शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

निपात क्या है ?

निपात और उसके कार्य यास्क के अनुसार ‘निपात’ शब्द के अनेक अर्थ है, इसलिए ये निपात कहे जाते हैं- उच्चावच्चेषु अर्थेषु निपतन्तीति निपाताः। यह पाद का पूरण करनेवाला होता है- ‘निपाताः पादपूरणाः । कभी-कभी अर्थ के अनुसार प्रयुक्त होने से अनर्थक निपातों से अन्य सार्थक निपात भी होते हैं। निपात का कोई लिंग, वचन नहीं होता। मूलतः इसका प्रयोग अववयों के लिए होता है। जैसे अव्ययों में आकारगत अपरिवर्त्तनीयता होती है, वैसे ही निपातों में भी। निपातों का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द-समूह या पूरे वाक्य को अन्य (अतिरिक्त) भावार्थ प्रदान करने के लिए होता है। निपात सहायक शब्द होते हुए भी वाक्य के अंग नही होते। पर वाक्य में इनके प्रयोग से उस वाक्य का समग्र अर्थ प्रभावित होता है। निपात के भेद यास्क ने निपात के तीन भेद माने है- (1) उपमार्थक निपात : यथा- इव, न, चित्, नुः (2) कर्मोपसंग्रहार्थक निपात : यथा- न, आ, वा, ह; (3) पदपूरणार्थक निपात : यथा- नूनम्, खलु, हि, अथ। यद्यपि निपातों में सार्थकता नहीं होती, तथापि उन्हें सर्वथा निरर्थक भी नहीं कहा जा सकता। निपात शुद्ध अव्यय नहीं है; क्योंकि संज्ञाओं, विशेषणों, सर्वनामों आदि में जब अव्ययों का प्रयोग होता है, तब उनका अपना अर्थ होता है, पर निपातों में ऐसा नहीं होता। निपातों का प्रयोग निश्र्चित शब्द, शब्द-समुदाय या पूरे वाक्य को अन्य भावार्थ प्रदान करने के लिए होता है। इसके अतिरिक्त, निपात सहायक शब्द होते हुए भी वाक्य के अंग नहीं हैं। पर वाक्य में इनके प्रयोग से उस वाक्य का सम्रग अर्थ व्यक्त होता है। साधारणतः निपात अव्यय ही है। हिन्दी में अधिकतर निपात शब्दसमूह के बाद आते हैं, जिनको वे बल प्रदान करते हैं। निपात के कार्य निपात के निम्नलिखित कार्य होते हैं- (1) पश्र- जैसे : क्या वह जा रहा है ? (2) अस्वीकृति- जैसे : मेरा छोटा भाई आज वहाँ नहीं जायेगा। (3) विस्मयादिबोधक- जैसे : क्या अच्छी पुस्तक है ! (4) वाक्य में किसी शब्द पर बल देना- बच्चा भी जानता है। निपात के प्रकार निपात के नौ प्रकार या वर्ग हैं- (1) स्वीकार्य निपात- जैसे : हाँ, जी, जी हाँ। (2) नकरार्थक निपात- जैसे : नहीं, जी नहीं। (3) निषेधात्मक निपात- जैसे : मत। (4) पश्रबोधक- जैसे : क्या ? न। (5) विस्मयादिबोधक निपात- जैसे : क्या, काश, काश कि। (6) बलदायक या सीमाबोधक निपात- जैसे : तो, ही, तक, पर सिर्फ, केवल। (7) तुलनबोधक निपात- जैसे : सा। (8) अवधारणबोधक निपात- जैसे : ठीक, लगभग, करीब, तकरीबन। (9) आदरबोधक निपात- जैसे : जी। Advertisements

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