मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

"मनु एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य " (भाग प्रथम)

"मनु एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य " (भाग प्रथम)
_________________________________________

यथार्थ के धरातल पर  मनु की ऐतिहासिकता !
मनुस्मृति ,और वर्ण- व्यवस्था के अस्तित्व पर एक वृहद् विश्लेषण •••••••••••
यद्यपि यह एक सांस्कृतिक समीकरण मूलक पर्येष्टि है, जिसमें तथ्य समायोजन भी " यादव योगेश कुमार "रोहि" के सांस्कृतिक अनुसन्धान श्रृंखला की एक कणिका है।
जिनका Whatsapp - सम्पर्क 8077160219•••
है ।

----------------------------------------------------------------

मनु के विषय में सभी धर्म - मतावलम्बी अपने अपने पूर्वाग्रह से ग्रस्त ही हैं ।
भारतीय सन्दर्भों में किसी ने मनु को अयोध्या का आदि- पुरुष कहा  तो किसी ने हिमालय का अधिवासी कहा है !
________________________________________

.परन्तु सत्य के निर्णय निश्पक्षता के सम धरातल पर होते हैं न कि पूर्वाग्रह के ऊबड़ खाबड़ स्थलों पर " -------------------------------------------------------------

विश्व की सभी महान संस्कृतियों में मनु का वर्णन किसी न किसी रूप में अवश्य हुआ है !
परन्तु भारतीय संस्कृति में यह मान्यता अधिक प्रबल तथा पूर्णत्व को प्राप्त है ।
👇👇👇👇
1- प्रथम सांस्कृतिक वर्णन:–
भारतीय पुराणों में मनु का वर्णन:–👇

.पुराणों में वर्णित है कि  मनु ब्रह्मा के पुत्र हैं ;
जो मनुष्यों के मूल पुरुष माने जाते हैं।
विशेष—वेदों में मनु को यज्ञों का आदिप्रवर्तक लिखा है। ऋग्वेद में कण्व और अत्रि को यज्ञप्रवर्तन में मनु का सहायक लिखा है।

शतपथ ब्राह्मण में लिखा है कि मनु एक बार जलाशय में हाथ धो रहे थे; उसी समय उनके हाथ में एक छोटी सी मछली आई।
उसने मनु सें अपनी रक्षा की प्रार्थना की और कहा कि आप मेरी रक्षा कीजिए;
मैं अपकी भी रक्षा करुँगी।
उसने मनु से एक आनेवाली बाढ़ की बात कही और उन्हें एक नाव बनाने के लिये कहा।

मनु ने उस मछली की रक्षा की; पर वह मछली थोड़े ही दिनों में बहुत बड़ी हो गई।
जब बाढ़ आई, मनु अपनी नाव पर बैठकर पानी पर चले और अपनी नाव उस मछली की आड़ में बाँध दी। मछली उत्तर को चली और हिमालय पर्वत की चोटी पर उनकी नाव उसने पहूँचा दी।
वहाँ मनु ने अपनी नाव बाँध दी।
उस बड़े ओघ (जल-प्रलय )से अकेले मनु ही बचे थे। उन्हीं से फिर मनुष्य जाति की वृद्धि हुई।

ऐतरेय ब्राह्यण में मनु के अपने पुत्रों में अपनी सम्पत्ति का विभाग करने का वर्णन मिलता है।
उसमें यह  भी लिखा है कि उन्होंने नाभानेदिष्ठ को अपनी संपत्ति का भागी नहीं बनाया था।

निघंटु में 'मनु' शब्द का पाठ द्युस्थान देवगणों में है ;
और वाजसनेयी संहिता में मनु को प्रजापति लिखा है।

पुराणों और सूर्य््सिद्धान्त आदि ज्योतिष के ग्रन्थों के अनुसार एक कल्प में चौदह मनुओं का अधिकार होता है और उनके उस अधिकारकाल को मन्वन्तर (मनु-अन्तर)कहते हैं।

चौदह मनुओं के नाम ये हैं—(१)स्वायम्। (२)स्वारोचिष्। (३) उत्तम। (४) तामस। (५) रवत।
(६) चाक्षुष। (७) वैवस्वत। (८) सावर्णि। (९) दक्षसावर्णि। (१०) ब्रह्मसावर्णि। (११) धमसावर्णि। (१२) रुद्रसावर्णि। (१३) देवसावर्णि और
(१४) इन्द्रसावर्णि।

वतमान मन्वन्तर वैवस्वत मनु का है।
मनुस्मृति मनु को विराट् का पुत्र लिखा है और मनु से दस प्रजापतिया की उत्पत्ति हुई यह वर्णन है।
उपर्युक्त कथा हिब्रू बाइबिल में वर्णित "नूह" की कथा का प्रतिरूप है ।
--जो सुमेरियन माइथॉलॉजी से संग्रहीत है-
संस्कृत भाषा में मनु शब्द की व्युत्पत्ति !
  मन्यते इति मनु।  मन + “ शॄस्वृस्निहीति । “ उणादि सूत्र १ ।  ११ ।  इति उः  ) 
ब्रह्मणः पुत्त्रः । स च प्रजापतिर्धर्म्मशास्त्रवक्ता च ।
  इति लिङ्गादिसंग्रहे अमरः ॥  मनुष्यः ।  इति शब्द- रत्नावली ॥

(यथा   ऋग्वेदे । ८। ४७। ४।“ मनोर्विश्वस्य घेदिम आदित्याराय ईशतेऽनेहसो व ऊतयः सु ऊतयो व ऊतयः ॥ “  मनोर्भव: मनुष्य ।
इति तद्भाष्ये सायणः ॥
मनु सुमेरियन संस्कृतियों में विकसित माइथॉलॉजीकल अवधारणा है ।
_________________________________________

इसी आधार पर काल्पनिक रूप से ब्राह्मण समाज द्वारा वर्ण-व्यवस्था का समाज पर आरोपण कर दिया गया , जो वैचारिक रूप से तो सम्यक् था परन्तु व्यवहारिक रूप में कभी यथावत् परिणति नही हुआ।

वर्ण व्यवस्था जाति अथवा जन्म के आधार पर दोष-पूर्ण व अवैज्ञानिक ही था ।
... इसी वर्ण-व्यवस्था को ईश्वरीय विधान सिद्ध करने के लिए काल्पनिक रूप से ब्राह्मण - समाज ने मनु-स्मृति की रचना की ।
जिसमें तथ्य समायोजन इस प्रकार किया गया कि स्थूल दृष्टि से कोई बात नैतिक रूप से मिथ्या प्रतीत न हो ।

यह कृति पुष्यमित्र सुंग के अनुयायी सुमित भार्गव (ई०पू०१८४-४८ ) के समकालिक है ।
यह  पुष्य-मित्र सुंग केे निर्देशन में ब्राह्मण समाज द्वारा 'मनु'की रचना मान्य कर दी गयी ।
__________________________________________

परन्तु मनु भारतीय धरा की विरासत नहीं थे ।
और ना हि अयोध्या उनकी जन्म भूमि थी।
वर्तमान में अयोध्या भी थाईलेण्ड में "एजोडिया" के रूप में है ।
सुमेरियन सभ्यताओं में भी अयोध्या को एजेडे "Agede" नाम से वर्णन किया है।

