ईजिप्ट, ग्रीक, रोमन की मायथोलॉजी में वो सब पात्र अौर कहानियाँ पहले से ही मौजुद हैं जो अंग्रेज' संस्कृत की हुई लिपि में ट्रांसलेशन कर करके हिन्दू बता रहे हैं|
मतलब यूरोपियन कलाकारों के नाम सम्बन्धित देश की भाषा व कल्चर में बदल कर ,अपनी मायथोलोजिकल कहानियाँ एशियाई देशों में फिट कर दी है और कर रहे हैं |
हालांकि ये सभी सभ्यताएँ आगे चलकर क्रिश्यनिटी में बदल गई थी' लेकिन ये कहानियाँ, घटनायें अौर कलाकार (पात्र) आज भी उनकी संस्कर्ती का हिस्सा हैं|
इसको फैलाने के लिये यूरोपियंन अपने स्थानीय घार्मिक एजेंट ( फ्रीमेशन ) उत्पनं करते हैं और इन्हें स्थानीय सुधारक के रुप में स्थापित करते है | इन कहानियों को भिन्न पात्रों से फैलाने वाले कट्टर समूहों को भी यूरोपियन का पूरा समर्थन रहता है और आर्थिक सहयोग भी दिया जाता है।
क्योंकि जिस किसी देश व धर्म में जितना अधिक धार्मिक कट्टरवाद बढेगा' उतनी अराजकता बढेगी और सम्बंधित देश के नागरिक हर तरह के अत्याधुनिक ज्ञान विज्ञान में पिछडते चले जायेंगे।
स्थानीय भाषा की लिपी अौर व्याकरण तैयार करने के नाम पर यूरोपियन अपनी धार्मिक कहानियों को स्थानीय साहित्य में फिट कर देते हैं और प्राचीन इतिहास व प्राचीन धर्म के नाम से पढाते लिखाते हैं और ज़िसका प्रचार-प्रसार वे तरह-तरह के तरीकों से करते व करवाते हैं|
ये कथा-कहाँनिया क्रिश्यनिटी का पूर्व रुप हैं, इनको विभिन्न स्थानों पर विभिन्न रुप में फिट करना बताता है कि यूरोपियन कितने कट्टर धार्मिकता को फैलाने वाले लोग हैं। बस इनके तरीके इतने सोफिस्टीकेट हैं कि लोगों को समझ में ही नही आते हैं। दुनिया के सभी किताब-ग्रंथ श्लोक-सुरा यानि कोड लिपि में लिखे गये हैं।
ये आजके विश्व में सबसे ताकतवर भी हैं, ज़िसकी इच्छा के बिना कुछ भी नही होता है। इसलिये ये अपना काम अपने धार्मिक एजेंटो से करवाते हैं अौर उनको संरक्षण देते हैं जो इनके बिना श्रवाईव ही नही कर पाते हैं |
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