गुरुवार, 9 मई 2019

महाभारत में दस्युओं को भी नैतिक माना है ।

दस्यु का अर्थ यद्यपि ईरानी भाषा में दह्यु के रूप पराक्रमी ,नायक आदि है ।
चौर की मर्यादाऐं भले ही नहों परन्तु
दस्युयों में भी मर्यादाऐं होती हैं । क्यों दस्यु वस्तुत वे विद्रोही थे जिन्होनें शुंग कालीन ब्राह्मणों की वर्ण व्यवस्था और सामाजिक मान्यताओं को स्वीकार नहीं किया।
(महाभारत के शान्ति पर्व के अन्तर्गत आपद्धर्म
एक सौ तैंतीसवाँ अध्याय )
दस्युयों की नैतिकता और मर्यादाओं का वर्णन है।
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यथा सद्भि: परादानमहिंसा दस्युभि: कृता ।
अनुरज्यन्ति भूतानि समर्यादेषु दस्युषु।।15।
दस्यु में भी मर्यादा होती है जैसे अच्छे डाकू दूसरों का धन तो लूटते हैं परंतु हिंसा नहीं करते किसी की इज्जत नहीं लूटते हैं ।
जो मर्यादाओं का ध्यान रखते हैं उन लुटेरों में बहुत से प्राणी नैतिकता का पालन तथा स्नेह भी करते हैं क्योंकि उनके द्वारा बहुतों की रक्षा भी होती है।15

अयुद्ध्यमानस्य वधो दारामर्ष: कृतघ्ना।
ब्रह्मवित्तस्य चादानं नि:शेषकरणं  तथा ।16।

स्त्रिया मोष: पतिस्थानं दस्युष्वेतद् विगर्हितम्।
संश्लेषं च परस्त्रीभिर्दस्युरेतानि वर्जयेत्।17।

युद्ध ना करने वालों को मारना, पराई स्त्री का बलात्कार करना, कृतघ्नता, ब्राह्मण के धन का अपरण, किसी का सर्वस्व छीन लेना ,कुमारी कन्या का अपहरण करना, तथा किसी ग्राम आदि पर आक्रमण करके स्वयं उसका स्वामी बन बैठना – यह सब बातें डाकुओं में भी निन्दित मानी गई हैं।16-17।

अभिसंदधते ये च विश्वासायास्य मानवा: ।
अशेषमेवोपलभ्य कुर्वन्तीति विनिश्चय:।18।

जिनका सर्वस लूट लिया जाता है वह मनुष्य और डाकुओं के साथ मेलजोल और विश्वास बढ़ाने की चेष्टा करते हैं और उनके स्थान आज का पता लगाकर फिर उनका सर्वस्व नष्ट कर देते हैं यह निश्चित बात है।18।

तस्मात् सशेषं कर्तव्यं  स्वाधीनमपि दस्युभि:।
न बलस्थो८हमस्मीति नृशंसानि समाचरेत् ।19।

इसलिए दस्युयों को उचित है कि वह दूसरों के धन को अपने अधिकार में पाकर भी कुछ से छोड़ दें सारा का सारा न लूट ले "मैं बलवान हूं ऐसा समझकर क्रूरता पूर्वक बर्ताव न करें।19

स शेषकारिणस्तत्र शेषं पश्यन्ति सर्वश:।
नि:शेषकारिणो नित्यं नि:शेषकरणाद् भयम्।20।

जो डाकू दूसरों के धन को शेष छोड़ देते हैं वह सब ओर से अपने धन का भी अवशेष देख पाते हैं तथा जो दूसरों के धन से कुछ अवशेष नहीं छोड़ते उन्हें सदा अपने धन के भी अवशेष न रह जाने का भय बना रहता है।20।

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