलयियो के लिए एशिया माइनर शब्द का प्रयोग किया है । जिसे आधुनिक काल में तुर्किस्तान अथवा टर्की नाम से भी जानते हैं । यहाँ की पार्श्व -वर्ती संस्कृतियों में मनु की प्रसिद्धि उन सांस्कृतिक-अनुयायीयों ने अपने पूर्व-पुरुष  ( Pro -Genitor ) के रूप में स्वीकृत की है । मनु को पूर्व- पुरुष मानने वाली जन-जातियाँ प्राय: भारोपीय वर्ग की भाषाओं का सम्भाषण करती रहीं हैं। परन्तु इनमें हैमेटिक और सैमेटिक भाषाओं के अंश भी बहुतायत से हैं । वस्तुत: भाषाऐं सैमेटिक वर्ग की हो अथवा हैमेटिक वर्ग की अथवा भारोपीय , सभी भाषाओं मे समानता का कहीं न कहीं सूत्र अवश्य है। __________________________________________ जैसा कि मिश्र की संस्कृति में मिश्र का प्रथम पुरुष जो देवों का का भी प्रतिनिधि था , वह था "मेनेस्" (Menes)अथवा मेनिस् (Menis) इस संज्ञा से अभिहित था । मेनिस ई०पू० 3150 के समकक्ष मिश्र का प्रथम शासक और मेंम्फिस (Memphis) नगर में जिसका निवास था "मेंम्फिस "प्राचीन मिश्र का महत्वपूर्ण नगर जो नील नदी की घाटी में आबाद है । तथा यहीं का पार्श्ववर्ती देश फ्रीजिया (Phrygia)के मिथकों में भी मनु की जल--प्रलय का वर्णन मिअॉन (Meon)के रूप में है । मिअॉन अथवा माइनॉस का वर्णन ग्रीक पुरातन कथाओं में क्रीट के प्रथम राजा के रूप में है । जो ज्यूस तथा यूरोपा का पुत्र है । और यहीं एशिया- माइनर के पश्चिमीय समीपवर्ती लीडिया( Lydia) देश वासी भी इसी मिअॉन (Meon) रूप में मनु को अपना पूर्व पुरुष मानते थे। इसी मनु के द्वारा बसाए जाने के कारण लीडिया देश का प्राचीन नाम मेअॉनिया "Maionia" भी था । ग्रीक साहित्य में विशेषत: होमर के काव्य में "मनु" को (Knossos) क्षेत्र का का राजा बताया गया है । कनान देश की कैन्नानाइटी(Canaanite ) संस्कृति में बाल -मिअॉन के रूप में भारतीयों के बल और मनु (Baal- meon) और यम्म (Yamm) देव के रूप मे वैदिक देव यम से साम्य संयोग नहीं अपितु संस्कृतियों की एकरूपता की द्योतक है । यम और मनु दौनों को सजातिय रूप में सूर्य की सन्तानें बताया है। _________________________________________ विश्व संस्कृतियों में  यम  का वर्णन --- यहाँ भी कनानी संस्कृतियों में भारतीय पुराणों के समान यम का उल्लेख यथाक्रम नदी ,समुद्र ,पर्वत तथा न्याय के अधिष्ठात्री देवता के रूप में हुआ है । कनान प्रदेश से ही कालान्तरण में सैमेटिक हिब्रु परम्पराओं का विकास हुआ था ।  स्वयम् कनान शब्द भारोपीय है , केन्नाइटी भाषा में कनान शब्द का अर्थ होता है मैदान अथवा जड्•गल यूरोपीय कोलों अथवा कैल्टों की भाषा पुरानी फ्रॉन्च में कनकन (Cancan)आज भी जड्.गल को कहते हैं । और संस्कृत भाषा में कानन =जंगल सर्वविदित ही है। परन्तु कुछ बाइबिल की कथाओं के अनुसार कनान एक पूर्व पुरुष था --जो  हेम (Ham)की परम्पराओं में एनॉस का पुत्र था। जब कैल्ट जन जाति का प्रव्रजन (Migration) बाल्टिक सागर से भू- मध्य रेखीय क्षेत्रों में हुआ। तब मैसॉपोटामिया की संस्कृतियों में कैल्डिया के रूप में इनका विलय  हुआ । तब यहाँ जीव सिद्ध ( जियोसुद्द )अथवा नूह के रूप में मनु की किश्ती और प्रलय की कथाओं की रचना हुयी । और तो क्या ? यूरोप का प्रवेश -द्वार कहे जाने वाले ईज़िया तथा क्रीट ( Crete ) की संस्कृतियों में मनु आयॉनिया लोगों के आदि पुरुष माइनॉस् (Minos)के रूप में प्रतिष्ठित हए। भारतीय संस्कृति की पौराणिक कथाऐं इन्हीं घटनाओं ले अनुप्रेरित हैं। _________________________________________ भारतीय पुराणों में मनु और श्रृद्धा का सम्बन्ध वस्तुत: मन के विचार (मनन ) और हृदय की आस्तिक भावना (श्रृद्धा ) के मानवीय-करण (personification) रूप है । शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु को श्रृद्धा-देव (श्रृाद्ध -देव) कह कर सम्बोधित किया है। तथा बारहवीं सदी में रचित श्रीमद्भागवत् पुराण में वैवस्वत् मनु तथा श्रृद्धा से ही मानवीय सृष्टि का प्रारम्भ माना गया है। 👇 सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में " मनवे वै प्रात: "वाक्यांश से घटना का उल्लेख आठवें अध्याय में मिलता है। सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु को श्रृद्धा-देव कह कर सम्बोधित किया है।👇 --श्रृद्धा देवी वै मनु (काण्ड-१--प्रदण्डिका १) श्रीमद्भागवत् पुराण में वैवस्वत् मनु और श्रृद्धा से मानवीय सृष्टि का प्रारम्भ माना गया है-- 👇 "ततो मनु: श्राद्धदेव: संज्ञायामास भारत श्रृद्धायां जनयामास दशपुत्रानुस आत्मवान"(9/1/11) ---------------------------------------------------------------   छन्दोग्य उपनिषद में मनु और श्रृद्धा की विचार और भावना रूपक व्याख्या भी मिलती है। "यदा वै श्रृद्धधाति अथ मनुते नाSश्रृद्धधन् मनुते " __________________________________________ जब मनु के साथ प्रलय की घटना घटित हुई तत्पश्चात् नवीन सृष्टि- काल में :– असुर (असीरियन) पुरोहितों की प्रेरणा से ही मनु ने पशु-बलि दी थी। " किल आत्आकुलीइति ह असुर ब्रह्मावासतु:। तौ हो चतु: श्रृद्धादेवो वै मनु: आवं नु वेदावेति। तौ हा गत्यो चतु:मनो वाजयाव तु इति।। असुर लोग वस्तुत: मैसॉपोटमिया के अन्तर्गत असीरिया के निवासी थे। सुमेर भी इसी का एक अवयव है । अत: मनु और असुरों की सहवर्तीयता प्रबल प्रमाण है मनु का सुमेरियन होना । बाइबिल के अनुसार असीरियन लोग यहूदीयों के सहवर्ती सैमेटिक शाखा के थे। सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु की वर्णित कथा हिब्रू बाइबिल में यथावत है --- देखें एक समानता ! 👇👇👇👇 हिब्रू बाइबिल में नूह का वर्णन:-👇 बाइबिल उत्पत्ति खण्ड (Genesis)- "नूह ने यहोवा (ईश्वर) कहने पर एक वेदी बनायी ; और सब शुद्ध पशुओं और सब शुद्ध पक्षियों में से कुछ की वेदी पर होम-बलि चढ़ाई।