गुरुवार, 24 जनवरी 2019

प्रकृति भाव संधि

प्रकृति भाव संधि
प्रकृति भाव संधि का सूत्र ईदूद्विवचनम् प्रग्रह्यम् होता है। यह संधि स्वर संधि के भागो में से एक है। संस्कृत में स्वर संधियां आठ प्रकार की होती है। दीर्घ संधि, गुण संधि, वृद्धि संधि, यण् संधि, अयादि संधि, पूर्वरूप संधि, पररूप संधि, प्रकृति भाव संधि।
इस पृष्ठ पर हम प्रकृति भाव संधि का अध्ययन करेंगे !
प्रकृति भाव संधि के नियम
नियम - ईकारान्त, उकारान्त , और एकारान्त द्विवचन रूप के वाद यदि कोइ स्वर आये तो प्रक्रति भाव हो जाता है। अर्थात् ज्यो का त्यो रहता है ।
प्रकृति भाव संधि के उदाहरन्

हरी + एतो = हरी एतो
विष्णू + इमौ = विष्णु इमौ
लते + एते = लते एते
अमी + ईशा = अमी ईशा
फ़ले + अवपतत: = फ़ले अवपतत:

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