शनिवार, 3 अगस्त 2019

वाक्य , वाक्यांश पदबन्ध और उपवाक्यों का सम्यक् विवेचन - ( रोहि हिन्दी व्याकरण)

यद्यपि वाक्य अनेक प्रकार के हो सकते हैं।
परन्तु उनका विभाजन हम दो आधारों पर कर सकते हैं।

अर्थात् ते आधार पर और संरचना को आधार पर :-

अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद हैं।

विधानवाचक ( कथन वाचक)( Assertive अथवा Declarative Sentence) 👇

यह एक 'मुखर वाक्य'  है जो एक तथ्य बताता है।
ऐसे वाक्य सरल कथन कहे जाते हैं ।
इनके द्वारा  दावा या कुछ घोषणा  की जाती हैं।
घोषणात्मक वाक्य
दूसरे शब्दों में ये वाक्य' किसी सत्य की घोषणा या दावा भी कहते हैं
इन वाक्यों का उपयोग सूचना को बताने के लिए किया जाता है।
ये सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला वाक्य का प्रकार है ।
ये अधिकांश अकादमिक लेखन में सरल या घोषित वाक्य होते हैं।
घोषणात्मक वाक्य एक अवधि के साथ समाप्त होते हैं।

उदाहरण निम्न हैं।
१-वह एक बड़े शहर में रहती है।
२-सूर्य पूरब में निकलता है
३-मैंने दूध पिया।
४-वर्षा हो रही है।

अर्थात् जिन वाक्यों में किसी क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं;
इसमें सकारात्मक भाव होता है ।
अत: ये स्वीकारात्मक भी हैं ।

निषेधवाचक वाक्य':-( Negative Sentence)👇

जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं;
परन्तु अंग्रेजी में यह वाक्य का मुख्य  प्रकार नहीं है
क्योंकि प्रत्येक वाक्य नकारात्मक (Negative) और स्वीकारात्मक (Affirmative) हो सकता है ।

जैसे- मैंने दूध नहीं पिया।
मैंने दूध पिया।
मैंने खाना नहीं खाया।
मैंने खाना खाया।

आज्ञावाचक वाक्य(Imperative Sentences)👇
जिन वाक्यों में आज्ञा, प्रार्थना, उपदेश आदि का ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
शहर  जाकर फल ले आओ।
बड़ों का सम्मान करो।

प्रश्नवाचक वाक्य (Intrrogative Sentence erogative Sentence. =Erotesis- प्रश्न से सम्बद्ध रूप ।👇
से "( inter= (Between) + rogare (to ask )

अर्थात् बात में बोलना  "पूछना, समाधान के लिए ।

जिन वाक्यों से किसी प्रकार का प्रश्न पूछने का ज्ञान होता है, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं;

जैसे- सीता तुम कहाँ से आ रही हो?
तुम क्या पढ़ रहे हो?

इच्छावाचक (वैकल्पिक वाक्य ) 👇
Optative / Illative Sentence हैं ।

वह वाक्य जो एक प्रार्थना, उत्सुकता, इच्छा, अभिशाप आदि को व्यक्त करता है, एक वैकल्पिक वाक्य कहलाता है।
इस तरह का वाक्य आम तौर पर अंग्रेजी  'may ' और wish' से प्रारम्भ होता है।
कभी-कभी, विश wish शब्द 'छिपा' रह सकता है।

वैकल्पिक अथवा इच्छा वाचक वाक्य के उदाहरण:

ईश्वर हम सभी पर कृपा करें।
प्यार को खरीदने के लिए आप सफल हो!

इस त्रासदी में ईश्वर मदद करें !

आपको एक सफल विवाहित जीवन की शुभकामनाएं!

आपको एक साथ सुखद यात्रा की शुभकामनाएं

संदेहवाचक (skeptic Sentence)👇
मूल शब्द स्पेक्टिक "Spectic" है।

जिन वाक्यों से संदेह या संभावना व्यक्त होती है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं;

जैसे- शायद शाम को वर्षा हो जाए।

वह आ रहा होगा, पर हमें क्या मालूम।

हो सकता है राजेश आ जाए।

विस्मयादि वाचक वाक्य। ( exclamatroy Sentence )
Latin exclamare "cry out loud, call out," from ex "out,"  + clamare "cry, shout, call"  से एक्सक्लामेट्री शब्द नना है।
भारोपीय धातु kele- कल् (2) "to shout"). देखें---

जिन वाक्यों से आश्चर्य, घृणा, क्रोध शोक आदि भावों की अभिव्यक्ति काल में व्यक्ति जोर से चिल्लाता  है, उन्हें ही विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं;

जैसे- वाह-कितना सुंदर दृश्य है!