(उत्पत्ति-8:20) ।👇 __________________________________________ " And Noah builded an alter unto the Lord Jehovah and took of the every clean beast, and of every clean fowl or birds, and offered ( he sacrificed ) burnt offerings on the alter _________________________________________ Genesis-8:20 in English translation... ------------------------------------------------------------------- हृद् तथा श्रृद्  शब्द वैदिक भाषा में मूलत: एक रूप में ही हैं ; रोम की सांस्कृतिक भाषा लैटिन आदि में क्रेडॉ "credo" का अर्थ :--- मैं विश्वास करता हूँ । तथा क्रिया रूप में credere---to believe लैटिन क्रिया credere--- का सम्बन्ध भारोपीय धातु  "Kerd-dhe" ---to believe से है । साहित्यिक रूप इसका अर्थ "हृदय में धारण करना –(to put On's heart-- पुरानी आयरिश भाषा में क्रेटिम cretim रूप  वेल्स भाषा में (credu ) और संस्कृत भाषा में श्रृद्धा(Srad-dha)---faith, इस शब्द के द्वारा सांस्कृतिक प्राक्कालीन एक रूपता को वर्णित किया है । __________________________________________ श्रृद्धा का अर्थ :–Confidence, Devotion आदि हार्दिक भावों से है । प्राचीन भारोपीय (Indo-European) रूप कर्ड (kerd)--हृदय है । ग्रीक भाषा में श्रृद्धा का रूप "Kardia" तथा लैटिन में "Cor " है । आरमेनियन रूप ---"Sirt" पुरातन आयरिश भाषा में--- "cride" वेल्स भाषा में ---"craidda" हिट्टी में--"kir" लिथुअॉनियन में--"sirdis" रसियन में --- "serdce" पुरानी अंग्रेज़ी --- "heorte". जर्मन में --"herz" गॉथिक में --hairto " heart" ब्रिटॉन में---- kreiz "middle" स्लेवॉनिक में ---sreda--"middle .. यूनानी ग्रन्थ "इलियड तथा ऑडेसी "महा काव्य में प्राचीनत्तम भाषायी साम्य तो है ही देवसूचीयों मेंभी साम्य है । आश्चर्य इस बात का है कि ..आयॉनियन भाषा का शब्द माइनॉस् तथा वैदिक शब्द मनु: की व्युत्पत्तियाँ (Etymologies)भी समान हैं। जो कि माइनॉस् और मनु की एकरूपता(तादात्म्य) की सबसे बड़ी प्रमाणिकता है। क्रीट (crete) माइथॉलॉजी में माइनॉस् का विस्तृत विवेचन है, जिसका अंग्रेजी रूपान्तरण प्रस्तुत है ।👇 ------------------------------------------------------------- Minos and his brother Rhadamanthys जिसे भारतीय पुराणों में रथमन्तः कहा है । And sarpedon wereRaised in the Royal palace of Cnossus-... Minos Marrieged pasiphae- जिसे भारतीय पुराणों में प्रस्वीः प्रसव करने वाली कहा है ! शतरूपा भी इसी का नाम था यही प्रस्वीः या पैसिफी सूर्य- देव हैलिअॉस् (Helios) की पुत्री थी। क्यों कि यम और यमी भाई बहिन ही थे । जिन्हें मिश्र की संस्कृतियों में पति-पत्नी के रूप में भी वर्णित किया है ।🌸🏯🏯🗾🗾 3000 ईसा पूर्व। इतिहास------500 ईसा पूर्व, पौराणिक और अतिरंजित दावों ने मेनस को एक संस्कृति नायक बना दिया था। और उसके बारे में जो कुछ भी जाना जाता है, वह बहुत बाद के समय से आता है। प्राचीन परम्पराओं में मेनस को ऊपरी और निचले मिस्र को एक ही राज्य में एकजुट होने का सम्मान दिया गया था । और प्रथम वंश का पहला राजा बनने के लिए। यद्यपि उनका नाम रॉयल एनलल्स (काहिरो स्टोन और पलेर्मो स्टोन) के मौजूदा टुकड़ों पर नहीं दिखाई देता है, जो अब एक खंडहर राजा की सूची है जो पांचवीं राजवंश के दौरान एक तार पर बना था। वह आमतौर पर बाद के स्रोतों में मिस्र के पहले मानव शासक के रूप में प्रकट होता है, सीधे देवता के देवता से सिंहासन विरासत में ले जाता है। वह दूसरे में, बहुत बाद में, राजा की सूचियों में भी प्रकट होता है, हमेशा मिस्र के पहले मानव फिरौन के रूप में। पुरुष भी Hellenistic अवधि के डेमोटिक उपन्यासों में प्रकट होता है, यह दर्शाते हुए, यहां तक ​​कि देर भी, उन्हें महत्वपूर्ण आंकड़ा माना जाता है। प्राचीन मिस्र के अधिकांश इतिहास के लिए मेनस को संस्थापक व्यक्ति के रूप में देखा गया था, प्राचीन रोम में रोमुलुस के समान। मेनेथो का रिकॉर्ड है कि मेनस "सेना के सामने सेना की अगुवाई करते हैं और महान महिमा जीते हैं"।   राजधानी --- मैनेथो थिनिस शहर को प्रारम्भिक राजवंश काल के साथ और विशेष रूप से, मेनस, थिनिस के "थांत" या देशी का सहयोग करता है।  हेरोडोटस ने मानेतो को यह कहते हुए विरोधाभास किया कि मेनिस ने अपनी राजधानी  के रूप में नील नदी के मार्ग को हटाने के बाद एक लेवी के निर्माण के जरिए अपनी राजधानी  की स्थापना की। मेनेफिस मेनेस के बेटे, एथोथिस  को मैनेफिस के निर्माण के बारे में माना जाता है और तीसरा वंश "मेम्फिट" से पहले कोई भी फिरौन नहीं बुलाता है। हेरोडोटस और मेनेफिस की नींव की मानितो की कहानियों का शायद बाद में आविष्कार हुआ है: 2012 में मेइफिस की यात्रा का उल्लेख इरी-हो्र- जो कि ऊपरी मिस्र के राजा के नाम से जाना जाता था, सिनाई प्रायद्वीप में पाया गया था, यह पता चलता है कि शहर पहले से ही 32 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अस्तित्व में है। मान्नस,(Manus) जर्मनिक पौराणिक कथाओं में पैतृक आकृति मिनोस, क्रेते का राजा, ज़ीउस और यूरोपा के बेटे मनु (हिंदू धर्म), मानवता के उत्पत्ति Nu'u, हवाईयन पौराणिक चरित्र जो एक सन्दूक बनाया और एक महान बाढ़ से बच Nüwa, चीनी पौराणिक कथाओं में देवी सबसे अच्छा मानव जाति के निर्माण के लिए जाना जाता है नूह मिन (देव) नार्मर होर आहा Thinis मिन (देव) मिन (मिस्र के मण्डु एक प्राचीन मिस्र के देवता हैं जिनके पंथ का राजवंश काल (4 ईस्वी सहस्राब्दी ईसा पूर्व) में उत्पन्न