हिन्दी व्याकरण का मानक स्वरूप " भाग चतुर्थ "
काल काल (Tense) को किस तरह परिभाषित किया जाना चाहिए ? यह जाना आवश्यक है।
क्रिया के जिस सामयिक रूप से उसके होने का बोध होता है उसे काल कहते हैं ।
काल के तीन भेद हैं- 1. भूत काल (भू + क्तः ) अर्थात् --जो हुआ है ।
संस्कृत भाषा में यह भूत शब्द अतीत का वाचक शब्द “ "भूतं -भवद् (वर्तमान)
-भविष्यद् वा किं तत् स्यात् जगति प्रिये ।
भवती यन्न जानीयादिति शर्व्वोऽप्युवाच ताम् ।
भूतकाल के पर्य्याय यथा :-१- वृत्तम् २- अतीतम् ३- ह्यस्तनम् ४- निभृतम् ५- गतम् ६ -।
इति राजनिर्घण्टः उत्तरपदस्थ एव भूतशब्दः समार्थ इति शाब्दिकाः । ______________________________________
☀2. वर्तमान काल वृत+शानच् कालभेदे शब्दप्रयोगाधारे आरब्धापरिसमाप्ते
१ काले २ तत्कालवृत्तौ त्रि० ।
वर्त्तमानकालश्च चतुर्विधः ।
यथा १-“प्रवृत्तोतरत श्चैव वृत्ताविरत २ एव च नित्यः प्रवृत्तः ३ सामीप्यो ४ वर्त्तमानश्चतुर्विधः ।
वर्तमान का अर्थ है (होता हुआ) वस्तुत वर्तमान पल पल का प्रतिरूप है ।
जबकि भूत और भविष्य कल कल के प्रतिरूप हैं ।
कल कभी आते नहीं और पल कभी जाते नहीं ।।
3. भविष्य काल आगे आने वाला समय है ।
कालों की क्रमश: परिचय :-
1. भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय अर्थात् (अतीत) में कार्य होने का बोध हो वह भूतकाल कहलाता है।
जैसे- (i) बच्चा गया । (ii) बच्चा गया है । (iii) बच्चा जा चुका था । ( iv )बच्चा जा रहा है ( v )बच्चा सुबह से जा रहा था ।
ये सब भूतकाल की क्रियाएँ हैं क्योंकि ‘गया’, ‘गया है’, ‘जा चुका था’/ गया था और सुबह से जा रहा था" ये सभीे क्रियाएँ भूतकाल का बोध कराती है ।
हिन्दी भाषायी व्याकरणिक दृष्टि से यद्यपि भूतकाल के छह भेद हैं- परन्तु उनमें दो भेद अंग्रेजी व्याकरण में वर्तमान तथा भविष्य कालिक रूपों में निर्धारित कर दिये हैं ।
💐-आसन्न भूत को पूर्ण वर्तमान काल कहना जैसे :-बच्चा गया है ।
इस वाक्य में दो क्रियाऐं हैं पहली भूतकालिक तथा द्वितीय वर्तमान कालिक जैसे :-(गया + है ) "गया" भूतकाल की क्रिया तो "है" वर्तमान काल की क्रिया है।
दोनों भूत-वर्तमानिक संयुक्त क्रियाओं से यह स्व निर्धारित होता है ।
💐- दूसरा वाक्य "बच्चा गया होगा" जिसमें प्रथम क्रिया "गया" भूतकालिक तथा द्वितीय क्रिया "होगा" भविष्य कालिक है । अब ये भी वाक्य हिन्दी भाषायी व्याकरणिक दृष्टि से सन्दिग्ध भूत काल का है तो अंग्रेजी व्याकरण में भविष्य कालिक निर्धारित कर दिया है ।
यहाँ दौनों वाक्यों के काल में हिन्दी व्याकरणिक मान्यता सही है ।
💐-क्यों कि यहाँं पहली क्रियाऐं ही प्रभावशाली हैं।
वैसे भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष वाक्यों की संरचना में
पूर्णवर्तमान का वाक्य और सामान्य भूतकाल का वाक्य
दोनों ही पूर्णभूत काल में ही निर्मित होते हैं अंग्रेजी व्याकरण के अन्तर्गत ...
भूतकाल के छह भेद हैं-
(i) सामान्य भूत (अनिश्चित भूत)
(ii) आसन्न भूत (पूर्ण वर्तमान ) आसन्न भूतकाल (Imminent Past Tense)
(iii) अपूर्ण भूत ( सातत्य भूत)
(iv) पूर्ण भूत
(v) संदिग्ध भूत ( जिसे अंग्रेजी व्याकरण में पूर्ण भविष्य काल माना)
(vi) हेतुहेतुमद भूत ( शर्त मूलक भूत काल)
__________________________________________
(i) सामान्य भूत - क्रिया के जिस रूप से (या, ये, यी, चुका, चुकी, चुके) समीप वर्ती भूतकाल अनिश्चित समय मूलक बोध होता है, वह सामान्य भूत है ।
जैसे- बच्चा गया । श्याम ने पत्र लिखा ।
(ii) आसन्न भूत- क्रिया के जिस रूप से अभी-अभी निकट भूतकाल में क्रिया का होना प्रकट हो, वह आसन्न है।. इनके हिन्दी वाक्यों के अन्त में ये शब्दांश आते हैं जैसे- (या है, ये है, यी है अथवा चुका है, चुकी है, चुके है)
जैसे- १-प्रशान्त गया है । २-मधुरी आई है । ३-मोहन जा चुका है ।
वस्तुत इस भूत काल में दो क्रियाऐं होता हैं :-
प्रथम भूतकालिक तथा द्वितीय वर्तमान कालिक ।
जैसे :- गया है । चुका है।
वाक्यांश में गया भूतकालिक तथा "है" क्रिया वर्तमान कालिक है।
(iii) अपूर्ण भूत-inperfect Past Tense) क्रिया के जिस रूप से- रहा था, रही थी, रहे थे- का बोध हो ।
जैसे- रामू आ रहा था ।
वस्तुत इस भूत काल की सातत्य (अपूर्ण) क्रिया में कोई समय ( Time) नहीं होता है ।
जबकि पूर्ण -अपूर्ण भूत काल की क्रिया में एक समय होता है ; चाहे 'वह निश्चित हो अथवा अनिश्चित जैसे :- "रामू सुबह से आ रहा था" अथवा रामू दो घण्टे से आ रहा था ।
(iv) पूर्ण भूत- क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य समाप्त हुए बहुत समय बीत चुका है उसे पूर्ण भूत कहते हैं ; इस भूत काल के वाक्य में दो भूत कालिक क्रियाऐं होती हैं ।
जैसे अर्थात् -आया + था, आयी + थी, आये +थे, चुका + था, चुकी+ थी, चुके +थी।
💐:- ये दो भूत कालिक क्रियाऐं साथ साथ हों तो समझ लीजिए की वाक्य पूर्ण भूत है ।
जैसे- बच्चा आया था । इस भूत काल में दो भूत कालिक क्रियाऐं हैं ।
जैसे आया ( अनिश्चित भूतकालिक "आया" तथा द्वितीय "था" निश्चित भूतकालिक ।
(v) सन्दिग्ध भूत- (Doubtful past)Tense) क्रिया के जिस रूप से भूतकाल का बोध तो हो किन्तु कार्य के होने में सन्देह हो अथवा सम्भावना हो वहाँ सन्दिग्ध भूत होता है।
जैसे:- श्याम ने पत्र लिखा होगा ।
यद्यपि सन्दिग्ध भूत अंग्रेजी व्याकरणिक में पूर्ण भविष्य काल के रूप में मान्य है ।
जबकि हिन्दी में भूत काल के रूप में । क्यों कि "लिखा" भूत कालिक क्रियात्मक रूप पहले है और "होगा" भविष्य कालिक क्रियात्मक रूप बाद में है ।
अतः यह पहले भूतकालिक ही है।
(vi) हेतुहेतुमद भूत-(-condition Past tense):-क्रिया के जिस रूप से बीते समय में एक क्रिया के होने पर दूसरी क्रिया का होना आश्रित हो ; वहाँ हेतुहेतुमद भूत काल होता है।:-
जैसे- यदि सुधा ने कहा होता , तो मैं अवश्य जाता । अर्थात् वर्तमान काल में इसमें क्रिया का आरम्भ हो चुका होना होता है लेकिन समाप्ति नहीं होती है। _________________________________________
वर्तमान काल:- दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से कार्य का वर्तमान काल में होना पाया जाए उसे वर्तमान काल कहते हैं ।
जैसे:- भक्त माला फेरता है ।
वर्तमान काल के तीन भेद हैं-
(i) सामान्य वर्तमान
(ii) अपूर्ण वर्तमान
(iii) संदिग्ध वर्तमान
(i) सामान्य वर्तमान:- क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य वर्तमान काल में सामान्य रूप से होता है वहाँ सामान्य वर्तमान होता है।
परन्तु यहाँ समय अनिश्चित ही होता है ।
जैसे- बाबू रोता है ।
(ii) अपूर्ण वर्तमान- क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य अभी चल ही रहा है, समाप्त नहीं हुआ है वहाँ अपूर्ण वर्तमान होता है।
जैसे- यदु स्कूल जा रहा है ।
💐-(iii) संदिग्ध वर्तमान- क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में कार्य के होने में संदेह का बोध हो वहाँ संदिग्ध वर्तमान होता है । जैसे- रमेश इस समय खाता होगा ।
3. भविष्यत काल क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य भविष्य में होगा वह भविष्यत काल कहलाता है।
जैसे- यदु स्कूल जाएगा ।
भविष्य काल के तीन भेद हैं-
(i) सामान्य भविष्यत
(ii) संभाव्य भविष्यत
💐-(iii) प्रश्नमूलक इच्छाबोधक संभाव्यभविष्यत्काल
उदाहरण:- जब एक पत्नी पति से कहती है
" आप के लिए चाय बनाऊं"
" सेवक मालिक से कहता है
" कमरे को साफ कर दूँ"
अंग्रेजी व्याकरण में दौंनो वाक्य भविष्यकाल सूचक सहायक क्रियाओं के भूतकालिक रूप " will- whould तथा Shell के भूतकालिक रूप Should से बनेंगे ।
💐:-🌸
1-आप के लिए चाय बनाऊं"
I Should make tea for you.