ईरान, मध्य एशिया, बर्मा, थाईलैंड, इण्डोनेशिया, वियतनाम, कम्बोडिया, चीन, जापान और यहां तक ​​कि फिलीपींस में भी मनु की पौराणिक कथाऐं लोकप्रिय थीं।

विद्वान ब्रिटिश संस्कृतिकर्मी, जे. एल. ब्रॉकिंगटन के अनुसार "राम" को विश्व साहित्य का एक उत्कृष्ट शब्द मानते हैं।
यद्यपि वाल्मीकि रामायण महाकाव्य का कोई प्राचीन इतिहास नहीं है।
यह बौद्ध काल के बाद की रचना है

फिर भी इसके पात्र का प्रभाव सुमेरियन और ईरानीयों की प्राचीनत्तम संस्कृतियों में देखा जा सकता है।

राम के वर्णन की विश्वव्यापीयता का अर्थ है कि राम एक महान ऐतिहासिक व्यक्ति रहे होंगे।

इतिहास और मिथकों पर औपनिवेशिक हमला सभी महान धार्मिक साहित्यों का अभिन्न अंग है। लेकिन स्पष्ट रूप से एक ऐतिहासिक पात्र के बिना रामायण कभी भी विश्व की श्रेण्य-साहित्यिक रचना नहीं बन पाएगी।

राम,  मेडियंस और ईरानीयों के एक नायक हैं 
 मित्रा, अहुरा मज़्दा आदि जैसे सामान्य देवताओं को वरीयता दी गई है। टी। क्यूइलर यंग, ​​एक प्रख्यात ईरानी जो कैम्ब्रिज प्राचीन इतिहास और प्रारंभिक विश्वकोश में ईरान के इतिहास और पुरातत्व पर लिखा है:-👇

 वह उप-महाद्वीप के बाहर प्रारम्भिक भारतीयों और ईरानीयों को सन्दर्भों की विवेचना करते हैं ।

 💐 राम ’पूर्व-इस्लामी ईरान में एक पवित्र नाम था; जैसे आर्य "राम-एनना" दारा-प्रथम के प्रारम्भिक पूर्वजों में से थे

जिसका सोना टैबलेट( शील या मौहर )पुरानी फ़ारसी में एक प्रारम्भिक दस्तावेज़ है;

राम जोरास्ट्रियन कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण नाम है;
 "रेमियश" राम और वायु को समर्पित है
संभवतः हनुमान की एक प्रतिध्वनि;
कई राम-नाम पर्सेपोलिस (ईरानी शहर) में पाए जाते हैं।

राम बजरंग फार्स की एक कुर्दिश जनजाति का नाम है।

राम-नामों के साथ कई सासैनियन शहर: राम अर्धशीर, राम होर्मुज़, राम पेरोज़, रेमा और रुमागम -जैसे नाम प्राप्त होते हैं ।

राम-शहरिस्तान सूरों की प्रसिद्ध राजधानी थी।
 राम-अल्ला यूफ्रेट्स (फरात) पर एक शहर है और यह फिलिस्तीन में भी है।
_________________________________________
उच्च प्रामाणिक सुमेरियन राजा-सूची में राम और भरत सौभाग्य से प्राप्त होते हैं।
सुमेरियन इतिहास का एक अध्ययन राम का एक बहुत ही ज्वलन्त चित्र प्रदान करता है।

 उच्च प्रामाणिक सुमेरियन राजा-सूची में भारत (वाराद) warad पाप और (रिमसिन )जैसे पवित्र नाम दिखाई देते हैं।
__________________________________________

 राम मेसोपोटामिया वर्तमान (ईराक और ईरान)के सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाले सम्राट थे
जिन्होंने 60 वर्षों तक शासन किया।
भारत सिन ने 12 वर्षों तक शासन किया (1834-1822 ई.पू.)का समय
जैसा कि बौद्धों के दशरथ जातक में कहा गया है।
जातक का कथन है, "साठ बार सौ, और दस हज़ार से अधिक, सभी को बताया, / प्रबल सशस्त्र राम ने"

 केवल इसका मतलब है कि राम ने साठ वर्षों तक शासन किया, जो अश्शूरियों (असुरों) के आंकड़ों से बिल्कुल सहमत हैं।
______________________________________

अयोध्या सरगोन की राजधानी अगाडे (अजेय) हो सकती है ।
जिसकी पहचान अभी तक नहीं हुई है।
यह संभव है कि एजेड (Agade) (अयोध्या)डेर या हारुत के पास हरयु  या सरयू के पास थी।👇
    सीर दरिया का साम्य सरयू से है ।
  इतिहास लेखक डी. पी. मिश्रा जैसे विद्वान इस बात से अवगत थे कि राम हेरात क्षेत्र से हो सकते हैं।

प्रख्यात भाषाविद् सुकुमार सेन ने यह भी कहा कि राम ईरानीयों को धर्म ग्रन्थ अवेस्ता में एक पवित्र नाम है।

________________________________________

सुमेरियन माइथॉलॉजी में दूर्मा नाम धर्म की प्रतिध्वनि है ।

सुमेरियन माइथॉलॉजी के मितानियन ( मितज्ञु )राजाओं का तुसरत नाम दशरथ की प्रतिध्वनि प्रतीत होता है।

पाश्चात्य इतिहास विद "मार्गरेट .एस. ड्रावर ने तुसरत के नाम का अनुवाद 'भयानक रथों के मालिक' के रूप में किया है।
लेकिन यह वास्तव में 'दशरथ रथों का मालिक' या 'दस गुना रथ' हो सकता है

जो दशरथ के नाम की प्रतिध्वनि है।
दशरथ ने दस राजाओं के संघ का नेतृत्व किया। इस नाम में आर्यार्थ जैसे बाद के नामों की प्रतिध्वनि है।
सीता और राम का ऋग्वेद में वर्णन है।
_________________________________________
राम नाम के एक असुर (शक्तिशाली राजा) को संदर्भित करता है, लेकिन कोसल का कोई उल्लेख नहीं करता है

 वास्तव में कोसल नाम शायद सुमेरियन माइथॉलॉजी में "खास-ला" के रूप में था ।
और सुमेरियन अभिलेखों के मार-कासे (बार-कासे) के अनुरूप हो सकता है।👇

refers to an Asura (powerful king) named Rama but makes no mention of Kosala.♨
In fact the name Kosala was probably Khas-la and may correspond to Mar-Khase (Bar-Kahse) of the Sumerian records.

