गुरुवार, 4 जून 2020

'हरि का भजन कर मत चल तनकर ...

हरिहरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...
 'हरि बोल 'हरि बोल .....

ओ--- रे मुसाफिर तेरा बड़ी दूर घर ..
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...

_____________________________

जब तक है पास कुछ भी तेरे पैसा ---
पराये भी पूछ लेंगे हाल है कैसा ...

लव, तलब ,मतलब , जगत की हलचल
दुनियाँ की दस्तूर है ये हमेशा ...

हालातें सब सिखाती ---इनसे सीख ये लो ।
दुनियाँ  एक भिखारी  ---इससे भीख न लो --
खुद  ही यतन कर   , काबू मन पर 
मन की ही है सारी असर ।

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...

ओ--- रे मुसाफिर तेरा बड़ी दूर घर ..

'न दीन है मुहाफिज ,जुल्म काबिज ।
हालत जहालत की , कौन पाक़िज ।।
बेफर्ज हैं यहांँ वारिस,  हकों हुकूमत ...
शख्सियत हैं हालातें की नाफ़िज ।

एहशासों का मरक़ज ----ज्ञान का बीज है ।
सरहद नहीं है जिसकी ----ज्ञान वो चीज़ है ।

तन्हा मनन कर , फिर उस को तनकर ।
पहन उशूलों की चादर ---

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...

अलापों में आह , ग़म की सरग़म  ।
सोज़ों के साज पर  --सुनते  हम ..
बेखुदी में खोए   होके बेदम ।
डूबी कश्तीयाँ जहाँ पानी कम ।
खयालों का झोका --- रज़ा की रवानी है ये ।
सपनों के जैसी ----- बस जिन्द़गानी है ये ।
रुशवाई के दर  , मायूसी आकर ।
खबरा- हटों का कहर !

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...


ओ--- रे मुसाफिर तेरा बड़ी दूर घर ..

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...
 का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...




हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...
 'हरि बोल 'हरि बोल .....

ओ--- रे मुसाफिर तेरा बड़ी दूर घर ..
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...

_____________________________

जब तक है पास कुछ भी तेरे पैसा ---
पराये भी पूछ लेंगे हाल है कैसा ...

लव, तलब ,मतलब , जगत की हलचल
दुनियाँ की दस्तूर है ये हमेशा ...

हालातें सब सिखाती ---इनसे सीख ये लो ।
दुनियाँ  एक भिखारी  ---इससे भीख न लो --
खुद  ही यतन कर   , काबू मन पर 
मन की ही है सारी असर ।

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...

ओ--- रे मुसाफिर तेरा बड़ी दूर घर ..

'न दीन है मुहाफिज ,जुल्म काबिज ।
हालत जहालत की , कौन पाक़िज ।।
बेफर्ज हैं यहांँ वारिस,  हकों हुकूमत ...
शख्सियत हैं हालातें की नाफ़िज ।

एहशासों का मरक़ज ----ज्ञान का बीज है ।
सरहद नहीं है जिसकी ----ज्ञान वो चीज़ है ।

तन्हा मनन कर , फिर उस को तनकर ।
पहन उशूलों की चादर ---

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...

अलापों में आह , ग़म की सरग़म  ।
सोज़ों के साज पर  --सुनते  हम ..
बेखुदी में खोए   होके बेदम ।
डूबी कश्तीयाँ जहाँ पानी कम ।
खयालों का झोका --- रज़ा की रवानी है ये ।
सपनों के जैसी ----- बस जिन्द़गानी है ये ।
रुशवाई के दर  , मायूसी आकर ।
खबरा- हटों का कहर !

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...


ओ--- रे मुसाफिर तेरा बड़ी दूर घर ..

हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
हरि का भजन कर , मत चल तनकर ।
जीवन का है लम्बा सफर ...

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