नमः सूर्यस्वरूपाय प्रकाशालक्ष्यरूपिणे ॥१५५॥
सर्वस्मै हेतवे चैव संध्याज्योत्स्नाकृते नमः।१५६।
भ्रमत्याविश्वमखिलं ब्रह्मांडं सचराचरम् ॥
क्रियते त्वत्करस्पर्शैर्जलादीनां पवित्रता ॥ १५८ ॥
प्रकाश का प्रकीर्णन (Light scattering) का सिद्धान्त:- प्रकाश काम अपने पथ पर विकीर्ण हो जाना - फैल जाना-
भास्कराय नमस्तुभ्यं तथा दिनकृते नमः॥७८.७॥
शर्वरीहेतवे चैव सन्ध्याज्योत्स्नाकृते नमः ।
त्वं सर्वमेतद् भगवन् जगदुद्भ्रमता त्वया॥७८.८॥
भ्रमत्याविद्धमखिलं ब्रह्माण्डं सचराचरम् ।
त्वदंशुभिरिदं स्पृष्टं सर्वं सञ्जायते शुचि॥७८.९॥
जब प्रकाश की किरण छोटी -छोटी कणो पर पड़ती है तो वह कण प्रकाश को कुछ मात्रा में अवशोषित कर लेती है और पुनः उसी प्रकाश को चारो तरफ फैला देती है तो वैसी घटना को प्रकाश प्रकीर्णन कहते हैं।
क्या आप जानते हैं; प्रकाश का प्रकीर्णन किसे कहते हैं - Prakash Ka Prakirnan Kise Kahate Hain? निर्वात् में प्रकाश सीधी रेखा में चलता है। जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम (विशेष रूप से गैसीय) से गुजरता है जिसमें अति सूक्ष्म आकार के कण (जैसे - धूल के कण, धूम्र आदि) होते हैं तो इन कणों पर टकराकर प्रकाश का कुछ भाग सभी दिशाओं में (कुछ दिशाओं में कम तथा कुछ में अधिक) फैल जाता है। इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं। तो अब आप समझ गए होंगे कि प्रकाश का प्रकीर्णन होता क्या है -
प्रकाश का प्रकीर्णन ( Scattering of Light )
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से होकर गुजरता है ।जिसने कुछ कण उपस्थित हो तथा जिनका आकार , प्रकाश की तरंगदैध्र्य की कोटि का हो तब प्रकाश उन कणों से टकराकर भिन्न - भिन्न दिशाओं में विचलित हो जाता है।यह घटना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाती है ।
उदाहरण-
आकाश का रंग नीला दिखाई देता है , क्योकि नीला रंग सबसे अधिक प्रकर्णित होता है। तथा फैल जाता है ।
प्रकाश के के यात्रा मार्ग में जब वह किसी विशिष्ट पदार्थ से टकराने के बाद उस पदार्थ के चारो ओर प्रकाश छीतर जाना,अथवा फैल जाना इस क्रिया को ही प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है।
प्रकाश के प्रकीर्णन के लिए सूक्ष्म परावर्तक कण माध्यम होते है। आसमान जो हमे नीला दिखाई देता वह भी प्रकाश के प्रकीर्णन की प्रक्रिया के कारण ही होता है।
प्रश्न के लिए धन्यवाद।
•शब्द ‘विवर्तन’ की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘diffringere’ से हुई, जिसका अर्थ छोटे- छोटे टुकड़ों में टूटना है ।
•जिन अन्य वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन किया, उनमें न्यूटन, ग्रेगरी, यंग, फ्रेस्नेल शामिल हैं ।
•अपने हाथ को एक प्रकाश स्रोत के सामने रखें और धीरे-धीरे बंद करें और उन दोनों के बीच प्रसारित प्रकाश का निरीक्षण करें
•जैसे-जैसे उंगलियां एक-दूसरे के बहुत करीब आती हैं, आपको उंगलियों के समानांतर दीप्ति रेखाओं की एक श्रृंखला दिखाई देने लगती है। यह समानांतर रेखाएं वास्तव में विवर्तन पैटर्न हैं।
•विवर्तन का अर्थ है किसी बाधा या रुकावट के
जब कोई प्रकाश किरण किसी एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो पहले माध्यम की अपेक्षा दूसरे माध्यम में उसका पथ थोड़ा विचलित हो जाती है । अधिक जानकारी के लिए और पढ़ें
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