कई प्राचीन संस्कृतियों में  मिथकों में साम्य हैं।
प्रस्तुत लेख मनु के जीवन की प्रधान घटना  बाढ़ की कहानी का विश्लेषण करना है।
👇👇👇👇
2-सुमेरियन संस्कृति में 'मनु'का वर्णन जीवसिद्ध के रूप में-
महान बाढ़ आई और यह अथक थी और मछली जो विष्णु की मत्स्य अवतार थी, ने मानवता को विलुप्त होने से बचाया।
ज़ीसुद्र सुमेर का एक अच्छा राजा था और देव एनकी ने उसे चेतावनी दी कि शेष देवताओं ने मानव जाति को नष्ट करने का दृढ़ संकल्प किया है ।
उसने एक बड़ी नाव बनाने के लिए ज़ीसुद्र को बताया। बाढ़ आई और मानवता बच गई।
सैमेटिक संस्कृतियों में प्राप्त मिथकों के अनुसार
नूह (मनु:)को एक बड़ी नाव बनाने और नाव पर सभी जानवरों की एक जोड़ी लेने की चेतावनी दी गई थी। नाव को अरारात पर्वत जाना था ।
और उसके शीर्ष पर लंगर डालना था जो बाढ़ में बह गया था।

इन तीन प्राचीन संस्कृतियों में महान बाढ़ के बारे में बहुत समान कहानियाँ हैं।

बाइबिल के अनुसार इज़राइल में इस तरह की बड़ी बाढ़ का कारण कोई महान नदियाँ नहीं हैं, लेकिन हम जानते हैं कि
इब्रानियों ने उर के इब्राहीम के लिए अपनी उत्पत्ति का पता लगाया जो मेसोपोटामिया में है।
भारतीय इतिहास में यही इब्राहीम ब्रह्मा है।
जबकि टिगरिस (दजला)और यूफ्रेट्स (फरात)बाढ़ और अक्सर बदलते प्रवेश में, उनकी बाढ़ उतनी बड़े पैमाने पर नहीं होती है।
एक दिलचस्प बात यह है कि अंग्रेजी क्रिया "Meander "का अर्थ है, जिसका उद्देश्य लक्ष्यहीनता से एक तुर्की नदी के नाम से आता है ।
जो अपने परिवेश को बदलने के लिए कुख्यात है।
सिंधु और गंगा बाढ़ आती हैं लेकिन मनु द्वारा वर्णित प्रलय जैसा कुछ भी नहीं है।

महान जलप्रलय 5000 ईसा पूर्व के आसपास हुआ जब भूमध्य सागर काला सागर में टूट गया।
इसने यूक्रेन, अनातोलिया, सीरिया और मेसोपोटामिया को विभिन्न दिशाओं में (littoral) निवासियों के प्रवास का नेतृत्व किया।
ये लोग अपने साथ बाढ़ और उसके मिथक की अमिट स्मृति को ले गए।

अक्कादियों ने कहानी को आगे बढ़ाया क्योंकि उनके लिए सुमेरियन वही थे जो लैटिन यूरोपीय थे।

सभी अकाडियन शास्त्रियों को सुमेरियन, एक मृत भाषा सीखना था, जैसे कि सभी शिक्षित यूरोपीय मध्य युग में लैटिन सीखते हैं।

ईसाइयों ने मिथक को शामिल किया क्योंकि वे पुराने नियम को अवशोषित करते थे क्योंकि उनके भगवान जन्म से यहूदी थे।
बाद में उत्पन्न हुए धर्मों ने मिथक को शामिल नहीं किया। जोरास्ट्रियनवाद जो कि भारतीय वैदिक सन्दर्भों में साम्य के साथ दुनियाँ के रंगमञ्च पर उपस्थित होता है; ने मिथक को छोड़ दिया।
अर्थात्‌ पारसी धर्म ग्रन्थ अवेस्ता में जल प्रलय के स्थान पर यम -प्रलय ( हिम -प्रलय ) का वर्णन है ।

जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म। इसी तरह इस्लाम जो यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और कुछ स्थानीय अरब रीति-रिवाजों का मिश्रण है, जो मिथक को छोड़ देता है। सभी मनु के जल प्रलय के मिथकों में विश्वास करते हैं ।

______________________________________

सुमेरियन और भारतीयों के बीच एक और आम मिथक है  सात ऋषियों का है।
सुमेरियों का मानना ​​था कि उनका ज्ञान और सभ्यता सात ऋषियों से उत्पन्न हुई थी। हिंदुओं में सप्त ऋषियों का मिथक है जो इन्द्र से अधिक शक्तिशाली थे।
यह सुमेरियन कैलेंडर से है कि हमारे पास अभी भी सात दिन का सप्ताह है।
उनके पास एक दशमलव प्रणाली भी नहीं थी जिसे भारत ने शून्य के साथ आविष्कार किया था। उनकी गिनती का आधार दस के बजाय साठ था ।
और इसीलिए हमारे पास अभी भी साठ सेकंड से एक मिनट, साठ मिनट से एक घंटे और एक सर्कल में 360 डिग्री है।

सीरिया में अनदेखी मितन्नी राजधानी को वासु-खन्नी अर्थात समृद्ध -पृथ्वी का नाम दिया गया था।
मनु ने अयोध्या को बसाया यह तथ्य वाल्मीकि रामायण में वर्णित है।

वेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है, "अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या"
अथर्ववेद १०/२/३१ में  वर्णित है।
वास्तव में यह सारा सूक्त ही अयोध्या पुरी के निर्माण के लिए है।
नौ द्वारों वाला हमारा यह शरीर ही अयोध्या पुरी बन सकता है।
अयोध्या का समानार्थक शब्द "अवध" है ।

प्राचीन काल में एशिया - माइनर ---(छोटा एशिया), जिसका ऐतिहासिक नाम -करण अनातोलयियो के रूप में भी हुआ है ।
यूनानी इतिहास कारों विशेषत: होरेडॉटस् ने अनातोलयियो के लिए एशिया माइनर शब्द का प्रयोग किया है ।

जिसे आधुनिक काल में तुर्किस्तान अथवा टर्की नाम से भी जानते हैं ।
.. यहाँ की पार्श्व -वर्ती संस्कृतियों में मनु की प्रसिद्धि उन सांस्कृतिक-अनुयायीयों ने अपने पूर्व-पुरुष  { Pro -Genitor } के रूप में स्वीकृत की है ।

मनु को पूर्व- पुरुष मानने वाली जन-जातियाँ प्राय: भारोपीय वर्ग की भाषाओं का सम्भाषण करती रहीं हैं ।
वस्तुत: भाषाऐं सैमेटिक वर्ग की हो अथवा हैमेटिक वर्ग की अथवा भारोपीय , सभी भाषाओं मे समानता का कहीं न कहीं सूत्र अवश्य है।

जैसा कि मिश्र की संस्कृति में मिश्र का प्रथम पुरुष जो देवों का का भी प्रतिनिधि था , वह था "मेनेस्" (Menes)अथवा मेनिस् (Menis) इस संज्ञा से अभिहित था ।

मेनिस ई०पू० 3150 के समकक्ष मिश्र का प्रथम शासक और मेंम्फिस (Memphis) नगर में जिसका निवास था

"मेंम्फिस "प्राचीन मिश्र का महत्वपूर्ण नगर जो नील नदी की घाटी में आबाद है ।
तथा यहीं का पार्श्ववर्ती देश फ्रीजिया (Phrygia)के मिथकों में भी मनु की जल--प्रलय का वर्णन मिअॉन (Meon)के रूप में है ।

मिअॉन अथवा माइनॉस का वर्णन ग्रीक पुरातन कथाओं में क्रीट के प्रथम राजा के रूप में है ।
जो ज्यूस तथा यूरोपा का पुत्र है ।
और यहीं एशिया- माइनर के पश्चिमीय समीपवर्ती लीडिया( Lydia) देश वासी भी इसी मिअॉन (Meon) रूप में मनु को अपना पूर्व पुरुष मानते थे।