2- इस कमरे को साफ कर दूँ"
I whould clean this room.
(i) सामान्य भविष्यत - क्रिया के जिस रूप से कार्य के भविष्य में होने का बोध हो उसे सामान्य भविष्यत कहते हैं ।
जैसे:- हम घूमने जाएँगे ।
(ii) संभाव्य भविष्यत: - क्रिया के जिस रूप से कार्य के भविष्य में होने की संभावना या इच्छा का बोध हो वहाँ सम्भाव्य भविष्यत होता है ।
जैसे- शायद वह दिन आए ।
क्या मैं आपकी मदद करूँ ?
काल क्या होता है :- काल का अर्थ होता है – समय। क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने के समय का पता चले उसे काल कहते हैं।
अथार्त कार्य – व्यापार के समय और उसकी पूर्ण और अपूर्ण अवस्था के ज्ञान के रूपांतरण को काल कहते हैं। काल के उदाहरण :-
(i) सुनील गीता पढ़ता है।
(ii) प्रदीप पढ़ रहा है।
(iii) रमेश कल दिल्ली जाएगा।
(iv) बच्चे खेल रहे हैं।
(v) अध्यापिका पढ़ा रही थीं।
(vi) वह खा रहा है।
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__________________________________________ वाच्य (Voice) क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया द्वारा सम्पादित विधान का विषय (उद्देश्य) कर्ता है, कर्म है, अथवा भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
वाक्य क्रिया का ही रूपान्तरण है ।
क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है।
इनमें किसी के अनुसार क्रिया के पुरुष, वचन आदि आए हैं।
वाच्य के तीन प्रकार हैं-
1. कर्तृवाच्य। (Active Voice) जिस वाक्य में वाच्य बिन्दु 'कर्ता' है उसे कर्तृवाच्य कहते है।
2. कर्मवाच्य। (Passive Voice)
3. भाववाच्य। (Imporsonal Voice) वाच्य के प्रयोग :-
वाक्य में क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष का अध्ययन 'प्रयोग' कहलाता है।
ऐसा देखा जाता है कि वाक्य की क्रिया का लिंग, वचन एवं पुरुष कभी कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है, तो कभी कर्म के लिंग-वचन-पुरुष के अनुसार, लेकिन कभी-कभी वाक्य की क्रिया कर्ता तथा कर्म के अनुसार न होकर एकवचन, पुंलिंग तथा अन्यपुरुष होती है; ये ही प्रयोग है।
(क) कर्तरि प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हों तब कर्तरि प्रयोग होता है; जैसे- मोहन अच्छी पुस्तकें पढता है।
(ख) कर्मणि प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार हों तब कर्मणि प्रयोग होता है; जैसे- सीता ने पत्र लिखा।
(ग) भावे प्रयोग- जब वाक्य की क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता अथवा कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार न होकर एकवचन, पुंलिंग तथा अन्य पुरुष हों तब भावे प्रयोग होता है; जैसे- मुझसे चला नहीं जाता।
सीता से रोया नहीं जाता।
वाच्य के भेद:- उपर्युक्त प्रयोगों के अनुसार वाच्य के तीन भेद हैं-
(1) कर्तृवाच्य(Active Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को कर्तृवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध हो।
जैसे- राम पुस्तक पढ़ता है, मैंने पुस्तक पढ़ी।
(2) कर्मवाच्य(Passive Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो।
जैसे- पुस्तक पढ़ी जाती है; आम खाया जाता है। यहाँ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार रूपान्तररित न होकर कर्म के अनुसार परिवर्तित हुई हैं।
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अँग्रेजी की तरह हिन्दी में कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं होता; जैसे- 'मैं दूध पीता हूँ' के स्थान पर 'मुझसे दूध पीया जाता है' लिखना गलत होगा।
हाँ, निषेध के अर्थ में यह लिखा जा सकता है- मुझसे पत्र लिखा नहीं जाता; उससे पढ़ा नहीं जाता।
(3) भाववाच्य(Impersonal Voice)- क्रिया के उस रूपान्तर को भाववाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो ।
क्रिया के लिंग वचन कर्म के लिंग एवं वचन के अनुसार होते है। जैसे- मोहन से टहला भी नहीं जाता।
मुझसे उठा नहीं जाता।
धूप में चला नहीं जाता।
टिप्पणी- यहाँ यह स्पष्ट है कि कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है, किन्तु कर्मवाच्य में केवल सकर्मक और भाववाच्य में अकर्मक होती .