हुआ था। वह कई अलग-अलग रूपों में प्रतिनिधित्व किया गया था, लेकिन सबसे अधिक पुरुष मानव रूप में इसका प्रतिनिधित्व किया जाता था, जो एक स्थायी लिंग के साथ दिखाया जाता है, जिसे वह अपने बाएं हाथ में रखता है और एक दाग़ी बांह को बरकरार रखता है। खेम या मिन के रूप में, वह प्रजनन के देवता थे; खन्नु के रूप में, वह "देवताओं और मनुष्यों के निर्माता" सभी चीजों का निर्माता था। मिन प्रजनन के देवता गहरा चमड़ी प्रजनन भगवान मिन, एक स्थायी लिंग और एक भस्म के साथ चित्रलिपि में नाम प्रमुख पंथ केंद्र कफ्ट, अकुमिम प्रतीक लेट्यूस, फोलस, बैल व्यक्तिगत जानकारी पत्नी Iabet Repit माता पिता आइसिस और ओसीरिस भाई बहन होरस, एंथ्रोपोमोर्फ़िक मिन का वैरिएन्ट चित्रण मिन का पंथ शुरू हुआ और वह ऊपरी मिस्र के कॉप्टस (कोप्टोस) और अक्मीम (पैनोपोलिस) के आसपास केंद्रित था नूह की जल प्रलय की कथा - नूह यह लेख बाइबिल नूह के बारे में है। इब्राहीम धर्मों में, नूह  (/noʊ.ə/) पूर्व-बाढ़ पितृसत्ताओं का दसवां और अंतिम था। नूह के सन्दूक की कहानी को बाइबिल की उत्पत्ति खण्ड में बाढ़ की कथा के रूप में बताया गया है। बाइबिल खाते के बाद कनान के अभिशाप की कहानी है नूह डैनियल मैक्लिज़ द्वारा नूह के बलिदान की कहानी यहूदी धर्म में है  यही कहानी ईसाई धर्म ,इस्लाम मैनडेस्म बहाई आस्था उत्पत्ति की पुस्तक के अतिरिक्त, नूह का उल्लेख फर्स्ट बुक ऑफ क्रॉनिकल्स में ओल्ड टेस्टामेंट और टोबिट, बुद्धि, सिराख, यशायाह, यहेजकेल, 2 एस्ड्रास, 4 मकाबीज़ की किताबों में भी पायी जाती है; नए नियम में, उनका उल्लेख मैथ्यू के सुसमाचार, और ल्यूक, इब्रियों को पत्र, 1 पतरस और 2 पतरस नूह कुरान (सूरत 71, 7, 1, और 21) सहित बाद में है । अब्राहम धर्मों के साहित्य में नूह बहुत विस्तार का विषय था। बाइबिल खाता--- 12 वीं शताब्दी के विनीशियन मोज़ेक चित्रण ने कबूतर को भेजते हुए बाइबिल में नूह के प्राथमिक खाते में उत्पत्ति की पुस्तक में है । नूह पूरब बाढ़ का दसवां हिस्सा था (एन्दिलुवायन) पैट्रिआर्क। उनके पिता लामेच थे और उनकी मां अज्ञात थी।   जब नूह पांच सौ वर्ष का था, तो वह शेम, हैम और याफथ (उत्पत्ति 5:32) का पिता बन गया। उत्पत्ति बाढ़ की कहानी :–👇 उत्पत्ति बाढ़ की कहानी बाइबिल में उत्पत्ति की किताब में अध्याय 6-9 तक है। मानवीय संस्कृतियों में पाए जाने वाले बाढ़ के कई मिथकों में से एक यह इंगित करता है कि ईश्वर का उद्देश्य धरती को पूर्व अवस्थित अव्यवस्था की धरती पर मानवता के अपराधों की वजह से बाढ़ करके और नूह के सन्दूक की सूक्ष्मता का उपयोग करके रीमेक (पुनर्निर्माण)करने के लिए पृथ्वी को वापस करने का इरादा है। इस प्रकार, बाढ़ कोई सामान्य अतिप्रवाह नहीं थी, लेकिन सृजन का उत्क्रमण था । कथा मानव जाति की बुराई पर चर्चा करती है जो परमेश्वर को बाढ़ के रास्ते से दुनिया को नष्ट करने, कुछ जानवरों, नूह और उनके परिवार के लिए सन्दूक की तैयारी करने और जीवन की निरन्तर अस्तित्व के लिए भगवान की गारंटी इस वादे के तहत की गयी क्रिया-विशेषण है । कि वह कभी भी एक अन्य बाढ़ नहीं भेजेगा। बाढ़ के बाद--- वाचा (बाइबिल) § नयी वाचा बाढ़ के बाद, नूह ने परमेश्वर को होमबलियों की पेशकश की, जिन्होंने कहा: "मैं मनुष्य के लिए फिर से धरती पर शाप नहीं करूंगा, क्योंकि मनुष्य के मन की कल्पना करना उसकी जवानी से बुरा है; मैं फिर से हर किसी को नहीं मारूंगा काम जीवित है, जैसा मैंने किया है। " (8: 20-21) "और ईश्वर ने नूह और उसके पुत्रों को आशीष दी, और उनसे कहा, फलदायी रहो, और गुणा करो और पृथ्वी को फिर से भर दो।" (9: 1) उन्हें यह भी बताया गया था कि सभी पक्षी, भूमि जानवर और मछलियां उनसे डरेंगे। इसके अलावा, हरे-भरे पौधों के अलावा, हर चलती बात उनके भोजन का अपवाद होगा कि खून खाने के लिए नहीं किया गया था। मनुष्य के जीवन का खून जानवरों से और मनुष्य से होगा। "जो कोई मनुष्य का खून बहाएगा, मनुष्य के द्वारा उसका लोहू बहाया जाएगा; क्योंकि परमेश्वर की छवि में उसने मनुष्य बनाया है।" (9: 6) एक इंद्रधनुष जिसे "मेरा धनुष" कहा जाता है, को "मेरे और तुम्हारे बीच और जीवित प्राणियों के बीच जो सदा पीढ़ियों के लिए" है, (9: 2-17) एक वाचा का संकेत दिया गया था। नूहिक वाचा या इंद्रधनुष वाचा कहा जाता है बाढ़ के 9 50 साल की उम्र में, नूह की मृत्यु 350 साल बाद हुई, बहुत लंबे समय से जीवित एन्डीडेल्यूयन पैट्रिआर्क के अंतिम अधिकतम मानव जीवनकाल, जैसा कि बाइबल द्वारा दर्शाया गया है, । उसके बाद तेज़ी से लगभग 1,000 वर्षों से मूसा के 120 वर्ष तक कम हो जाता है। नूह का मद्यपान :– नूह के नशे की लत, हेम ने नूह, नोह को कवर किया है, कनान शापित है। एगर्टन उत्पत्ति बाढ़ के बाद, बाइबल कहती है कि नूह एक कृषक बन गया और उसने एक दाख की बारी लगाई। वह इस विनीअर से बना शराब पिया, और नशे में मिला; और अपने तम्बू के भीतर "खुला" कनान के पिता नूह के बेटे हाम ने अपने पिता को नग्न देखा और अपने भाइयों को बताया, जो हाम के पुत्र कनान को नूह ने शाप दिया था। शास्त्रीय युग की शुरुआत में, उत्पत्ति 9: 20-21 पर टिप्पणीकारों ने नूह के अत्यधिक पीने को माफ कर दिया है क्योंकि उन्हें पहली बार शराब पीने वाला माना जाता था; शराब के सुखदायक, सांत्वना और उत्साहजनक [स्वर] प्रभावों को खोजने वाला पहला व्यक्ति नूह था । कांस्टेंटिनोपल के आर्कबिशप और एक चर्च फादर जॉन क्रिसोजोस्टम ने 4 वीं शताब्दी में लिखा था कि नूह के व्यवहार की रक्षा योग्य है: जैसा कि पहला इंसान शराब का स्वाद लेता है। उसे इसके प्रभावों का पता नहीं होता: "उचित मात्रा में अज्ञानता और अनुभवहीनता के