इसी मनु के द्वारा बसाए जाने के कारण लीडिया देश का प्राचीन नाम मेअॉनिया "Maionia" भी था ।
ग्रीक साहित्य में विशेषत: होमर के काव्य में "मनु" को (Knossos) क्षेत्र का का राजा बताया गया है ।

कनान देश की कैन्नानाइटी(Canaanite ) संस्कृति में बाल -मिअॉन के रूप में भारतीयों के बल और मनु (Baal- meon) और यम्म (Yamm) देव के रूप मे वैदिक देव यम से साम्य संयोग नहीं अपितु संस्कृतियों की एकरूपता की द्योतक है ।
यम और मनु दौनों को सजातिय रूप में सूर्य की सन्तानें बताया है।
_________________________________________

विश्व संस्कृतियों में  यम  का वर्णन --- यहाँ भी कनानी संस्कृतियों में भारतीय पुराणों के समान यम का उल्लेख यथाक्रम नदी ,समुद्र ,पर्वत तथा न्याय के अधिष्ठात्री देवता के रूप में हुआ है ।

कनान प्रदेश से ही कालान्तरण में सैमेटिक हिब्रु परम्पराओं का विकास हुआ था । 
स्वयम् कनान शब्द भारोपीय है , केन्नाइटी भाषा में कनान शब्द का अर्थ होता है मैदान अथवा जड्•गल यूरोपीय कोलों अथवा कैल्टों की भाषा पुरानी फ्रॉन्च में कनकन (Cancan)आज भी जड्.गल को कहते हैं ।

और संस्कृत भाषा में कानन =जंगल सर्वविदित ही है। परन्तु कुछ बाइबिल की कथाओं के अनुसार कनान एक पूर्व पुरुष था --जो  हेम (Ham)की परम्पराओं में एनॉस का पुत्र था।

जब कैल्ट जन जाति का प्रव्रजन (Migration) बाल्टिक सागर से भू- मध्य रेखीय क्षेत्रों में हुआ।

तब मैसॉपोटामिया की संस्कृतियों में कैल्डिया के रूप में इनका विलय  हुआ ।
तब यहाँ जीव सिद्ध ( जियोसुद्द )अथवा नूह के रूप में मनु की किश्ती और प्रलय की कथाओं की रचना हुयी ।

और तो क्या ? यूरोप का प्रवेश -द्वार कहे जाने वाले ईज़िया तथा क्रीट ( Crete ) की संस्कृतियों में मनु आयॉनिया लोगों के आदि पुरुष माइनॉस् (Minos)के रूप में प्रतिष्ठित हए।
भारतीय संस्कृति की पौराणिक कथाऐं इन्हीं घटनाओं ले अनुप्रेरित हैं।
_________________________________________

भारतीय पुराणों में मनु और श्रृद्धा का सम्बन्ध वस्तुत: मन के विचार (मनन ) और हृदय की आस्तिक भावना (श्रृद्धा ) के मानवीय-करण (personification) रूप है ।

शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु को श्रृद्धा-देव
(श्रृाद्ध -देव) कह कर सम्बोधित किया है।
तथा बारहवीं सदी में रचित श्रीमद्भागवत् पुराण में वैवस्वत् मनु तथा श्रृद्धा से ही मानवीय सृष्टि का प्रारम्भ माना गया है। 👇

सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में " मनवे वै प्रात: "वाक्यांश से घटना का उल्लेख आठवें अध्याय में मिलता है।

सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु को श्रृद्धा-देव कह कर सम्बोधित किया है।👇

--श्रृद्धा देवी वै मनु (काण्ड-१--प्रदण्डिका १) श्रीमद्भागवत् पुराण में वैवस्वत् मनु और श्रृद्धा से मानवीय सृष्टि का प्रारम्भ माना गया है--
👇
"ततो मनु: श्राद्धदेव: संज्ञायामास भारत श्रृद्धायां जनयामास दशपुत्रानुस आत्मवान"(9/1/11) ---------------------------------------------------------------
  छन्दोग्य उपनिषद में मनु और श्रृद्धा की विचार और भावना रूपक व्याख्या भी मिलती है।
"यदा वै श्रृद्धधाति अथ मनुते नाSश्रृद्धधन् मनुते " __________________________________________
जब मनु के साथ प्रलय की घटना घटित हुई तत्पश्चात् नवीन सृष्टि- काल में :– असुर (असीरियन) पुरोहितों की प्रेरणा से ही मनु ने पशु-बलि दी थी।

" किल आत्आकुलीइति ह असुर ब्रह्मावासतु:।
तौ हो चतु: श्रृद्धादेवो वै मनु: आवं नु वेदावेति।
तौ हा गत्यो चतु:मनो वाजयाव तु इति।।

असुर लोग वस्तुत: मैसॉपोटमिया के अन्तर्गत असीरिया के निवासी थे।
सुमेर भी इसी का एक अवयव है ।
अत: मनु और असुरों की सहवर्तीयता प्रबल प्रमाण है मनु का सुमेरियन होना ।
बाइबिल के अनुसार असीरियन लोग यहूदीयों के सहवर्ती सैमेटिक शाखा के थे।

सतपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में मनु की वर्णित कथा हिब्रू बाइबिल में यथावत है --- देखें एक समानता !
👇👇👇👇
हिब्रू बाइबिल में नूह का वर्णन:-👇
बाइबिल उत्पत्ति खण्ड (Genesis)- "नूह ने यहोवा (ईश्वर) कहने पर एक वेदी बनायी ;
और सब शुद्ध पशुओं और सब शुद्ध पक्षियों में से कुछ की वेदी पर होम-बलि चढ़ाई।(उत्पत्ति-8:20) ।👇
__________________________________________

" And Noah builded an alter unto the Lord Jehovah and took of the every clean beast, and of every clean fowl or birds, and offered ( he sacrificed ) burnt offerings on the alter
_________________________________________
Genesis-8:20 in English translation... -------------------------------------------------------------------
हृद् तथा श्रृद्  शब्द वैदिक भाषा में मूलत: एक रूप में ही हैं ; रोम की सांस्कृतिक भाषा लैटिन आदि में क्रेडॉ "credo" का अर्थ :--- मैं विश्वास करता हूँ ।
तथा क्रिया रूप में credere---to believe लैटिन क्रिया credere--- का सम्बन्ध भारोपीय धातु 
"Kerd-dhe" ---to believe से है ।
साहित्यिक रूप इसका अर्थ "हृदय में धारण करना –(to put On's heart-- पुरानी आयरिश भाषा में क्रेटिम cretim रूप  --- वेल्स भाषा में (credu ) और संस्कृत भाषा में श्रृद्धा(Srad-dha)---faith,
इस शब्द के द्वारा सांस्कृतिक प्राक्कालीन एक रूपता को वर्णित किया है ।
__________________________________________

श्रृद्धा का अर्थ :–Confidence, Devotion आदि हार्दिक भावों से है ।

प्राचीन भारोपीय (Indo-European) रूप कर्ड (kerd)--हृदय है ।
ग्रीक भाषा में श्रृद्धा का रूप "Kardia" तथा लैटिन में "Cor " है ।
आरमेनियन रूप ---"Sirt" पुरातन आयरिश भाषा में--- "cride" वेल्स भाषा में ---"craidda" हिट्टी में--"kir" लिथुअॉनियन में--"sirdis" रसियन में --- "serdce" पुरानी अंग्रेज़ी --- "heorte". जर्मन में --"herz" गॉथिक में --hairto " heart" ब्रिटॉन में---- kreiz "middle" स्लेवॉनिक में ---sreda--"middle ..

