सोमवार, 28 जनवरी 2019

•ये जीवन समय के पथ पर . बैठा शरीर के रथ पर !

✍✍✍✍✍✍✍..../ ~•ये जीवन समय के पथ पर . बैठा शरीर के रथ पर ! ~~~~~~~~~~~~~~~~ चला जा रहा ये रोहि. प्रारब्ध के लब्ध हैं नक्से ! कर्म से बनती है किस्म़त . क्या कर्म किसी को वख़्शे ? मन के ये अजीब ये सपने . चिन्हित प्रारब्ध शपथ पर ! ये जीवन समय के पथ पर बैठा शरीर के रथ पर 〰〰〰〰〰〰〰 संकल्प से इच्छा जागी इच्छा से कर्म हुए तय ! हर कर्म का फल अक्षय है कर पाप कर्म से भय ! कर्म से प्रकट हुई दुनियाँ . भोगने पर कर्म का क्षय !! अब तक जो कर्म हुए हमसे .हर हिसाब करेगें मथ कर ये जीवन समय के पथ पर.. बैठा शरीर के रथ पर .. ~~~~~~~~~~~~~~~ हर भाव मन में सञ्चय है ! अंकुरण उसका वख़्त पर! हर जीवन एक श़जर है ! कहाँ सख़्त ये दरख़्त पर.. ये जीवन समय के पथ पर. बैठा शरीर के रथ पर ~~~~~~~~~~~~~ !!〰〰〰〰〰〰〰〰 〰〰〰〰〰〰 कर्म में आसक्ति मत कर ! ज्ञान की संगत ज़रा पकर ! इच्छाओं केअथाह सागर ये ! डूब जाते यहाँ घबराकर !! रखना प्रवृत्तियों को नथ कर ये जीवन समय के पथ पर बैठा शरीर के रथ पर . ~~~~~~~~~~~~~~~~~~. वेग जो रोकें डट कर पहँच पाते हैं वही तट पर !! ये जीवन समय -पथ पर ! बैठा शरीर रथ पर !! जा रहा रोहि. प्रारब्ध के लब्ध हैं नक्से !! कर्म से बनती है किस्मत क्या कर्म किसी को बख़्शे ? मन के ये अजीब सपने !! चिन्हित प्रारब्ध शपथ पर !! ये जीवन समय - पथ पर. बैठा शरीर रथ पर !! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ 🌸🌸🌸🌸🌸 उद्गार----योगेश कुमार रोहि

~•मेरी श्वासों में तू
             मेरी आशों मैं तू !
मेरी द़िल की हर धड़कन .
    तुझसे है मेरा वजूह !!
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मेरे भावों की तू रेखा .
ख्वावों में तुझे देखा !!
मेरे जीने का सहारा तू
मेरी तक़दीरों का लेखा ..
तू मतलब है तलब है
तू लव है मेरी आरजू !!
मेरी श्वासों में तू
            मेरी आशों में तू !!
मेरे द़िल की हर धड़कन .
तुझसे है मेरा वजूह !!
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ये ज़िन्दगी के  सुहानेपन .
जब तक तेरी मूरत है !
तेरी सादिग़ी ये मासूमीयत
ये सब मेरी जुरूरत है
ज़िन्दगी के फूल की
        तेरी चाहत है खुशबू !
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हम मुसाफिर हैं उस दुनियाँ के
पतंगें हैं  उलफत के दिया के
शमा पर जल जाना 'मज़हब !
तू मेरा हबीब  मेरा रब़ है !!
जीवन ये  बुलबुले हैं
           दुनियाँ की दरिया के !!
नियामत ये तेरी बन्दगी़ का
              अश़्को से है व़जू !!
अब तू ही बतादे मुझको.
           कहाँ जाऊँ मेरे प्रभू  !!
मेरी श्वासों में तू
            मेरीआशों में तू !
मेरे दिल की हर धड़कन
तुझसे है मेरा वजूह !
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यादव योगेश कुमार रोहि की यह रचना
    स्वर - पुरोधा संगीत -पुरुष
  रवीन्द्र जैन को समर्पित ..../

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