कारण, एक नशे में धुंधला हो गया। "फिली,जो एक हेलेनिस्टिक यहूदी दार्शनिक था उसने नोह को यह भी ध्यान में रखते हुए कहा था कि कोई दो अलग-अलग शिष्टाचारों में पी सकता है: (1) अधिक से अधिक शराब पीने, एक बुरे दुष्ट व्यक्ति के लिए एक अजीब पाप या (2) बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में शराब का सेवन करने के लिए , नूह बाद का था। यहूदी परंपरा और नबी पर रब्बी संबंधी साहित्य में, रब्बी शराब के मादक गुणों के लिए शैतान को दोषी ठहराते हैं। हाम का अभिशाप मुख्य लेख: हाम का अभिशाप नूह ने गुस्ताव डोरे द्वारा हाम को शाप दिया मनोवैज्ञानिक बाइबिल की आलोचना के क्षेत्र में, जे एच. एलन और डब्लू. जी. रोलिंस ने उत्पत्ति 9: 18-27 की उत्पत्ति को संबोधित किया है जो नूह और हैम के बीच होने वाले अपरंपरागत व्यवहार का वर्णन करता है। इसकी संक्षिप्तता और शाब्दिक असंगतताओं के कारण, यह सुझाव दिया गया है कि यह कथा "अधिक महत्वपूर्ण कथाओं से छद्म" है।   एक फुलर खाता समझाता है कि हैम ने अपने पिता के साथ क्या किया था, या नूह ने कथित तौर पर हाम के अपराध के लिए शाप का निर्देशन किया या नूह को यह पता चला कि क्या हुआ। Narrator दो तथ्यों से संबंधित है: (1) नूह नशे में हो गए और "वह अपने तम्बू के भीतर खुला हुआ" था, और (2) हाम ने "अपने पिता की नग्नता को देखा और अपने दो भाइयों को बिना" बताया। इस प्रकार, ये अनुच्छेद अन्य हिब्रू बाइबिल ग्रंथों जैसे हबक्कूक 2:15 और विलाप 4:21 के मुकाबले लैंगिकता और जननांग के संपर्क में घूमते हैं। राष्ट्रों की तालिका शेम, हैम, और याफेथ के वंशज के फैलाव (1854 की ऐतिहासिक पाठ्यपुस्तक और बाइबिल भूगोल के एटलस से नक्शा) यह भी देखें: नूह के पुत्र उत्पत्ति 10 ने शेम, हैम, और याफेथ के वंश को आगे बढ़ाया, जिनसे राष्ट्र ने बाढ़ के बाद धरती पर विभाजन किया। जैफथ के वंश में समुद्री राष्ट्र थे (10: 2-5) हाम के पुत्र कुश को निम्रोद नाम का एक बेटा था। जो पृथ्वी पर पहले व्यक्ति बन गया था, एक शक्तिशाली शिकारी, बाबुल में राजा और शिनार देश था। (10: 6-10) वहां से अश्शूर चला गया और निनवे बनाया। (10: 11-12) कनान के वंशज सिदोन, हेथ, यबूसी, एमोरियों, गिरगेशियों, हिवाइयों, अर्खियों, सिनीतियों, अरविदियों, ज़मेरियों और हमाती के लोग सीदोन से फैलकर गरार तक पहुंचे । गाजा के पास, और जहाँ तक सदोम और गमोरा तक (10: 15-19) ___________________________________________ अबीर सैमेटिक संस्कृतियों से सम्बद्ध हैं । शेम के वंश में एबर था (10:21) उत्पत्ति 5 और 11 में सेट की गई ये वंशावली अलग-अलग हैं। यह एक खंड या ट्रेयल की संरचना है, जो एक पिता से कई वंश तक जा रहा है। यह अजीब बात है कि तालिका, जो यह मानती है कि आबादी को पृथ्वी के बारे में बांटा गया है, इससे पहले बाबेल के टॉवर के खाते से पहले कहा गया है कि सभी जनसंख्या एक स्थान पर पहुंचने से पहले एक ही स्थान पर है। वंश वृक्ष---एडम ईव कैन हाबिल सेठ एनोह एनोस IRAD केनन Mehujael महललेल मतूशाएल जारेड आदा लेमेक Zillah एनोह जबाल Jubal ट्यूबल-कैन नामा Methuselah इस्लाम --- मुख्य लेख: इस्लाम में नूह 16 वीं शताब्दी के मुग़ल लघु में नूह का एक इस्लामी चित्रण। नूह के सन्दूक और जुबदत-अल तवारीख से बाढ़ नूह इस्लाम में एक अति महत्वपूर्ण व्यक्ति है । और सभी भविष्यवक्ताओं के सबसे महत्वपूर्ण में से एक के रूप में देखा जाता है। कुरान में 28 अध्यायों में नूह या नूए के 43 संदर्भ हैं, और सत्तर-प्रथम अध्याय, सूरतुर नू (अरबी: سورة نوح) उसके नाम पर रखा गया है। उनके जीवन की टिप्पणियों और इस्लामी किंवदंतियों में भी बात की गई है। नूह के वर्णन बड़े पैमाने पर उनके उपदेश और जलप्रलय की कहानी को कवर करते हैं। नूह की कहानी ने  भविष्यवाणियों की कई कहानियों के लिए प्रोटोटाइप निर्धारित किया है, जो भविष्यवक्ता के साथ शुरू होता है, अपने लोगों को चेतावनी देते हैं और फिर समुदाय ने संदेश को खारिज कर दिया और सजा का सामना किया। नूह के इस्लाम में कई खिताब हैं, मुख्यतः कुरान में उसके लिए प्रशंसा पर आधारित है, जिसमें "ईश्वर के सच्चे मैसेंजर" (XXVI: 107) और "ईश्वर की अनुग्रहक सेवक" (XVII: 3) शामिल हैं। कुरान नूह के जीवन से कई अन्य उदाहरणों पर केंद्रित है, और सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक बाढ़ है भगवान नूह के साथ एक वाचा बनाता है जैसा उसने अब्राहम, मूसा, यीशु और मुहम्मद के साथ किया  (33: 7)। नूह को बाद में उनके लोगों ने निंदा की और उनके द्वारा अपमानित एक मात्र मानव दूत होने के लिए किया था, न कि स्वर्गदूत (10: 72-74)। इसके अलावा, लोग नूह के शब्दों का मज़ाक उड़ाते हैं और उन्हें झूठा कहते हैं (7:62), और वे यह भी सुझाव देते हैं कि नूह एक शैतान के पास है, जब भविष्यवक्ता उपदेश (54: 9) समुदाय में केवल सबसे कम लोग परमेश्वर के संदेश (11: 2 9) में विश्वास करते हुए नूह में शामिल होते हैं, और नूह की कहानी आगे बताती है कि वह निजी और सार्वजनिक दोनों में प्रचार कर रहा है। नूह ने ईश्वर से प्रार्थना की, "हे भगवान, भूमि से निंदकों के एक ही परिवार को न छोड़ो / यदि आप उन्हें छोड़ दें तो वे तेरे दासों को धोखा दे देंगे और केवल पापी, काफिरों को जन्म देंगे।" कुरान वर्णन करता है कि उसके लोगों ने अपने संदेश में विश्वास करने और चेतावनी सुनने के बाद नूह को सन्दूक बनाने के लिए रहस्योद्घाटन किया। कथा कहती है कि आकाश से जल डाला जाता है, सभी पापीयों को नष्ट कर। यहां तक ​​कि उनके बेटों में से एक ने उसे अस्वीकार कर दिया, पीछे रह गया, और डूब गया। कुरान में, नूह के मूल रूप से चार पुत्र थे, लेकिन उनका नाम नहीं दिया गया। बाढ़ के समाप्त होने के बाद, सन्दूक पर्वत जदी (कुरान 11:44) के ऊपर स्थित था। इसके अलावा, इस्लामी मान्यताओं ने नवा के विचार से इनकार किया कि वह शराब पीने वाला पहला व्यक्ति है और ऐसा करने के बाद के  अनुभव करता है। कुरान 29:14 कहता है कि नूह उन लोगों के बीच रह रहा था, जिन्हें 9 50 साल तक बाढ़ शुरू होने पर भेजा गया था। और (वास्तव में, हमने बहुत समय पहले) हमने नूह को अपने लोगों के पास भेजा, और वह उनके बीच एक हजार साल पचास बार पलटा। और फिर बाढ़ ने उन्हें अभिभूत कर दिया जबकि वे अभी भी अपमानित हो गए। कुरान की अहमदिया समझ के अनुसार, कुरान में वर्णित अवधि उनके आचरण की आयु है, जो इब्राहिम (इब्राहीम, 950 वर्ष) के समय तक विस्तारित है। पहले 50 साल आध्यात्मिक प्रगति के वर्षों थे, जिसके बाद नूह के लोगों की आध्यात्मिक गिरावट आई थी। रहस्यवादी नूह परम्परा--- लेमेक नूह शेम जांघ येपेत कथा विश्लेषण वृत्तचित्र परिकल्पना के अनुसार, उत्पत्ति सहित बाइबल (Pentateuch / Torah) की पहली पांच पुस्तकें, चार मुख्य स्रोतों से 5 वीं शताब्दी ई.पू. के दौरान समाहित हुईं, । जो खुद 10 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से पहले की थीं। इनमें से दो, जाहिविस्ट, जो 10 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बना हुआ है, और 7 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के सातवें शताब्दी से पुजारी स्रोत, नूह के विषय में उत्पत्ति के अध्यायों को बनाते हैं। पांचवीं शताब्दी के संपादक द्वारा दो स्वतंत्र और कभी-कभी विवादित स्रोतों को समायोजित करने का प्रयास ऐसे मामलों पर भ्रम के लिए होता है जैसे नूह ने कितने जानवरों को ले लिया और बाढ़ कितनी देर तक चला। "द ऑक्सफ़ोर्ड इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ द बुक्स ऑफ द बाइबिल नोट्स" कहता है कि यह कहानी ईडन की गार्डन के कुछ हिस्सों को लुभाती है: नूह पहला विंटर है, जबकि आदम पहला किसान है; दोनों अपने उपज के साथ समस्याएं हैं; दोनों कहानियों में नग्नता शामिल है; और दोनों एक भाई के बीच एक विभाजन शामिल है जो शाप के लिए अग्रणी है। हालांकि, बाढ़ के बाद, कहानियां अलग होती हैं। नूह ने दाख की बारी का बाग लगाया और अभिशाप का इस्तेमाल किया, भगवान नहीं, इसलिए "भगवान कम शामिल है"। अन्य खाते -- नूह कई गैर-प्रामाणिक पुस्तकों में प्रकट होता है Pseudepigrapha-- - जुबलीज़ की पुस्तक नूह को बताती है और कहती है कि उसे एक स्वर्गदूत द्वारा इलाज की कला सिखाई गई ताकि उसके बच्चे "पहरेदारों की संतान" को पार कर सके। हनोक की किताब (जो रूढ़िवादी टेवाहेदो बाइबिल कैनन का हिस्सा है) के 10: 1-3 में, "उच्चतम" द्वारा उरीएल को "नदियों" के नूह को सूचित करने के लिए भेजा गया था। पुराने ज़माने की यहूदी हस्तलिपियाँ---मृत सागर स्क्रॉल मृत सागर स्क्रॉल के 20 या तो टुकड़े हैं जो नूह का उल्लेख करते हैं। लॉरेन्स शफीमैन लिखते हैं, "मृत सागर स्क्रॉल में इस किंवदंती के कम से कम तीन अलग-अलग संस्करणों को संरक्षित किया गया है।" विशेष रूप से, "उत्पत्ति एपोक्रीफोन ने नूह के लिए काफी स्थान दिया है।" हालांकि, "सामग्री में उत्पत्ति 5 के साथ बहुत कम प्रतीत होता है जो नूह के जन्म की रिपोर्ट करता है।" इसके अलावा, नूह के पिता को चिंतित होने की खबर है कि उनके बेटे वास्तव में एक पहरेदारों द्वारा पैदा हुए थे। तुलनात्मक पौराणिक कथाओं मुख्य लेख: बाढ़ मिथक भारतीय और यूनानी बाढ़-मिथक भी मौजूद हैं, हालांकि इसमें थोड़ा सबूत नहीं हैं कि वे मेसोपोटेमियन बाढ़-मिथक से उत्पन्न हुए थे जो कि बाइबिल के खाते में शामिल हैं। _________________________________________ मनु विश्व संस्कृतियों में -:-यादव योगेश कुमार "रोहि" मेसोपोटेमिया पेंटाट्यूच की नूह की कहानी 2000 ईसा पूर्व के बारे में रचित मिसाओपोटैमियन एपिक ऑफ गिलगाम्स में बाढ़ की कहानी के समान है। बाढ़ के दिनों की संख्या, पक्षियों का क्रम और पहाड़ का नाम जिस पर सन्दूक रहता है, कुछ भिन्नताएं उत्पत्ति 6-8 में बाढ़ की कहानी गिलगमेश बाढ़ की मिथक से इतनी बारीकी से है कि "कुछ संदेह है कि यह [मेसोपोटामियन अकाउंट से निकला है] विशेष रूप से क्या देखा जा सकता है कि उत्पत्ति की बाढ़ की कहानी गिलगामेश बाढ़ की कहानी " बिंदु से और उसी क्रम में ", तब भी जब कहानी अन्य विकल्प परमिट देती है। सबसे प्रारंभिक लिखित बाढ़ मिथक मेसोपोटामिया के महाकाव्य अतारहसिस और गिल्गामेश ग्रंथों के महाकाव्य में पाया जाता है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका का कहना है, "ये पौराणिक कथाएं बाइबिल की बाढ़ की कहानी की ऐसी सुविधाओं का स्रोत हैं जो कि सन्दूक की इमारत और प्रावधान, जल के प्रवाह और पानी की घटिया, साथ ही मानव नायक द्वारा निभाई गई भूमिका के रूप में है।" एनसाइक्लोपीडिया जुडाका ने कहा कि एक मजबूत सुझाव है कि "एक मध्यवर्ती एजेंट सक्रिय था। लोगों को यह भूमिका पूरी करने की सबसे अधिक संभावना हुरियस हैं, जिनके इलाके में हारान शहर शामिल थे, जहां कुलपति अब्राहम की जड़ों की थी। Hurrians बेबीलोनिया से बाढ़ कहानी विरासत में मिला "। विश्वकोश कहानियों के बीच एक और समानता का उल्लेख करता है: नूह दसवें कुलपति और बोरसस नोट्स है कि "महान बाढ़ का नायक बैबलोनीय का दसवां ऐन्थिल्लूवियन राजा था।" हालांकि, नायकों की उम्र में एक विसंगति है मेसोपोटामिया के पूर्वजों के लिए, "एन्डिल्टीयुआन किंग्स के शासनकाल 18,600 से लेकर 65,000 वर्ष तक हैं।" बाइबिल में, जीवनशैली "संबंधित मेसोपोटेमियन ग्रंथों में उल्लिखित संक्षिप्त शासन से बहुत कम है।" इसके