यूनानी ग्रन्थ "इलियड तथा ऑडेसी "महा काव्य में प्राचीनत्तम भाषायी साम्य तो है ही देवसूचीयों मेंभी साम्य है ।

आश्चर्य इस बात का है कि ..आयॉनियन भाषा का शब्द माइनॉस् तथा वैदिक शब्द मनु: की व्युत्पत्तियाँ (Etymologies)भी समान हैं।

जो कि माइनॉस् और मनु की एकरूपता(तादात्म्य) की सबसे बड़ी प्रमाणिकता है।

क्रीट (crete) माइथॉलॉजी में माइनॉस् का विस्तृत विवेचन है, जिसका अंग्रेजी रूपान्तरण प्रस्तुत है ।👇
------------------------------------------------------------- .. Minos and his brother Rhadamanthys
जिसे भारतीय पुराणों में रथमन्तः कहा है ।
And sarpedon wereRaised in the Royal palace of Cnossus-... Minos Marrieged pasiphae- जिसे भारतीय पुराणों में प्रस्वीः प्रसव करने वाली कहा है !
शतरूपा भी इसी का नाम था यही प्रस्वीः या पैसिफी सूर्य- देव हैलिअॉस् (Helios) की पुत्री थी।
क्यों कि यम और यमी भाई बहिन ही थे ।
जिन्हें मिश्र की संस्कृतियों में पति-पत्नी के रूप में भी वर्णित किया है ।

Pasiphae is the Doughter of the sun god (helios ) हैलीअॉस् के विषय में एक तथ्य और स्पष्ट कर दें कि यूनानीयों का यही हैलीअॉस् मैसोपॉटामियाँ की पूर्व सैमेटिक भाषाओं ---हिब्रू आरमेनियाँ तथा अरब़ी आदि में "ऐल " (El) के रूप में है।
इसी शब्द का हिब्रू भाषा में बहुवचन रूप ऐलॉहिम Elohim )है ।
इसी से अरब़ी में " अल् --इलाह के रूप में अल्लाह शब्द का विकास हुआ है।
विश्व संस्कृतियों में सूर्य ही प्रत्यक्ष सृष्टि का कारण है
अत: यही प्रथम देव है ।

भारतीय वैदिक साहित्य में " अरि " शब्द का प्राचीनत्तम अर्थ "ईश्वर" है ।
वेद में अरि शब्द के अर्थ हैं ईश्वर तथा घर "और लौकिक संस्कृत में अरि शब्द केवल शत्रु के अर्थ में रूढ़ हो गया

ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के १३६ वें सूक्त का ५वाँ श्लोक "अष्टौ अरि धायसो गा:
पूर्ण सूक्त इस प्रकार है ।👇

पूर्वामनु प्रयतिमा ददे वस्त्रीन्युक्ताँ अष्टवरि धायसो गा: । सुबन्धवो ये विश्वा इव व्रा अनस्वन्त: श्रव एेषन्त पज्रा: ऋ०2/126/5/

कुछ भाषा -विद् मानते हैं कि ग्रीक भाषा के हेलिअॉस् (Helios)का सम्बन्ध भारोपीय धातु स्वेल (sawel ) से प्रस्तावित करते हैं।

अवेस्ता ए जेन्द़ में  हवर (hvar )-- सूर्य , प्रकाश तथा स्वर्ग लिथुऑनियन सॉले (Saule )   गॉथिक-- सॉइल (sauil) वेल्स ---हॉल (haul) पुरानी कॉर्निश-- हिऑल (heuul) आदि शब्दों का रूप साम्य स्पष्ट है ।

परन्तु यह भाषायी प्रवृत्ति ही है कि संस्कृत भाषा में अर् धातु "हृ "धातु के रूप में पृथक विकसित हुयी।
वैदिक "अरि" का रूप लौकिक संस्कृत भाषा में "हरि" हो कर ईश्वरीय अर्थ को तो प्रकट करता है ।
परन्तु इरि रूप में शत्रु का अर्थ रूढ़ हो जाता है ।

कैन्नानाइटी संस्कृति में यम "एल" का पुत्र है।

और भारतीय पुराणों में सूर्य अथवा विवस्वत् का पुत्र.. इसी लिए भी हेलिअॉस् ही हरिस् अथवा अरि: का रूपान्तरण है ।👇

अरि से हरि और हरि से सूर्य का भी विकास सम्भवत है जैसे वीर: शब्द सम्प्रसारित होकर आर्य रूप में विकसित हो जाता  है।
__________________________________________
जिसमें अज् धातु का संयोजन है:– अज् धातु अर् () धातु का ही विकास क्रम है ।

जैसे वीर्य शब्द से बीज शब्द विकसित हुआ ।

संस्कृत साहित्य में सूर्य को समय का चक्र (अरि) कह कर वर्णित किया गया है।
... "वैदिक सूक्तों में अरिधामश् शब्द का अर्थ अरे: ईश्वरस्य धामश् लोकं इति अरिधामश् रूप में है।
------------------------------------------------------------

वास्तव में पैसिफी और माइनॉस् दौनों के पिता सूर्य ही थे ।
ऐसी प्राचीन सांस्कृतिक मान्यताऐं थी ।
ओ३म् (अमॉन्) रब़ तथा ऐल जिससे अल्लाह शब्द का विकास हुआ प्राचीनत्तम संस्कृतियों में केवल सूर्य के ही वाचक थे ।

आज अल्लाह शब्द को लेकर मुफ़्ती और मौलाना लोग फ़तवा जारी करते हैं और कहते हैं  कि यह एक इस्लामीय अरब़ी शब्द है।
--जो गैर इस्लामीय के लिए हराम है ।
परन्तु यह अल्लाह वैदिक अरि का असीरियन रूप है । मनु के सन्दर्भ में ये बातें इस लिए स्पष्ट करनी पड़ी हैं कि क्योंकि अधिकतर संस्कृतियों में मनु को मानवों का आदि तथा सूर्य का ही पुत्र माना गया है।

यम और मनु को भारतीय पुराणों में सूर्य (अरि) का पुत्र माना गया है।

क्रीट पुराणों में इन्द्र को (Andregeos) के रूप में मनु का ही छोटा भाई और हैलीअॉस् (Helios) का पुत्र कहा है।
.. इधर चतुर्थ सहस्राब्दी ई०पू० मैसॉपोटामियाँ दजला- और फ़रात का मध्य भाग अर्थात् आधुनिक ईराक की प्राचीन संस्कृति में मेनिस् (Menis)अथवा मेैन (men) के रूप में एक समुद्र का अधिष्ठात्री देवता है।