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना:- (1) कर्तृवाच्य की क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलना चाहिए।
(2) उस परिवर्तित क्रिया-रूप के साथ काल, पुरुष, वचन और लिंग के अनुरूप जाना क्रिया का रूप जोड़ना चाहिए।
(3) इनमें ‘से’ अथवा ‘के द्वारा’ का प्रयोग करना चाहिए।
जैसे- कर्तृवाच्य कर्मवाच्य:-
1.श्यामा उपन्यास लिखती है।
श्यामा से उपन्यास लिखा जाता है।
2.श्यामा ने उपन्यास लिखा।
श्यामा से उपन्यास लिखा गया।
3.श्यामा उपन्यास लिखेगी।
श्यामा से (के द्वारा) उपन्यास लिखा जाएगा।
2.कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना-
(1) इसके लिए क्रिया अन्य पुरुष और एकवचन में रखनी चाहिए।
(2) कर्ता में करण कारक की विभक्ति लगानी चाहिए।
(3) क्रिया को सामान्य भूतकाल में लाकर उसके काल
के अनुरूप जाना क्रिया का रूप जोड़ना चाहिए।
(4) आवश्यकतानुसार निषेधसूचक ‘नहीं’ का प्रयोग करना चाहिए।
जैसे- कर्तृवाच्य भाववाच्य 1.बच्चे नहीं दौड़ते। बच्चों से दौड़ा नहीं जाता।
2.पक्षी नहीं उड़ते।
पक्षियों से उड़ा नहीं जाता।
3.बच्चा नहीं सोया। बच्चे से सोया नहीं जाता। ________________________________________
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भाषण (Direct & indirect Narration )
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भाषण (कथन) अंग्रेजी शिक्षार्थियों के लिए भ्रम का स्रोत हो सकता है।
आइए पहले शब्दों को परिभाषित करें, फिर देखें कि किसी ने क्या कहा है, और सीधे भाषण को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कैसे परिवर्तित किया जाए?
आप प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं उसने क्या कहा? यह दो तरीके से: बोले गए शब्दों को दोहराकर ( Repeated Speech) (प्रत्यक्ष भाषण) तथा बोले गए शब्दों की (Report)विवरण वर्णन करके (अप्रत्यक्ष या रिपोर्ट
🌐 किया गया भाषण)।
प्रत्यक्ष भाषण प्रत्यक्ष भाषण दोहराया गया, या उद्धरण, बोली जाने वाले सटीक शब्द।
जब हम लिखित रूप में प्रत्यक्ष भाषण का उपयोग करते हैं, तो हम उद्धरण चिह्नों (" ") के बीच बोली जाने वाले शब्दों को रखते हैं और इन शब्दों में कोई बदलाव नहीं होता है।
हम कुछ ऐसा रिपोर्ट कर रहे हैं जो अब कहा जा रहा है (उदाहरण के लिए एक टेलीफोन वार्तालाप), या बाद में किसी पिछली बातचीत के बारे में बता रहा है।
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उदाहरण :-१-वह कहती है, "आप घर कब आएंगे?"
२-उसने कहा, "तुम घर कब रहोगे?"