अलावा नायक का नाम परंपराओं के बीच अलग-अलग है: "सुमेरियन भाषा में लिखी जाने वाली सबसे पुरानी मेसोपोटामिया के बाढ़ के खाते, जलमग्न नायक ज़ियुसुद्र को कहते हैं।" माना जाता है कि गिल्गामेश के ऐतिहासिक शासन को लगभग 2700 ई०पू० हो गया  सबसे पहले ज्ञात लिखित कहानियों से पहले ही माना जाता है। आगा के साथ जुड़े कलाकृतियों की खोज और कीश के एनमेबेर्जेसी, कहानियों में नामित दो अन्य राजाओं ने गिलगाम्स के ऐतिहासिक अस्तित्व में विश्वसनीयता की शुरुआत की है। जल्द से जल्द सुमेरियन गिलगामेस कविताओं की शुरुआत उर (2100-2000 ईसा पूर्व) के तीसरे वंश के रूप में हुई थी। इन कवियों में से एक ने गिलगाम्स की बाढ़ के नायक से मिलने की यात्रा का उल्लेख किया है। साथ ही बाढ़ की कहानी का एक छोटा संस्करण भी। एकीकृत महाकाव्य के प्रारंभिक अक्केडियायन संस्करण सीए के लिए दिनांकित हैं। 2000-1500 ईसा पूर्व। इन पुराने बेबीलोन संस्करणों के खंडित प्रकृति के कारण, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या वे बाढ़ की मिथक के विस्तारित खाते में शामिल थे; यद्यपि एक टुकड़ा में निश्चित रूप से गिल्गमेश की यात्रा को उत्ंटिपिश्टीम से मिलने की कहानी शामिल है। "मानक" अक्कादी संस्करण में बाढ़ की कहानी का एक लंबा संस्करण शामिल था । और 1300 और 1000 ईसा पूर्व के बीच में पॉप-लीक-अननीनी द्वारा संपादित किया गया था। सुमेरियन -----सुमेरियन उल्पिपतिम, द एपिक ऑफ गीलगाम्स में एक चरित्र, नूह के समान बाढ़ की कहानी बताता है। इस कहानी में, देवताओं ने पृथ्वी से उठाए हुए शोर से क्रोधित किया है। उन्हें शांत करने के लिए वे मानव जाति को शांत करने के लिए एक महान बाढ़ भेजने का फैसला करते हैं। नूह और उत्न्नापिश्टीम (बाढ़, बाढ़ का निर्माण, जानवरों की मुक्ति, और बाढ़ के बाद पक्षियों की रिहाई) की कहानियों के बीच विभिन्न संबंधों ने इस कहानी को नूह की कहानी के लिए प्रेरणा के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, गिल्गामेंश में उनकी भूमिका नायक को अनन्त जीवन का रहस्य प्रदान करना है, जो तुरंत उष्नापष्टीकरण से जीवन का रहस्य देता है इससे पहले वह तुरंत सो जाता है। _______________________________________ प्राचीन यूनानी -- नूह को अक्सर ग्रीक पौराणिक कथाओं में प्रोमेथियस के बेटे और प्रोनोइया के साथ Deucalion की तुलना की जाती है । नूह की तरह, ड्यूक्यूलियन को बाढ़ की चेतावनी दी गई है (ज़ीउस और पोसीडॉन द्वारा); वह एक सन्दूक बनाता है और इसे प्राणियों के साथ रखता है । - और जब वह अपनी यात्रा को पूरा करता है, तो धन्यवाद देता है और देवताओं से पृथ्वी पर पुनर्जीवित कैसे किया जाता है। ड्यूक्यूलियन भी दुनिया की स्थिति के बारे में जानने के लिए एक कबूतर भेजता है और पक्षी जैतून शाखा के साथ देता है। मिथक के कुछ संस्करणों में,( Deucalion) भी नूह की तरह वाइन का आविष्कार बन जाता है। फिलो  और जस्टिन ने नूह के साथ ड्यूकलियन को समरूप रखा, और जोसेफस ने दुलयन की कहानी का सबूत बताया कि बाढ़ वास्तव में हुई और इसलिए, नूह अस्तित्व में थे। धार्मिक विचार --- यहूदी धर्म -- इन्हें भी देखें: रब्बी के साहित्य में नूह और नच (पारस) नूह के एक यहूदी चित्रण नूह की धार्मिकता रब्बी के बीच बहुत चर्चा का विषय है। नूह का "अपनी पीढ़ी में धर्मी" का वर्णन कुछ लोगों से होता है कि उनकी पूर्णता केवल रिश्तेदार होती है: दुष्ट लोगों की अपनी पीढ़ी में, वह धर्मी माना जा सकता है, लेकिन इब्राहीम की तरह तज़ादी की पीढ़ी में, उन्हें ऐसा नहीं माना जाता न्याय परायण। वे कहते हैं कि नूह ने उन लोगों की ओर से भगवान से प्रार्थना नहीं की थी, जिसे नष्ट किया जाना था, जैसा कि अब्राहम सदोम और अमोरा के दुष्टों के लिए प्रार्थना करता था। वास्तव में, नूह को बोलने के लिए कभी नहीं देखा जाता है; वह केवल भगवान की बात सुनता है और अपने आदेशों पर काम करता है इस तरह के टिप्पणीकारों ने नूह के "एक फर कोट में आदमी" को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसने अपने पड़ोसी की अनदेखी करते हुए अपना आराम सुनिश्चित किया। मध्ययुगीन टीकाकार राशी जैसे अन्य लोगों ने इस बात पर विपरीत धारणा की थी कि सन्दूक का निर्माण 120 साल से बढ़ाया गया था, जानबूझकर पापियों को पश्चाताप करने का समय दिया गया। रशी ने अपने पिता के नूह के नाम (हिब्रू में נֹחַ में) के बयान की व्याख्या करते हुए कहा "यह हमें हमारे काम में और हमारे हाथों की परिश्रमों में (हिब्रू- येनहामैनु इश्मिन में) हमें शान्ति देगा, जो कि जमीन से आए थे जिसे भगवान ने शाप दिया था" कह रही है कि नूह ने समृद्धि का एक नया युग शुरू किया था, जब (हिब्रू में - nahah - נחה) आदम के समय से शाप से था जब धरती का कांटे और काँटे का उत्पादन हुआ जहां भी गेहूं बोया था और नूह हल शुरू किया। यहूदी इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, "उत्पत्ति की पुस्तक में नूह के दो खाते हैं।" सबसे पहले, नूह बाढ़ का हीरो है, और दूसरे में, वह मानव जाति का पिता और एक खेत है जो पहले दाख की बारी लगाया। "इन दोनों कथाओं के बीच चरित्र की असमानता के कारण कुछ आलोचकों का आग्रह है कि बाद के खाते का विषय पूर्व के विषय के समान नहीं था। " शायद बाढ़ के नायक का मूल नाम वास्तव में हनोक था।  