शनिवार, 24 नवंबर 2018

करौली शब्द का इतिहास और यहाँ के यादवों का पाल विशेषण---

करौली के जादौनों का उदय  आठवीं सदी के उत्तरार्द्ध  नवीं सदी के पूर्वार्द्ध में  मथुरा के यादव शासक ब्रह्मपाल अहीर से हुआ जो दशवें अहीर राजा थे ।⬇🔄

राजा धर्मपाल बाद ईस्वी  सन्  879 में इच्छपाल (ऋच्छपाल) मथुरा के शासक हुए ।

 इनके ही दो पुत्र थे  प्रथम  पुत्र ब्रहमपाल जो मथुरा के शासक थे  हुए दूसरे पुत्र विनयपाल  जो महुबा (मध्यप्रदेश) के शासक हुए 

विजयपाल भी करौली के यादव अहीरों की जादौंन शाखा का मूल पुरुष/ आदि पुरुष/ संस्थापक विजयपाल माना गया परन्तु इतिहास में  ब्रह्मपाल ही मान्य हैं 

 विजयपाल जिसने 1040 ईस्वी में अपने राज्य की राजधानी मथुरा से हटाकर बयाना
( विजय मंदिर गढ़) को बनाया ------------

4 टिप्‍पणियां:

  1. आप के एतिहसिक वर्णन के लिये बहुत बहुत बधाई व धन्यवाद।
    मैं भी ढंढोर अहीर हूँ। और कंकाली माता मेरी कुल देवी हैं। और मेरे वंश के ही लोग मुख्यतः चौरी चौरा काण्ड में 23 अंग्रेजी पुलिस और थानेदार को थाने में बन्द करके जलाएं थें। जो स्व श्री भगवान यादव व स्व श्री कोमल यादव के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया गया था। लेकिन आजतक मेरे पूर्वजो की मूर्ती तक नही लगाई गयी। जिनसे प्रेरित होकर ही भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे युवा आजादी के क्रांतिकारी बने।
    और मेरे वंश के लोग पूर्वांचल में और नेपाल के तराई में कई जगहों पे जमीदार रहें।

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