३-मैंने कहा, "मुझे नहीं पता!" "मेरे सूप में एक फ्लाई है!" चिल्लाया सिमोन।
४- जॉन ने कहा, "खिड़की के बाहर एक हाथी है।"
अप्रत्यक्ष भाषण:--- रिपोर्ट या अप्रत्यक्ष भाषण आमतौर पर अतीत के बारे में बात करने के लिए प्रयोग किया जाता है, इसलिए हम आम तौर पर बोले गए शब्दों का काल बदलते हैं।
हम 'कहें', 'बताएं', 'पूछें' जैसी रिपोर्टिंग क्रियाओं का उपयोग करते हैं, और हम रिपोर्ट किए गए शब्दों को पेश करने के लिए 'उस' शब्द का उपयोग कर सकते हैं। जिसे उद्धरण चिन्ह कहते हैं (उलटा कॉमा का उपयोग नहीं किया जाता है।
(प्रत्यक्ष-भाषण)उसने कहा, "मैंने उसे देखा।"
(प्रत्यक्ष भाषण) = उसने कहा कि उसने उसे देखा था ।
(अप्रत्यक्ष भाषण) 'वह' छोड़ा जा सकता है: उसने उसे बताया कि वह खुश थी।
= उसने उसे बताया कि वह खुश थी।
'कहो' और 'बताओ' कोई अप्रत्यक्ष वस्तु नहीं होने पर 'कहें' का प्रयोग करें: उसने कहा कि वह थक गया था। जब आप कहें कि किसके साथ बोली जा रही थी (यानी एक अप्रत्यक्ष वस्तु के साथ) हमेशा 'बताएं' (Tell)का उपयोग करें:
उसने मुझे बताया कि वह थक गया था। '
टॉक' और 'बोलो' संचार की कार्रवाई का वर्णन करने के लिए इन क्रियाओं का प्रयोग करें:
उसने हमसे बात की।
वह टेलीफोन पर बात कर रही थी।
क्या कहा गया था इसके संदर्भ में 'क्रिया' के साथ इन क्रियाओं का प्रयोग करें: उसने अपने माता-पिता के बारे में बात की (हमें)।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कथनों में उद्धरण कोे उद्धृत करने में प्रयुक्त क्रिया (Reporting verb ) यदि भूतकाल में हों ;
तो (Repoted speech उद्धृत कथन )की क्रिया का काल एक चरण पीछे भूतकाल में चला जाता है ।
बशर्ते रिपोर्टेड स्पीच के वाक्य में शाश्वत या ऐैतिहासिक अथवा प्रवृत्ति या आदत मूलक भाव न हो अथवा सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार नैतिक मूल्यों जैसे इमानदारी ,सच्चाई, दया और उदारता आदि के सन्दर्भों में भी भूतकालिक रूप से एक चरण पीछे जाने का नियम लागू नहीं होता है ।...
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कारक प्रकरण---(Case Concept)
अंग्रेजी में व्याकरणिक सम्पदा:-
पुरानी अंग्रेज़ी में पाँच कारक थे:-
१-नामांकित -nominative,
२-आरोपक-accusative ,
३-सम्बन्धक-genitive ,
४-प्रदानात्मक-dative , और
५-करणमूलत - instrumental
आधुनिक अंग्रेजी में तीन कारक हैं:-
1. नामांकित (जिसे व्यक्तिपरक भी कहा जाता है)
2. आरोपक (उद्देश्य भी कहा जाता है)
3. सम्बन्धवाचक (जिसे स्वामित्व भी कहा जाता है)
उद्देश्य का मामला पुराने मूल और करण के मामलों को कम करता है।
कारक इस सम्बन्ध को सन्दर्भित करता है; कि एक शब्द को वाक्य में दूसरे के पास है, अर्थात्, जहाँ एक शब्द दूसरे के संबंध में "आता है"।
वह कारक अर्थात् "case" है ।
यह शब्द लैटिन शब्द से आता है जिसका अर्थ है "गिरना, ।"
अन्य आधुनिक भाषाओं में, विशेषणों के मामले होते हैं, लेकिन अंग्रेजी में, मामला केवल संज्ञाओं और सर्वनामों पर लागू होता है।
नामांकित / विषय वस्तु --- जब एक संज्ञा को (ए) के रूप में प्रयोग किया जाता है) एक क्रिया का विषय या (बी) एक क्रिया क्रिया का पूरक, यह व्यक्तिपरक या नामांकित मामले में कहा जाता है।
👇 राजा दिल से हँसे।
राजा व्यक्तिपरक मामले में एक संज्ञा है क्योंकि यह हंसी क्रिया का विषय है।
राजा एक्विटाइन के एलेनोर का पुत्र है।
पुत्र व्यक्तिपरक मामले में एक संज्ञा है क्योंकि यह कार्य क्रिया का पूरक है ।
आक्रामक / उद्देश्य प्रकरण जब किसी संज्ञा को किसी क्रिया या ऑब्जेक्ट की वस्तु के रूप में उपयोग किया जाता है, तो इसे उद्देश्य या ऑब्जेक्ट मामले में कहा जाता है।
राजा ने अपने दुश्मनों को कम कर दिया। दुश्मन उद्देश्य के मामले में एक संज्ञा है क्योंकि इसे संक्रमित क्रियात्मक क्रिया की क्रिया प्राप्त होती है; यह कमजोर की सीधी वस्तु है।
दोस्त एक फिल्म में गए। मूवी उद्देश्य के मामले में एक संज्ञा है क्योंकि यह प्रीपोजिशन का उद्देश्य है ।
सैली ने चार्ली को एक पत्र लिखा था। चार्ली उद्देश्य के मामले में एक संज्ञा है क्योंकि यह क्रिया के अप्रत्यक्ष वस्तु को लिखा है ।
एक संक्रमणीय क्रिया हमेशा एक प्रत्यक्ष वस्तु है; कभी-कभी, इसमें "अप्रत्यक्ष वस्तु" नामक दूसरी वस्तु होगी।
पुरानी शब्दावली में, अप्रत्यक्ष वस्तु को "मूल मामले" में कहा जाता था।
आजकल, अप्रत्यक्ष वस्तु, प्रत्यक्ष वस्तु की तरह, में कहा जाता है आरोप या उद्देश्य का मामला व्याकरणिक दृष्टि से कर्म का स्पष्टीकरण संस्कृत में सम्यक् रूप से हुआ है ।
