बुधवार, 5 जुलाई 2023

बलि प्रथा का पाखण्ड



 पुजारी ने बकरे के सिर से बलि दी।
(यजुर्वेद)

खड्ग पर बचा हुआ मांस भी देवताओं के लिए हो।
(ऋग्वेद)

तुम्हें वह मांस प्राप्त हो जो मैं तुम्हें प्रदान करता हूं।
(अथर्ववेद)

 बलि किये गये पशु को देवताओं का लोक प्राप्त होता है।
(यजुर्वेद तैतरिय ब्राह्मण)

 मधुपर्क संस्कार मांस के बिना नहीं किया जा सकता।
(अश्वलायन गुह्यसूत्र)

***********************************************

यज्ञ में पशुबलि देना अधर्म नहीं है।
(श्लोकवर्तिका-कुमारिल भट्ट)

पशुबलि वेदों द्वारा निर्धारित अहिंसा के सामान्य नियम का अपवाद है।
(ब्रह्मसूत्र शाङ्करभाष्य)

बाली हिंसा नहीं है जैसा कि बलि चढ़ाया गया पशु देवताओं के क्षेत्र में आनंद लेता है।
(गीता रामानुजाचार्य भाष्य)

 वैदिक यज्ञ में पशुबलि कोई पाप नहीं है।
(माधवाचार्य - पूर्णप्रज्ञ भाष्य )

 वैदिक हिंसा में कोई पाप संचित नहीं होता है।
(रामानंदाचार्य - आनंद भाष्य)

***********************************************

पशुहिंसा दैव और पितृ कर्म में मान्य है।
(कुलर्णव तंत्र )

पशू का सिर एक ही तेज वार से धड़ से अलग कर दिया जाएगा।
(महानिर्वाण तंत्र )

"मैं उन लोगों का प्रसाद सहर्ष स्वीकार करती हूं जो बलि के साथ मेरी पूजा करते हैं।"
(सप्तशति)

चंडिका को बकरे और भैंस का मांस अर्पित करें।
(मुंडमाला तंत्र )

साधक को पूजा मे पशू का मस्तक और रक्त का प्रयोग करना चाहिए।
(कालिका पुराण)

हे राजन, देवी की पूजा रक्त और मांस से की जाती है।
(वाराही तंत्र, दूसरा रहस्य)

जय महामाई की...🙏🚩

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें