मंगलवार, 6 सितंबर 2022

राजपूत और करणीसेना-

अहीरों ,गूजरों और जाटों को पानी पीकर पीकर गाली देने वालो शास्त्रों में ये भी लिखा है। 

राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध मे इतिहास में कई मत प्रचलित हैं।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राजपूत संस्कृत के राजपुत्र शब्द का अपभ्रंश है; राजपुत्र शब्द हिन्दू धर्म ग्रंथों में कई स्थानों पर देखने को मिल जायेगा लेकिन वह जातिसूचक के रूप में नही होता अपितु  किसी भी राजा के संबोधन सूचक शब्द के रूप में होता है । 

परन्तु  अध्ययन करने पर हम पाते हैं कि पुराणों में एक स्थान पर राजपुत्र जातिसूचक शब्द के रूप में आया है जो कि इस प्रकार है-👇
_______________________________________
क्षत्रात्करणकन्यायां राजपुत्रो बभूव ह।
राजपुत्र्यां तु करणादागरीति प्रकीर्तितः।।

ब्रह्मवैवर्तपुराणम् खण्डः प्रथम
 (ब्रह्मखण्डः)अध्यायः(१०) का श्लोकसंख्या-( ११०)
इति श्रीब्रह्मवैवर्त्ते महापुराणे सौतिशौनकसंवादे ब्रह्मखण्डे जातिसम्बन्धनिर्णयो नाम दशमोऽध्यायः ।। १० ।।

भावार्थ:- क्षत्रिय से करण-कन्या(वैश्य पुरुष और शूद्र कन्या से ) में राजपुत्र और राजपुत्र की कन्या में करण द्वारा 'आगरी' उत्पन्न हुआ।

राजपुत्र के क्षत्रिय पुरुष द्वारा करण कन्या के गर्भ में उत्पन्न होने का वर्णन (शब्दकल्पद्रुम) में भी आया है- "करणकन्यायां क्षत्त्रियाज्जातश्च इति पुराणम्।"
अर्थात:- क्षत्रिय पुरुष द्वारा करण कन्या में उत्पन्न संतान...

यूरोपीय विश्लेषक मोनियर विलियमस् ने भी लिखा है कि-
A rajpoot,the son of a vaisya by an ambashtha or the son of Kshatriya by a karan...
~A Sanskrit English Dictionary:Monier-Williams, page no. 873

शब्दकल्पद्रुम व वाचस्पत्य में भी एक अन्य स्थान पर भी राजपुत्र शब्द जातिसूचक शब्द के रूप में आया है; जो कि इस प्रकार है:-

 ३- वर्णसङ्करभेदे (रजपुत) “वैश्यादम्बष्ठकन्यायां
राजपुत्रस्य सम्भवः” इति पराशरः ।
अर्थात:- वैश्य पुरुष के द्वारा अम्बष्ठ कन्या में राजपूत उत्पन्न होता है।

राजपूत सभा के अध्यक्ष श्री गिर्राज सिंह लोटवाड़ा जी के अनुसार राजपूत शब्द रजपूत शब्द से बना है जिसका अर्थ वे मिट्टी का पुत्र बतलाते हैं...

थोड़ा अध्ययन करने के बाद ये रजपूत शब्द हमें स्कंद पुराण के सह्याद्री खण्ड में देखने को मिलता है जो कि इस प्रकार एक वर्णसंकर जाति के अर्थ में है-
शय्या विभूषा सुरतं भोगाष्टकमुदाहृतम्।
 शूद्रायां क्षत्रियादुग्रः क्रूरकर्मा प्रजायते।।४७।।

शस्त्रविद्यासु कुशल: संग्रामकुशलो भवेत्।
तया वृत्त्या स जीवेद्यो शूद्रधर्मा प्रजायते।।४८।।

राजपूत इति ख्यातो युद्धकर्मविशारदः।
वैश्य धर्मेण शूद्रायां ज्ञात वैतालिकाभिध:।४९

 उपर्युक्त सन्दर्भ:-
(स्कन्दपुराण- आदिरहस्य सह्याद्रि-खण्ड- व्यास देव व सनत्कुमार का संकर जाति विषयक संवाद नामक २६ वाँ अध्याय-श्लोक संख्या- ४७,४८,४९ पर राजपूतों की उत्पत्ति वर्णसंकर के रूप में है ।

भावार्थ:-क्षत्रिय से शूद्र जाति की स्त्री में राजपूत उत्पन्न होता है यह भयानक, निर्दय , शस्त्रविद्या और रण में चतुर तथा शूद्र धर्म वाला होता है ;और शस्त्र- वृत्ति से ही अपनी जीविका चलाता है ।
___________________________________

कुछ विद्वानों के अनुसार राजपूत क्षत्रिय शब्द का पर्यायवाची है...
लेकिन अमरकोष में राजपूत और क्षत्रिय शब्द को परस्पर पर्यायवाची नही बतलाया है;स्वयं देखें-

मूर्धाभिषिक्तो राजन्यो क्षत्रियो बाहुजो विराट्।
राजा राट् पार्थिवक्ष्मा भृन्नृपभूपमहीक्षित:।।
-अमरकोष
अर्थात:- मूर्धाभिषिक्त,राजन्य,बाहुज,क्षत्रिय,विराट्,राजा, राट्,पार्थिव,क्ष्माभृत्,नृप,भूप,और महिक्षित ये क्षत्रिय शब्द के पर्याय है।
इसमें 'राजपूत' शब्द या तदर्थक कोई अन्य शब्द नहीं आया है।

पुराणों के निम्न श्लोक को पढ़ें-

सद्यः क्षत्रियबीजेन राजपुत्रस्य योषिति।
बभूव तीवरश्चैव पतितो जारदोषतः।।
-ब्रह्मवैवर्तपुराणम्/खण्डः १ (ब्रह्मखण्डः)/अध्यायः १०/श्लोकः (९९)
भावार्थ:-क्षत्रिय के बीज से राजपुत्र की स्त्री में तीवर उतपन्न हुआ।वह भी व्याभिचार दोष के कारण पतित कहलाया।

यदि क्षत्रिय और राजपूत परस्पर पर्यायवाची शब्द होते तो क्षत्रिय पुरुष और राजपूत स्त्री की संतान राजपूत या क्षत्रिय ही होती न कि तीवर या धीवर!!

इसके अतिरिक्त शब्दकल्पद्रुम में राजपुत्र को वर्णसंकर जाति लिखा है जबकि क्षत्रिय वर्णसंकर नही...
______________________________________
Manohar Laxman  varadpande(1987). History of Indian theatre: classical theatre. Abhinav Publication. Page number 290

"The word kshatriya is not synonyms with Rajput."
अर्थात- क्षत्रिय शब्द राजपूत का पर्यायवाची नहीं है।
स्वयं करणी सेना के बैनर तले राजपूतों का संगठन इस सच्चाई कि ओर संकेत करता है कि राजपूत करण कन्या से उत्पन्न राजाओं की गुप्तयौनाचार से उत्पन्न अवैध सन्तानें है।

क्षत्रात्करणकन्यायां राजपुत्रो बभूव ह।
राजपुत्र्यां तु करणादागरीति प्रकीर्तितः।११०।

ब्रह्मवैवर्तपुराणम् खण्डः प्रथम
 (ब्रह्मखण्डः)अध्यायः(१०) का श्लोकसंख्या-( ११०)
इति श्रीब्रह्मवैवर्त्ते महापुराणे सौतिशौनकसंवादे ब्रह्मखण्डे जातिसम्बन्धनिर्णयो नाम दशमोऽध्यायः ।१०।

भावार्थ:- क्षत्रिय से करण-(वैश्य पुरुष और शूद्र कन्या से उत्पन्न )कन्या में उत्पन्न राजपुत्र (राजपूत) हैं।

अब लगाओ हिन्दू शास्त्रों में आग-

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें