मंगलवार, 6 जून 2023

राम का वनवास


दशहरे के दिन (अश्विन महीने के शुक्लपक्ष की दशमी) राम ने रावण को नही मारा था! अर्थात यह तो सरासर झूठ है कि विजयदशमी इसलिये मनायी जाती है क्योंकि इसी दिन रावण मारा गया था।
 रामायण के अनुसार राम को चैत्रमास (अयोध्याकाण्ड सर्ग-3, श्लोक-4, ) मे वनवास जाना पड़ा था।
चैत्रः श्रीमानयं मासः पुण्यः पुष्पितकाननः।
यौवराज्याय रामस्य सर्वमेवोपकल्प्यताम्॥ ४॥


क्योंकि इसी महीने मे दशरथ उनको राजा बनाने वाले थे, पर एक नाटकीय घटनाक्रम से उन्हे अगले ही दिन वन मे जाना पड़ गया। अब यदि राम वन चैत्रमास मे गये तो चौदह साल बाद वे चैत्रमास मे ही वापस अयोध्या आ सकते थे।

क्योंकि कैकेयी को दिये वचनानुसार उससे पहले उनका अयोध्या आना सम्भव ही नही था। अब इस तरह से तो कार्तिक मास मे जो दिपावली मनायी जाती है, वह भी राम के आगमन की वजह से सम्भव नही है, क्योंकि वनवास की अवधि से पाँच महीने पहले राम अयोध्या कैसे आ सकते हैंरामायण मे केवल इतना ही प्रमाण है कि राम चैत्रमास मे वन गये थे, पर वे वापस किस महीने मे आये इसका कोई वर्णन नही है। रामायण मे इतना जरूर लिखा है कि वे चौदह साल व्यतीत करने के बाद ही वापस आये थे, उससे पहले नही।
रामायण युद्धकाण्ड अध्याय-124/1 ) 

के अनुसार राम चौदह वर्ष बाद पंचमी तिथि को भारद्वाज के आश्रम और उसके अगले दिन छठीं तिथि को अयोध्या आये थे। हालाकि वे कौन से महीने मे आये यह तो नही लिखा है, पर इतना स्पष्ट है कि वे अमावश्या के दिन तो नही आये थे, जिस दिन दिपावली मनायी जाती है।

खैर, अब बात करते हैं दशहरे की! रामायण से एक बात तो साफ हो जाती है कि यदि राम चौदह साल बाद अर्थात चैत्र/वैशाख महीने मे वापस अयोध्या आये थे तो यह सम्भव ही नही है कि उन्होने रावण का वध अश्विन (क्वार) महीने मे किया होगा, क्योंकि युद्धकाण्ड मे साफ लिखा है कि रावण को मारने के तुरन्त बाद ही राम का वनवास खत्म हो चुका था, अतः शीघ्रता से आने के लिये उन्होने पुष्पक विमान का सहारा लिया था।
 वैसे उपरोक्त बातें केवल तर्क है कि राम ने दशहरे के दिन रावण का वध नही किया था, पर इसके अलावा एक मजबूत प्रमाण भी है।
पद्मपुराण को रामायण का अखिलभाग ही माना जाता है! पद्मपुराण मे रामायण की घटनाओं को बहुत आसान और तिथि/महीने के साथ लिखा गया है।

इसी पद्मपुराण पातालखण्ड अध्याय-117,  मे बहुत स्पष्ट लिखा है कि राम वन किस महीने मे गये? 
सूत उवाच-
एतां श्रुत्वा कथां रामः प्रहृष्टो मुनिभिर्वृतः ५९।
भारद्वाजं नमस्कृत्य प्रयाणाज्ञामयाचत ६०।
अथो भरद्वाजमुनिः प्रसन्नः शंभुं वसिष्ठं मुनिपुंगवं च ।
नारायणं चर्षिगणांश्च नत्वा व्यसर्जयत्तेऽपि ययुः प्रणम्य ६१।
नैमिषीया ऊचुः -
गत्वायोध्यां महातेजाः समस्तमुनिसंयुतः ।
किं चकार ततो रामः स च शंभुर्महायशाः ६२।
सूत उवाच-
कौसल्या मासिकश्राद्धमपरेऽहनि राघवः ।
चिकीर्षुर्द्विजप्रवरानृषिकल्पान्न्यमंत्रयत् ६३।
शंभुं समस्तत्त्वज्ञं नारदं रोमशं भृगुम् ।
विश्वामित्रमथो राम एकभक्तव्रती ततः ६४।
भूमौ सुखास्तृतायां च सुष्वापा व्याकुलेंद्रियः ।
परेद्युरथ संप्राप्ते प्रातःस्नात्वा विधानवित् ६५।
अन्नं शाकादिकं शुद्धं जनैरेवान्वकारयत् ।
नानान्नानि विचित्राणि चोष्याद्यानि तथैव च ६६।


सीता हरण कब हुआ? 
राम-रावण युद्ध कब शुरू हुआ?
रावण वध कब हुआ और राम अयोध्या वापस कब आये?
पद्मपुराण के अनुसार राम ने रावण से चैत्र शुक्लपक्ष की द्वादशी से लेकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तक लगातार अठारह दिन युद्ध किया और फिर अठारहवें दिन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को ही रावण का वध किया।
  अर्थात राम ने चैत्रमास कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन रावण को मारा था, फिर अश्विन महीने की शुक्लपक्ष की दशमी को "विजयदशमी" क्यों मनायी जाती है?
              अब सवाल यह है कि क्या सचमुच इसी दिन पुष्यमित्र शुंग ने वृहद्रथ की हत्या की थी, और अपनी इस खुशी को पड़े-पुरोहित रावणवध के रूप मे मनाते हैं?
या यह मान लिया जाये कि पुष्यमित्र शुंग ही राम थे, और वृहद्रथ ही रावण, क्योंकि रामायण वाला रावण तो इस दिन नही मरा था?

              दूसरी बात इसी पद्मपुराण मे यह भी लिखा है कि राम वैशाख शुक्लपक्ष की षष्ठी-तिथि को अयोध्या वापस आये थे, तो फिर कार्तिकमास के कृष्णपक्ष की अमावश्या को दिपावली क्यों मनायी जाती है?

         ऐसे बहुत से सवाल हैं, जिनका जवाब अब शायद पड़े-पुरोहितों के पास भी नही हैं, या तो अब वे इसका जवाब देना भी नही चाहते। पर आप जरूर सवाल करते रहो कि आखिर विजयदशमी क्यों और किसकी विजय पर मनायी जाती है।

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