उसके माता-पिता दोनों ही चल बसे!

शाबाश तुमने बहुत अच्छा काम किया!

संकेतवाचक वाक्य' 👇(Conditional Sentences )

शर्त वाले वाक्यों में एक भाग कंड़ीशन (शर्त) को व्यक्त करता है और दूसरा भाग उस शर्त के पूरा होने या ना होने को व्यक्त करता है ।
व्याकरणिक शब्दों में - कंड़ीशनल वाक्यों में सामान्यत: दो उपवाक्य (क्लॉज़) होते हैं ।
जैसे अंग्रेजी भाषाओं में
(1) 'If Clause' - जो कंड़ीशन (शर्त) को व्यक्त करती है और

(2) 'Main / Principal Clause' - जो शर्त के पूरा होने या ना होने के बारे में बताता है ।

वाक्यों को मुख्य रूप से तीन भागो में बांटा जा सकता है: 
1. जब 'If clause' वर्तमान काल में हो 
2. जब 'If Clause' भूत काल में हो 
3. जब 'If Clause' भविष्य काल में हो 

हिन्दी में वाक्य का जो भाग कंड़ीशन (शर्त )प्रकट करें वह चाहे प्रेज़ेंट टेन्स (वर्तमान काल)में हो अथवा फ्यूचर टेन्स (भविष्य काल ) में,
अंग्रेजी  में तो उसे वर्तमान काल में ही बनाया जाता है ।

मुख्य भाग फ्यूचर या प्रेज़ेंट में से कोई भी हो सकता है
इस प्रकार के कंड़ीशनल वाक्यों में दो बार फ्यूचर टेन्स का प्रयोग नही होता है । 
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Examples उदाहरण

यदि तुम ऑफिस जाओ तो मेरी तन्खवाह ले लेना ।
If you go to office, please take my salary.

यदि आप पेट्रोल को खुले में रखो तो यह उड़ जाता है ।If you keep petrol in open, it evaporates.

यदि किसी भी चीज की कमी होती है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है ।
If there is shortage of anything, its price goes up.

यदि बरसात आती है तो वह घर पर ही रहेगा ।
If it rains, he will remain at home.

यदि तुम जल्दी करोगे तो गाड़ी पकड़ लोगे ।
If you make haste, you will catch the train.

यदि तुम लगातार व्यायाम करते हो तो अपने आपको तंदरुस्त रखते हो ।
If you do exercise regularly, you keep yourself fit.

अगर धुंध बढ़ती है तो उड़ाने लेट होती है ।
If fog gets thicker, flights get late.

यदि तुम महिमा को ढूंढ रहे हो तुम्हें वह अपनी दादी के पास मिल सकती है ।
If you are looking for Mahima, you may find her with her Daadi.

'If Clause' भूत काल में 'auxiliary verb 'Had' (मेरे पास छतरी थी) से बना हो और 'Main Clause' यह प्रकट करें की कोई बात जो होनी चाहिये थी या जिसके होने की आशा थी,
वह नही हुई, तब Principal Clause में 'Would' का प्रयोग करते है । 

Examples उदाहरण
यदि मेरे पास कार होती तो तुम्हें दे देता
(परंतु मेरे पास कार नही है) ।
If I had a car, I would give it to you (But I have not a car).

यदि पिता जी के पास पैसे होते तो वह मुझे जरूर देते (परंतु पिता जी के पास पैसे नही है) ।
If papa had money, he would surely give to me (But paapaa has no money).

जिन वाक्यों में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है।
उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे-
यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे। (भविष्य सूचक)

पिताजी अभी आते तो अच्छा होता।
(भूत सूचक)

अगर वर्षा होगी तो फ़सल भी होगी।

रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं-

सरल वाक्य/साधारण वाक्य (Simple Sentence)

जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें सरल वाक्य या साधारण वाक्य कहते हैं, इन वाक्यों में एक ही क्रिया होती है; जैसे- मुकेश पढ़ता है। राकेश ने भोजन किया। इसमें कर्ता के साथ उसके विस्तारक विशेषण और क्रिया के साथ विस्तारक सहित कर्म एवं क्रिया-विशेषण आ सकते हैं। जैसे-अच्छा बच्चा मीठा दूध अच्छी तरह पीता है। यह भी साधारण वाक्य है।

संयुक्त वाक्य (Compound Sentence)

