बुधवार, 14 जून 2023

भारत की आत्मा गाँवों में गाँवों की आत्मा ये किसान!

भारत की आत्मा गाँवों में 
गाँवों की आत्मा ये किसान!

अन्न के दाता प्रकृति है माता
घर में भरा है धन -धान्य !!

गाँवों में आते हैं  भिखारी
बाज़ीगर और कभी मदारी।

चैत वैशाख का आया महीना
अन्न किसानों का सब छीना।

खाद"  बीज और खेत- बुबाई।
आधा अनाज बिक जाता भाई।।

रोज द्वार पर भिक्षुक आते
एक तिहाई वे ले जाते।

झाड़ घटक ता ही बस मिलता
और एक चौथाई चूहे ले जाते।।

किसान ही सबसे भला है।
संघर्षों का ये  पुतला है । 
चला जा रहा उसी राह पर 
फिर भी ये कहाँ सम्हला है।

प्रस्तुतिकरण:- 
यादव योगेश कुमार "रोहि" -8077160219-

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें