मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

म्लेच्छा हि यवनास्तेषु सम्यक् शास्त्रमिदं स्थितम् । ऋषिवत् तेऽपि पूज्यन्ते

【भारतीय संस्कृति की उदारता】

म्लेच्छा हि यवनास्तेषु सम्यक् शास्त्रमिदं स्थितम् ।  ऋषिवत् तेऽपि पूज्यन्ते...
~बृहत् संहिता/अध्याय: २/ श्लोक: ३०

म्लेच्छों अथवा यवनों को भी जब इस शास्त्र का ज्ञान हो, तो वे भी ऋषि-मुनियों के समान पूजनीय है...

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