👇 कर्तुरीप्सिततमं कर्म अर्थात् कर्ता जिसे सबसे अधिक चाहता है 'वह कर्म है ।
अर्थात् करता की क्रिया का फल प्रभाव जिसपर पड़ता है 'वह कर्म है ।
"कर्तुः क्रियया यदाप्तुम् इष्टतमं तत् कारकं कर्मसंज्ञं भवति"
कर्ता की क्रिया के द्वारा जिसे प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक चाहा जाता है 'वह कर्म है।👇
कर्तुरीप्सिततमं कर्म-- सूत्रच्छेद: कर्तुः - षष्ठ्येकवचनम् , ईप्सिततमम् - प्रथमैकवचनम् विशेषणस्य उत्तमावस्था, कर्म - प्रथमैकवचनम् सम्बन्ध कारक:-
तीन संज्ञा मामलों में से, केवल स्वामित्व वाले मामले को घुमाया जाता है (जिस तरह से लिखा गया है उसे बदलता है)।
स्वामित्व वाले मामले में नाम एक एस्ट्रोफ़े को जोड़ने के साथ-साथ "S " के साथ या बिना जोड़ दिए जाते हैं। लड़के का जूता ढीला है।
लड़का स्वामित्व वाले मामले में एकवचन संज्ञा है। लड़कों के जूते ढीले हैं।
लड़के 'संबंधित मामले में एक बहुवचन संज्ञा है।
यह एक समेकित संज्ञा मामला बहुत सारे मूल अंग्रेजी बोलने वालों के लिए त्रुटि का स्रोत है।
अंग्रेजी सर्वनाम भी त्रुटि का एक लगातार स्रोत हैं क्योंकि वे व्यक्तिपरक और उद्देश्य के मामले को दिखाने के लिए घुमावदार रूप बनाए रखते हैं:-
व्यक्तिपरक मामले में सर्वनाम- मैं, वह, वह, हम, वे, कौन उद्देश्य के मामले में सर्वनाम : मैं, उसे, उसे, हम, उन्हें, जिन्हें आपके और उसके दोनों का सर्वव्यापी और उद्देश्य दोनों मामलों में समान रूप है।
संज्ञाओं के लिए, मेरी और उनके जैसे।
विशेषण की तरह, मेरा , इसका , हमारा , आदि संज्ञाओं के सामने खड़ा है, इसलिए उन्हें "स्वामित्व विशेषण" कहने का अर्थ होता है।
उद्देश्य का स्वरूप जो आधुनिक भाषण से लगभग चला गया है; व्यक्तिपरक रूप जो कई वक्ताओं के लिए उद्देश्य के मामले में ले लिया है। _______________________________________ Old English had five cases:
1- nominative,
2-accusative,
3-genitive,
4-dative, and
5-instrumental.
Modern English has three cases:
1. Nominative (also called subjective)
2. Accusative (also called objective)
3. Genitive (also called possessive)
The objective case subsumes the old dative and instrumental cases.
Case refers to the relation that one word has to another in a sentence, i.e., where one word “falls” in relationship to another.
The word comes from a Latin word meaning “falling, fall. गिरता है ”
In other modern languages, adjectives have case, but in English, case applies only to nouns and pronouns.
Nominative/Subjective Case:-- When a noun is used as a) the subject of a verb or b) the complement of a being verb, it is said to be in the subjective or nominative case.
The king laughed heartily. King is a noun in the subjective case because it is the subject of the verb laughed.
The king is the son of Eleanor of Aquitaine. Son is a noun in the subjective case because it is the complement of the being verb is.
Accusative/Objective Case:- When a noun is used as the object of a verb or the object of a preposition, it is said to be in the objective or accusative case.
The king subdued his enemies.
Enemies is a noun in the objective case because it receives the action of the transitive verb subdued; it is the direct object of subdued. The friends went to a movie. Movie is a noun in the objective case because it is the object of the preposition to.
Sallie wrote Charlie a letter. Charlie is a noun in the objective case because it is the indirect object of the verb wrote. A transitive verb always has a direct object; sometimes, it will have a second object called the “indirect object.
” In the old terminology, the indirect object was said to be in the “dative case.” Nowadays, the indirect object, like the direct object, is said to be in the accusative or objective case.
Genitive/Possessive Case:- Of the three noun cases, only the possessive case is inflected (changes the way it is spelled). Nouns in the possessive case are inflected by the addition of an apostrophe–with or without adding an “s.” The boy’s shoe is untied. Boy’s is a singular noun in the possessive case. The boys’ shoes are untied. Boys’ is a plural noun in the possessive case.
