विचार प्रवाह--
प्रिय निशा तुम मदिरा की प्याली हो !
गोैरी हो खूब सूरत हो .ज्ञान से थोड़ी खाली हो !
अपने सौन्दर्य अवलोकन से .खलबली मचाने बाली हो !
सब मुरीद हैं तुम्हारे हुश्न के ही .
तुम मूरत हुश्न की निराली हो !!
मैं योगेश कुमार रोहि आपके सौन्दर्य की प्रशंसा करता हूँ !! केवल निश्पक्ष दृष्टि कोण से .यदि मैने मिथ्या कथन किया हो ! तो क्षमा प्रार्थी हूँ !!
ये बात हमने किससे कही थी हमे हें ध्यान नहीं !
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