एनसाइक्लोपीडिया जुडाईका नोट करता है कि नूह की नशे की लत को दोषपूर्ण व्यवहार के रूप में प्रस्तुत नहीं किया गया है बल्कि, "यह स्पष्ट है कि ... अंगूर की खेती में नूह का उपक्रम, इजरायल के कनानी पड़ोसियों के अपराध के लिए सेटिंग प्रदान करता है।" यह हाम था जिसने अपने पिता की नग्नता को देखते हुए अपराध किया था। फिर भी, "नूह के अभिशाप ... अजीब तरह से अपमानजनक हाम के बजाय कनान के लिए है।" (पृष्ठ 288) ईसाई धर्म --- एक शुरुआती ईसाई चित्रण ने नूह को कबूतर के रिटर्न के रूप में भाषण देने का संकेत दिया 2 पतरस 2: 5 नूह को "धर्म के प्रचारक" के रूप में दर्शाता है। मैथ्यू की सुसमाचार और ल्यूक की सुसमाचार में, यीशु ने नूह की बाढ़ को न्याय के आने वाले दिन के साथ तुलना किया: "जैसे ही नूह के दिनों में था, वैसे ही यह मनुष्य के पुत्र के आने के दिनों में होगा। क्योंकि बाढ़ से पहले लोग खा रहे थे, पीते थे, शादी करते थे, और नूह ने सन्दूक में प्रवेश किया था, और उन्हें नहीं पता था कि जब तक बाढ़ आती है और सब कुछ दूर नहीं ले जाती, तब तक क्या होगा। यह मनुष्य के पुत्र के आने पर होगा। पतरस की पहली पत्री बपतिस्मा की बचत शक्ति की तुलना करती है, जो सन्दूक को उन लोगों में सहेज कर रखती है जो उसमें थीं। बाद में ईसाई के विचार में, सन्दूक को चर्च से तुलना करना पड़ा: मोक्ष ही मसीह और उसकी प्रभुत्व के भीतर पाया जा सकता था, जैसा कि नूह के समय में यह केवल सन्दूक के अंदर पाया गया था। हिप्पो (354-430) के सेंट अगस्टिन परमेश्वर के शहर में दिखाया गया है कि सन्दूक के आयाम मानव शरीर के आयामों के अनुरूप है, जो मसीह के शरीर से मेल खाती है; आर्क और चर्च का समीकरण अब भी बपतिस्मा के एंग्लिकन संस्कार में पाया जाता है, जो कि भगवान से पूछता है, "तुम्हारी महान दया से कौन नूह को बचाया", चर्च में शिशु को बपतिस्मा लेने के बारे में जानने के लिए। __________________________________________ मध्ययुगीन ईसाई धर्म में, नूह के तीन बेटों को आम तौर पर तीन ज्ञात महाद्वीपों, जैफथ / यूरोप,     शेम / एशिया, और हाम / अफ्रीका के आबादी के संस्थापक के रूप में माना जाता था, हालांकि एक दुर्लभ विविधता यह थी कि वे मध्ययुगीन समाज के तीन वर्गों का प्रतिनिधित्व करते थे - याजकों (शेम), योद्धा (जापान), और किसान (हाम) __________________________________________ मध्ययुगीन ईसाई में सोच था कि, हाम को काले अफ्रीका के लोगों के पूर्वज माना जाता था। इसलिए, जातीयवादी तर्कों में, हाम का अभिशाप काला जातियों की गुलामी के लिए एक औचित्य बन गया। आइजैक न्यूटन -- आइजैक न्यूटन, धर्म के विकास पर अपने धार्मिक कार्यों में, नूह और उनके वंश के बारे में लिखा था। न्यूटन के विचार में, जबकि नूह एक एकेश्वरवादी थे, मूर्तिपूजक पुरातनता के देवताओं की पहचान नूह और उसके वंशजों के साथ की जाती है। "न्यूटन का तर्क है कि नूह अंततः भगवान शनि के रूप में deified है। "न्यूटन इस प्रकार सभी प्राचीन राजनीतिक और धार्मिक इतिहास को वापस नूह और नूह के संतानों के लिए देखता है और साथ में इन नास्तिक देशों में बहुदेववाद और मूर्तिपूजा के उदय का एक ऐतिहासिक विवरण देता है । क्योंकि उनके नेताओं और नायकों के मरणोपरांत देवता के परिणामस्वरूप, बहुविधवादी प्रक्रिया नूह के मूल धर्म में कोर एकेश्वरवादी सच्चाई को पूरी तरह से भ्रष्ट कर देता है। "मॉर्मन धर्मशास्त्र --- मॉर्मन धर्मशास्त्र में, नूह अपने जन्म से पहले, गब्रीएल दूत के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और फिर अपने नश्वर जीवन में कुलपति-नबी नूह के रूप में रहता था। गेब्रियल और नूह को अलग-अलग नामों वाले एक ही व्यक्ति के रूप में माना जाता है। मॉर्मन यह भी मानते हैं कि नूह अपने पृथ्वी पर जीवन के बाद गेब्रियल के रूप में पृथ्वी पर लौटे रहस्यवादी + एक महत्वपूर्ण नोस्टिक पाठ, जॉन का एपोक्रीफोन, रिपोर्ट करता है कि प्रमुख आर्कन ने बाढ़ का कारण बना क्योंकि वह अपने द्वारा बनाई गई दुनिया को नष्ट करना चाहता था, लेकिन पहली चीज ने मुख्य आर्चॉन की योजनाओं के बारे में नूह को सूचित किया और नूह ने शेष मानवता को सूचित किया। उत्पत्ति के विवरण के विपरीत न केवल नूह के परिवार को बचाया गया है, लेकिन कई अन्य लोगों ने नूह के आह्वान की भी परवाह की। इस खाते में कोई सन्दूक नहीं है ऐलेन पैगल्स के मुताबिक, "न केवल नूह, बल्कि अस्थिर दौड़ से कई अन्य लोगों ने भी एक विशेष स्थान पर छिपा दिया। उन्होंने उस जगह में प्रवेश किया और एक उज्ज्वल बादल में छिपा दिया।" _________________________________________ बहाई --- बहाई आस्था सन्दूक और बाढ़ को प्रतीकात्मक मानती है। बहाई की मान्यता में, केवल नूह के अनुयायी आध्यात्मिक रूप से जीवित थे। उनकी शिक्षाओं के सन्दूक में संरक्षित थे, क्योंकि अन्य लोगों की आध्यात्मिक रूप से मृत्यु हो गई थी। बहाई शास्त्र "क़िताब-ई-इकाना "इस्लामी विश्वास का समर्थन करता है कि नूह के सन्दूक पर अपने परिवार के अलावा, 40 या 72 के बहुत से साथी, और 9 500 (प्रतीकात्मक) बाढ़ से पहले सिखाए गए थे। __________________________________________ ग्रीक कथाओं में मनु का रूप :-⛵   मिनोस :- दंत अलिघेरी के इन्फर्नो के लिए गुस्ताव डोरे के राजा मिनोस का उदाहरण ग्रीक पौराणिक कथाओं में मिनोस (/ मैट्स / या / मैट्सन / ग्रीक: Μίνως, मीनोस) क्रेते का पहला राजा, ज़ीउस और यूरोपा के बेटा था । हर 9 सालों में, उन्होंने राजा एज्यूज को सात युवा लड़के और सात युवा लड़कियों को चुना जिसे डीएडलस के निर्माण, भूलभुलैया को भेजा गया, जिसे मिनोतौर ने खाया था। उनकी मृत्यु के बाद, मिनोस अंडरवर्ल्ड में मृतकों का एक न्यायाधीश बन गया। पुरातत्वविद् आर्थर इवांस द्वारा क्रेट के मिनोयन सभ्यता का नाम दिया गया है। अपनी पत्नी, पासफ़े (या कुछ क्रेते (श्रृद्धा )कहते हैं) उन्होंने एरियाडोन, एंड्रोगियस, ड्यूक्यूलियन, फादर, ग्लुक्स, कैट्रेस, एसाकालिस और ज़ीनोडिस का जन्म दिया था । अप्सरा, पारेआ के पास, उसके चार बेटे थे, ईरीडिमोन, नेफलियन, क्रिसिस और फिलोलॉस, जिन्हें हरेकस द्वारा उत्तरार्द्ध के दो साथी की हत्या के बदले मारे गए थे; और डेंसिथेरिया, टेलचिनस में से एक, उनके पास एक बेटा था जो ईक्सेन्थियस था। फास्टस के एन्ड्रोपेंने के द्वारा एस्टरियन था, जिसने क्रीमैन दल को डायोनसस और भारतीयों के बीच युद्ध में आज्ञा दी थी। इसके अलावा उनके बच्चों के रूप में दिया जाता है, ईरियले संभवत: ओरीयन की मां पॉसीइडन के साथ,  और फोलेंगेंडर, द्वीप Pholegandros का उपनाम। मिनोस, अपने भाइयों के साथ, राधामंथी और सरपेडोन, क्रेते के किंग एस्तेरियन (या एस्टरियस) द्वारा उठाए गए थे। जब एस्ट्रियन मर गया, तो उसकी सिंहासन को मिनोस द्वारा दावा किया गया। जिन्होंने सरपेडोन को भगा दिया और कुछ सूत्रों के अनुसार, Rhadamanthys भी शब्द-साधन"मिनोस" को अक्सर "राजा" के लिए क्रितान शब्द के रूप में व्याख्या की जाती है, या, एक उदारवादी व्याख्या द्वारा, एक विशेष राजा का नाम जिसे बाद में एक शीर्षक के रूप में इस्तेमाल किया गया था मिनोअन रैखिक ए मी-न्यू-टी में एक नाम है जो कि मिनोस से संबंधित हो सकता है। ला मार्ले के लिनियर ए के पठन के अनुसार, जिसे अत्यधिक मनमाना के रूप में आलोचना की गई, हमें रैलीयर ए टैबलेट में एमवी-एनयू आरओ-जे (मिनोस द किंग) पढ़ना चाहिए। शाही शीर्षक आरओ-जे कई पन्नों पर पढ़ा जाता है, जिसमें अभयारण्यों से पत्थर की मूर्तियाँ शामिल हैं, जहां यह मुख्य देवता, असिरै (संस्कृत असुर और अवेस्टान अहूर के बराबर) के नाम का अनुसरण करती हैं। __________________________________________ ला मार्ले का सुझाव है कि नाम एमवी-एनयू (मिनोस) का अर्थ है 'संन्यासी' का मतलब संस्कृत मुनि के रूप में है, । और इस विवरण को मिथ्या के बारे में बताता है जिसे कभी कभी क्रेते की गुफाओं में रहना पड़ता है। अगर मिनोअन क्रेते में शाही उत्तराधिकार में रानी से अपनी पहली बेटी तक मातृभाषा-पतित हो गई- रानी का पति मिनोस या युद्ध प्रमुख बन गया होता। कुछ विद्वानों में मिनोस और अन्य प्राचीन संस्थापक-राजाओं के नाम, जैसे कि मिनेज ऑफ़ मिस्र, जर्मनी के मैनुस, और मनु के बीच संबंध,  और यहां तक ​​कि फ्रागिया और लिडा के मेयन (उसके नाम के बाद मेओनीया), मिस्र के मिस्र के उत्पत्ति की पुस्तक में और कनानी देवता बाल मेयन में साम्य स्थापित किया है। साहित्यिक मिनोस --- स्काइला की 17 वीं सदी की उत्कीर्णन मिनोस के साथ प्यार में पड़ रही है मिनोस यूनानी साहित्य में होमर्स के इलियाड और ओडिसी के रूप में नोसोस के राजा के रूप में प्रकट होता है। __________________________________________ थ्यूसडिडेस हमें बताता है कि मिनोस सबसे प्राचीन व्यक्ति थे जो नौसेना बनाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने ट्रेट युद्ध से पहले तीन पीढ़ियों से क्रेते और ईजियन समुद्र के द्वीपों पर राज्य किया। _________________________________________ वह नोसोस में 9 वर्षों की अवधि के लिए रहता था, जहां उन्होंने ज़ीउस से उस कानून में शिक्षा प्राप्त की जिसमें उन्होंने द्वीप को दिया था। अर्थात्‌ मनु ने बृहस्पति से कानून की शिक्षा प्राप्त की । वह क्रितान संविधान के लेखक थे और इसके नौसैनिक वर्चस्व के संस्थापक थे। एथेनियन मंच पर मिनोस एक क्रूर तानाशाह है, मिनोथार को खिलाने के लिए एथेनियन युवकों के श्रद्धांजलि के बेरहम सटीक; दंगा के दौरान अपने बेटे एंड्रोगियस की मृत्यु के लिए बदला (थेसस देखें)। __________________________________________ चीन में मनु की अवधारणा:- बाद में तर्कसंगतता----- nüwa "Nuwa" यहां पुनर्निर्देशित करता है अन्य उपयोगों के लिए, देखें Nuwa  नुउ या नुगुआ चीनी पौराणिक कथाओं की मां देवी है, फूसी की बहन और पत्नी, सम्राट-देवता मानव जाति बनाने और स्वर्ण के स्तंभ की मरम्मत के लिए उन्हें श्रेय दिया जाता है। उसका श्रद्धालु नाम वाहुआंग है (चीनी: 媧 皇; शाब्दिक: "महारानी वा")। Nüwa Nuwa स्वर्ग के खंभे को मरम्मत पारंपरिक चीनी 女媧 सरलीकृत चीनी 女娲 ट्रांसक्रिप्शन स्टैंडर्ड मैंडरिन हनु पिनयिन न्वा वेड-गाइल्स Nü3-WA1 आईपीए Nỳwá यू: केनटोनीज येल रोमनैशन न्युइइवो ज्यूटपिंग Neoi3wo1 दक्षिणी मिन होक्किएन पीओजे लू-ओ मध्य चीनी मध्य चीनी nrɨaX kwue विवरण --- हुएनैनजी नूह से उस समय तक सम्बन्ध करता है जब स्वर्ग और पृथ्वी का रुख हुआ था: "प्राचीन काल में वापस जाना, चार खम्भे टूट गए थे; नौ प्रांत झुंड में थे स्वर्ग पूरी तरह से [पृथ्वी] को कवर नहीं किया; धरती ने [स्वर्ग] को अपने परिधि के चारों तरफ नहीं रखा [इसके परिधि] आग से बाहर नियंत्रण से उड़ा दिया और बुझा नहीं जा सका; पानी महान विस्तार में पानी भर गया और वापस नहीं जाना होगा। क्रूर जानवरों निर्दोष लोगों को खा लिया; शिकारी पक्षियों ने बुजुर्गों और कमजोरों को छीन लिया इसके बाद, नूवा ने पांच रंग के पत्थरों को एक साथ मिलाकर आकाश का पैच बढ़ाया, महान कछुओं के पैरों को काटकर चार स्तंभों के रूप में स्थापित किया, जी प्रांत के लिए राहत प्रदान करने के लिए काले ड्रैगन को मार डाला, और रीड्स को ढेर कर दिया और सिंडर्स को जलते हुए पानी को रोकने के लिए नीला आकाश का पैच था; चार खम्भों की स्थापना की गई; बढ़ते पानी सूखा हुआ था; जी के प्रांत शांत थे; चालाक कीड़े मर गए; निर्दोष लोग [अपने जीवन को संरक्षित रखते हैं] _______________________________________ अनुवादित सन्दर्भ----यादव योगेश कुमार'रोहि'ग्राम आजा़दपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़---उ०प्र० ...

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