This one inflected noun case is the source of error for a great many native English speakers. English pronouns are also a frequent source of error because they retain inflected forms to show subjective and objective case: Pronouns in the subjective case:
I, he, she, we, they, who Pronouns in the objective case: me, him, her, us, them, whom The pronouns you and it have the same form in both subjective and objective case.
Note: Strictly speaking, both my and mine and the other possessive forms are genitive pronoun forms, but students who have been taught that pronouns stand for nouns are spared unnecessary confusion when the teacher reserves the term “possessive pronoun” for words that actually do stand for nouns, like mine and theirs. Like adjectives, my, its, our, etc. stand in front of nouns, so it makes sense to call them “possessive adjectives.”
The objective form whom is almost gone from modern speech; the subjective form who has taken over in the objective case for many speakers.
कारक- (Cases)---- कारक के भेद व्याकरण के सन्दर्भ में, किसी वाक्य, मुहावरा या वाक्यांश में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ सम्बन्ध कारक कहलाता है।
अर्थात् व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है उसे कारक कहते हैं।
कारक यह इंगित करता है कि वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का काम क्या है।
अन्य भाषाओं में कारक कई रूपों में देखने को मिलता है- संस्कृत भाषा में 6 कारक लैटिन में भी 6 कारक हैं ग्रीक 5 तथा आधुनिक ग्रीक 4 जर्मन में 4 और अंग्रेजी में 3 हैं ।
1-कर्ता 2- कर्म तथा 3-सम्बन्ध कारक शब्दों में विकार - जैसे
'लड़का' से 'लड़के' ; 'मैं' से 'मुझको', 'मेरा' आदि। शब्दों के बाद कुछ शब्द आना - 'गाय को', 'वृक्ष से', 'राम का', 'पानी में', अन्य रूप कुछ भाषाओं में संज्ञा और सर्वनाम के अतिरिक्त विशेषण और क्रियाविशेषण (Adverb) में भी विकार आते हैं।
जैसे संस्कृत में - 'शीतलेन जलेन' में 'शीतलेन' विशेषण है।
विभिन्न भाषाओं में कारकों की संख्या तथा कारक के अनुसार शब्द का रूप-परिवर्तन भिन्न-भिन्न होता है। संस्कृत तथा अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं में आठ कारक होते हैं।
जर्मन भाषा में चार कारक हैं।
कारक विभक्ति - संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के बाद ‘ने, को, से, के लिए’, आदि जो चिह्न लगते हैं वे चिह्न कारक 'विभक्ति' कहलाते हैं।
कारक के भेद - हिन्दी में आठ कारक होते हैं।
उन्हें विभक्ति चिह्नों सहित नीचे देखा जा सकता है- कारक :-विभक्ति चिह्न (परसर्ग)
1. कर्ता प्रथमा -- ने 2. कर्म द्वितीया -- को 3. करण -- से, के साथ, के द्वारा 4. संप्रदान -- के लिए, को 5. अपादान -- से (पृथक) 6. संबंध -- का, के, की, रा, रे, री 7. अधिकरण -- में, पर 8. संबोधन -- हे ! अरे ! ओ!
कारक चिह्न स्मरण करने के लिए इस पद की रचना की गई हैं-
किसी ने कहा -
कर्ता ने अरु कर्म को, करण रीति से जान।
संप्रदान को, के लिए, अपादान से मान।।
का, के, की, संबंध हैं, अधिकरणादिक में मान।
रे ! हे ! हो ! संबोधन, मित्र धरहु यह ध्यान।।
विशेष - कर्ता से अधिकरण तक विभक्ति चिह्न (परसर्ग) शब्दों के अंत में लगाए जाते हैं, किन्तु संबोधन कारक के चिह्न-हे, रे, आदि प्रायः शब्द से पूर्व लगाए जाते हैं। कर्ता कारक- जिस रूप से क्रिया (कार्य) के करने वाले का बोध होता है वह ‘कर्ता’ कारक कहलाता है।
इसका विभक्ति-चिह्न ‘ने’ है।
इस ‘ने’ चिह्न का वर्तमानकाल और भविष्यकाल में प्रयोग नहीं होता है।
इसका सकर्मक धातुओं के साथ भूतकाल में प्रयोग होता है।
जैसे:-
1.राम ने रावण को मारा।
2.लड़की स्कूल जाती है।
पहले वाक्य में क्रिया का कर्ता राम है।
इसमें ‘ने’ कर्ता कारक का विभक्ति-चिह्न है।
इस वाक्य में ‘मारा’ भूतकाल की क्रिया है।
‘ने’ का प्रयोग प्रायः भूतकाल में होता है।
दूसरे वाक्य में वर्तमानकाल की क्रिया का कर्ता लड़की है।
इसमें ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग नहीं हुआ है।
विशेष- (1) भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग (विभक्ति चिह्न) नहीं लगता है।
जैसे-वह हँसा।
(2) वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है। जैसे-वह फल खाता है।
वह फल खाएगा।
(3) कभी-कभी कर्ता के साथ ‘को’ तथा ‘स’ का प्रयोग भी किया जाता है।
जैसे-
(अ) बालक को सो जाना चाहिए।
(आ) सीता से पुस्तक पढ़ी गई।
(इ) रोगी से चला भी नहीं जाता।
(ई) उससे शब्द लिखा नहीं गया।
कर्म कारक- क्रिया के कार्य का फल जिस पर पड़ता है, वह कर्म कारक कहलाता है।
इसका विभक्ति-चिह्न ‘को’ है।
यह चिह्न भी बहुत-से स्थानों पर नहीं लगता।
जैसे-
1. मोहन ने साँप को मारा।
2. लड़की ने पत्र लिखा।
पहले वाक्य में ‘मारने’ की क्रिया का फल साँप पर पड़ा है। अतः साँप कर्म कारक है।
इसके साथ परसर्ग ‘को’ लगा है।
दूसरे वाक्य में ‘लिखने’ की क्रिया का फल पत्र पर पड़ा।
अतः पत्र कर्म कारक है।
इसमें कर्म कारक का विभक्ति चिह्न ‘को’ नहीं लगा।
करण कारक- संज्ञा आदि शब्दों के जिस रूप से क्रिया के करने के साधन का बोध हो अर्थात् जिसकी सहायता से कार्य संपन्न हो वह करण कारक कहलाता है।
इसके विभक्ति-चिह्न ‘से’ के ‘द्वारा’ है।
जैसे- 1.अर्जुन ने जयद्रथ को बाण से मारा।
2.बालक गेंद से खेल रहे है।
पहले वाक्य में कर्ता अर्जुन ने मारने का कार्य ‘बाण’ से किया।
अतः ‘बाण से’ करण कारक है।
दूसरे वाक्य में कर्ता बालक खेलने का कार्य ‘गेंद से’ कर रहे हैं।
अतः ‘गेंद से’ करण कारक है।
संप्रदान कारक- संप्रदान का अर्थ है-देना।
अर्थात कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है, अथवा जिसे कुछ देता है उसे व्यक्त करने वाले रूप को संप्रदान कारक कहते हैं।
लेने वाले को संप्रदान कारक कहते हैं।
इसके विभक्ति चिह्न ‘के लिए’ को हैं।
1.स्वास्थ्य के लिए सूर्य को नमस्कार करो।
2.गुरुजी को फल दो।
इन दो वाक्यों में ‘स्वास्थ्य के लिए’ और ‘गुरुजी को’ सम्प्रदान कारक हैं।
अपादान कारक- संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है।
इसका विभक्ति-चिह्न ‘से’ है।
जैसे- 1.बच्चा छत से गिर पड़ा।
2.संगीता घोड़े से गिर पड़ी।
इन दोनों वाक्यों में ‘छत से’ और घोड़े ‘से’ गिरने में अलग होना प्रकट होता है।
अतः घोड़े से और छत से अपादान कारक हैं।
संबंध कारक- शब्द के जिस रूप से किसी एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट हो वह संबंध कारक कहलाता है।
इसका विभक्ति चिह्न ‘का’, ‘के’, ‘की’, ‘रा’, ‘रे’, ‘री’ है। जैसे- 1.यह राधेश्याम का बेटा है।
2.यह कमला की गाय है।
इन दोनों वाक्यों में ‘राधेश्याम का बेटे’ से और ‘कमला का’ गाय से संबंध प्रकट हो रहा है।
अतः यहाँ संबंध कारक है।
जहाँ एक संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से सूचित होता है, वहाँ सम्बन्ध कारक होता है। इसके विभक्ति चिह्न का, की, के; रा, री, रे; ना, नी, ने हैं।
जैसे- राम का लड़का, श्याम की लड़की, गीता के बच्चे।
मेरा लड़का, मेरी लड़की, हमारे बच्चे। अपना लड़का, अपना लड़की, अपने लड़के।
अधिकरण कारक- शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
इसके विभक्ति-चिह्न ‘में’, ‘पर’ हैं।
जैसे-
1.भँवरा फूलों पर मँडरा रहा है।
2.कमरे में टी.वी. रखा है।
इन दोनों वाक्यों में ‘फूलों पर’ और ‘कमरे में’ अधिकरण कारक है।
संबोधन कारक- जिससे किसी को बुलाने अथवा सचेत करने का भाव प्रकट हो उसे संबोधन कारक कहते है और संबोधन चिह्न (!) लगाया जाता है।
जैसे- 1.अरे भैया ! क्यों रो रहे हो ? 2.हे गोपाल ! यहाँ आओ। इन वाक्यों में ‘अरे भैया’ और ‘हे गोपाल’ ! संबोधन कारक है।
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