दो अथवा दो से अधिक साधारण वाक्य जब सामानाधिकरण समुच्चयबोधकों जैसे- (पर, किन्तु, और, या आदि) से जुड़े होते हैं, तो वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।
ये चार प्रकार के होते हैं।

१-संयोजक- जब एक साधारण वाक्य दूसरे साधारण या मिश्रित वाक्य से संयोजक अव्यय द्वारा जुड़ा होता है। जैसे-गीता गई और सीता आई।

२-विभाजक- जब साधारण अथवा मिश्र वाक्यों का परस्पर भेद या विरोध का संबंध रहता है। जैसे-वह मेहनत तो बहुत करता है पर फल नहीं मिलता।

३-विकल्पसूचक- जब दो बातों में से किसी एक को स्वीकार करना होता है।
जैसे- या तो उसे मैं अखाड़े में पछाड़ूँगा या अखाड़े में उतरना ही छोड़ दूँगा।

५-परिणामबोधक- जब एक साधारण वाक्य दसूरे साधारण या मिश्रित वाक्य का परिणाम होता है।
जैसे- आज मुझे बहुत काम है इसलिए मैं तुम्हारे पास नहीं आ सकूँगा।

मिश्रित/मिश्र वाक्य (Complex Sentence)

जिन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान वाक्य हो और अन्य आश्रित उपवाक्य हों, उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं।

इनमें एक मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक से अधिक समापिका क्रियाएँ होती हैं, जैसे- ज्यों ही उसने दवा पी, वह सो गया।

यदि परिश्रम करोगे तो, उत्तीर्ण हो जाओगे।

मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते।

विशेष-
इन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान उपवाक्य और एक अथवा अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जो समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं।

मुख्य उपवाक्य की पुष्टि, समर्थन, स्पष्टता अथवा विस्तार हेतु ही आश्रित वाक्य आते है।
आश्रित वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

1-संज्ञा उपवाक्य।

2-विशेषण उपवाक्य।

3-क्रिया-विशेषण उपवाक्य।

1. संज्ञा उपवाक्य- जब आश्रित उपवाक्य किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम के स्थान पर आता है तब वह संज्ञा उपवाक्य कहलाता है। जैसे- वह चाहता है कि मैं यहाँ कभी न आऊँ। यहाँ कि मैं कभी न आऊँ, यह संज्ञा उपवाक्य है।

2. विशेषण उपवाक्य- जो आश्रित उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की संज्ञा शब्द अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाता है वह विशेषण उपवाक्य कहलाता है। जैसे- जो घड़ी मेज पर रखी है वह मुझे पुरस्कारस्वरूप मिली है। यहाँ जो घड़ी मेज पर रखी है यह विशेषण उपवाक्य है।

3. क्रिया-विशेषण उपवाक्य- जब आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बतलाता है तब वह क्रिया-विशेषण उपवाक्य कहलाता है। जैसे- जब वह मेरे पास आया तब मैं सो रहा था। यहाँ पर जब वह मेरे पास आया यह क्रिया
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(Phrase) वाक्यांश  या पदबन्ध  की परिभाषा पद- वाक्य से अलग रहने पर 'शब्द' और वाक्य में प्रयुक्त हो जाने पर शब्द 'पद' कहलाते हैं।
अर्थात् विभक्ति युक्त शब्द पद- हैं ।

दूसरे शब्दों में- वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है। पदबन्ध- जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।

दूसरे शब्दों में- कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, 'पदबंध' कहते है।

डॉ० हरदेव बाहरी ने 'पदबन्ध' की परिभाषा इस प्रकार दी है- वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते- पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं।

जैसे-
(1) सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र जीत गया।

(2) यह लड़की अत्यंत सुशील और परिश्रमी है।

(3) नदी बहती चली जा रही है।

(4) नदी कल-कल करती हुई बह रही थी।

उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द पदबंध है।
पहले वाक्य के 'सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र' में पाँच पद है, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात संज्ञा का कार्य कर रहे हैं।

दूसरे वाक्य के 'अत्यंत सुशील और परिश्रमी' में भी चार पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात विशेषण का कार्य कर रहे हैं।

तीसरे वाक्य के 'बहती चली जा रही है' में पाँच पद हैं किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया का काम कर रहे हैं।
चौथे वाक्य के 'कल-कल करती हुई' में तीन पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात् क्रिया विशेषण का काम कर रहे हैं।

इस प्रकार रचना की दृष्टि से पदबन्ध में तीन बातें आवश्यक हैं- एक तो यह कि इसमें एक से अधिक पद होते हैं।
दूसरे ये पद इस तरह से सम्बद्ध होते हैं कि उनसे एक इकाई बन जाती है।

तीसरे, पदबन्ध किसी वाक्य का अंश होता है।
अँगरेजी में इसे phrase कहते हैं। इसका मुख्य कार्य वाक्य को स्पष्ट, सार्थक और प्रभावकारी बनाना है।

ये पदबंध पूरे वाक्य नहीं होते, बल्कि वाक्य के टुकड़े हैं, किन्तु निश्चित अर्थ और क्रम के परिचायक हैं।

हिंदी व्याकरण में इनपर अभी स्वतन्त्र अध्ययन नहीं हुआ है।
पदबंध के भेद मुख्य पद के आधार पर पदबंध के पाँच प्रकार होते हैं-
(1) संज्ञा-पदबंध

(2) विशेषण-पदबंध

(3) सर्वनाम पदबंध

(4) क्रिया पदबंध

(5) अव्यय पदबंध

(1) संज्ञा-पदबंध- वह पदबंध जो वाक्य में संज्ञा का कार्य करे, संज्ञा पदबंध कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- पदबंध का अंतिम अथवा शीर्ष शब्द यदि संज्ञा हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हो तो वह 'संज्ञा पदबंध' कहलाता है।
जैसे-
(a) चार ताकतवर मजदूर इस भारी चीज को उठा पाए।

(b) राम ने लंका के राजा रावण को मार गिराया।

(c) अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे।

(d) आसमान में उड़ता गुब्बारा फट गया।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'संज्ञा पदबंध' है।

(2) विशेषण पदबंध- वह पदबंध जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतलाता हुआ विशेषण का कार्य करे, विशेषण पदबंध कहलाता है।

दूसरे शब्दों में- पदबंध का शीर्ष अथवा अंतिम शब्द यदि विशेषण हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हों तो वह 'विशेषण पदबंध' कहलाता है। जैसे-

(a) तेज चलने वाली गाड़ियाँ प्रायः देर से पहुँचती हैं।

(b) उस घर के कोने में बैठा हुआ आदमी जासूस है।

(c) उसका घोड़ा अत्यंत सुंदर, फुरतीला और आज्ञाकारी है।

(d) बरगद और पीपल की घनी छाँव से हमें बहुत सुख मिला।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'विशेषण पदबंध' है।

(3) सर्वनाम पदबंध- वह पदबंध जो वाक्य में सर्वनाम का कार्य करे, सर्वनाम पदबंध कहलाता है।

उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य देखिए- बिजली-सी फुरती दिखाकर आपने बालक को डूबने से बचा लिया।

शरारत करने वाले छात्रों में से कुछ पकड़े गए।

विरोध करने वाले लोगों में से कोई नहीं बोला।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द सर्वनाम पदबंध हैं क्योंकि वे क्रमशः 'आपने' 'कुछ' और 'कोई' इन सर्वनाम शब्दों से सम्बद्ध हैं।

(4) क्रिया पदबंध- वह पदबंध जो अनेक क्रिया-पदों से मिलकर बना हो, क्रिया पदबंध कहलाता है।
क्रिया पदबंध में मुख्य क्रिया पहले आती है।
उसके बाद अन्य क्रियाएँ मिलकर एक समग्र इकाई बनाती है। यही 'क्रिया पदबंध' है।
जैसे-
(a) वह बाजार की ओर आया होगा।

(b) मुझे मोहन छत से दिखाई दे रहा है।

(c) सुरेश नदी में डूब गया।

(d) अब दरवाजा खोला जा सकता है।

उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द 'क्रिया पदबंध' है।

(5) अव्यय पदबंध- वह पदबंध जो वाक्य में अव्यय का कार्य करे, अव्यय पदबंध कहलाता है।

इस पदबंध का अंतिम शब्द अव्यय होता है।

उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्य देखिए-

अपने सामान के साथ वह चला गया।

सुबह से शाम तक वह बैठा रहा।

इन वाक्यों में काला छपे शब्द अव्यय पदबंध हैं। पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर है- उपवाक्य (Clause) भी पदबन्ध (Phrase) की तरह पदों का समूह है,
लेकिन इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं।

पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य में क्रिया रहती है; जैसे-'ज्योंही वह आया, त्योंही मैं चला गया।'
यहाँ 'ज्योंही वह आया' एक उपवाक्य है, जिससे पूर्ण अर्थ की प्रतीति नहीं होती।

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