यहीं से मेनिस का उदय फ्रीजिया की संस्कृति में हुआ था । यहीं की सुमेरीयन सभ्यता में यही मनुस् अथवा नूह के रूप में उदय हुआ, जिसका हिब्रू परम्पराओं नूह के रूप वर्णन में भारतीय आर्यों के मनु के समान है।
मनु की नौका और नूह की क़िश्ती
दोनों प्रसिद्ध हैं।
👇👇👇👇
जर्मनिक संस्कृतियों में मनु: (मैनुस)👇
________________________________________

जर्मन वर्ग की प्राचीन सांस्कृतिक भाषों में क्रमशः यमॉ Yemo- (Twice) -जुँड़वा यमल तथा मेन्नुस Mannus- मनन (Munan ) का वर्णन करने वाला एक रूपता आधार है ।
अर्थात् विचार शक्ति का अधिष्ठाता मनु है ।
और उन मनन "Munan" में संयम का रूप यम है ।

फ्राँस भाषा में यम शब्द (Jumeau )के रूप में है । रोमन इतिहास कारों में "टेकट्टीक्स" (Tacitus) जर्मन जाति से सम्बद्ध इतिहास पुस्तक "जर्मनिका " में लिखता हैं।
" अपने प्राचीन गाथा - गीतों में वे ट्युष्टो अर्थात् ऐसा ईश्वर जो पृथ्वी से निकल कर आता है
मैनुस् उसी का पुत्र है वही जन-जातिों का पिता और संस्थापक है।

जर्मनिक जन-जातियाँ उसके लिए उत्सव मनाती हैं । मैनुस् के तीन पुत्रों को वह नियत करते हैं ।
जिनके पश्चात मैन (Men)नाम से बहुत से लोगों को पुकारा जाता है ।
( टेकट्टीक्स (Tacitus).. जर्मनिका अध्याय (2)
100 ईस्वी सन् में लिखित ग्रन्थ.... --------------------------------------------------------------

यम शब्द रोमन संस्कृति में (Gemellus ) के रूप में है
जो लैटिन शब्द (Jeminus) का संक्षिप्त रूप है।
रोमन मिथकों के मूल-पाठ (Text )में मेन्नुस् (Mannus) ट्युष्टो (Tuisto )का पुत्र तथा जर्मन आर्य जातियों के पूर्व पुरुष के रूप में वर्णित है ।👇

-- A. roman text(dated) ee98) tells that Mannus the Son of Tvisto Was the Ancestor of German Tribe or Germanic people "
इधर जर्मन आर्यों के प्राचीन मिथकों "प्रॉज़एड्डा आदि में उद्धरण है :–👇
__________________________________________

" Mannus progenitor of German tribe son of tvisto in some Reference identified as Mannus "
उद्धरण अंश (प्रॉज- एड्डा ) वस्तुतः ट्युष्टो ही भारतीय आर्यों का देव त्वष्टा है।
,जिसे विश्व कर्मा कहा है जिसे मिश्र की पुरा कथाओं में "तिहॉती" ,जर्मन भाषा में प्रचलित डच (Dutch )का मूल रूप "त्वष्टा" शब्द है ।
गॉथिक शब्द (Thiuda )के रूप में भी "त्वष्टा" शब्द है प्राचीन उच्च जर्मन में यह शब्द (Diutisc )तथा जर्मन में (Teuton )है ।
और मिश्र की संस्कृति में (tehoti) के रूप में वर्णित है।
जर्मन पुराणों में भारतीयों के समान यम और मनु सजातीय थे ।
भारतीय संस्कृति में मनु: और यम: दोनों ही विवस्वान् (सूर्य) की सन्तान थे ।

इसी लिए इन्हें वैवस्वत् कहा गया यह बात जर्मनिक जन-जाति में भी प्रसिद्ध थी।
The Germanic languages have lnformation About both ...Ymir ------------------------------------------------------------ यमीर ( यम) and (Mannus) मेनुस् Cognate of Yemo and Manu"..मेन्नुस् मूलक मेन "Man" शब्द भी डच भाषा का है ।

जिसका रूप जर्मन तथा ऐंग्लो - सेक्शन भाषा में मान्न "Mann" रूप है ।
प्रारम्भ में जर्मन लोग "मनुस्" का वंशज होने के कारण स्वयं को मान्न कहते थे।

मनु का उल्लेख ऋग्वेद काल से ही मानव -सृष्टि के आदि प्रवर्तक एवम् समग्र मानव जाति के आदि- पिता के रूप में मान्य हो गया था।
__________________________________________
वैदिक सन्दर्भों मे प्रारम्भिक चरण में मनु तथा यम का अस्तित्व अभिन्न था कालान्तरण में मनु को जीवित मनुष्यों का तथा यम को मृत मनुष्यों के लोक का आदि पुरुष माना गया ... _____________________________________ जिससे यूरोपीय भाषा परिवार में मैन (Man) शब्द आया ।
मैने प्रायः उन्हीं तथ्यों का पिष्ट- पेषण भी किया है जो मेरे विचार बलाघात का लक्ष्य है।
और मुझे अभिप्रेय भी ..

जर्मन माइथॉलॉजी में यह तथ्य प्रायः प्रतिध्वनित होता रहता है ।👇 ------------------------------------------------------------ "The ancient Germanic tribes believeb that they had acmmon origin all of them Regarding as their fore father  "mannus" the son of god "tuisco" mannus was supposed to have and three sons from whom had sprung the istaevones the lngavones" ------------------------------------------------------------------ हम पूर्व में इस बात को कह चुके हैं , कि क्रीट मिथकों में माइनॉस् (Minos )ज्युस तथा यूरोपा की प्रथम सन्तान है । 👇

यूनानीयों का ज्यूस ही वैदिक संहिताओं में (द्यौस् )के रूप में वर्णित है विदित हो कि यूरोप महाद्वीप की संज्ञा का आधार यही यूरोपा शब्द ही है।

.यहाँ एक तथ्य विद्वानों से निवेदित है कि मिथकों में वर्णित घटनाऐं और पात्र प्राचीन होने के कारण परम्परागत रूप से सम्वहन होते होते अपने मूल रूप से प्रक्षिप्त (बदली हुई ) हो जाती है ; परन्तु उनमें वर्णित पात्र और घटनाओं का अस्तित्व अवश्य होता है ।
किसी न किसी रूप में मनु के विषय में यूरेशिया की बहुत सी संस्कृतियाँ वर्णन करती हैं । ---------------------------------------------------------------
.....................🐋🐬🐳🐋🏊🏄🐟.....
पाश्चात्य पुरातत्व वेत्ता - डॉ० लियो नार्ड वूली ने पूर्ण प्रमाणित पद्धति से सिद्ध किया है ।
कि एशिया माइनर के पार्श्ववर्ती स्थलों का जब उत्खनन करवाया , तब ज्ञात हुआ कि जल -प्रलय की विश्व -प्रसिद्ध घटना सुमेरिया और उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में हुई थी।

सुमेरियन जल - प्रलय के नायक सातवें मनु वैवस्वत् थे जल प्रलय के समय मत्स्य अवतार विष्णु रूप में भगवान् ने इसी मनु की रक्षा की थी ...इस घटना का एशिया-माइनर की असीरी संस्कृति (असुरों की संस्कृति ) की पुरा कथाओं में उल्लेख है कि मनु ही जल- प्रलय के नायक थे ।
विष्णु और मनु के आख्यान सुमेरियन संस्कृति से उद्धृत किए भारत में आगत देव संस्कृति  से अनुयायीयों ने 👇

"विष्णु देवता का जन्म सुमेरियन
पुरातन कथाओं में"
82 INDO-SUMERIAN SEALS DECIPHERED
-------------------------------------------------------------------
sentation on ancient Sumerian and Hitto-Phoenician sacred seals and on Ancient Briton monuments,
see our former work,
1 of which the results therein announced are now con- firmed and established by the evidence of these Indo- Sumerian seals.
________________________________________

This Sumerian " Fish " title for the Sun-god on this and the other amulet seals, as " Fish of the Setting Sun (S'u- kha) " is of the utmost critical importance for establishing the Sumerian origin of the Indo-Aryans..
and the Aryan character of the Sumerian language,
as it discloses for the first time the origin and hither to unknown real meaning of the Vedic name for the Sun-god " Vishnu," and of his represen-tative as a Fish-man, as well as the Sumerian origin of the English word " Fish," the Gothic " Fisk " and Latin " Piscis."
The first " incarnation " of the Sun-god Vishnu in Indian mythology is represented as a Fish-man (see Fig. 19)

and in substantially the same form as the Sumerian Fish-man personification of the Sun-god of the Waters in the Sumerian seals.
Now the Sumerians of Mesopotamia called the Setting Sun " The Fish (KM) "
2- a fact which has not hitherto been remarked or recognized.
And this Sumerian title of " Fish " for the Sun is explained in the bilingual
Sumero-Akkadian glossaries by the actual word occurring in this and the other Indo-Sumerian amulets,
namely S'u-khd, with the addition of " man = (na),
_________________________________________
3 by word-signs which read literally " The Winged Fish-man " ; * thus co-relating the Winged or soaring Sun with the Fish personification of the supposed " returning or resurrecting " Sun in " the waters under the earth."
This solar title of "
The Winged Fish " is further given the synonym of "The turning Bii-i-es's which latter name 1 W.P.O.B., 247 f., 251, 308. 2 B.. 8638. 3 lb., and 1586. 4 S'u=" wing," B.W., 311. 5 Gar-bi-i-i-es' (B., 7244) ; gar=" turn " (B., 11984) ; es' (B., 2551).

SUMER ORIGIN OF VISHNU IN NAME AND FORM 83
is evidently a variant spelling of the Sumerian Pi-es' or Pish for " Great Fish " with the pictograph word-sign of Fig, 19. — Sumerian Sun-Fish as Indian Sun-god Vishnu. From an eighteen th-centuiy Indian image (after Moor's Hindoo Pantheon).
Note the Sun-Cross pendant on his necklace. He is given four arms to carry his emblems : la) Disc of the Fiery Wheel {weapon) of the Sun, (M Club or Stone-mace (Gada or Kaumo-daki)
1 of the Sky-god Vanma, (c) Conch-shell (S'ank-ha), trumpet of the Sea-Serpent demon, 1 (d) Lotus (Pad ma) as Sun- flower.* i. Significantly this word " Kaumo-daki " seems to be the Sumerian Qum, " to kill or crush to pieces " (B., 4173 ; B.W.. 193) and Dak or Daggu " a cut stone " (B., 5221, 5233). a. " Protector of the S'ankha (or Conch) " is the title of the first and greatest Sea- Serpent king in Buddhist myth, see my List of Naga (or Sea-Serpent) Kings in Jour. Roy. Asiat. Soc, Jan, 1894. 3. On the Lotus as symbol of heavenly birth, see my W.B.T., 338, 381, 388.
________________________________________

84 INDO-SUMERIAN SEALS DECIPHERED Fish joined to sign " great." 1 This now discloses the Sumerian origin not only of the " Vish " in Vish-nu, but also of the English '* Fish," Latin " Piscis," etc.— the labials B, P, F and V being freely interchangeable in the Aryan family of languages.
The affix nu in " Vish-nu " is obviously the Sumerian Nu title of the aqueous form of the Sun-god S'amas and of his father-god la or In-duru इन्द्र:  (Indra) as " God of the Deep." ' It literally defines them as " The lying down, reclining or bedded " (god)
3 or " drawer or pourer out of water." ' It thus explains the common Indian representation of Vishnu as reclining upon the Serpent of the Deep amidst the Waters, and also seems to disclose the Sumerian origin of the Ancient Egyptian name Nu for the " God of the Deep."
5 Thus the name
" Vish-nu " is seen to be the equivalent of the Sumerian Pisk-nu,(पिस्क- नु ) and to mean "Pisk-nu,(पिस्क- नु ) and to mean " The reclining Great Fish (-god) of the Waters " ; and it will doubtless be found in that full form in Sumerian when searched for. And it would seem that this early " Fish " epithet of Vishnu for his " first incarnation " continued to be applied by the Indian Brahmans to that Sun-god even in his later "
incarnations " as the "striding" Sun-god in the heavens.
__________________________________________

Indeed the Sumerian root Pish or Pis for " Great Fish " still survives in Sanskrit as Fts-ara विसार:  " fish." " This name thus affords another of the many instances which I 1 On sign T.D., 139; B.W., 303. The sign is called " Increased Fish " {Kua-gunu, i.e., Khd-ganu, B., 6925), in which significantly the Sumerian grammatical term gunu meaning " increased " as applied to combined signs, is radically identical with the Sanskrit grammatical term gut.a ( = " multi- plied or auxiliary," M.W.D., 357) which is applied to the increased elements in bases forming diphthongs, and thus disclosing also the identity of Sanskrit and Sumerian grammatical terminology.
* M., 6741, 6759 ; B., 8988. s B., 8990-1, 8997. 4 lb., 8993. 5 This Nu is probably a contraction for Nun, or " Great Fish," a title of the god la (or Induru) इन्द्ररु of the Deep (B., 2627). Its Akkad synonym of Naku, as "drawer or pourer out of Water," appears cognate with the Anu(n)-«aAi, or " Spirits of the Deep," and with the Sanskrit Ndga or " Sea-Serpent." • M.W.D., 1000. The affix ara is presumably the Sanskrit affix ra, added to roots to form substantives, just as in Sumerian the affix ra is similarly added (cp., L.S.G., 81).
______________________________________
SUMER ORIGIN OF POSEIDON
85 have found of the Sumerian origin of Aryan words, and in particular in the Sanskrit and English.
This Fish-man form of the Sumerian Sun-god of the Waters of the Deep,
Piesh, Pish or Pis (or Vish-nu),
also appears to disclose the unknown origin of the name of the Greek Sea-god "
________________________________________'
संख्या 82 वीं इण्डो-सुमेरियन निद्रा (सील )में प्राचीन सुमेरियन और हिट्टो फॉनिशियन पवित्र मुद्राओं पर( और प्राचीन ब्रिटान स्मारकों पर हस्ताक्षर किए गए हैं ।
जिनमें से मौहर संख्या (1) में से परिणाम घोषित किए गए हैं ।
अब इन इंडो-सुमेरियन सीलों  के प्रमाण के आधार पर पुष्टि की गई है कि इस सुमेरियन "मछली देव" पर सूर्य-देवता का आरोपण है।
और अन्य ताबीज मुद्राओं के लिए शीर्षक, "स्थापित सूर्य (सु-ख़ाह) की मछली" के रूप में इंडो-आर्यों की सुमेरियन मूल की स्थापना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साम्य है ।

