सोमवार, 13 फ़रवरी 2023

दर्द जान की पहिचान है।

          दर्द जान की पहिचान है।

मन एक समुद्र जिसमें विचारों की लहरें तब आन्दोलित होती हैं। जब विचारों का परस्पर आघात -प्रत्याघात ही ज्ञान के बुलबुले उत्पन्न करता है। जिसमें सिद्धान्त की ऑक्सीजन (प्राण वायु) समाहित होती है।
बाल बढ़ाए तीनगुण लोग कहें महाराज ।
 साधक सा जीवन बने  सिद्धों में सरताज।।

 सिद्धों में सरताज  साधना जब हो  सच्ची।
भोगों - रोगों से रहित ज़िन्दगी सबसे अच्छी ।

साधना के पथ पर चलें, फाँसे जगत के जाल ।
सबको सुलझाते रहो , यह याद दिलाते बाल!

व्यक्ति का कर्म ही उसके उच्च और निम्न स्तर के मानक को सुनिश्चित करता है।
 न कि उसका जन्म ! अभावों और विकटताओं में जन्म लेने वाले भी महान बन जाते हैं और सम्पन्नता और भोग विलास में जीवन यापन करने वाले भी पतित और चरित्रहीन हो जाते हैं।

"सराफत की दुहाई देने वाले अधिकर दोषी निकले।
परिवार का जिनको हम समझ रहे वे पड़ोसी निकले।।

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