तस्मात्त्वं गोव्रजं गत्वा कृष्णं रामं च यादव ।
सर्वान्गोपालवृद्धांश्च नंदगोपपुरोगमान् ।
उपभोक्तुं धनुर्यागामिहानय यदूत्तम ।२२८।
अनुवाद:- इसलिए तुम को गोव्रज को जाकर कृष्ण और बलराम को हे यादव अक्रूर! और सभी वृद्ध गोपालों को जो नन्द को नगर( पुर) में आये हैं उनको भी उपभोग( धनुष- यज्ञ भोज) करने के लिए यहाँ बुलाकर लाओ हे यादव-शिरोमणि-।२२।
उपर्युक्त युक्त श्लोक में यादव विशेषण अक्रूर जी के सम्बोधन में है।
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