और सुमेरियन भाषा के आर्यन चरित्र के रूप में, यह सूर्य-देवता "विष्णु" के लिए वैदिक नाम की उत्पत्ति और अब तक अज्ञात मछली अर्थ के रूप में प्रकट करता है और मत्स्य -मानव के रूप में उनकी प्रतिनिधि के समान साथ ही अंग्रेजी शब्द "फिश" के सुमेरियन मूल, गॉथिक "फिसक" और लैटिन "पिसिस पर भी प्रकाश डालता है ।
_______________________________________
भारतीय पौराणिक कथाओं में सूर्य-देव विष्णु का पहला "अवतार" मत्स्य -नर के रूप में दर्शाया गया है।
, और अत्यधिक सीमा तक उसी तरह के रूप में जैसे सुमेरियन मछली-नर  के रूप में सूर्य का देवता के रूप में चित्रण सुमेरियन मुद्राओं पर (अब मेसोपोटामिया )के सुमेरियन मुद्राओं पर उत्कीर्ण है।

और सूर्य के लिए "मछली" के इस सुमेरियन शीर्षक को द्विभाषी सुमेरो-अक्कादियन शब्दावलियों में वास्तविक शब्द और अर्थ इस प्रकार के अन्य इंडो-सुमेरियन ताबीज पर व्याख्यायित है ।
"मत्स्य मानव ।
__________________________________________

पिस्क-नु" शब्द को पंखधारी मछली-मानव " आदि अर्थों के रूप पढ़ते हैं। इस प्रकार पंखों या बढ़ते सूर्य को "पृथ्वी के नीचे के पानी में" लौटने या पुनर्जीवित करने वाले सूर्य के मछली के संलयन के साथ सह-संबंधित कथाओं का सृजन सुमेरियन संस्कृति में होगया था
--जो कालान्तरण में भारतीय पुराणों में मिथक रूप में अभिव्यक्त हुई ।
"द विंगेड फिश" के इस सौर शीर्षक को "biis"को  फिश" का समानार्थ दिया गया है।
_________________________________________

सूर्य और विष्णु भारतीय मिथकों में समानार्थक अथवा पर्याय वाची रहे हैं।
"विष्-नु " में प्रत्यय "नु" स्पष्ट रूप से सूर्य-देवता के जलीय रूप और उनके पिता-देवता  इन-दुरु (इन्द्र) के "देवता  के रूप में सुमेरियन आदम का शीर्षक है।

यह इस प्रकार विष्णु के सामान्य भारतीय प्रतिनिधित्व को जल के बीच दीप के नाग पर पुन: और यह भी लगता है कि "दीप के देवता" के लिए प्राचीन मिस्र के नाम आतम के सुमेरियन मूल का खुलासा किया गया है।
इस प्रकार "विष्णु" नाम सुमेरियन "पिस्क-नु "के बराबर माना जाता है।
और " जल की बड़ी फिश (-गोड) को  करना; और और यह निश्चित रूप से सुमेरियन में उस पूर्ण रूप में पाए जाने पर खोजा जाएगा।
और ऐसा प्रतीत होता है कि "अवतार" के लिए विष्णु के इस बड़ी "मछली" का उपदेश भारतीय ब्राह्मणों ने अपने बाद के "अवतारों" में भी विष्णु-देवता को स्वर्ग में सूर्य-देवता के रूप में लागू किया है।

वास्तव में "महान मछली" के लिए सुमेरियन मूल पीश या पीस शब्द अभी भी संस्कृत में एफ्स-ऐरा "मछली" के रूप में जीवित है।
जो वैदिक मत्स्यवाची शब्द "विसार" से साम्य है ।

"यह नाम इस प्रकार कई उदाहरणों में से एक है जिसे मैं  दीप, पीश, पीश या पीस (या वाश-नु) के जल के सुमेरियन सूर्य-देवता का यह नाम है ।

मिश्रु "MISHARU" - The Sumerian god of law and justice, brother of Kittu.
भारतीय पुराणों में मधु और कैटव का वध विष्णु-देवता करते है ।
मत्स्यः से लिए वैदिक सन्दर्भों में एक शब्द पिसार
भारोपीय मूल की धातु से प्रोटो-जर्मनिक में फिस्कज़(पुरानी सैक्सोन, पुरानी फ्रिसिज़, पुरानी उच्च जर्मन फ़िश, पुरानी नोर्स फिस्कर।
मध्य डच विस्सी, डच, जर्मनी, फ़िश्च, गॉथिक फिसक का स्रोत) से पुरानी अंग्रेजी मछलियां "मछली"
pisk- "एक मछली।
*pisk-
Proto-Indo-European root meaning
"a fish."

It forms all or part of: fish; fishnet; grampus; piscatory; Pisces; piscine; porpoise.

It is the hypothetical source of/evidence for its existence is provided by:
Latin piscis (source of Italian pesce)
French poisson, Spanish pez, Welsh pysgodyn, Breton pesk); Old Irish iasc; Old English fisc, Old Norse fiskr, Gothic fisks.

1-Latin piscis,
2-Irish íasc/iasc,
3-Gothic fisks,
4-Old Norse fiskr,
5-English fisc/fish,
6-German fisc/Fisch,
7-Russian пескарь (peskarʹ),
8-Polish piskorz,
9-Welsh pysgodyn,
10-Sankrit visar
11Albanian peshk

__________________________________________
This important reference is researched by Yadav Yogesh Kumar 'Rohi'. Thus, no gentleman should not add to its break!

भारतीय ग्रन्थ शतपथ ब्राह्मण के अनुसार अपने इष्ट को वलि समर्पण हेतु मनुः ने असीरियन द्रविड पुरोहितों का आह्वान किया था "" असुरः ब्राह्मण इति आहूत " -------------------------------------------------------------
मानव संज्ञा का आधार प्रथम स्वायंभुव मनु थे ।
उधर नार्वे की पुरा कथाओं में मनु की प्रतिष्ठा मेनुस (Mannus )के रूप में है।
जे जर्मनिक जन-जातियाँ के आदिम रूप हैं।
पश्चिमीय एशिया की हिब्रू जन-जाति के धर्म ग्रन्थ ऑल्ड-टेक्सटामेण्ट(पुरानी बाइबिल ) जैनेसिस्(उत्पत्ति) खण्ड के पृष्ठ संख्या  82 पर वर्णित है ""👇

कि नूह (मनुः) ने ईश्वर के लिए एक वेदी बनायीऔर उसमें पशु पक्षीयों को लेकर यज्ञ- अग्नि में उनकी बलि दी इन्हीं कथाओं का वाचन ईसाई तथा इस्लामीय ग्रन्थों में किया गया है।
मनु के सन्दर्भ में ये कुछ प्रमाणिक तथ्य थे •••••••• •√•√इस श्रृंखला की यह प्रथम कणिका है !
👏🙏👏☝🙏☝👏🙏☝👏
विचार-विश्लेण---यादव योगेश कुमार "रोहि"
ग्राम आजा़दपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़--- उ०प्र०......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें