मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

कृष्ण

सत्य तो यही है कि कृष्ण को ऋग्वेद
में असुर अर्थात् अदेव कहा है ।
--- जो यमुना की तलहटी में इन्द्र से युद्ध करते हैं ।
मोहनजोदाड़ो सभ्यता के विषय में 1929 में हुई खोज के अनुसार पुरातत्व वेत्ता मैके द्वारा मोहनजोदाड़ो में हुए उत्खनन में एक पुरातन टैबलेट (भित्तिचित्र) मिला है।
जिसमें दो वृक्षों के बीच खड़े एक बच्चे का चित्र बना हुआ था ।
जो भागवत आदि पुराणों के कृष्ण से सम्बद्ध थे।
पुराणों में लिखे कृष्ण द्वारा यमलार्जुन के उद्धार की कथा की ओर ले जाता है। पुराणों का सृजन बुद्ध के परवर्ती काल में हुआ । और कृष्ण की कथाऐं इससे भी ---पुरानी हैं ।
इससे सिद्ध होता है कि कृष्ण 'द्रविड संस्कृति से सम्बद्ध हैं
वैसे भी अहीरों (गोपों )में कृष्ण का जन्म हुआ ;
और द्रविडों में अय्यर (अहीर) तथा द्रुज़ Druze नामक यहूदीयों में अबीर (Abeer) दौनो का समन्वय स्थापित करना -युक्ति युक्त हैं।
इसके अनुसार महाभारत का युद्ध 950 ई०पूर्व तक होता रहा होगा जो पुरातात्विक सबूत की गणना में सटीक बैठता है।
द्रविड अथवा सिन्धु घाटी की संस्कृतियाँ 5000 से 950 ई०पू०  समय तक निर्धारित हैं।
इससे कृष्ण जन्म का सटीक अनुमान मिलता है।
ऋग्वेद -में कृष्ण नाम का उल्लेख दो रूपों में मिलता है—एक कृष्ण आंगिरस, जो सोमपान के लिए अश्विनी कुमारों का आवाहन करते हैं ।
(ऋग्वेद 8।85।1-9) और दूसरे कृष्ण नाम का एक असुर, जो अपनी दस सहस्र सेनाओं के साथ अंशुमती अर्थात् यमुना नदी के  तटवर्ती प्रदेश में रहता था ।
और इन्द्र द्वारा पराभूत हुआ था ऐसा वर्णन है ।
परन्तु इन्द्र उपासक देव संस्कृति के अनुयायी ब्राह्मणों ने   इन्द्र को पराजयी कभी नहीं दिखाया है ।
विदित हो कि अंशुमान् सूर्य का वाचक है  देखें---
अंशु + अस्त्यर्थे मतुप् = सूर्य्ये, अंशुशाल्यादयोप्यत्र ।
सूर्य्यवंश्ये असमञ्जःपुत्रे दिलीपजनके राजभेदे तत्कथा रा० आ० ४३ अ० ।
अंशुमति पदार्थमात्रे त्रि० ।
पुराणों में यमुना ओर यम को अंशुमान् के सन्तति रूप में वर्णित किया है ।
ऋग्वेद के अष्टम् मण्डल के सूक्त संख्या 96 के श्लोक- (13,14,15,)पर असुर अथवा दास कृष्ण का युद्ध इन्द्र से हुआ ऐसी वर्णित है।

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